Natani Greynights Marbel & Stones P,ltd. filed a consumer case on 02 Mar 2015 against Power Electronics ltd. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/614/2012 and the judgment uploaded on 12 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-614/2012 (पुराना परिवाद संख्या 1827/1998)
नाटाणी ग्रेनाईट्स, मार्बल्स एण्ड स्टोन्स प्रा.लि., जी-1-126, औद्योगिक क्षेत्र, बगरू विस्तार, जिला जयपुर ।
परिवादी फर्म
बनाम
01. मैसर्स पावर इलेक्ट्रिकल कम्पनी, बी- 8, मोती लाल अटल रोड, जयपुर ।
02. श्री प्रदीप गोयल, पार्टनर, मैसर्स पावर इलेक्ट्रीकल कम्पनी, 3-ज-14, जवाहर नगर, जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी फर्म की ओर से श्री देवेन्द्र मोहन माथुर, एडवोकेट
विपक्षीगण के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही
निर्णय
दिनांकः- 02.03.2015
यह परिवाद, परिवादी फर्म नाटाणी ग्रेनाईट्स, मार्बल्स एण्ड स्टोन्स प्रा.लि., द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 30.08.1997 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी फर्म ने विपक्षीगण से विद्युत फिटिंग आदि की सेवाऐं प्राप्त करने के लिए अनुबन्ध किया था और उनके बीच तय हुआ था कि विपक्षीगण परिवादी फर्म को 98,000/-रूपये के विद्युत फिटिंग का कार्य 72,000/-रूपये में ही करके देंगे । इस संबंध में परिवादी फर्म ने विपक्षी संख्या 1 को अग्रिम राशि का 7,000/-रूपये का चैक संख्या 094721 जारी कर दिया । दिनंाक 24.08.1995 को विपक्षीगण ने बिल संख्या 58 के द्वारा परिवादी फर्म को एच.टी. मीटर पैनल भिजवाया । जिसमें पैनल की कीमत 15,000/-रूपये बताई गई । जबकि परिवादी फर्म द्वारा भेजे गये प्रस्ताव में उक्त पैनल की कीमत 11,000/-रूपये बताई गई थी । इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी फर्म से उक्त पैनल के 4,000/-रूपये अधिक वसूल करके अनुचित व्यापार व्यवहार किया हैं । इसके अतिरिक्त विपक्षीगण ने बदनीयतीपूर्वक राजस्थान वित्त निगम से चैक संख्या 83425 राशि 53,000/-रूपये भी वसूल कर लिया । विपक्षीगण ने परिवादी फर्म का शेष कार्य आरम्भ नहीं करके उसे मानसिक और शारीरिक संताप पहुंचाय । परिवादी फर्म विपक्षीगण द्वारा विद्युत कार्य नहीं करने पर ’एल’ फाॅर्म प्राप्त करने से भी वंचित हो गया और उसे ’एल’ फाॅर्म दिनांक 18.01.1996 को भारी विलम्ब से प्राप्त हुआ ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी फर्म से 72,000/-रूपये के काम के एवज में उससे 96,000/-रूपये से भी अधिक की राशि वसूल कर ली और विद्युत कार्य भी पूर्ण नहीं किया । जो विपक्षीगण का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी फर्म अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 24 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि विपक्षीगण की एक मात्र मालिक ममता गोयल हैं और जो प्रकरण में आवश्यक पक्षकार हैं । लेकिन उसे प्रकरण में पक्षकार नहीं बनानें के कारण प्रकरण चलने योग्य नहीं हैं । परिवादी फर्म को उसके कार्य की कीमत 98,000/-रूपये बताई गई थी । परिवादी फर्म और विपक्षीगण के मध्य डिस्ट्रिब्यूशन पैनल 400ए की राशि 62,000/-रूपये, एच.टी.मीटरिंग पैनल की राशि 11,000/-रूपये एवं टी. एण्ड एल.टी. केबलिंग वर्क की राशि 25,000/-रूपये कुल 98,000/-रूपये का प्रस्ताव था, जो बाद में 72,000/-रूपये में तय हो गई थी, जिसका चैक अदा करना स्वीकार हैं । उक्त राशि में से 53,000/-रूपये की राशि का भुगतान राजस्थान वित्त निगम, जयपुर से विपक्षीगण को परिवादी फर्म ने करवाया था । परिवादी फर्म को जारी बिल दिनांकित 15.04.1995 में कीमत 11,000/-रूपये अंकित करके बाद में 15,000/-रूपये अंकित करने से परिवादी फर्म से 4,000/-रूपये अधिक वसूल करना सिद्ध नहीं होता हैं । इस प्रकार विपक्षीगण ने कोई सेवादोष कारित नहीं किया है और न ही उन्होंने कोई अनुचित व्यापार व्यवहार परिवादी फर्म से किया हैं । इसलिए परिवाद, परिवादी फर्म निरस्त किया जावें ।
बाद में विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 27.01.2015 को एकतरफा कार्यवाही अमल में लाने के आदेश दिये गये ।
परिवाद के तथ्योें के समर्थन में पहले श्रीमती शीला गुप्ता और बाद में श्री कमल नयन गुप्ता ने शपथ पत्र एवं कुल 08 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये ।
बहस एकतरफा सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी फर्म की ओर से लिखित बहस प्रस्तुत की गई ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी फर्म नाटाणी ग्रेनाईट्स, मार्बल्स एण्ड स्टोन्स प्रा.लि. की ओर से यह परिवाद मंच के समक्ष किस व्यक्ति ने प्रस्तुत किया है यह तथ्य परिवाद के अवलोकन से स्पष्ट नहीं होता हैं । इस परिवाद के साथ श्रीमती शीला गुप्ता का एक शपथ पत्र संलग्न है और वह शपथ पत्र श्रीमती शीला गुप्ता ने किस हैसियत से दाखिल किया हैं यह प्रमाणित नहीं हैं । इसलिए परिवादी फर्म नाटाणी ग्रेनाईट्स, मार्बल्स एण्ड स्टोन्स प्रा.लि. की ओर से किस व्यक्ति ने यह परिवाद प्रस्तुत किया है यह तथ्य समूचे परिवाद के अवलोकन से स्पष्ट नहीं होता हैं ।
वैसे भी परिवादी कम्पनी एक प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी हैं जो उपभेाक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 की धारा 2 (1) (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता की परिभाषा मंें नहीं आती हैं । क्योंकि यह एक प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी हैं और इसका उद्देश्य कदापि भी स्वयं के जीवनयापन के लिए व्यापार करना नहीं माना जा सकता है । बल्कि प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी जो भी कार्य करती हैं, वह अपने वाणिज्यिक हितों को विकसित और आर्थिक हित को प्राप्त करने के उद्देश्य से व्यापारिक कार्यवाही करती हैं । इसलिए हमारे विनम्र मत में परिवादी फर्म उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 की धारा 2 (1) (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता की परिभाषा मंें आती हो, यह सिद्ध नहीं हैं ।
परिवादी फर्म की ओर से जो दस्तावेज प्रस्तुत किये गये हैं उनमें पत्र दिनांकित 15.04.1995 ही एक ऐसा पत्र हैं जो यह दर्शाता है कि परिवादी फर्म एवं विपक्षीगण के मध्य 98,000/-रूपये की राशि में डिस्ट्रिब्यूशन पैनल 400ए, एच.टी.मीटरिंग पैनल एवं एच.टी. एण्ड एल.टी. केबलिंग वर्क क्रमशः 62,000/-रूपये, 11,000/-रूपये एवं 25,000/-रूपये अर्थात् कुल 98,000/-रूपये में किया जाना तय हुआ था । परन्तु इसके बाद विपक्षीगण ने परिवादी फर्म से 11,000/-रूपये के एच.टी.मीटरिंग पैनल के बदले 15,000/-रूपये वसूल किये हों, इस तथ्य को सिद्ध करने के लिए परिवादी फर्म की ओर से तत्संबंधी बिल मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया हैं ।
विपक्षी कम्पनी मैसर्स पावर इलेक्ट्रिकल कम्पनी की मालकिन ममता गोयल ने परिवादी कम्पनी के विरूद्ध 12,000/-रूपये वसूल करने का एक दीवानी वाद न्यायालय अपर सिविल न्यायाधीश, क.ख.न.1, जयपुर शहर में प्रस्तुत कर रखा हैं । यह तथ्य भी यह बताता हैं कि परिवादी कम्पनी एवं विपक्षीगण के मध्य में जो विवाद हैं, वह वास्तव में पैसे के लेनदेन को लेकर हैं । विपक्षीगण द्वारा प्रदान की गई सेवाओं में कमी को लेकर कोई विवाद पक्षकारों के मध्य नहीं हैं । इसलिए सेवाओं में कमी और त्रुटि को लेकर पक्षकारों के मध्य कोई विवाद हो, यह प्रमाणित नहीं हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी फर्म मंच के समक्ष परिवादी फर्म के उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आने के कारण एवं अन्य कारणों से पौषणीय नहीं हैं । इसलिए परिवादी फर्म विपक्षीगण के विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं हैं और परिवाद, परिवादी फर्म विपक्षीगण के विरूद्ध अस्वीकार किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी फर्म विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 02.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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