Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/1752

Raghav Saran Mishra - Complainant(s)

Versus

Pradeep Kumar Agerwal - Opp.Party(s)

R K Gupta

31 Jul 2001

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/1752
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Raghav Saran Mishra
a
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

 

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

अपील संख्‍या 1752 सन 2000

 

राघव शरण मिश्रा पुत्र श्री तीरथ राज मिश्रा, निवासी ग्राम हिरनही, पोस्‍ट किन्‍नरपट्टी, थाना जटहा, जिला- कुशीनगर ।

.............अपीलार्थी

बनाम

मै0 बसुन्‍धरा कुटुंबकम, बी.1/6,  महानगर विस्‍तार, कपूरथला क्रासिंग, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्‍टर

.................प्रत्‍यर्थी

एवं

पुनरीक्षण संख्‍या  87 सन 2000

 

राघव शरण मिश्रा पुत्र श्री तीरथ राज मिश्रा, निवासी ग्राम हिरनही, पोस्‍ट किन्‍नरपट्टी, थाना जटहा, जिला- कुशीनगर ।

.............पुनरीक्षणकर्ता

बनाम

मै0 बसुन्‍धरा कुटुंबकम, बी.1/6,  महानगर विस्‍तार, कपूरथला क्रासिंग, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्‍टर

.................विपक्षी

 

 

समक्ष:-

1    मा0   श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव,  पीठासीन  सदस्‍य।

2    मा0  श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

 

विद्वान अधिवक्‍ता  अपीलार्थी एवं पुनरीक्षणकर्ता - श्री आर0के0 गुप्‍ता

विद्वान अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी  -                  कोई नहीं

 

दिनांक:   18.3.2015

    

श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, सदस्‍य (न्‍यायिक) द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

 

उपर्युक्‍त दोनों प्रकरण एक ही विषय वस्‍तु से संबंधित हैं, अत: दोनों को समेकित रूप से निर्णीत किया जा रहा है।

अपील संख्‍या 1752 सन 2000, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम,  कुशीनगर द्वारा परिवाद संख्‍या 218 सन 98  में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 19.11.98  के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया है, जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवाद को स्‍वीकार कर लिया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि जिला फोरम के समक्ष परिवाद 15.10.98 को दाखिल किया गया जिसमें 19.11.98 की तिथि हेतु नोटिस जारी की गयी। दिनांक 19.11.98 को जिला फोरम ने बिना इस बिन्‍दु को सुनिश्चित किए कि विपक्षी संख्‍या-2/अपीलार्थी पर नोटिस की तामीला है अथवा नहीं, परिवाद को उभय विपक्षीगण के विरुद्ध स्‍वीकार कर लिया जिसके कारण जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी को अपना पक्ष रखने हेतु कोई अवसर नहीं मिला। विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क से हम सहमत हैं और इस अभिमत के हैं कि अपीलार्थी को अपना पक्ष रखने हेतु समुचित अवसर दिया जाना न्‍याय के उददेश्‍यों में सहायक है । ऐसी स्थिति में यह प्रकरण पुनर्निस्‍तारण हेतु प्रति-प्रेषित करने योग्‍य है।

जहां तक पुनरीक्षण संख्‍या 87 सन 2000 का प्रश्‍न है, उक्‍त आदेश परिवाद में पारित अवार्ड के संबंध में जिला फोरम के समक्ष दाखिल निष्‍पादन वाद संख्‍या 227 सन 99 में पारित प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 30.11.99 के विरुद्ध प्रस्‍तुत किया गया है, जिसके द्वारा पुनरीक्षणकर्ता को एक माह की जेल की सजा दी गयी है। चूंकि मूल आदेश के विरुद्ध अपील स्‍वीकार की जा रही है, ऐसी स्थिति में इस आदेश का अस्तित्‍व स्‍वत: ही समाप्‍त हो जाता है। विद्वान अधिवक्‍ता ने यह भी तर्क लिया है कि पुनरीक्षणकर्ता के विरुद्ध सजा का आदेश पारित करने में जिला फोरम ने निर्धारित प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया है, ऐसी स्थिति में यह पुनरीक्षण स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

 

            अपील संख्‍या 1752 सन 2000 स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम,  कुशीनगर  द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 19.11.98 खण्डित करते हुए प्रस्‍तुत प्रकरण विधि एवं इस निर्णय में दिए गए निर्देशों के अनुसार पुनर्निस्‍तारित करने हेतु संबंधित जिला फोरम में प्रति-प्रेषित किया जाता है।

      पुनरीक्षण संख्‍या 87 सन 2000 स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 30.11.99 खण्डित किया जाता है।

उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

(चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)                           (बाल कुमारी)

पीठा0 सदस्‍य (न्‍यायिक)                                                     सदस्‍य

      कोर्ट-2

(S.K.Srivastav,PA-2)

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER

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