समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-111/2012 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
श्रीदयाल सुल्लेरे पुत्र श्री बिन्द्रावन सुल्लेरे निवासी ग्राम जैतपुर तहसील कुलपहाड जनपद-महोबा
.......परिवादी
बनाम
1.अधिशाषी अभियन्ता विधुत वितरण खण्ड महोबा जनपद महोबा
2.अवर अभियन्ता विधुत वितरण खण्ड स्थान जैतपुर तहसील कुलपहाड जनपद महोबा
......विपक्षीगण
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादी श्रीदयाल सुल्लेरे ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षीगण अधिशाषी अभियन्ता व अवर अभियन्ता विधुत वितरण खण्ड स्थान जैतपुर तहसील कुलपहाड जनपद महोबा बावत कराये जाने कनेक्शन परिवर्तन एवं अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी कस्बा जैतपुर तहसील कुलपहाड जिला महोबा का स्थाई निवासी है और परिवादी द्वारा विपक्षीगण से एक घ्रेलू कनेक्शन सं0-एमबी/6-118/3538 प्राप्त किया था, जिसका उपयोग करते हुए वह विपक्षीगण द्वारा प्रेषित बिलो का समय से भुगतान करता रहा है। चूंक परिवादी के मकान से ही दुकानो को विधुत लाइन संचालित होती है। अत: परिवादी को उपरोक्त विधुत संयोजन का घरेलू कनेक्शन के साथ ही व्यापारिक कनेक्शन विधुत प्रकार 20 में परिवर्तित कर दिया गया था और घर के उपयेाग के साथ साथ प्रतिमाह बिल दिये जाने लगे जिसे परिवादी नियमानुसार अदा करने लगा। परिवादी ने माह मार्च 2011 में विपक्षीगण से निवेदन किया कि उसके विधुत कनेक्शन सं0 3538 का मीटर खराब है तथा उसे घर व दुकान सामिल शरीक कनेक्शन है, जिसे वह बदलवाना चाहता है तथा वह केवल घर के कनेक्शन को ही रखना चाहता है और घर पर ही इसका प्रयोग करना चाहता है जिसमें विपक्षीगण द्वारा श्री आर0एस0 तिवारी को स्थलीय निरीक्षण दिनांक 12-03-2011 को भेजा गया और उसकी प्रार्थना स्वीकार करते हुए परिवादी का कनेक्शन घरेलू कर दिया गया तथा उसकी दुकानो में कनेक्शन का किसी भी प्रकार से उपभोग नही किया जा रहा है। फिर भी विपक्षीगण द्वारा लगातार वाणिज्यक बिल हर माह प्रदान किया जाता रहा है, जिसे मिलने पर परिवादी हरबार विपक्षीगण के पास जाकर निवदेन करता रहा है कि उसका घरेलू बिल बनाया जाये, लेकिन विपक्षीगण केवल आश्वासन देता रहा है और परिवादी को वाणिज्यक बिल भेजता रहा है। इस प्रकार परिवादी वाणिज्यक बिल की अदायगी माह मई 2014 तक करता रहा, जबकि उसका कनेक्शन घरेलू मे परिवर्तित कर दिया गया था, इससे परिवादी को अपूर्णीय क्षति हुई। इसके अलावा परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षीगण द्वारा लगाये गये मीटर को जांच के दौरान खराब पाया गया, फिर भी मीटर उनके द्वारा नही बदला गया और खराब मीटर के आधार पर आई0डी0एफ0 लिखकर प्रतिमाह वाणिज्यक बिल उससे वसूल किये जाते रहे है। जबकि परिवादी को दो माह के अन्तराल में घरेलू कनेक्शन का बिल मिलना चाहिए था। इस प्रकार विपक्षीगण की लापरवाही व सेवा में त्रुटि के कारण परिवादी को तीनो धनराशियॉ जमा करनी पडी, जिससे परिवादी विपक्षीगण से वापस पाने का अधिकारी है। परिवादी लगातार विपक्षीगण का कनेक्शन घर में उपयोग करने व दुकान के कनेक्शन को समाप्त करने की प्रार्थना करता रहा है लेकिन उनके द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी। जब परिवादी ने इस सम्बन्ध में शिकायत की तो विपक्षीगण द्वारा उसे डाटकर भगा दिया गया। ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने यह परिवाद मा0 फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया ।
विपक्षीगण की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होने परिवादी को ग्राम जैतपुर परगना व तहसील कुलपहाड तथा जिला महोबा का निवासी होना तथा उसके मकान में विधुत संयोजन सं0 एमबी 06/0118/003538 वाणिज्यक कनेक्शन होना स्वीकार किया है शेष अभिकथनो से इन्कार करते हुए उन्होने अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवादी का यह परिवाद तथ्यों एवं विधि के विरूद् प्रस्तुत किया गया है। परिवादी विधुत देयो की अदायगी में प्रारम्भ से ही अनियमित रहा है। परिवादी के विधुत संयोजन के निरीक्षण के दौरान मीटर खराब पाया जाने पर उसे बदल दिया गया है। अत: इस सम्बन्ध में कोई विवाद शेष् नही है। मीटर खराब होने की दशा में आई0डी0एफ0 के बिल दिया जाना पूर्णतया विधि सम्म्त है। परिवादी ने परिवाद पत्र में यह तथ्य असत्य अंकित किया है कि वह घरेलू कनेक्शन रखना चाहता है, जबकि वास्तविकता यह है कि श्री दिनेश कुमार अवर अभियन्ता एवं श्री आर0एस0 तिवारी टी0जी0-2 ने दिनांक 12-03-2011 को परिवादी के विधुत कनेक्शन सं0 एमबी 06/108 /003538 का निरीक्षण किया गया था और निरीक्षण के दौरान परिवादी को पांच दुकानो में विधुत उपयोग करते हुए पाया गया। परिवादी के अनुरोध पर दुकान का कनेक्शन काटकर अलग कर दिया गया था। परन्तु परिवादी ने निरीक्षण के बाद उक्त कनेक्शन पुन: दुकानो में संयोजित कर लिया। परिवादी को नोटिस दिनांक 16-07-2012 के उपरान्त अवर अभियन्ता श्री एस0के0 कुशवाहा एवं श्री युद्धवीर श्रमिक द्वारा दिनांक 18-07-2012 को परिवादी के संयोजन का निरीक्षण किया गया एवं निरीक्षण के दौरान घर एवं दुकानो में विधुत संयोजन का उपयेाग करते हुए परिवादी को पाया गया। परिवादी द्वारा स्वयं निरीक्षण रिपोर्ट पर हस्ताक्षर बनाये है। परिवादी ने जानबूझकर वाणिज्यक देयो के दायित्वों से बचने के लिये विपक्षी विभाग के अधिकारियों से दुकानो के कनेक्शन लाइन को विच्छेदित कर दिया और वह स्वयं अपने मेडिकल दुकान में संयोजन डालकर प्रयोग करने लगा। ऐसी परिस्थितियों में वाणिजयक बिल देना और धनराशि वसूलना पूर्णतया न्यायोचित व विधि संगत है। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा कोई सेवा में त्रुटि नही की गयी और परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र 4ग दाखिल किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में नोटिस की प्रति कागज सं0 7ग, रजिस्ट्री रसीद की मूल प्रति कागज सं0 8ग, निरीक्षण रिपोर्ट की प्रति कागज सं0 9ग/1 व 9ग/2 विधुत बिल एवं रसीद की छायाप्रति कागज सं0 10ग/1 व 10ग/2, परिवादी द्वारा विपक्षी को दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रति कागज सं0 11ग, विधुत बिल मूलरूप से कागज सं0 12ग/1 लगायत 12ग/2 दाखिल किये गये है।
विपक्षीगण की ओर से शपथ पत्र द्वारा रमेश चन्द्रा अधिशाषी अभियन्ता कागज सं0 19ग/1 व 19ग/2 दाखिल किया गया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में सीलिग प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज सं0 22ग/1 व निरीक्षण प्रारूप की छायाप्रति कागज सं0 22ग/2 दाखिल की गयी है।
फोरम द्वारा उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली का अवलेाकन किया गया ।
निरीक्षण रिपोर्ट कागज सं09ग/1 व 9ग/2 से यह स्पष्ट है कि दिनांक:12.03.2011 को परिवादी के मकान के साथ 08 दुकानों में विधुत कनैक्शन चल रहा था । अत: परिवादी का कनैक्शन काट दिया गया था । लेकिन बाद में दिनांक:18.07.2012 को पुन: विधुत विभाग द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया गया तो परिवादी का संयोजन सं0एम0बी006/0118/003538 को पुन: मेडिकल की दुकान में चलते पाया गया । इससे यह स्पष्ट है जिसमें एक फ्रिज,एक पंखा एवं एक सी0एफ0एल0 जलते पाया गया । इससे यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में कहे गये कनैक्शन सं0 का पुन: दिनांक:18.07.2012 को उनके द्वारा विधुत का वाणिज्यक प्रयोग करते पाया जाता रहा है । ऐसी परिस्थिति में यह अभिकथन सत्य नहीं पाया जाता है कि वह अपने मकान में केवल विधुत का उपयोग घरेलू रूप में कर रहा था । स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट कागज सं022ग/2 में परिवादी ने भी अपने हस्ताक्षर स्वयं बनाये हैं । अत: यह नहीं कहा जा सकता कि स्थलीय निरीक्षण के दौरान कोई कार्यवाही उसकी गैर मौजूदगी में की गई हो । जहां तक मीटर बदलने की बात है,तो विपक्षीगण द्वारा उसके मीटर को बदल दिया गया है ।
ऐसी परिस्थितियों में फोरम यह पाता है कि परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है । उभय पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगें ।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (बाबूलाल यादव)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा । जिला फोरम,महोबा । जिला फोरम,महोबा ।
23.02.2015 23.02.2015 23.02.2015