// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक cc/2014/34
प्रस्तुति दिनांक 17/10/2014
रथ राम पटेल पिता छवि राम पटेल
निवासी मसनियाकला थाना/तह. सक्ती
जिला जांजगीर चांपा छ.ग. ......आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
प्रोपराईटर वन्दना ट्रेक्टर्स ठाकुर दिया पारा सक्ती
तह./थाना सक्ती
जिला जांजगीर चांपा छ.ग. .........अनावेदक/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 20/03/2015 को पारित)
१. आवेदक रथराम पटेल ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदक से वायदे के अनुसार छूट की राशि 80,000/रू. एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 70,000/रू. दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 17.12.2012 को अनावेदक से एक जॉन डियर ट्रेक्टर क्रय किया, जिसकी कुल कीमत अनावेदक द्वारा आर.टी.ओ., बीमा एवं एसेसरीस को मिलाकर 7,25,000/रू. बताया गया । ट्रेक्टर क्रय करते समय आवेदक अपने पुराने ट्रेक्टर को अनावेदक को दिया, जिसकी कीमत अनावेदक द्वारा 1,70,000/रू. लगाया गया और उसे कम करते हुए तथा नये ट्रेक्टर में 80,000/रू. छूट देने का वायदा करते हुए उससे चोलामंडलम के माध्यम से 4,97,000/रू. प्राप्त किया गया था, किंतु उसे वायदे के अनुसार कोई छूट प्रदान नहीं किया और शेष राशि 58,000/रू. को भी बल पूर्वक वसूल कर लिया, साथ ही अपने आदमियों से दिनांक 30/01/2013 को ट्रेक्टर जबरदस्ती खिंचवा लिया, तथा इस संबंध में आवेदक के निवेदन पर कोई ध्यान नहीं दिया, फलस्वरूप उसने अनावेदक को दिनांक 11/09/2014 को अधिवक्ता के जरिए नोटिस भेजा, किंतु उसका भी अनावेदक द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया । फलस्वरूप उसने अनावेदक के इस सेवा में कमी के लिए उसके विरूद्ध यह परिवाद पेश करते हुए उससे वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदक जवाब पेश कर आवेदक के कथन से इंकार किया और अभिकथित किया कि आवेदक द्वारा छूट के संबंध में कोई विधिक दस्तावेज पेश नहीं किया गया है । आगे उसने आवेदक द्वारा अपनी शिकायत के समर्थन में पेश दस्तावेजों को निरर्थक होना करार दिया है, साथ ही आवेदक के नोटिस को भी अवैध होना प्रकट करते हुए आवेदक के परिवाद को नि:सार होने के आधार पर निरस्त किए जाने का निवेदन किया है ।
4. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
5. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदक से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ।
सकारण निष्कर्ष
6. इस संबंध में कोई विवाद नहीं है कि आवेदक एक्सचेंज में अनावेदक से दिनांक 17/12/2012 को एक जॉन डियर ट्रेक्टर क्रय किया था ।
7. आवेदक का कथन है कि अनावेदक उसे अपनी नई ट्रेक्टर की कीमत 6,85,810/रू. तथा उसमें आर.टी.ओ., बीमा एवं एसेसरीस को मिलाकर 7,25,810/रू. बताया तथा उसमें से उसके द्वारा एक्सचेंज में दिए गए ट्रेक्टर की कीमत 1,70,000/रू. आंकलित करते हुए उसे घटाकर उससे 5,55,000/रू. लेना शेष बताया, जिसमें उसके द्वारा 80,000/रू. की छूट देने का वायदा किया गया था, किंतु अनावेदक उसे कोई छूट प्रदान नहीं किया, बल्कि उससे चोलामण्डलम के जरिए 4,97,000/रू. प्राप्त कर शेष 58,000/रू. को भी दिनांक 06/02/2014 एवं दिनांक 29/07/2014 को बलपूर्वक प्राप्त कर लिया तथा इस संबंध में उसके निवेदन पर कोई ध्यान नहीं दिया और न ही उसके द्वारा भेजे गए नोटिस का कोई जवाब दिया गया ।
8. अनावेदक यद्यपि आवेदक द्वारा अपने परिवाद के समर्थन में प्रस्तुत दस्तावेजों को निरर्थक होना करार दिया गया है और यह बताया है कि आवेदक द्वारा प्रस्तुत दिनांक 17/12/2012 का पत्र उनके कार्यालय का नहीं है, जबकि उसने दिनांक 03/12/2012 के कोटेशन को अपने कार्यालय का होना स्वीकार किया है, जिसके अवलोकन से यह तथ्य स्पष्ट होता है कि दिनांक 03/12/2012 के कोटेशन एवं दिनांक 17/12/2012 का हिसाब एक ही व्यक्ति द्वारा लिखा गया है, फलस्वरूप अनावेदक का दिनांक 17/12/2012 के हिसाब को अपने कार्यालय का होने से इंकार करना इस बात को प्रकट करता है कि उसके द्वारा अनावेदक के साथ ट्रेक्टर बिक्री संबंधी संव्यवहार में छल साधन का प्रयोग किया गया । जहॉं उसने दिनांक 03/12/2012 के कोटेशन में ट्रेक्टर की कीमत 5,85,810/रू. उल्लेखित किया है, वहीं दिनांक 17/12/2012 के हिसाब में ट्रेक्टर की कीमत 6,85,810/रू. उल्लेखित किया है, फलस्वरूप अनावेदक के इस कृत्य एवं छल साधन के प्रयोग को देखते हुए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि उसने आवेदक को नए ट्रेक्टर में 80,000/रू. की छूट देने का वायदा किया होगा, जो बाद में उसके द्वारा नहीं दिया गया और ट्रेक्टर की पूरी राशि बलपूर्वक प्राप्त कर ली गई । इस बात की पुष्टि अनावेदक द्वारा आवेदक के नोटिस का जवाब नहीं दिए जाने से भी होती है अन्यथा कोई कारण नहीं था कि अनावेदक, आवेदक के नोटिस का जवाब नहीं दिया होता ।
9. फलस्वरूप हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि प्रश्नगत मामले में अनावेदक द्वारा आवेदक के साथ ट्रेक्टर बिक्री संबंधी संव्यवहार में छल साधन का प्रयोग किया गया और इस प्रकार सेवा में कमी की गई । अत: हम आवेदक के पक्ष में अनावेदक के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते हैं :-
अ. अनावेदक, आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर वायदे के अनुसार 80,000/.रू. (अस्सी हजार रूपये) की छूट की राशि प्रदान करेगा तथा चूक की दशा में उक्त रकम पर ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेगा ।
ब. अनावेदक, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 25,000/- रू.(पचीस हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा ।
स. अनावेदक आवेदक को वादव्यय के रूप में 2,000/- रू.(दो हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा ।
(अशोक कुमार पाठक) (श्रीमती शाशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा)
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