समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-16/2012 उपस्थित- श्री जनार्दन कुमार गोयल, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
1.राजू यादव उर्फ राजकुमार याद पुत्र स्व0श्री मोती लाल यादव निवासी-मुहाल-नयापुरा बंधानवार्ड महोबा जिला महोबा
2.भगवानदीन पुत्र स्व0श्री मोती लाल यादव निवासी-मुहाल-नयापुरा बंधानवार्ड महोबा जिला महोबा ...परिवादीगण
बनाम
1.दक्षिणांचल विधुत वितरण निगम द्वारा अधिशाषी अभियंता वि0वि0खण्ड महोबा ।
2.जे0ई0 प्रवीण कुमार यादव विधुत वितरण खण्ड,महोबा जिला-महोबा .....विपक्षीगण
निर्णय
श्री जनार्दन कुमार गोयल,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि परिवादीगण अपनी माता खिमियां के साथ नयापुरा बंधानवार्ड महोबा में रहते हैं । परिवादीगण के पिता मोतीलाल यादव विपक्षीगण के विभाग पैट्रोलमेन थे और सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन ले रहे थे और उनकी मृत्यु के बाद श्रीमती खिमियां पेंशन प्राप्त करतीं हैं । श्रीमती खिमियां को विधुत उपयोग की सुविधा प्रदान की गई थी जिसके बिल की धनराशि की वसूली पेंशन की धनराशि से की जाती थी । विपक्षीगण द्वारा विधुत उपभोग की सुविधा समाप्त कर दी और परिवादी नं01 से नया कनैक्शन लेने हेतु कहा गया । उसने नये कनैक्शन हेतु आवेदन भरा तो विपक्षीगण द्वारा कहा गया कि जे0ई0 प्रवीण कुमार व क्षेत्रीय लाइनमैन की रिपोर्ट लगवाकर जमा करो । लाइनमैन ने निरीक्षण कर के अपनी रिपोर्ट लगाई तथा जे0ई0 प्रवीण कुमार ने 3500/-रू0 कनैक्शन के बारे में कामता प्रसाद को देने को कहा जो जे0ई0 का असिस्टेंट बनकर रहता है और विभाग का कर्मचारी नहीं है । 1,955/-रू0 लगते हैं परिवादी ने 3500/-रू0 जमा करने से मना कर दिया और विपक्षी सं01 से शिकायत करने को कहा । इस पर जे0ई0 नाराज हो गये और 3500/-रू0 जमा करने पर यह कनैक्शन देना कहा और परिवादी को धक्के मारकर निकाल दिया और कहा कि शिकायत करोगे तो तुम्हारे विरूद्ध झॅठा मुकदमा लिखवाकर जेल भिजवा देगें । परिवादी ने जे0ई0 की शिकायत विपक्षी सं01 से की तो विपक्षी नाराज हो गये । परिवादी ने अपने भाई भगवानदीन से पूरी बात बताई तो उन्होंने विपक्षी सं02 को कमीशन न देने और नियमानुसार कनैक्शन देने को कहा तो उनका भी नाम लिखाकर अपराध सं01351/2010 के अंतर्गत धारा 135 विधुत अधिनियम व 353,504,506 भा0दं0सं0 प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखा दी और बिना विधुत उपयोग के परिवादी नं01 के विरूद्ध 27877/-रू0 व परिवादी नं0 के विरूद्ध 15892/-रू0 की धनराशि की वसूली हेतु आर0सी0 जारी कर दी । जबकि परिवादीगण का कठकुलवा मुहाल में कोई मकान नहीं है। परिवादीगण अपनी मां के साथ नयापुरा बंधान वार्ड में अपने मकान में रहते हैं । परिवादिनी के विरूद्ध विपक्षीगण ने व्यापारिक कदाचरण किया गया।अत: यह परिवाद 27877/-रू0 व 15892/-रू0 की आर0सी0 निरस्त करने व 20,000-20,000/-रू0 मानसिकक्षति व 10,000/-रू0 परिवाद व्यय हेतु प्रस्तुत किया है ।
विपक्षीगण के जबावदावा के अनुसार परिवादीगण श्रीमती खिमियां के साथ नयापुरा बंधान वार्ड में रहते है,यह सत्य नहीं है बल्कि मुहाल कठकुलवा में पृथक भवन में रहते हैं । परिवादीगण का नयापुरा बंधान वार्ड के विधुत संयोजन से कोई संबंध नहीं है । विपक्षी विधुत विभाग की चेकिंग के समय मु0 कठकुलवा के भवन में परिवादीगण अवैध रूप से विधुत उपभोग कर विधुत चोरी करते हुये परिवादीगण पाये गये । जे0ई0 महोबा द्वारा परिवादीगण से 3500/- रू0 की मांग नहीं की गई । विधुत चोरी में पकडे जाने पर रंजिशवश मुकदमेबाजी के उददेश्य से यह तथ्य अंकित कराया गया । विधुत चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराई गई तथा राजस्व निर्धारण कराया गया,जिसे जमा न करने पर आर0सी0 जारी की गई । दि0 18.08.2010 केा विधुत चोरी करते हुये पाया गया । परिवादीगण ने राजस्व निर्धारण के विरूद्ध कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं की गई । परिवादीगण द्वारा आपराधिक मिसलेनियस याचिका 17054/2010 मा0 उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई । मा0 उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कोई धनराशि जमा नहीं की । उक्त् याचिका मा0 उच्च न्यायालय में लंबित है । परिवाद पोषणीय नहीं है । विपक्षी विभाग का उपभोक्ता नहीं है । परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है । विपक्षी सं02 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है ।
परिवादीगण की और से परिवाद पत्र के साथ शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षीगण की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त रमेश चंद्र अधिशाषी अभियंता का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
पत्रावली का अवलोकन किया गया व पक्षकारों के अधिवक्तागण के तर्क सुने गये ।
परिवादीगण ने 27877/-रू0 व 15892/-रू0 की आर0सी0 निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है । विपक्षी के अनुसार दि0 18.08.2010 को परिवादी के भवन कठकुलवा का निरीक्षण किया गया । विधुत चोरी करते हुये पाये जाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराई गई व राजस्व निर्धारण किया गया । परिवादीगण ने उक्त राजस्व निर्धारण के आधार पर प्रेषित आर0सी0 को निरस्त किये जाने की प्रार्थना की ।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत ए0आई0आर0 2013 सुप्रीम कोर्ट पेज 2766 उ0प्र0पावर कारपोरेशन लि0 बनाम अनीस अहमद में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत की ओर हमारा ध्यान आकर्षित कराया जिसमें मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि धारा-126 विधुत अधिनियम के अनुसार निर्धारित राजस्व निर्धारण तथा धारा-135 से 140 के मध्य किया गया आपराधिक कृत्य जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम में पोषणीय नहीं है । स्वयं परिवादीगण के अनुसार ही उनको कोई विधुत संयोजन नहीं मिला है इसलिये भी परिवादीगण विपक्षी विधुत विभाग के उपभोक्ता नहीं है । परिवादीगण ने दि0 18.08.2010 को निरीक्षण किया जाना स्वीकार किया है । विधुत चोरी पाये जाने पर राजस्व निर्धारण किया गया जिसको चुनौती दी गई है । परिवादीगण की ओर से तर्क दिया गया कि विधुत चोरी के अपराध से उन्हें दोषमुक्त किया जा चुका है लेकिन निर्णय की कोई प्रतिलिपि प्रस्तुत नहीं की । इसलिये परिवादीगण न तो उपभोक्ता हैं और न ही राजस्व निर्धारण को भी उपभोक्ता फोरम में चुनौती दी जा सकती है । ऐसी परिस्थितियों में परिवादीगण का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादीका परिवाद निरस्त किया जाता है।पक्षकार अपना अपना परिवादव्यय स्वयं वहन करें।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (जनार्दन कुमार गोयल)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
06.04.2016 06.04.2016 06.04.2016
यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (जनार्दन कुमार गोयल)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
06.04.2016 06.04.2016 06.04.2016