Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/1624

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Pradeep Gupta - Opp.Party(s)

Alok Triivedi

09 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/1624
( Date of Filing : 02 Sep 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Central Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Pradeep Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Jul 2024
Final Order / Judgement

                                              (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1624/2011

(जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-10/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.8.2011 के विरूद्ध)

                                    

सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, नवयुग मार्केट, गाजियाबाद द्वारा शाखा प्रबंधक।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

प्रदीप गुप्‍ता पुत्र श्री डी.सी. गुप्‍ता, निवासी बी-24 न्‍यू गांधी नगर गाजियाबाद।

       प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित   : श्री आलोक त्रिवेदी।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री एस.सी. मिश्रा।

दिनांक:  09.07.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          परिवाद संख्‍या-10/2002, प्रदीप गुप्‍ता बनाम सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया में विद्वान जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.8.2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.         विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी बैंक को निर्देशित किया है कि परिवादी के खाते में अंकन 2,25,000/-रू0 की राशि जमा करें तथा दिनांक 28.2.2001 से इस राशि पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्‍याज भी अदा करें।

3.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी का विपक्षी बैंक में एक बचत खाता संख्‍या 2466 है, इसी बैंक में जगदीप गुप्‍ता का भी बचत खाता संख्‍या 2007 है। जगदीप गुप्‍ता ने अंकन 2,25,000/-रू0 का एक चेक संख्‍या 8877 दिनांक 28.2.2001 को परिवादी को दिया था, जो भुगतान के लिए उसी दिन विपक्षी बैंक में जमा कर दिया गया था। विपक्षी बैंक द्वारा यह राशि परिवादी के खाते में जमा भी कर दी गई तथा पासबुक में भी इन्‍द्राज कर दिया गया। परिवादी के खाते में दिनांक 28.2.2001 को रू0 2,60,776.28 पैसे जमा थे। दिनांक 4.4.2002 को परिवादी बैंक में धनराशि निकालने गया तब ज्ञात हुआ कि अंकन 2,25,000/-रू0 काट लिए गए हैं और खाते में मात्र रू0 528.28 पैसे शेष हैं। जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि दिनांक 28.2.2001 को जगदीप गुप्‍ता का खाता कुर्क कर लिया गया है। चूंकि परिवादी के खाते में विधि पूर्ण तरीके से धनराशि जमा हो गई थी तो इस राशि के जमा होने के पश्‍चात परिवादी के खाते से निकालने का कोई अधिकार बैंक को नहीं था।    

4.         लिखित कथन में यह स्‍वीकार किया गया है कि जगदीप गुप्‍ता ने अंकन 2,25,000/-रू0 का चेक दिनांक 28.2.2001 को दिया था। जगदीप गुप्‍ता को इस तथ्‍य का ज्ञान था कि बिक्री कर विभाग उनका खाता संख्‍या 2007 कुर्क करने के लिए प्रयत्‍नशील है, इसलिए उनके द्वारा अपने भाई के नाम एक चेक जारी कर दिया गया। यद्यपि परिवादी के खाते में इस राशि की इन्‍ट्री हो चुकी थी, परन्‍तु इसी दिन बिकी कर के अधिकारियों ने खाता संख्‍या 2007 को कुर्क करने का आदेश पारित किया, इसलिए जगदीप गुप्‍ता द्वारा दिया गया चेक पास नहीं हुआ और सभी इन्‍द्राज नष्‍ट कर दिए गए। परिवादी द्वारा Banking Ombudsman के यहां परिवाद द‍ाखिल किया गया था, जो दिनांक 22.12.2001 को खारिज हो चुका है।

5.         पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवादी के खाते में अंकन 2,25,000/-रू0 जमा करने का आदेश दिया गया है।

6.         इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जगदीप गुप्‍ता का खाता कुर्क हो चुका था, इसलिए चेक का भुगतान नहीं हुआ। परिवादी के खाते में जो इन्‍द्राज किया गया, वह काट लिया गया और पासबुक का इन्‍द्राज भी काट दिया गया। बैंक द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, क्‍योंकि चेक की राशि कभी भी प्राप्‍त नहीं हुई।

7.         प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश, अभिवचनों के अवलोकन एवं उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुनने के पश्‍चात इस अपील के विनिश्‍चय के लिए एक मात्र विनिश्‍चायक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या परिवादी उस राशि को प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत  है, जो चेक के माध्‍यम से जगदीप गुप्‍ता द्वारा दी गई हो ? यह सही है कि चेक जमा करने के पश्‍चात इस राशि का भुगतान कर दिया गया था, परन्‍तु चूंकि जगदीप गुप्‍ता का खाता बिक्री कर विभाग द्वारा कुर्क किया जा चुका था, इसलिए इस चेक का भुगतान नहीं हुआ। चेक का भुगतान न होने के कारण चेक में वर्णित राशि का स्‍वामित्‍व कभी भी परिवादी में निहित नहीं हो सका, उसके खाते तथा पासबुक में इन्‍द्राज एक लिपिकीय कार्य है। यह लिपिकीय इन्‍द्राज मात्र से परिवादी अंकन 2,25,000/-रू0 की राशि का हकदार नहीं बन जाता, जब तक कि इस  राशि को यथार्थ में परिवादी के खाते में जगदीप गुप्‍ता के खाते से निकालकर अंतरित न कर दिया जाए। प्रस्‍तुत केस में यह स्थिति कभी उत्‍पन्‍न नहीं हुई। जगदीप गुप्‍ता का खाता कुर्क हो चुका था, इसलिए चेक का भुगतान असंभव था। अत: परिवादी इस चेक में वर्णित राशि को प्राप्‍त करने के लिए कभी भी अधिकृत नहीं हुआ। विद्वान जिला आयोग ने इस वैधानिक स्थिति पर कोई विचार नहीं किया और केवल लिपिकीय इन्‍द्राज को दृष्टिगत रखते हुए यह राशि परिवादी को लौटाने का आदेश पारित किया है, जो पूर्णतया विधि विरूद्ध है और अपास्‍त होने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.08.2011 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।

           प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

   (सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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