राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या– 477/2003 सुरक्षित
( जिला उपभोक्ता फोरम नोयडा द्वारा परिवाद सं0-179/2001 पुराना नं0-819/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 18-01-2003 के विरूद्ध)
न्यू ओखला इन्डस्ट्रीयल डेव्लपमेंट अथारिटी, सेक्सन-6, नोएडा, जिला- गौतमबुद्धनगर-201301
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
प्रदीप कुमार पुत्र श्री राम किशन गुप्ता, निवासी- मकान नं0- 731, चिराग दिल्ली, नई दिल्ली-110017
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से उपस्थिति : श्री रजनीश कुमार, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थिति : कोई नहीं।
दिनांक- 06-01-2016
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उद्घोषित
निर्णय
अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम नोयडा द्वारा परिवाद सं0-179/2001 पुराना नं0-819/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 18-01-2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
“प्रस्तुत शिकायत शिकायतकर्ता श्री प्रदीप कुमार की ओर से स्वीकार की जाती है और विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह आज से 30 दिन के अन्दर शिकायतकर्ता द्वारा जमा पंजीकरण राशि अंकन 30,000-00 रूपये शिकायत योजित करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज सहित वापिस करें। विपक्षी शिकायतकर्ता को अंकन 1,000-00 रूपये शिकायत व्यय के रूप में उक्त नियत अवधि में अदा करेगा। उपरोक्त समस्त धनराशि का भुगतान बैंक ड्राफ्ट अथवा पे आर्डर जो अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम, गौतमबुद्धनगर के नाम देय हो द्वारा किया जायेगा। चूंकि यह शिकायत दो शिकायतकर्ताओं द्वारा अलग-अलग ट्रॉक्शन होते हुए संयुक्त रूप से प्रस्तुत की गई है और वे अधिनियम में दी गई व्यक्ति की परिभाषा के अर्न्तगत नहीं आते हैं। अत: शिकायतकर्ता नमबर 2 श्री दिनेश गुप्ता की बावत यह शिकायत चलने योग्य न होने के कारण निरस्त की जाती है। शिकायतकर्ता नम्बर 2 यदि चाहे तो अलग से शिकायत प्रस्तुत कर सकता है।”
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार से है कि परिवादी ने विपक्षी की स्कीम सेक्टर-16 नोएडा में 84-84 स्क्वायर मीटर के प्लाट आवंटन करने हेतु दिनांक 18-02-1993 को आवेदन किये थे और अंकन 30-30 हजार रूपये पंजीकरण धनराशि के रूप में व अंकन 5-5 सौ रूपये प्रोसेसफीस के रूप में जमा किये थे। दोनों शिकायतकर्ताओं ने बाद में प्लाट न लेने का मन बनाया और जमा की गई पंजीकरण राशि को दिनांक 25-02-1993 से पहले ही लौटाने के लिए
(2)
विपक्षी के यहॉ आवेदन किये, किन्तु विपक्षी के यहॉ से उनके आवेदनों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। विपक्षी द्वारा पंजीकरण राशि न लौटाए जाने के लिए नोटिस प्रेषित किया गया, जो विपक्षी के विधि अधिकारी द्वारा दिनांक 19-03-1998 को प्राप्त किया गया तथा विधि अधिकारी ने अग्रिम कार्यवाही के लिए विवरण मांगा। विवरण दिये जाने के उपरान्त भी पंजीकरण धनराशि लौटाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई। अत: यह शिकायत प्रस्तुत की गई।
जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा प्रतिवादीगण को रजिस्ट्री डाक से नोटिस भेजी गई। विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें शिकायत पत्र की धारा-1 को स्वीकार किया है तथा शेष धाराओं में किये गये कथनों से इंकार किया है। विपक्षी ने ये भी कहा है कि दोनों शिकायतकर्ताओं द्वारा धनराशि वापिसी हेतु भेजे गये आवेदन दिनांक 02-03-1993 को प्राप्त हुए थे, जबकि दोनों शिकायतकर्ताओं को प्लाट आवंटन के पत्र दिनांक 01-03-1993 को प्रेषित किये जा चुके थे। आवेदन पत्र जारी करने के बाद आवंटन हेतु जमा पूर्ण पंजीकरण राशि वापिस किये जाने का कोई प्राविधान नहीं है। आवंटन की विवरण पंजिका में उल्लिखित शर्तो व नियमों के अनुसार निर्धारित समय में आवंटन धनराशि जमा न करने पर जमा धनराशि जब्त करने का प्राविधान है। शिकायतकर्ता ने आंवटन राशि जमा नही की, जिस कारण उनका आवंटन निरस्त करते हुए पंजीकरण राशि जब्त कर ली गई, जिसे वापस नहीं किया जा सकता है। इस फोरम को शिकायत सुनने व निर्णीत करने का अधिकार नहीं है। शिकायत खारिज होने योग्य है। शिकायतकर्ताओं को प्रस्तुत शिकायत संयुक्त रूप से योजित करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि विपक्षी द्वारा दोनों शिकायतकर्ताओं को अलग-अलग प्लाट आवंटित किये गये है, इसलिए भी शिकायत खारिज किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री रजनीश कुमार उपस्थित है। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई तथा अपील आधार का अवलोकन किया गया।
अपीलकर्ता के तरफ से यही कहा गया कि परिवादी का परिवाद कालबाधित था और जिला उपभोक्ता फोरम ने कालबाधन पर निर्णय नहीं लिया और जिला उपभोक्ता फोरम ने जो 30,000-00 रूपये हर्जाना का आदेश किया है, वह नहीं लौटाया जा सकता, क्योंकि उनका रूपया भुगतान हो चुका है। अत: स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी को कोई प्लाट नहीं मिल सका है। उक्त सारे तथ्यों परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि प्रत्यर्थी को 30,000-00 रूपये अपनी जमा धनराशि पाने का अधिकार है। इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम ने जो आदेश किया है, वह सही है, लेकिन केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम यह पाते हैं कि जो ब्याज 30,000-00 रूपये पर देने का आदेश किया गया है, व हर्जाना एक हजार रूपये दिये जाने का जो आदेश किया गया है, वह उचित नहीं है। अत: अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
(3)
आदेश
तद्नुसार अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम नोयडा द्वारा परिवाद सं0-179/2001 पुराना नं0-819/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 18-01-2003 में जो ब्याज 30,000-00 रूपये पर देने का आदेश किया गया है, व हर्जाना एक हजार रूपये दिये जाने का जो आदेश किया गया है, वह निरस्त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
(आर0सी0 चौधरी) ( संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य,
आर.सी.वर्मा, आशु
कोर्ट नं 5