(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1368/2008
मैसर्स एलायंस बिल्डर्स एण्ड कंस्ट्रक्टर्स लि0, रजिस्टर्ड आफिस स्टेडियम रोड, बरेली द्वारा डायरेक्टर श्री ए.एस. बग्गा
बनाम
प्रदीप कुमार सक्सेना पुत्र श्री नबाब सिंह, निवासी 36 दर्जी चौक बड़ा बाजार बरेली
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.के. श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन।
दिनांक : 07.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-136/2007, प्रदीप कुमार सक्सेना बनाम मैसर्स एलाइन्स बिल्डर्स एण्ड कंट्रैक्टर्स लि0 में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.6.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.के. श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. पत्रावली के अभिलेखों के अनुसार दिनांक 21.9.2004 को परिवादी तथा विपक्षी के मध्य एक करार निष्पादित हुआ, जिसके अनुसार अंकन 7,71,750/-रू0 में एक युनिट अपीलार्थी द्वारा परिवादी
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को दिनांक 8.2.2007 तक प्राप्त करानी थी। परिवादी द्वारा निर्माण के अनुसार भुगतान करना था, इसी क्रम में परिवादी द्वारा अंकन 6,72,967/-रू0 जमा कर दी गयी, परन्तु नियत तिथि तक कब्जा प्रदान नहीं किया गया, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा कब्जा प्रदान करने की तिथि से वास्तविक कब्जा प्रदान करने की तिथि तक परिवादी द्वारा जमा राशि पर 24 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा मांग पत्र के बावजूद समस्त धनराशि जमा नहीं करायी गयी, इसलिए पूर्व में जमा राशि पर ब्याज देने का आदेश विधिसम्मत नहीं है। यह भी बहस की गयी कि परिवादी को कब्जा उपलब्ध कराया जा चुका है, परन्तु चूंकि स्वंय अपील में वर्णित तथ्यों के अनुसार अपीलार्थी द्वारा करार के अनुसार निर्धारित तिथि दिनांक 8.2.2007 को कब्जा प्रदान नहीं किया गया और न ही कब्जा प्रदान करने का कोई प्रस्ताव दिया गया और न ही इस प्रस्ताव के समय किस्त की मांग की गयी। परिवाद में उल्लेख है कि परिवाद प्रस्तुत करने तक 18 माह की अवधि व्यतीत हो चुकी थी, इसलिए 18 माह की अवधि व्यतीत होने के पश्चात कब्जा प्रदान करने से यह नहीं माना जा सकता कि परिवादी द्वारा जो राशि जमा की गयी, उस पर दिनांक 8.2.2007 से कब्जा प्रदान करने की तिथि तक ब्याज न दिलाया जाए, इसलिए इस राशि पर ब्याज दिलाये जाने का आदेश विधिसम्मत है, परन्तु ब्याज राशि अत्यधिक उच्च दर से सुनिश्चित की गयी है। ब्याज राशि 24 प्रतिशत के स्थान पर 10 प्रतिशत किया
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जाना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश 19.6.2008 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जमा राशि अंकन 6,59,348/-रू0 (छ: लाख उनसठ हजार तीन सौ अड़तालिस रूपये) पर दिनांक 8.2.2007 से वास्तविक कब्जा प्रदान करने की तिथि तक 10 प्रतिशत ब्याज देय होगा। शेष निर्णय/आदेश यथावत् रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3