समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-04/2012 उपस्थित- श्री जनार्दन कुमार गोयल, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
दयाराम राजपूत बृजभूषण राजपूत निवासी-ग्राम-मौहारी परगना व तहसील- कुलपहाड व जिला महोबा ....परिवादी
बनाम
दक्षिणांचल विधुत वितरण निगम लि0 द्वारा अधिशाषी अभियंता विधुत वितरण खण्ड,महोबा जिला- महोबा .....विपक्षी
निर्णय
श्री जनार्दन कुमार गोयल,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी ग्राम-मौहारी तहसील-कुलपहाड जिला-महोबा का निवासी है । परिवार के भरण पोषण हेतु उसने अपने निवास पर आटा चक्की संचालन हेतु विपक्षी से वर्ष 1994-95 में 7.5 किलोवाट का विधुत भार के कनैक्शन हेतु आवेदन किया । विपक्षी ने विधुत कनैक्शन सं0 000002 प्रदान किया । विपक्षी की और से उपलब्ध कराये गये बिल का परिवादी भुगतान करता रहा और परिवादी उपभोक्ता है । विधुत संयोजन में मीटर सं0 एम0आर00824 स्थापित किया गया था । परिवादी को प्रतिमाह 650,700,720 यूनिट प्रतिमाह उपभोग के बिल आते रहे,जिनको परिवादी भुगतान करता था । परिवादी ने सितम्बर,2011 तक के विधुत बिल जमा कर रखे हैं । विपक्षी के कुलपहाड स्थित पावर हाउस के कर्मचारियों ने 500/-रू0 प्रतिमाह अवैध धन की मांग करते थे,जिसकी शिकायत उसने उच्चाधिकारियों से की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई तब से वह उसका उत्पीडन करने लगे । दि029.10.2011 को जब परिवादी बिल जमा करने गया तो कर्मचारीगण द्वारा कहा गया कि एकमुश्त योजना में पंजीयन कराकर बिल की धनराशि जमा करें । परिवादी ने दि029.10.2011 को 1,000/-रू0 पंजीयन शुल्क जमा किया और सितम्बर,2011 तक की संपूर्ण धनराशि कर्मचारी ने जमा करा ली । ओ0टी0एस0 का आवेदन करते समय परिवादी के कुछ कागजातों पर हस्ताक्षर कराये गये । दि029.10.2011 को 15 दिन बाद अवर अभियंता व उपखण्ड अधिकारी अन्य कर्मचारीगण के साथ आये और परिवादी द्वारा हस्ताक्षरित कागजातों पर तैयार आख्या दिखाकर कहा कि अक्टूबर,नवम्बर,2011 का बिल एक लाख का आयेगा जमा नहीं करोगे तो आर0सी0 से वसूली की जायेगी । अक्टूबर,नवम्बर,2011 में 19597 यूनिट विधुत उपभोग दर्शाते हुये 1,16,861/-रू0 का बिल भेज दिया,जिसे 31.12.2011 तक जमा करने अन्यथा 17.01.2012 को विधुत कनैक्शन विच्छेदित करने का उल्लेख था । परिवादी महोबा स्थित विपक्षी के कार्यालय आया शिकायत पर बिल निरस्त करने से मना कर दिया जो विपक्षी की सेवा में त्रुटि है,जिससे परिवादी को मानसिक व आर्थिक कष्ट हुआ । विधुत विच्छेदन के कारण परिवादी के परिवार की आजीविका प्रभावित होने की आशंका है । वादकालीन संशोधन द्वारा यह तथ्य बढाये गये कि विपक्षी ने अनुबंध की शर्तों व विधुत अधिनियम के प्राविधानों के विरूद्ध 15 कार्य दिवस का नोटिस दिये बिना विधुत संयोजन विच्छेदित कर दिया । विपक्षी के मीटर रीडर द्वारा दि025.11.2011 को परिवादी के समक्ष न मीटर रीडिंग ली गई और न 63231 यूनिट मीटर रीडिंग दर्ज की गई । उक्त निरीक्षण के आधार पर जारी विवादित बिल 1,16,831/-रू0 को निरस्त करने और विगत तीन माह के औसत के आधार पर बिल जारी करने और वसूली स्थगित रखने,आर0सी0जारी न करने तथा मानसिक व आर्थिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के लिये एक लाख रू0 व परिवाद व्यय के लिये 5,000/-रू0 दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया ।
विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र व अतिरिक्त प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार परिवादी ने ओ0टी0एस0 के अंतर्गत पंजीकरण कराकर सरचार्ज का लाभ प्राप्त किया था । परिवादी निरीक्षण के अनुसार उपभोग यूनिट के बिल अदा करने का उत्तरदाई है । समय समय पर विपक्षी उपभोक्ता के विधुत कनैक्शन का निरीक्षण करने और कमी पाये जाने पर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बिल भेजने का कार्य करता है । दि012.12.2011 को परिवादी का संयोजन का निरीक्षण अधिकारीगण द्वारा परिवादी की उपस्थिति में किया गया था । निरीक्षण प्रारूप तैयार कर परिवादी के हस्ताक्षर कराये । निरीक्षण के समय मीटर रीडिंग 63645 अंकित की गई और मीटर रीडिंग के आधार पर बिल बनाने और लोड बढाने की संस्तुति की गई । मीटर रीडिंग के अनुसार विधुत बिल बनाया गया । परिवादी के विधुत संयोजन का 700 यूनिट प्रतिमाह विधुत उपभोग की कम रीडिंग अंकित की गई जबकि उसके द्वारा अधिक विधुत का उपभोग किया गया । निरीक्षण के समय मीटर रीडिंग के आधार पर बिल प्रेषित किये गये । विधुत संयोजन के मीटर रीडिंग की एम0आर0आई0 कराई जा सकती है । परिवादी गलत मीटर रीडिंग का लाभ नहीं उठा सकता । कुलपहाड स्थित पावर हाउस के कर्मचारियों द्वारा 500/-रू0 की अनैतिक मांग का कथन असत्य है । विपक्षी की कोई सेवा में त्रुटि नहीं है । परिवादी वाणिज्यिक उपभोक्ता है । परिवाद पोषणीय नहीं है ।
अतिरिक्त प्रतिवाद पत्र के अनुसार मीटर रीडर द्वारा दि025.11.2011 को परिवादी की मीटर रीडिंग 63231 अंकित की गई । परिवादी ने स्वयं कार्यालय ने मीटर रीडिंग की जांच कराने की आपत्ति की है जिस पर विपक्षी के अधिकारीगण ने दि012.12.2011 को परिवादी के संयोजन का निरीक्षण किया और परिवादी की उपस्थिति में जांच आख्या तैयार की और परिवादी के हस्ताक्षर कराये । लोड 7.5 के स्थान पर 12 के0वी0ए0 पाया गया । उपरोक्त जांच में विवादित बिल 25.10.2011 से 25.11.2011 में अंकित रीडिंग की पुष्टि करता है । विपक्षी का विधुत बिल कम नोटिस रहते है जिसमें विच्छेदन तिथि अंकित होती है । बिल की राशि जमा न करने पर कनैक्शन विच्छेदित कर दिया जाता है । नियमानुसार परिवादी का कनैक्शन विच्छेदित किया गया है जो बिल जमा कराकर अपना कनैक्शन जुडवाने का अधिकारी है ।
परिवादी की और से साक्ष्य के अतिरिक्त दयाराम राजपूत का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षी की और से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त रमेश चंद अधिशाषी अभियंता,आर0 पी0साहू उपखण्ड अधिकारी के शपथ पत्र प्रस्तुत किये गये ।
पत्रावली का अवलोकन किया गया व पक्षकारों के अधिवक्तागण के तर्क सुने गये ।
स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने आटा चक्की हेतु 7.5 किलोवाट का विधुत कनैक्शन सं05048/000002 का संयोजनधारक व उपभोक्ता है,जिसमें मीटर सं0एम0आर0 0824 लगा हुआ है ।
परिवादी ने दि029.10.2011 को 1,000/-रू0 ओ0टी0एस0 योजना में जमा किया,जिसमें विधुत उपभोग अवधि 25.08.2011 से 25.09.2011 का बिल 8,939/-रू0 में सरचार्ज इत्यादि की छूट पाकर 7,816/-रू0 का बिल 29.10.2011 को जमा किया । उक्त बिल में पिछली रीडिंग 42904 और वर्तमान मीटर रीडिंग 43634 अंकित थी तथा बिल 25.09.2011 तक था । परिवादी का केस है कि परिवादी को निरंतर लगभग 700 यूनिट प्रतिमास का बिल दिया जाता था । परिवादी के अनुसार विपक्षीगण के अधिकारी कर्मचारियों ने 500/-रू0 मासिक अवैध धन की मांग की और न देने से नाराज होकर परिवादी को 25.10.2011 से 25.11.2011 तक के बिल 19597 यूनिट के आधार पर 1,16,861/-रू0 का दे दिया । इसमें पिछली मीटर रीडिंग 43634 और वर्तमान मीटर रीडिंग 63231 दर्शाई गई है । दि025.11.2011 को परिवादी के परिसर में कोई मीटर रीडिंग परिवादी की उपस्थिति में नहीं ली गई । परिवादी ने इसी बिल को चुनौती दी है तथा निरस्त करने की प्रार्थना की है । स्वयं परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा-8 में यह उल्लेख किया है कि परिवादी इस बिल को लेकन विपक्षी के महोबा स्थित कार्यालय गया और अधिकारियों से शिकायत की । विधुत विभाग की और से तर्क दिया गया है कि परिवादी द्वारा इस बिल के संबंध में की गई शिकायत पर दि0 12.12.2011 को विपक्षी के अधिकारीगण आर0पी0साहू एस0डी0ओ0,मुकेश कुमार,जे0ई0,प्रवीण कुमार,जे0ई0 और आर0एस0 तिवारी टी0जी02 ने परिवादी के कनैक्शन का परिवादी की उपस्थिति में निरीक्षण किया और मीटर रीडिंग 63645 पाई गई । इस निरीक्षण आख्या अभिलेख सं031ग में परिवादी के हस्ताक्षर हैं । परिवादी ने इन हस्ताक्षर के संबंध में यह स्पष्टीकरण दिया है कि दि029.10.2011 ओ0टी0एस0 में पंजीयन के समय उसके हस्ताक्षर कराये गये थे लेकिन उस समय तक विवादित बिल की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई थी इसलिये परिवादी का यह स्पष्टीकरण विश्वसनीय नहीं है । आर0पी0साहू एस0डी0ओ0 के शपथ पत्र 28ग में 12.12.2011 को निरीक्षण किये जाने की स्थिति स्पष्ट की गई और निरीक्षण आख्या को परिवादी की उपस्थिति में तैयार किया जाना और जिसमें परिवादी के हस्ताक्षर होने की स्थिति स्पष्ट है । परिवादी का यह केस नहीं है कि परिवादी का मीटर कभी भी खराब रहा हो या गलत रीडिंग दे रहा हो और न परिवादी ने 25.11.2011 को मीटर रीडिंग 63231 और 12.12.2011 को 63645 मीटर रीडिंग को मीटर गलत,खराब अथवा तेज चलने के आधार पर चुनौती दी है । विपक्षी की और से परोक्ष रूप से यह कहा गया है कि परिवादी व विपक्षी के मीटर रीडर की आपसी साजिश अथवा स्वयं मीटर रीडर के लापरवाही एवं त्रुटिपूर्ण कार्य प्रणाली से बिना वास्तविक मीटर रीडिंग लिये परिवादी को लाभ पहुंचाने अथवा कम मीटर रीडिंग दर्शाते हुये वास्तविक मीटर रीडिंग को न दर्शाना,जिसके कारण परिवादी बिल कम यूनिट उपभोग के आधार पर कम धनराशि के बनते रहे और जब वास्तविक मीटर रीडिंग 25.11.2011 व 12.12.2011 को मीटर रीडिंग ली गई तो अधिक उपभोग पाया गया । विशेष रूप से परिवादी का केस मीटर खराब होने का नहीं है । ऐसी स्थिति में मीटर रीडिंग के आधार पर विधुत उपभोग के बिल को अदा करने का उत्तरदायित्व परिवादी का है । मीटर रीडिंग विपक्षी के कर्मचारी ने उपेक्षापूर्ण व लापरवाहीपूर्ण कार्य करते हुये ली उसके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की जानी चाहिये थी लेकिन इसका लाभ परिवादी नहीं पा सकता ।
परिवादी ने यह परिवाद दि0 03.01.2012 को प्रस्तुत किया है लेकिन प्रारंभ में परिवाद प्रस्तुत करते समय परिवादी का विधुत संयोजन दौरान मुकदमा विच्छेदित नहीं किया जाने का प्रतिकार प्रार्थना में पैरा-3 में मांगा था लेकिन परिवादी का दिसम्बर,2011 में विधुत संयोजन विच्छेदित किये जाने का उल्लेख उसने अपने शपथ पत्र अभिलेख सं024ग की धारा-5 में किया है यदि दिसम्बर,2011 में विधुत संयोजन विच्छेदित कर दिया गया था तो दि0 03.01.2012 को परिवाद प्रस्तुत करते समय इसका उल्लेख अवश्य किया गया होता जो कि नहीं किया गया। परिवादी वास्तविक उपभेाग के आधार पर बिल के भुगतान से बचने हेतु असत्य कथन कर रहा है । परिवादी की और से चतुर्थ (2008)सी0पी0जे0 पेज-192 (एन0सी0) दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लि0 बनाम डी0ए0सी0 रिसर्च एण्ड हेल्थ स्पेशलिटिज प्रा0लि0 तथा चतुर्थ (2008)सी0पी0जे0 पेज-251 (एन0सी0) मितकारी वी0बी0 बनाम महाराष्ट्र स्टेट इलैक्ट्रिसिटी कंपनी लि0 में प्रतिपादित सिद्धांतों की और हमारा ध्यान आकर्षित किया गया है कि बिना नोटिस के संयोजन को विच्छेदित करना उचित नहीं है । विपक्षी की और से तर्क दिया गया है कि विवादित बिल अभिलेख सं06ग विधुत बिल की देयता तिथि 31.12.2011 द्वारा बिल जमा न करने पर विच्छेदन तिथि 17.01.2012 अंकित की गई है,जो नोटिस कम बिल की श्रेणी में आता है । विपक्षी ने विधुत विच्छेदन तो स्वीकार किया है लेकिन विधुत विच्छेदन की कोई तिथि स्पष्ट अंकित नहीं की है । परिवादी ने दिसम्बर,2011 में विधुत विच्छेदित किया जाना कहा है लेकिन दि0 03.01.2012 को परिवाद प्रस्तुत करते समय तक विधुत विच्छेदन अंकित नहीं है इसलिये दिसम्बर,2011 में विधुत विच्छेदन की संभावना नहीं थी । परिवादी ने दि0 30.01.2013 को शपथ पत्र व धारा-(13)(3) बी उ0सं0अधि0 अभिलेख सं022ग और संशोधन प्रार्थना पत्र अभिलेख सं0 33ग दि0 18.07.2013 को प्रस्तुत किया है इसलिये परिवादी का विधुत संयोजन परिवाद प्रस्तुत किये जाने के उपरांत दि0 03.01.2012 के उपरांत कभी किया गया होगा इसलिये परिवादी का विधुत कनैक्शन बिल की अदायगी न किये जाने के कारण किया गया है । नियमानुसार परिवादी जब तक बिलों की अदायगी नहीं करता तब तक उसका संयोजन जोडा नहीं जा सकता लेकिन विपक्षी के मीटर रीडर के त्रुटिपूर्ण व्यवहार के कारण जो परिवादी की कम रीडिंग दर्शाकर बिल भेजे गये हैं और विवादित बिल एकमुश्त अधिक धनराशि का दिया गया यह विपक्षी के मीटर रीडर के लापरवाहीपूर्ण कार्य के कारण सेवा में त्रुटि की श्रेणी में आता है जिससे परिवादी को मानसिक कष्ट व पीडा हुई और उसे परिवाद प्रस्तुत करना पडा।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादी विधुत कनैक्शन सं0 5048/000002 पर मीटर रीडिंग 43634 के पश्चात से वास्तविक मीटर रीडिंग विधुत संयोजन के विच्छेदन की तिथि तक की मीटर रीडिंग के आधार पर निर्मित बिल बिना अधिभार अदा करने का उत्तरदाई है । परिवादी विपक्षी से 5,000/-रू0 मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति व 2500/-रू0 परिवाद व्यय पाने का अधिकारी होगा जो इस संशोधित बिल में समायोजित होगा । संशोधित बिल आज से एक माह के अंदर प्राप्त कराया जाये,जिससे परिवादी विधुत बिल जमा कर सके और बिल जमा करने के उपरांत परिवादी का विधुत संयोजन संयोजित कर दिया जाये ।
विपक्षी विभाग तत्कालीन संबंधित विधुत मीटर रीडर के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करे ।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (जनार्दन कुमार गोयल)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
04.03.2016 04.03.2016 04.03.2016
यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (जनार्दन कुमार गोयल)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
04.03.2016 04.03.2016 04.03.2016