GOVIND PRASHAD KAVRE filed a consumer case on 19 May 2014 against PRABANDHAK MAHIENDRA AND MAHIENDRA FINNANCE SERVICE LMT. in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/12/2014 and the judgment uploaded on 15 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -12.2014 प्रस्तुति दिनांक-06.02.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
गोविंद प्रसाद कांवरे, वल्द छुटटूलाल
कांवरे, उम्र 60 वर्श, निवासी-ग्राम ढेंका,
थाना कान्हीवाड़ा, तहसील व जिला
सिवनी (म0प्र0)।.........................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
(1) प्रबंध संचालक महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा
लिमिटेड, गेटवे बिलिंडग अपोलो बंजर
मुंबर्इ महाराश्ट्र 400 001
(2) षाखा प्रबंधक श्री कृश्णा फार्म एक्यूपमेंट,
ज्यारत रोड, सिवनी, तहसील व जिला
सिवनी (म0प्र0)।
(3) प्रबंधक, सतीजा मोटर्स प्रायवेट लिमिटेड,
स्टेषन रोड, छिन्दवाड़ा
(म0प्र0) 480 001.......................................अनावेदकगणविपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 19.05.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक क्रमांक-1 निर्माता कम्पनी के प्रोडक्ट-अजर्ुन महिन्द्रा ट्रेक्टर उसे डीलर अनावेदक क्रमांक-2 से क्रय किया गया था, उसका वाटर पम्प व रेडियेटर वारंटी अवधि में खराब हो जाने पर, अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, उक्त पार्टस बदलकर, वाहन दुरूस्त कर, न देने को व अनावेदक क्रमांक-3 के द्वारा, वाटर पम्प की राषि प्राप्त कर लेने के बावजूद, उक्त सप्लार्इ न करने को अनुचित प्रथा व सेवा में कमी कहते हुये, वाहन दुरूस्त कराये जाने व अनावेदकों से हर्जाना दिलाये जाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) अनावेदकगण मामले में उपसिथत नहीं हुये, उनका कोर्इ जवाब भी पेष नहीं। अत: कोर्इ भी स्पश्टत: स्वीकृत तथ्य नहीं।
(3) संक्षेप में परिवाद का सार यह है कि-परिवादी ने उक्त ट्रेक्टर अनावेदक क्रमांक-1 के डीलर, अनावेदक क्रमांक-2 से दिनांक-13.03.2013 को क्रय किया था, उक्त वाहन का रजिस्ट्रेषन नंबर-एम0पी0 22 ए.ए. 5181 है। परिवादी द्वारा अपने क्षेत्र में कृशि कार्य करते समय वाहन में यांत्रिक खराबी आ जाने पर, अनावेदक क्रमांक-2 को सूचना दी गर्इ, जिसने अपने वर्कषाप में वाहन लाने कहा, वाहन ले जाने पर, अनावेदक क्रमांक-2 के मैकेनिक ने बताया कि-वाटर पम्प की पुल्ली टूटकर रेडियेटर से टकरा गर्इ थी, जिससे रेडियेटर भी टूट गया है और दिनांक-14.11.2013 को उक्त पार्टस उपलब्ध न होना बताकर, अनावेदक क्रमांक-2 के कहने पर, परिवादी रायपुर, नरसिंहपुर, गाडरवाड़ा व जबलपुर गया, परन्तु पार्टस नहीं मिले, फिर अनावेदक क्रमांक- 2 ने छिंदवाड़ा से लाने कहा, तो परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-3 की डीलर एजेंसी में पुल्ली सहित, वाटर पम्प की खरीदी हेतु दिनांक-28.11.2013 को 1,000-रूपये नगद बुकिंग राषि जमा किया और अनावेदक क्रमांक-3 ने एक सप्ताह में डिलेवरी का आष्वासन दिया था, लेकिन अभी तक सामान अप्राप्त है। परिवादी द्वारा बार-बार संपर्क करने पर भी अनावेदकों ने ट्रेक्टर सुधारकर नहीं दिया है, जो वारंटी अवधि के अंदर ट्रेक्टर सुधारकर न देने से परिवादी की स्वयं की व उसके परिवार की भूमियों में ट्रेक्टर से बोनी बखरने का काम समय पर न हो सका, दूसरे के ट्रेक्टर किराये पर लेकर, विलम्ब से बोनी-बखरोनी की गर्इ, जिसमें 30,000-रूपये भुगतान करना पड़ा। ट्रेक्टर ठीक न होने से परिवादी को असुविधा व मानसिक कश्ट हुआ, उक्त बाबद हर्जाना व ट्रेक्टर सुधारकर दिलाये जाने का अनुतोश चाहा गया।
(4) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या अनावेदक क्रमांक-1 व 2 ने वारंटी अवधि
में वाहन में उत्पन्न दोश को व खराब हुये पार्टस को
बदलकर, दुरूस्त कर, न देकर, परिवादी के प्रति-
सेवा में कमी किया है ?
(ब) क्या अनावेदक क्रमांक-3 के विरूद्ध परिवाद, श्रवण
की क्षेत्रीय श्रवण अधिकारिता का है?
(स) यदि हां, तो क्या अनावेदक क्रमांक-3 द्वारा, उचित
अवधि के अंदर वाटर पम्प सप्लार्इ न करने बाबद
परिवादी उससे हर्जाना पाने का अधिकारी है?
(द) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(5) परिवादी-पक्ष की ओर से पेष षपथ-पत्र व वाहन के रजिस्ट्रेषन प्रदर्ष सी-4 व निर्देषिका प्रदर्ष सी-5 से यह स्पश्ट है कि-अनावेदक क्रमांक-2 से परिवादी ने उक्त वाहन ट्रेक्टर क्रय किया था, जो अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा निर्मित रहा है और उक्त वाहन वर्श-2013 के निर्माण वर्श का है।
(6) अनावेदक क्रमांक-2 द्वारा जारी जाब-कार्ड की प्रति प्रदर्ष सी-1 से यह दर्षित है कि-वाहन का वाटर पम्प पुल्ली का रेडियेटर खराब हो गया था। यह भी स्पश्ट हो रहा है कि-अनावेदक क्रमांक-2 के वर्कषाप में ट्रेक्टर लाये जाने पर भी कोर्इ जाबकार्ड उस समय जारी नहीं किया गया और परिवादी से ही पुल्ली सहित, नया वाटर पम्प कम्पनी का अन्य जगह से खरीदकर लाने के लिए कहा जाता रहा और जब परिवादी दिनांक-28.11.2013 को अनावेदक क्रमांक-3 के संस्थान में वाटर पम्प का प्रदर्ष सी-2 के द्वारा बुकिंग करके आया, उसके भी 20 दिन बाद, प्रदर्ष सी- 1 का जाबकार्ड, अनावेदक क्रमांक-2 के वर्कषाप द्वारा, यह नोट लगाकर जारी किया गया कि-ग्राहक ने छिंदवाड़ा डीलरषिप में बी.डी.टी. कराया है, बी.डी.टी. प्राप्त नहीं, प्राप्त होने पर ट्रेक्टर का काम किया जायेगा, जो कि-उक्त के बाद भी डेढ़ माह तक जब उक्त वाटर पम्प पुल्ली सहित व रेडियेटर बदलकर, वाहन सुधारकर नहीं दिया, तब परिवादी ने यह परिवाद पेष किया है। और मामले का संमंस जारी होने पर अनावेदक-पक्ष परिवादी की षिकायत का कोर्इ जवाब देने नहीं आया।
(7) प्रदर्ष सी-5 की निर्देषिका में निर्माता वारंटी भी है और वारंटी षर्तों से यह स्पश्ट है कि-रेडियेटर व पुल्ली सहित, वाटर पम्प के पार्टस पर वारंटी लागू रही है और वारंटी 24 महिने की अवधि के लिए रही है, अनावेदक क्रमांक-1 व 2 को ही वारंटी षर्तों के अनुसार, उक्त खराब हुये पार्टस बदलकर, वाहन दुरूस्त करके परिवादी को सौपा जाना था और ऐसे पार्टस अनावेदक क्रमांक-1 को कम्पनी से बुलाकर वाहन में लगाने का दायित्व अनावेदक क्रमांक-1 व 2 का वारंटी षर्तों के अनुसार रहा है और अन्य कहीं से खरीदकर पार्टस लाकर देने का कोर्इ दायित्व परिवादी का नहीं रहा है। तो ऐसे में अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा स्वयं कम्पनी से पार्टस मंगाकर, वाहन को उचित अवधि के अंदर दुरूस्त कर, परिवादी को प्रदान करने का दायित्व का निर्वाह न कर और निर्माता कम्पनी के पार्टस अन्य जगह से लाकर उपलब्ध परिवादी द्वारा कराने पर ही वाहन ठीक करना कहकर, परिवादी के प्रति-अनावेदक क्रमांक-1 और 2 के द्वारा वारंटी षर्तों का अपालन किया गया है, जो कि-परिवादी के प्रति अपनार्इ गर्इ अनुचित प्रथा व सेवा में कमी है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(8) अनावेदक क्रमांक-3 से परिवादी ने उक्त वाहन-ट्रेक्टर नहीं खरीदा था। और परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-3 की दुकान में दिनांक-28.11.2013 को 1,000- रूपये बुकिंग राषि जमा कर, वाटर पम्प पुल्ली सहित, नया बुक कराया, तो यह समव्यवहार परिवादी की अनावेदक क्रमांक-1 व 2 के विरूद्ध पेष षिकायत से भिन्न प्रकृति का है, उक्त बुकिंग छिंदवाड़ा जाकर किया जाना प्रदर्ष सी-2 की रसीद से दर्षित है। और अनावेदक क्रमांक-3 का संस्थानदुकान भी छिंदवाड़ा जिले में ही सिथत है, उसके द्वारा सिवनी जिले की सीमा में समव्यवहार नहीं किया जा रहा है, तो अनावेदक क्रमांक-3 से हुये समव्यवहार को अनावेदक क्रमांक-1 व 2 के समव्यवहार के साथ एक ही षिकायत में जोड़ देना अनुचित है, दोनों भिन्न सम्व्यवहार व भिन्न वाद-कारण हैं, जो कि-प्रदर्ष सी-2 से की गर्इ बुकिंग के आधार पर, अनावेदक क्रमांक-3 के विरूद्ध षिकायत सुनने की क्षेत्रीय श्रवण अधिकारिता इस जिला फोरम, सिवनी में होना संभव नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(9) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब के निश्कर्श को देखते हुये, विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'स बाबद गुण-दोशों पर कोर्इ विचार अनावेदक क्रमांक-3 के विरूद्ध षिकायत बाबद इस फोरम द्वारा किया जाना संभव नहीं, इसलिए विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'स के निराकरण की आवष्यकता नहीं।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(द):-
(10) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ से 'स तक के निश्कर्शों के आधार पर, यह पाया जाता है कि-वारंटी अवधि में वाहन-ट्रेक्टर में आर्इ खराबी को खराब पार्टस बदलकर, दुरूस्त कर देने की वारंटी षर्त का पालन अनावेदक क्रममांक-1 व 2 के द्वारा नहीं किया गया और वाहन दुरूस्त करके देने में लगातार उपेक्षा की जा रही है, जबकि-ऐसी षिकायत अधिकतम एक माह के अंदर माह दिसम्बर-2013 तक दूर कर दी जानी चाहिये थी, लेकिन अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा ऐसा नहीं किया गया, इसलिए उक्त सतत उपेक्षा बाबद परिवादी, अनावेदक क्रमांक-1 व 2 से असुविधा व मानसिक कश्ट बाबद हर्जाना पाने का अधिकारी है व वाहन दुरूस्त कर देने का भी दायित्व अनावेदक क्रमांक-1 व 2 का है, तो मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक क्रमांक-1 व 2 परिवादी को विक्रय किये गये
उक्त वाहन का वारंटी अवधि में खराब हुये रेडियेटर व
पुल्ली सहित, वाटर पम्प बदलकर व वाहन सुधारकर
परिवादी को आदेष की प्रति प्राप्त होने के दो माह के
अंदर देंगे, जो कि-वाहन यदि परिवादी को लौटा दिया
गया हो, तो उक्त पार्टस उपलब्ध कर, अनावेदक क्रमांक-
2 वाहन सुधार हेतु लाने लिखित सूचना परिवादी को
देगा और ऐसी सूचना भेजे जाने से वाहन, वर्कषाप में
लाये जाने तक की अवधि, उक्त अवधि से अपवर्जित होगी।
(ब) अनावेदक क्रमांक-1 व 2 संयुक्तत: व पृथकत: परिवादी
को 1 जनवरी-2014 से वाहन दुरूस्त कर परिवादी को
सौपे जाने की अवधि तक के लिए 1500-रूपये (पन्द्रह
सौ रूपये) मासिक दर से क्षतिपूर्ति (हर्जाना) अदा करेंगे और
उपर बताया गया अपवर्जन इस अवधि पर भी लागू होगा।
(स) अनावेदक क्रमांक-1 व 2 संयुक्तत: या पृथकत: परिवादी
को कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये (दो हजार
रूपये) अदा करेंगे।
(द) उक्त हर्जाना व कार्यवाही-व्यय की अदायगी, वाहन दुरूस्ती
से दो माह की अवधि के अंदर की जाये।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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