Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/952

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Prabha Mishra - Opp.Party(s)

Rajeev Jaiswal

19 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/952
( Date of Filing : 10 Jun 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Central Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Prabha Mishra
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Nov 2024
Final Order / Judgement

                                                                                                                              (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-952/2009

Central Bank of India

Versus  

Smt. Prabha Mishra w/o Late Sri Chandra Kumar Mishra & others

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री राजीव जायसवाल, विद्धान अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं

दिनांक :19.11.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.       परिवाद संख्‍या-78/2003, श्रीमती प्रभा मिश्रा व अन्‍य बनाम सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया व अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, (द्वितीय) लखनऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.05.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.           जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अंकन 20,000/-रू0 की राशि 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।

3.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार श्री रजनीश कुमार मिश्र जो परिवादिनी सं0 1 के ससुर थे, ने विपक्षी बैंक में 2 खाते खोल रखे थे। उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए वाद सं0 190/1993 दाखिल किया गया, जो खारिज हो गया। इसके बाद प्रकीर्ण वाद सं0 12/1999 को परिवादिनी के पक्ष में उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र जारी हुआ तब विपक्षी के समक्ष अपने हक के भुगतान का आवेदन दिया गया, परंतु दिनांक 11.10.2001 को 1478.49 रू0 का भुगतान किया गया तथा शेष धनराशि अदा नहीं की गयी। परिवादिनी की अवशेष 20,000/-रू0 की राशि विपक्षी बैंक पर अभी भी बकाया है, जिस पर भुगतान नहीं किया गया।

4.          विपक्षी बैंक का कथन है कि श्रीमती सिद्धेश्‍वरी देवी को वर्ष 1984 में 49,852.80 रू0 का भुगतान किया जा चुका है। परिवादिनी द्वारा न्‍यायालय से कपटपूर्वक उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्‍त किया गया है। परिवादिनी किसी भी प्रकार से भुगतान के लिए अधिकृत नहीं है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र के आधार पर 1/5 भाग प्राप्‍त करने के लिए परिवादिनी को अधिकृत मानते हुए पूर्व में दी गयी राशि के अलावा 20,000/-रू0 अदा करने के लिए आदेशित किया है।

5.           इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि श्रीमती प्रभा मिश्रा का भाग पूर्व में अदा किया जा चुका है। परिवाद पत्र में जमा धनराशि का गलत उल्‍लेख किया गया है। अपीलार्थी बैंक में खाता सं0 8262 में केवल 6,463.49 रू0 जमा थे, जबकि परिवाद पत्र में यह राशि 64,063;49 लिख दी गयी। एनेक्‍जर सं0 1 के अवलोकन से स्थिति पूर्णता स्‍पष्‍ट हो जाती है कि जिस खाते में 64,063.49 रू0 दर्शित किया गया है, यथार्थ में उस खाते मे केवल 6,463.49 रू0 का उल्‍लेख है और सिविल जज सीनियर डिवीजन मलिहाबाद लखनऊ द्वारा इसी राशि के संबंध में उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र जारी किया गया है। अत: स्‍वयं परिवाद पत्र का विवरण उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र के अनुसार नहीं है, जिस खाते में 49,852/-रू0 दर्शाये गये थे, वह राशि बैंक द्वारा पूर्व श्रीमती सिद्धेश्‍वरी देवी को प्राप्‍त करा दी गयी, जिनकी पत्‍नी सिद्धेश्‍वरी देवी थी। अत: मृतक की पत्‍नी को यह राशि बैंक द्वारा प्राप्‍त करायी जा चुकी है क्‍योंकि दिनांक 31.03.1993 में खाता धारक की मृत्‍यु के पश्‍चात इस राशि को निकालने के लिए मृतक की विधवा को भी अधिकार प्राप्‍त था, चूंकि बैंक द्वारा सिद्धेश्‍वरी देवी को 49,852.80 रू0 की राशि प्राप्‍त करायी जा चुकी है, इसलिए इस राशि के संबंध में परिवादिनी के पक्ष में जारी नहीं हो सकता था। एनेक्‍जर सं0 1 में केवल 6,463.49 रू0 का उल्‍लेख पीएनबी खाता सं0 8262 मे है, जबकि परिवाद पत्र में इस राशि के स्‍थान पर अंकन 64,063.49 रू0 लिख दिया गया है। अत: स्‍वयं परिवाद पत्र का उल्‍लेख त्रुटिपूर्ण है। अत: बैंक के विरूद्ध किसी राशि को अदा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। बैंक में जो राशि जमा है, वह राशि उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र के अनुसार परिवादिनी को प्राप्‍त हो चुका है। अपने हक के अनुसार प्राप्‍त हो चुका है। प्रमाण पत्र के विपरीत बैंक को किसी राशि को अदा करने का अधिकार प्राप्‍त नहीं है, इसलिए बैंक के विरूद्ध अवशेष अंकन 20,000/-रू0 अदा करने का आदेश विधि-विरूद्ध है, जो अपास्‍त होने योग्‍य है।   

 

 

आदेश

           अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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