Uttar Pradesh

StateCommission

A/1315/2023

Abdul Rauf - Complainant(s)

Versus

Prabandhak oriental Insurance Co ltd & others - Opp.Party(s)

T.C. Seth & Ravi Kumar Rawat

17 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1315/2023
( Date of Filing : 07 Aug 2023 )
(Arisen out of Order Dated 29/03/2023 in Case No. C/2009/285 of District Pratapgarh)
 
1. Abdul Rauf
Gram udapur post office saray naharrai Thana jethwara jila Pratapgarh u.P
...........Appellant(s)
Versus
1. Prabandhak oriental Insurance Co ltd & others
Prabandhak oriental insurance co ltd karyalay 14/18 lalbahadur Shastri marg sivil line Allahabad japad Pryagraj U.P
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 17 Sep 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1315/2023

अब्‍दुल रऊफ पुत्र स्‍व0 सुलेमान, निवासी ग्राम ऊदापुर, पोस्‍ट आफिस-सराय नाहरराय, थाना-जेठवारा, जिला प्रतापगढ़ (उत्‍तर प्रदेश)

..............अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

प्रबन्‍धक, ओरियन्‍टल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, कार्यालय-14/18, लाल बहादुर शास्‍त्री मार्ग, सिविल लाइन्‍स, इलाहाबाद, जनपद-प्रयागराज (उ0प्र0) व एक अन्‍य।

.............प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री टी0सी0 सेठ

प्रत्‍यर्थीगण की अधिवक्‍ता       : श्रीमती पूजा अरोड़ा

दिनांक :- 17.9.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी अब्‍दुल रऊफ की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद सं0-285/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.3.2023 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी अब्दुल रऊफ का पुत्र अब्दुल खालिद वाहन ट्रक सं0- यू०पी० 70 एस. 9997 का पंजीकृत स्वामी था। प्रश्‍नगत वाहन ओरियण्टल इन्श्योरेन्स कम्‍पनी लिमिटेड से पालिसी सं0-31/2009/754 द्वारा दिनांक       11-05-2008 से 10-05-2009 तक को अवधि तक के लिए बीमित था। प्रश्‍नगत वाहन अब्दुल सलाम द्वारा चलाया जा रहा था एवं वाहन स्वामी अब्दुल खालिद इसी ट्रक पर दुर्घटना के समय बैठा हुआ था

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जिसकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई और वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गया। वाहन चूंकि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी से बीमित था, अतः मृतक के पिता अब्दुल रऊफ ने क्षतिपूर्ति हेतु दावा प्रस्‍तुत किया, जिस पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के सर्वेयर ने यह कहकर क्लेम को खारिज कर दिया कि अब्दुल सलाम का ड्राइविंग लाइसेंस जिला इलाहाबाद से निर्गत नहीं हुआ था एवं वह फर्जी है जबकि ड्राइविंग लाइसेंस पर स्पष्ट रूप से अब्दुल सलाम का नाम, मथुरा का निवास स्थान तथा परिवहन विभाग मथुरा से जारी होना अंकित है। जनपद मथुरा से सत्यापन न कराकर इलाहाबाद से सत्यापन क्यों कराया इसका कोई कारण नहीं बताया गया अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु प्रस्‍तुत किया गया।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया कि उसने किसी प्रकार से सेवा में कमी नहीं की है। दुर्घटना के पश्चात स्पार्ट सर्वेयर नियुक्त किया गया। दुर्घटना के समय वाहन चलाने वाले चालक का नाम, पता व डी०एल० मांगा गया तथा चालक का नाम अब्दुल सलाम पुत्र अच्छे लाल, ग्राम इस्माइलपुर पोस्ट सोराम, जिला इलाहाबाद जिसका लाइसेंस नंबर- ए/11293/ए/03 दिनांक 21-02-2023 उपलब्ध कराया गया। चालक का यही नाम, पता पुलिस की जनरल डायरी और पंचनामा में भी उल्लेख है। इस डी०एल० का सत्यापन परिवहन अधिकारी, इलाहाबाद कराया गया, तो पाया गया कि यह ड्राइविंग लाइसेंस, इलाहाबाद के कार्यालय से जारी नहीं हुआ है। ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी पाये जाने के कारण उसका दावा खारिज किया गया। वाहन दुर्घटना के समय बीमा शर्तों के अधीन नहीं चलाई

-3-

जा रही थी जिस कारण अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्त होने योग्य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत ड्राइविंग लाइसेंस वैध न पाये जाने के आधार पर परिवाद को निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि दिनांक 16/17.6.2008 को अब्‍दुल खालिद अपने वाहन टाटा सूमो एल0पी0टी0 वाहन संख्‍या-यू0पी0 70ए 9997 के साथ डालडा घी लादकर कानपुर से इलाहाबाद जा रहा था कि खागा बाईपास शारदा पेट्रोल पम्‍प के आगे इलाहाबाद की ओर से एक ट्रक अपनी गलत साइड से टक्‍कर मार दी, जिससे वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्‍त हो गया तथा वाहन को ड्राइवर अब्‍दुल सलाम चला रहा था, उपरोक्‍त दुर्घटना में अब्‍दुल खालिद की मौके पर ही मृत्‍यु हो गई। तदोपरांत क्षतिग्रस्‍त वाहन की मरम्‍मत में हुए व्‍यय रू0 1,65,472.00 प्रत्‍यर्थीगण से दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के अभिकथनों एवं उसकी ओर से प्रस्‍तुत साक्ष्‍य पर विचार न कर जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जो कि अनुचित है।

यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा सर्वेयर श्री जितेन्‍द्र सिंह यादव की सर्वे रिपोर्ट पत्रावली पर उपलब्‍ध

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होने के बावजूद भी बिना उस पर कोई निष्‍कर्ष दिये जो निर्णय पारित किया, वह अनुचित है। 

यह भी कथन किया गया कि उपरोक्‍त सर्वेयर की रिपोर्ट के प्रस्‍तर-4 में निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित है:-

"क्षतिग्रस्‍त ट्रक ड्राइवर अब्‍दुल सलाम पुत्र अच्‍छे अली, जिसका ड्राइविंग लाइसेंस मथुरा से बना था। मृतक वाहन स्‍वामी के पिता श्री अब्‍दुल रहूफ द्वारा दिया गया, जिसका सत्‍यापन मथुरा से होना आवश्‍यक है।"

के सम्‍बन्‍ध में कोई निष्‍कर्ष न देते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है वह त्रुटिपूर्ण एवं अनुचित है।

यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद इस आधार पर निरस्‍त किया गया कि अपीलार्थी द्वारा जो प्रपत्र प्रस्‍तुत किये गये थे उसके आधार पर ड्राइवर का डी0एल0 फर्जी पाया गया,  परन्‍तु सर्वेयर रिपोर्ट जो कि अपील पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-32 (संलग्‍नक-10) पर संलग्नित है, उसमें सर्वेयर को जो प्रपत्र दिये गये थे वे सभी संलग्‍नक का विवरण शीर्षक के अन्‍तर्गत अंकित हैं, जिसमें ड्राइवर का डी0एल0 मथुरा से बना होना अंकित है। जिसका सत्‍यापन भी जनपद मथुरा से नहीं कराया गया है। यह भी कथन किया गया कि जनपद मथुरा से सत्यापन न कराकर जनपद इलाहाबाद से सत्यापन क्यों कराया इसका कोई कारण नहीं बताया गया।  

     अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा न्‍यायालय का ध्‍यान अपील पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-35 की ओर आकर्षित कराया गया, जो कि ड्राइवर अब्‍दुल सलाम के डी0एल0 की छायाप्रति है।

     अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा मुख्‍य रूप से अपील पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-34 के प्रस्‍तर 4 की ओर से ध्‍यान आकर्षित कराते हुए कथन

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किया गया कि ड्राइवर के डी0एल0 का सत्‍यापन मथुरा जनपद से कराया जाना अति आवश्‍यक था,  जो न कराते हुए निर्णय/आदेश पारित किया गया है। यह भी कथन किया गया कि सर्वेयर द्वारा जो रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई वह रिपोर्ट निष्‍पक्ष भाव से प्रेषित है।

यह भी कथन किया गया कि वॉछित दस्‍तावेजों को उपलब्‍ध कराये जाने के उपरांत भी बीमा कम्‍पनी द्वारा दावे को निरस्‍त किया जाना, बीमा कम्‍पनी की ओर से सेवा में कमी है।

यह भी कथन किया गया कि अपील योजित किये जाने में विलम्‍ब  निर्णय/आदेश की नि:शुल्‍क प्रमाणित प्रति प्राप्‍त किये जाने से नहीं है।

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा तद्नुसार अपील को स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।

प्रत्‍यर्थी की विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के अनुकूल है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उचित निष्‍कर्ष डी0एल0 के संबंध में दिया गया है।

प्रत्‍यर्थी की विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय के पृष्‍ठ सं0-3 में निम्‍न उल्लिखित तथ्‍य की ओर न्‍यायालय का ध्‍यान आकर्षित कराया:-

"बीमा कंपनी के समक्ष अब्दुल सलाम का जो ड्राइविंग लाइसेंस दिया गया वह पत्रावली पर कागज सं0-08/1 है जिसका सत्यापन जब विपक्षी द्वारा कराया गया तो लिखित रूप में संभागीय परिवहन अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि यह ड्राइविंग लाइसेंस, इलाहाबाद कार्यालय द्वारा जारी नहीं हुआ है, अर्थात् यह ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी

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था। आयोग के समक्ष परिवादी' ने एक दूसरा ड्राइविंग लाइसेंस कागज सं०- 09/1 दाखिल किया जो कि जिला मथुरा से जारी हुआ है।"

यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उचित प्रकार से निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जिसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य  के कथनों को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रस्‍तुत मामले में मात्र प्रश्‍नगत वाहन के चालक के ड्राइविंग लाइसेंस के अवैध होने से सम्‍बन्धित विवाद हैं, जिसके संदर्भ में क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद को चालक के ड्राइविंग लाइसेंस के फर्जी होने को आधार पर निरस्‍त कर दिया गया है, तदोपरांत क्षुब्‍ध होकर अपील इस आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गई।

प्रस्‍तुत मामले में अपीलार्थी को यह साबित करना आवश्‍यक है कि दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास वैध डी0एल0 उपलब्‍ध था अथवा वैध लाइसेंसधारक द्वारा वाहन चलाया जा रहा था। परन्‍तु अपील पत्रावली पर जो अब्‍दुल सलाम के ड्राइविंग लाइसेंस की छायाप्रति उपलब्‍ध है, के परिशीलन से स्‍पष्‍ट है कि उपरोक्‍त डी0एल0 जिला मथुरा से जारी हुआ है एवं जिसका सत्यापन जब प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा

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कराया गया तो लिखित रूप में संभागीय परिवहन अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि यह ड्राइविंग लाइसेंस, इलाहाबाद कार्यालय द्वारा जारी नहीं हुआ है, अर्थात् यह ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी था। उपरोक्‍त ड्राइविंग लाइसेंस दिनांक 17-04-2006 से 16-04-2009 तक वैध है जबकि जनपद इलाहाबाद से जारी कथित ड्राइविंग लाइसेंस दिनांक   20-06-2004 से 20-06-2007 तक वैध होना अंकित है। उपरोक्‍त डी0एल0 के संदर्भ में प्रत्‍यर्थी की ओर से यह आपत्ति की गई कि एक ही समय में दो ड्राइविंग लाइसेंस दो अलग-अलग जनपदों से चालक अब्दुल सलाम द्वारा जारी कराया गया है, जो कि अपने आप में धोखाधड़ी है।

यह तथ्‍य भी उल्‍लेखनीय है कि फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस प्रत्‍यर्थी/ बीमा कम्‍पनी के समक्ष प्रस्तुत करके अपीलार्थी द्वारा स्वयं उसे वैध मानकर दिया था, यदि दूसरा ड्राइविंग लाइसेंस उसी अवधि का किसी अन्य जनपद से जारी हुआ था, तो वह साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है और इस संदर्भ में समस्‍त तथ्‍यों पर विस्‍तृत व्‍याख्‍या विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में की गई है, जो कि मेरे विचार से पूर्णत: विधि सम्‍मत है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                               

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2., कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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