Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/74/2015

UDAYBHAN GIRI - Complainant(s)

Versus

POST OFFICE - Opp.Party(s)

20 Apr 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 74 सन् 2015

प्रस्तुति दिनांक 08.04.2015

       निर्णय दिनांक 20.04.2022

उदयभान गिरि सुपुत्र स्वo हरीलाल गिरि, ग्राम- नदवा सिसड़ी, पोस्ट- हड़ौरा, विकास खण्ड- तरवा जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)    

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

    प्रधान डॉकघर शहर व जिला आजमगढ़ द्वारा सीनियर पोस्ट मास्टर    प्रधान डॉकघर जिला व शहर आजमगढ़ (उoप्रo)    

  1. विपक्षी।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह दिनांक 20.03.2015 का लिखित सूचना आवेदन दिनांक 23.03.2015 को विपक्षी के यहाँ से आर.यू. 994203066 आई.एन. के माध्यम से जनसूचाधिकारी/ग्राम विकास अधिकारी ग्राम सभा नदवा सिसड़ी द्वारा खण्ड विकास अधिकारी विकास खण्ड तरवा जिला आजमगढ़ (उoप्रo) के नाम से प्रेषित किया। परिवादी द्वारा प्रेषित उक्त पत्र परिवादी को विपक्षी द्वारा बिना प्रेषित पते पर प्राप्त कराए वापस प्राप्त कराया गया है, जिस पर वापसी का स्पष्ट कारण लिफाफे पर अंकित नहीं है। परिवादी द्वारा लिखा गया पता सही होने के कारण विपक्षी का कृत्य स्पष्टतया सेवा में कमी का द्योतक है, जिससे वाद कारण उत्पन्न हुआ। परिवादी द्वारा प्रेषित रजिस्टर्ड पत्र किन कारणों से वापस है उसका स्पष्ट उल्लेख विपक्षी द्वारा नहीं किया गया है जिससे स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा जनसूचनाधिकारी के साजिश में जानबूझकर परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र को वापस किया गया है। विपक्षी के इस कृत्य से परिवादी को काफी हैरान व परेशान होना पड़ा। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को विपक्षी द्वारा की गयी सेवा में कमी के कारण हुई समस्त मानसिक, आर्थिक क्षति व वाद खर्च के मद में मुo 50,000/- रुपया अदा करे। साथ ही माo फोरम की दृष्टि से जो उचित हो परिवादी को विपक्षी से दिलाया जाए।   

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6ग² वापस प्राप्त लिफाफे की छायाप्रति एवं कागज संख्या 17ग² वापस प्राप्त लिफाफे की मूलप्रति प्रस्तुत किया है।   

कागज संख्या 10क² विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र की धारा- 01व02 को स्वीकार किया है तथा शेष सभी कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में विपक्षी ने यह कहा है कि याची द्वारा दिनांक 23.03.2015 को एक रजिस्टर्ड पत्र संख्या आर.यू.994203066 आई.एन. बुक कराया गया था। रजिस्टर्ड पत्र के ऊपरी भाग पर पता ‘जूनसूचना अधिकारी/ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम सभा नदवा सिसड़ी द्वारा खण्ड विकास अधिकारी, विकास खण्ड तरवां, जिला आजमगढ़ (उoप्रo)’ दर्ज था। उपरोक्त रजिस्टर्ड पत्र में ‘तरवां’ अंकित होने के कारण जब पत्र तरवां उपडॉकघर पहुंचा और उसे वितरित करने की प्रक्रिया शुरू की गयी तो काफी प्रयास के बाद उसे संज्ञान में आया कि नदवा सिसड़ी गांव तरवां क्षेत्र में स्थित नहीं है, लेहाजा नियमानुसार उसे बिना वितरित किए प्रेषक को वापस कर दिया। पंजीकृत पत्र उक्त में उस डॉकखाना का नाम नहीं लिखा गया था जो किसी भी पत्र के उसके मुकाम तक पहुंचाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। डॉकखाना का नाम न लिखे जाने के कारण जब पंजीकृत पत्र प्राप्त कर्ता को वितरित नहीं किया जा सका तो उसे नियमानुसार प्रेषक को वापस कर दिया गया। पंजीकृत पत्र को प्रेषक को वापस देकर विभाग ने अपनी सेवाएं जिम्मेदारीपूर्वक नियमानुसार प्रेषक को प्रदान की गयी है। इसमें किसी भी तरह की चूक नहीं की गयी है। परिवाद मनगढ़न्त व बेबुनियाद है। अतः खारिज किया जाए।

इसके अलावा विपक्षी ने अपने लिखित बहस कागज संख्या 21ग² में यह कहा है कि जनसूचनाधिकार अधिनियम 2005 की प्रतिलिपि और पोस्ट हड़ौरा डॉकघर का पिनकोड तथा सम्बन्धित उपडॉकघर के नाम की लिस्ट प्राप्त हुई है, जिसमें विन्दु संख्या-16 पर जनसूचनाधिकारी के नाम, पदनाम व अन्य विशिष्टियाँ उल्लिखित हैं।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा कागज संख्या 23/01ता23/03 जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 द्वारा मांगी जाने वाली सूचना प्रमुख विन्दुओं से सम्बन्धित नियमावली की छायाप्रति तथा कागज संख्या 23/04 हड़ौरा आजमगढ़ के पिनकोड से सम्बन्धित लिस्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं ने उपस्थित होकर अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत प्रलेखीय साक्ष्यों के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी द्वारा सेवा में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की गयी है। अतः ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। 

 

आदेश

                                                           परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                           गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                        (सदस्य)                     (अध्यक्ष)

 

दिनांक 20.04.2022

                                

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

  (सदस्य)                     (अध्यक्ष)

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.