(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1125/2015
1. Adhishasi Abhiyanta Vidyut Vitran Khand, Dakshidanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. Near Jasis Chauraha, Auriyya.
2. Up-Khand Ahidkari, Vidyut Vitran Khand Dakshidanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. Narayanpur, Auriyya.
……….Appellants
Versus
Pradeep kumar Porwal Son of Ramesh Chandra Porwal, R/o Dibiyapur Road, Narayanpur, Auriyya.
……….Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा के
सहयोगी, अधिवक्ता
श्री मनोज कुमार।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 09.09.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 134/2014 प्रदीप कुमार पोरवाल बनाम अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्ड दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 20.02.2015 के विरुद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
2. अपील केवल इस बिन्दु तक सीमित की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा हर्जा अनुचित रूप से अधिरोपित किया गया है, इसलिए इस हर्जे की अदायगी से अपीलार्थीगण को मुक्ति प्रदान की जाये।
3. हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी अधिवक्ता श्री मनोज कुमार को सुना। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. परिवाद के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने विद्युत बिल गलत होने का आक्षेप लगाते हुए परिवाद प्रस्तुत किया है जो विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने स्वीकार करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा धनराशि को समायोजित करते हुए मीटर रीडिंग के अनुसार संशोधित नया बिल जारी करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें हस्तक्षेप करने की कोई परिस्थिति अथवा अवसर प्रतीत नहीं होता है। चूँकि बिल के समायोजन एवं विद्युत देय का प्रश्न है जो प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान किया जा रहा है। अत: मानसिक कष्ट आदि क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का कोई औचित्य नहीं है। मामले की परिस्थितियां इस प्रकार हैं कि उभयपक्ष वाद व्यय स्वयं वहन करें। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय में 5,000/-रू0 मानसिक कष्ट एवं खर्चा मुकदमा के रूप में दिलवाये जाने सम्बन्धी आदेश को अपास्त करते हुए शेष आदेश की पुष्टि होना उचित पाया जाता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
5. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय व आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि 5,000/-रू0 मानसिक कष्ट एवं खर्चा मुकदमा के रूप में जो प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलवाया गया है उसे अपास्त किया जाता है। शेष निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को प्रेषित की जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2