Uttar Pradesh

Mahoba

107/12

PREMNARAYAN - Complainant(s)

Versus

POWER CORPORATION - Opp.Party(s)

AJAY SINGH

09 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 107/12
 
1. PREMNARAYAN
KULPAHAD
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV PRESIDENT
 HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI MEMBER
 HON'BLE MRS. NEELA MISHRA MEMBER
 
For the Complainant:AJAY SINGH, Advocate
For the Opp. Party: ANURAG SHIVHARE, Advocate
ORDER

 

समक्ष न्‍यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा

परिवाद सं0-107/2012                                                                        उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्‍यक्ष,

                                                                                                  डा0 सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी, सदस्‍य,

                                                                                                    श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्‍य

प्रेम नारायन अग्रवाल पुत्र स्‍व0 श्री रामप्रसाद अग्रवाल निवासी- मुहल्‍ला-राजावार्ड कस्‍बा व तहसील-कुलपहाड जनपद                            महोबा                                                                                                           परिवादी

               बनाम

              दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा –अधिशाषी अभियंता,विद्युत वितरण खण्‍ड,महोबा जिला-                               महोबा                                                       विपक्षी

निर्णय

श्री बाबूलाल यादव,अध्‍यक्ष द्वारा उदधोषित

      परिवादी प्रेम नारायन अ्रग्रवाल ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 जिला-महोबा बावत निरस्‍त किये जाने बिल संख्‍या:0031422 में उल्लिखित धनराशि मु0 2,75,470/-रू0 व अन्‍य अनुतोष प्रस्‍तुत किया है ।

      संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी प्रेम नारायन अग्रवाल मुहल्‍ला- राजावार्ड कस्‍बा व तहसील-कुलपहाड जिला-महोबा का निवासी है तथा अति व़द्ध व वर्तमान में देखने व पढने में अक्षम व्‍यक्ति है । परिवादी ने अपने निजी उपभोग हेतु घरेलू बत्‍ती पंखा हेतु दो किलोवाट भार क्षमता का विद्युत कनैक्‍शन विपक्षी के यहां नियमानुसार फीस जमा कर के वर्ष 1972-73 में प्राप्‍त किया गया था,जिसका विद्युत कनैक्‍शन सं0 003022 है तथा खण्‍ड संकेत  एम0बी0-1 है । इस प्रकार परिवादी लगातार वर्ष 72-73 से विपक्षी का नियमित उपभोक्‍ता है तथा वह मीटर में प्रदर्शित रीडिंग के आधार पर विपक्षी द्वारा जारी बिलों का नियमित समय से भुगतान करता चला आ रहा है । अंतिम बार मई,2011 में विपक्षी द्वारा परिवादी के यहां स्‍थापित मीटर की रीडिंग का उल्‍लेख करते हुये बिल प्रेषित किया गया था,जिसको नियमानुसार भुगतान परिवादी द्वारा माह-मई,2011 में ही विपक्षी के कार्यालय में कर दिया गया था । तत्‍पश्‍चात जुलाई,2011 में परिवादी के घर में स्‍थापित मीटर को उखाडकर विपक्षीगण द्वारा नया मीटर स्‍थापित करने पर विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा अवैधानिक रूप से उससे 2,000/-रू0 की मांग की गई । तब परिवादी द्वारा कहा गया कि 2,000/-रू0 मीटर शुल्‍क की रसीद बनाइये तो उनके द्वारा रसीद देने से मना कर दिया,तब परिवादी ने उक्‍त 2,000/-रू0 देने से विपक्षी के कर्मचारियों से मना कर दिया गया । तब विपक्षी विभाग के कर्मचारियों द्वारा परिवादी से कुछ कागजात पर हस्‍ताक्षर कराये गये और कहा कि अब तुम्‍हें विपक्षी विभाग के चक्‍कर लगाने होगें। चूंकि परिवादी के समस्‍त बिल जमा थे इसलिये उसने इस बात पर ध्‍यान नहीं दिया। तत्‍पश्‍चात माह-जुलाई,2011 में परिवादी का विद्युत बिल आया,तब परिवादी ने उक्‍त बिल देखा। उक्‍त बिल में एक माह के विद्युत उपभोग की धनराशि 2,50,000/-रू0 उल्लिखित है,जिसे देखते ही परिवादी अवसाद में आ गया और उसे हार्ट अटैक व ब्रेन हैमेज हो गया,तब तत्‍काल परिवादी को सरकारी अस्‍पताल,कुलपहाड ले जाया गया तथा वहां से रिफर करने पर मेडिकल कालेज, ग्‍वालियर ले जाया गया,जहां परिवादी का इलाज हुआ और वर्तमान में भी परिवादी का इलाज ग्‍वालियर मेडिकल कालेज के चिकित्‍सक श्री अविनाश शर्मा कर रहे हैं । वर्तमान में परिवादी के शरीर के अंग काम नहीं कर रहे हैं । ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने मानसिक व शारीरिक आघात के एवज में 2,00,000/-रू0 बतौर क्षतिपूर्ति चाहे हैं । इसी दौरान जब परिवादी ने फर्जी बिल की धनराशि जमा नहीं की तो विपक्षी विभाग के कर्मचारियों द्वारा परिवादी को बगैर नोटिस दिये उसका विद्युत कनैक्‍शन काट दिया गया । अत: परिवादी की पत्‍नी ने इस संबंध में विपक्षी विभाग के अधिकारियों को शिकायती प्रार्थना पत्र दिये । लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई । तत्‍पश्‍चात परिवादी की पत्‍नी द्वारा दिये गये प्रार्थना पत्र के आधार पर एवरेज रीडिग के आधार पर माह-जून,2012 के पश्‍चात का 10 माह का 5,000/-रू0 का संशोधित बिल विपक्षी द्वारा जारी किया गया,जिसे परिवादी की पत्‍नी द्वारा जमा कर दिया गया तथा रिकनैक्शन फीस भी जमा कर दी लेकिन परिवादी का कनैक्‍शन जोडा नहीं गया और उसके पश्‍चात पुन: बिल तिथि 28.05.2012  को बिल सं0 0031422 मु.2,75,470/-रू0 का बकाया दर्शाकर परिवादी को जारी किया गया । विपक्षी का यह कार्य व्‍यापारिक कदाचरण की श्रेणी में आता है । परिवादी ने उक्‍त बिल को निरस्‍त करने व उसके कनैकशन जोडने की प्रार्थना की है । अत: उसने मा0 फोरम के समक्ष यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है ।

      विपक्षी की ओर से जबाबदावा दाखिल किया गया और जिसमें उन्‍होंने परिवादी को कस्‍बा व तहसील-कुलपहाड एवं जिला-महोबा का निवासी होना तथा उसके द्वारा बिल संयोजन लेने के तथ्‍य को स्‍वीकार किया है । माह-मई,2011 तक बिल की अदायगी होने को भी उन्‍होंने स्‍वीकार किया है तथा शेष तथ्‍यों को उन्‍होंने अस्‍वीकार किया है और यह कहा है कि परिवादी/उपभोक्‍ता द्वारा मीटर रीडिंग के त्रुटिपूर्ण अंकन के कारण प्रतिमाह कम विद्युत यूनिट के विद्युत देय की अदायगी की गई । विपक्षी विभाग संपूर्ण वितरण खण्‍ड में मैकेनिकल मीटर उतारकर उनके स्‍थान पर इलैक्‍ट्रानिक मीटर स्‍थापित कर रहा है । दिनांक:25.06.2011 को परिवादी के यहां यह इलैक्‍ट्रानिक मीटर स्‍थापित किया गया । परिवादी का यह कथन सर्वथा असत्‍य है कि उससे मीटर बदलने हेतु अवैधानिक रूप से 2,000/-रू0 की मांग की गई । विपक्षी विभाग द्वारा दिनांक:25.06.2011 को पूराना मीटर उतारा गया,तब उसमें मीटर रीडिंग 75003 थी और नये मीटर को 00 यूनिट पर स्‍थापित किया गया । परिवादी/उपभोक्‍ता द्वारा स्‍वयं सीलिंग प्रमाण पत्र पर हस्‍ताक्षर बनाये गये और सीलिग प्रमाण पत्र की एक प्रति परिवादी को दी गई थी । मौके पर जो कार्यवाही की गई थी वह सत्‍य है । इसमें किसी तरह की कपोल कल्पित कार्यवाही नहीं की गई । परिवादी ने दोनों मीटर पुराने व नये मीटर में रीडिंग देखकर ही सीलिंग प्रमाण पत्र में हस्‍ताक्षर किये गये थे । पुराने मीटर से ली गई मीटर रीडिंग से यह स्‍पष्‍ट है कि त्रुटिपूर्ण अंकन के कारण सही मीटर रीडिग के आधार पर बिल नहीं दिये गये हैं । अत: विपक्षी द्वारा नियमानुसार पाई गई मीटर रीडिंग के अनुसार बिल प्रेषित किये गये और विद्युत देयों की अदायगी न होने के कारण उसका कनैक्‍शन विच्‍छेदित कर दिया गया । इस दौरान परिवादी द्वारा विपक्षी विभाग के अधिशाषी अभियंता से यह अनुरोध किया गया था कि वह एक साथ समस्‍त धनराशि जमा करने में असमर्थ है । अत: उसका भुगतान किस्‍तों में ले लिया जाये और वह प्रथम किस्‍त 5,000/-रू0 एवं कनैक्‍शन विच्‍छेदन संयोजन शुल्‍क जमा करने को तैयार है । परिवादी की उक्‍त प्रार्थना को द़ष्टिगत रखते हुये अधिशाषी अभियंता द्वारा दिनांक:31.03.2012 को 5,000/-रू0 भुगतान एवं डी0आर0 फीस जमा करने का आदेश पारित किया गया तथा उसके कनैक्‍शन को उक्‍त तिथि को कर दिया गया । तदनुसार परिवादी इस समय विद्युत का उपभोग कर रहा है । तत्‍पश्‍चात परिवादी द्वारा पुन: आंशिक भुगतान व अग्रिम भुगतान देय तिथियों में जमा नहीं किया गया । अत: उसका विद्युत कनैक्‍शन दिनांक:29.10.2012 को पुन: विच्‍छेदित कर दिया गया । विपक्षी का यह भी कथन है कि वह एक वाणिज्यिक संस्‍थान है एवं उ0प्र0सरकार का विद्युत उत्‍पादन एवं मेंटीनेंस का अनुज्ञप्तिधारक है । विपक्षी विभाग द्वारा मैकेनिकल मीटर के स्‍थान पर इलैक्‍ट्रानिक मीटर लगाते समय परिवादी के मीटर में जो रीडिग पाई गई उसी के आधार पर बिल प्रस्‍तुत किया गया । परिवादी ने असत्‍य आधार पर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है और ऐसी परिस्थिति में वह खारिज किये जाने योग्‍य है ।

      परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्‍वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग व 33ग/1 लगायत 33ग/4 दाखिल किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य में परिवादी को भेजे गये बिल की छायाप्रति दिनांक:02.02.2012 कागज सं06ग,बिल अदायगी की रसीद की छायाप्रति कागज सं012ग प्रस्‍तुत की गई है ।

      विपक्षी की ओर से अपने जबाबदाबा के समर्थन में शपथ पत्र द्वारा श्री रमेश चंद्, अधिशाषी अभियंता कागज सं023ग/1 लगायत 23ग/2 एवं उपखण्‍ड अधिकारी श्री आर0पी0 साहू का शपथ पत्र 34ग/1 लगायत 34ग/2 दाखिल किये गये हैं तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य में बकायेदारों की सूची कागज सं0 16ग तथा परिवादी के संयोजन सं0 एम.बी.1/0116/003022 भार 2 किलोवाट के विवरण की छायाप्रति कागज सं0 17ग व 18ग तथा मीटर सीलिग प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज सं019ग,विद्युत संयोजन के संबंध में की गई कार्यवाही का विवरण कागज सं0 30ग एवं परिवादी के मकान में लगे मैकेनिकल मीटर का मूल चित्र 30ग दाखिल किया गया है।

      फोरम द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली का अवलेाकन किया गया ।

      उभय पक्ष को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि परिवादी प्रेमनारायन अग्रवाल विपक्षी विभाग का वर्ष 1972-73 से नियमित उपभोक्‍ता है तथा दिनांक:25.06.2011 को परिवादी के मकान का पुराना मैकेनिकल मीटर उतारकर उसकी जगह नया मीटर लगया गया । उभय पक्ष को यह भी स्‍वीकार है कि इसके पूर्व के संपूर्ण विद्युत बिल का भुगतान जो कि पुराने मैकेनिकल मीटर रीडिग के अनुसार परिवादी को बिल जारी कर के मांगा गया,उसका वह पूरा भुगतान कर चुका है। लेकिन जब उसका पुराना मीटर उतारा गया तब विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा उस में मीटर रीडिग 75003 दर्शाई गई और इसी रीडिंग केा आधार मानकर विपक्षी विभाग ने विवादित बिल जारी किये गये । उभय पक्ष को अभिलेख कागज सं018ग स्‍वीकार है,जिसमें दिनांक:21.06.2011 से 21.08.2011 की अवधि का कुल उपभोग यूनिट 35 पाई गई है और परिवादी को बकाया धनराशि मात्र 765/-रू0 दिखाई गई और इसी अभिलेख 18ग  में दिनांक:25.06.2011 को नया मीटर स्‍थापित किया जाना दिखाया गया है लेकिन इस अवधि अर्थात 21.06.2011 से 21.08.2011 की रीडिग का नई रीडिग में उल्‍लेख नहीं किया गया । जबकि इसका उल्‍लेख विपक्षी द्वारा करना चाहिये था । तत्‍पश्‍चात दिनांक:21.08.2011 से 21.10.2011 के मध्‍य मात्र 90 यूनिट विद्युत का उपभोग दिखाया गया है और छूटी रीडिंग 67318 दर्शाई गई है और इसी के पश्‍चात से परिवादी पर 2,64,388/-रू0 बकाया धनराशि दर्शाई गई । उसके पश्‍चात पुन: दिनांक: 21.10.2011 को हर दो माह के बाद जो बिल प्रेषित किये गये,वह अधिकतम 135 यूनिट एक बार में दर्शाये गये हैं । इस प्रकार परिवादी को जो बिल जारी किये गये हैं वह 1972 से ले‍कर दिनांक: 21.10.2011 तक ऐसा नहीं था,जिनका भुगतान परिवादी नहीं कर सकता रहा हो या नहीं किया हो तथा इस विवादित बिल के पश्‍चात भी जो बिल परिवादी को प्रेषित किय गये है एवं ऐसी कोई देय धनराशि नहीं है,जिनका भुगतान परिवादी नहीं कर सकता हो,जो बकाया धनराशि 2,64,388/-रू0 अचानक परिवादी के बिल में दर्शाई गई है । उसके लिये विपक्षी ने यह कहा है कि इसके पूर्व के बिल जो परिवादी को प्रेषित किये गये है वह मीटर री‍डर द्वारा गलत अंकन के कारण प्रेषित किये गये थे,जिसे विपक्षी विभाग वसूली करना अपना अधिकार समझता है । पक्षकार के मध्‍य यही विवाद है कि क्‍या विपक्षी विभाग परिवादी से ऐसी धनराशि की वसूली कर सकता है,जिसे इससे पूर्व कभी उपभोक्‍ता के बिल में दर्शाया नहीं गया । परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह कथन है कि विपक्षी विद्युत विभाग ऐसा नहीं कर सकता । इस संबंध में परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के निर्णय बेसेस राजधानी पावर लि0 बनाम आर0एस0प्रोडक्‍ट प्राइवेट लि0 । 2008 सी0पी0जे0 48 एन0सी0 पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया गया है,जिसमें मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने विद्युत विभाग द्वारा गलत मीटर की जगह नया मीटर लगाने में देरी से बिल जारी करने में सेवा में त्रुटि माना है और ऐसी देरी से जारी किये गये बिल निरस्‍त किये गये हैं । उसमें 5 वर्ष के पश्‍चात विद्युत विभाग ने 17,00,000/-रू0 का बिल उपभोक्‍ता को जारी किया गया था,जिसे मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने सेवा में त्रुटि मानते हुये निरस्‍त किया है । इस केस में वर्ष 1972-73 से वर्ष मर्इ्र,2011 अर्थात लगभग 38 वर्ष के बाद बकाया धनराशि की वसूली का बिल जारी किया गया है,जो कि मा0राष्‍ट्रीय आयोग के उक्‍त निर्णय के प्रकाश में सेवा में त्रुटि माना जायेगा और निरस्‍त होने योग्‍य है । इसी तरह का मत मा0राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण नि0लि0 बनाम डाक रिसर्च एण्‍ड हेल्‍थ स्‍पेशिलिटीज प्राईवेट लि0 चतुर्थ 2008 सी.पी.जे. 192  एन.सी. में भी व्‍यक्‍त किया गया है,जिसमें पूर्व में जारी कम धनराशि बिल की जगह नई धनराशि को बिल जारी करने को मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने सेवा में त्रुटि माना है । इस केस में भी विपक्षी विद्युत विभाग का यह अभिकथन स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है कि परिवादी को उपरोक्‍त जो बिल जारी किये जाते रहे हैं वह कम रीडिंग अंकन के कारण जारी किये गये है । अत: बढी हुई धनराशि का बिल उपभोक्‍ता को प्रस्‍तुत किया गया है । इसके अलावा विपक्षी विभाग द्वारा उपरोक्‍त निर्णय के जबाब में किसी तरह की कोई विधि व्‍यवस्‍था प्रस्‍तुत नहीं की है । ऐसी परिस्थिति में यह फोरम इस मत का है कि परिवादी के विरूद्ध विवादित बिल जो जारी किया गया है,वह निरस्‍त किये जाने योग्‍य है तथा परिवादी मानसिक क्षतिपूर्ति के एवज में क्षतिपूर्ति पाने का हकदार है ।

आदेश

      परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है । विपक्षी द्वारा परिवादी को जारी बिल सं0 0031422 में उलिल्खित धनराशि 2,75,470/-रू0 निरस्‍त किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह को नये सिरे से नया बिल वर्तमान मीटर रीडिंग के आधार पर जारी करें,जिसका भुगतान परिवादी करे और तत्‍पश्‍चात उसका कनैक्‍शन तुरंत संयोजित किया जाये । इसके अलावा परिवादी मानसिक कष्‍ट के एवज विपक्षी से 5,000/-रू0 तथा वादव्‍यय के एवज में 2,500/-रू0 प्राप्‍त करने का अधिकारी है । इसके अलावा परिवादी ने जो भी धनराशि विपक्षी विभाग में 5,000/-रू0 एवं 10,000/- जमा की है उसका भी समायोजन किया जाये ।

 

डा0सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी                                             श्रीमती नीला मिश्रा                            बाबूलाल   यादव

      सदस्‍य,                                                      सदस्‍या,                                    अध्‍यक्ष,

जिला फोरम,महोबा                                             जिला फोरम,महोबा                             जिला फोरम,महोबा

    23.01.2015                                                  23.01.2015                                23.01.2015

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. NEELA MISHRA]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.