Rajasthan

Ajmer

CC/216/2014

UDAI SINGH - Complainant(s)

Versus

POST OFFICE - Opp.Party(s)

ADV.S.P.GANDHI

05 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/216/2014
 
1. UDAI SINGH
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. POST OFFICE
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री उदयसिंह हाडा पुत्र स्व. श्री उम्मेद सिंह हाडा, उम्र-11 वर्ष (अपसज्ञक) जरिए प्राकृतिक संरक्षक श्री मनोज कुमार षेखावत पुत्र श्री विजय प्रकाष षेखावत, जाति- राजपूत, निवासी- 1117/45, रेल्वे क्रासिंग से पहले, कल्याणीपुरा रोड, अजमेर ।                  

                                              -         प्रार्थी

                            बनाम

1.    सहायक अधीक्षक, डाकघर दक्षिण उपखण्ड, अजमेर । 
2.    उपमण्डल प्रबन्धक(डाक जीवन बीमा)कार्यालय मुख्य पोस्टमास्टर जनरल, राजस्थान सर्किल, जयपुर -302007

                                             -          अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 216/2014
   

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य


                           उपस्थिति
             1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी एवं श्री अमित गांधी व  
              श्री नवनीत तिवारी, अधिवक्तागण, प्रार्थी
             2.श्री जफर अहमद,अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 05.04.2016
 
1.          प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 3 (जो  इस परिवाद में आगे चलकर अप्रार्थी  डाक विभाग कहलाएगा)  के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उसके पिता  जो तहसीलदार, भिनाय कार्यालय में कनिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत थे, ने  अप्रार्थी डाक विभाग से दिनांक 25.02.2009 को रू. 1,00,000/- की  डाक जीवन बीमा पाॅलिसी संख्या त्ण्श्रण्2501658.ब्ै दिनांक 25.02.2009से 24.02.2018 तक की अवधि  के लिए ली ।   जिसकी दिनांक 20.4.2011  तक रू. 935/-  प्रीमियम राषि अदा की जाती रही है ।  उसके पिता का दिनांक 17.5.2011 को निधन हो गया।   जिसकी सूचना अप्रार्थी डाक विभाग को दी और समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए बीमा क्लेम पेष किया ।  तत्पष्चात् अप्रार्थी डाक विभाग द्वारा चाही गई सूचना यथा- तहसील कार्यालय, भिनाय से उसके पिता द्वारा लिए गए अवकाष की सूची, फरवरी, 2006 से फरवरी, 2009 तक ली गई पुनभर््ारण राषि, संरक्षक प्रमाण पत्र दिनांक 8.8.2012 तथा इन्डेमनिटी बाण्ड  उपलब्ध करा दिए । इसके बावजूद अप्रार्थी डाक विभाग ने अपने पत्र दिनांक 8.5.2014 के द्वारा  बीमा क्लेम इस आधार पर खारिज कर दिया कि  बीमाधारक ने बीमा लेते समय अपनी पूर्व की गुर्दे की बीमारी के तथ्य को छिपाया था  और जांच में  बीमाधारी की मृत्यु किडनी फेल हो जाने से पाई गई ।  उपभोक्ता ने  अप्रार्थी डाक विभाग द्वारा  बीमा क्लेम को खारिज करना सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में  श्री मनोज कुमार षेखावत, प्राकृतिक संरक्षक का षपथपत्र पेष किया है । 
2.    अप्रार्थी डाक विभाग ने जवाब पेष करते हुए  उपभोक्ता के पिता द्वारा परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णित डाक जीवन बीमा पाॅलिसी लिए जाने व  20.4.2011 तक बीमा प्रीमियम  अदा किए जाने के तथ्यों को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि   अप्रार्थी डाक विभाग ने  परिवाद की चरण संख्या 6 में वर्णित चाही गई सूचना   उपभोक्ता से प्राप्त होने के पष्चात्  सक्षम अधिकारी से कराई गई जांच के बाद यह तथ्य उजागर हुआ कि  बीमाधारी बीमा पाॅलिसी लेने से पूर्व गुर्दे की  बीमारी से ग्रसित था।  और उसने इसका एसएमएस अस्पताल, जयपुर से इलाज करवाया । इस प्रकार उसने  बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय इस तथ्य को छिपाया । बीमाधारी की मृत्यु भी किडनी फेल हो जाने से पाई गई । इन सब तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए एवं च्वेज वििपबम प्देनतंदबम निदक तनसम 41.5;ब्द्ध  के आधार पर बीमा क्लेम  खारिज  कर अप्रार्थी डाक विभाग ने कोई सेवा में कमी नहीं की । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने  की प्रार्थना करते हुए  जवाब परिवाद के समर्थन में  श्री बी. आर. सुथार, प्रवर अधीक्षक, डाकघर का षपथपत्र पेष किया है ।  
3.    उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि उपभोक्ता के पिता द्वारा दिनांक 25.2.2009 को डाक जीवन बीमा पाॅलिसी राषि रू. 1,00,000/-  की दिनांक 25.02.2009 से 24.02.2018  तक रू. 935/- प्रतिमाह प्रीमियम के हिसाब से ली गई  थी तथा उनके द्वारा  अपने जीवन एवं सेवाकाल में दिनांक 20.4.2011 तक नियमित रूप से मासिक प्रीमियम अदा की  । उपभोक्ता के पिता का दिनांक 17.5.2011 को देहान्त हो जाने के पष्चात् उपभोक्ता ने विधिक प्रतिनिधि के रूप में अप्रार्थी डाक विभाग  के यहां बीमा क्लेम पेष किया और अप्रार्थी डाक विभाग द्वारा चाहे गए दस्तावेजात प्रस्तुत किए जाने के बाद  अप्रार्थी डाक विभाग ने दिनांक 8.5.2014 के पत्र  द्वारा उपभोक्ता के पिता की  बीमा पाॅलिसी के तहत  देय मृत्यु क्लेम  अवैध रूप से खारिज किया गया है । उसे  निराधार रूप से खारिज करना मान कर सेवा में कमी के लिए अप्रार्थी डाक विभाग को पूर्णतया जिम्मेदार माना जाए तथा इस कारण उसे हुए गहन मानसिक  व आर्थिक संताप  बाबत् अनुतोष दिलाया जाए ।  यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि बीमाधारक द्वारा  बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय प्रस्ताव में किसी प्रकार का कोई तथ्य छिपाया नहीं किया व किसी बीमारी से भी बीमधारक ग्रसित नहीं थे ।  इस आषय का उन्होने फरवरी, 2006 से फरवरी, 2009 तक का कार्यालय तहसील, भिनाय से  प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया है कि इस अवधि में न तो  बीमाधारी ने कोई मेडिकल अवकाष लिया  और ना ही इस मद में  चिकित्सा पुर्नभरण राषि ही प्राप्त की । 
4.    खण्डन में अप्रार्थी डाक विभाग के विद्वान अधिवक्ता ने उपभोक्ता के पिता द्वारा बीमा पाॅलिसी लेने, बीमाधारक की मृत्यु होने, क्लेम प्रस्तुत करना इत्यादि स्वीकार किया किन्तु अपनी बहस में यह बतलाया कि च्वेज वििपबम प्देनतंदबम थ्नदक तनसम 41.5;ब्द्ध  के  अन्तर्गत  बीमा पाॅलिसी लेने की तिथी से 3 वर्ष पूर्व किसी बीमारी से ग्रसित होने व तत्पष्चात् मृत्यु होने की अवस्था  में ऐसे तथ्य  पाॅलिसी लेते समय छिपाए जाने की स्थिति में पाॅलिसी होल्डर किसी प्रकार का कोई अनुतोष प्राप्त करने के अधिकारी नही ंहै ।  पाॅलिसी ष्षर्तो के अधीन बीमा कराते समय बीमाधारी को स्वस्थ होना जरूरी था ।  लेकिन प्रवर अधीक्षक, डाकघर, अजमेर  की रिपोर्ट के अनुसार बीमाधारी पाॅलिसी लेने के पूर्व गुर्दे की बीमारी से ग्रसित था ।  जिनका  इलाज एसएमएस अस्पताल, जयपुर में चल रहा था । इसकी जानकाररी बीमाधारी ने अप्रार्थी  डाक विभाग से जानबूझकर छिपाई थी ।  बीमाधारी की मृत्यु किडनी फेल होने के कारण हुई है ।  उनका तर्क रहा है कि ऐसी स्थिति में उपभोक्ता किसी प्रकार का कोई क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नही ंहै । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हंै तथा  उपलब्ध  अभिलेख का ध्यानपूर्वक अध्ययन  भी कर लिया है । 
6.    परस्पर अभिवचनों के आधार पर उपभोक्ता द्वारा दिनांक 25.02.2009 से 24.02.2018 तक रू. 935/- प्रतिमाह की प्रीमियम किष्त पर बीमा पाॅलिसी  लेने  तथा दिनांक 20.4.2011 तक बीमा प्रीमियम जमा करवाने , दिनांक 17.5.2011 को  बीमाधारक की मृत्यु होने व तत्पष्चात् उसके वारिसों द्वारा क्लेम प्रस्तुत किया ये तथ्य  स्वीकृतषुदा है । 
7.     प्रमुख मुद्दा यह है कि  क्या बीमाधारक द्वारा  बीमा पालिसी लेने से पूर्व बीमा प्रस्ताव पत्र में  पूर्व बीमारी  विद्यमान  रही,  ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाया गया है ?  जो प्रभावी नियम च्वेज वििपबम पदेनतंदबम निदक तनसम 41.5;ब्द्ध  बतलाया गया है, के अनुसार यदि बीमसाधारक  पाॅलिसी लिए जाने के समय अथवा पूर्व किसी गम्भीर बीमारी  से ग्रसित रहा है तो ऐसी अवस्था में ऐसी पाॅलिसी के तहत पेष बीमा क्लेम को ज्ीवतवनहीसल प्दअमेजपहंजम  (अच्छी तरह से जांच)  की जावेगी । और इस नतीजे पर पहुंचा जाएगा कि ऐसी  परिस्थिति विद्यमान रही थी ।  इसका जो आधार अप्रार्थी डाक विभाग ने  अपने सक्षम अधिकारी के पत्र क्रमांक क्.144ध्11.12  दिनांक 8.5.2004  को बतलाया है, के अनुसार   प्रवर अधीक्षक डाकघर, अजमेर की रिपोर्ट के अनुसार बीमाधारी पाॅलिसी लेने से पूर्व गुर्दे की बीमारी से ग्रसित होने व इसका  इलाज एसएमएस अस्पताल, जयपुर में चल रहा था व जिसकी जानकारी  बीमाधारी ने जानबूझ कर छिपाई थी । बीमाधारी की मृत्यु किडनी फेल होने से पाई गई है , ऐसा उक्त पत्र में बताया गया है । किन्तु प्रवर अधीक्षक, डाकघर, अजमेर ने किस प्रकार मामले का पूर्ण अन्वेषण करने के बाद  इस नतीजे पर पहुंचे कि बीमाधारी गुर्दे की बीमारी से पूर्व  से ही ग्रसित था, का कोई आधार अथवा रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है । जबकि उपभोक्ता  की ओर से तहसील, भिनाय का पत्र जिसमें बीमाधारी द्वारा फरवरी, 2006 से फरवरी, 2009 तक किसी प्रकार का मेडिकल अवकाष  लिया जाना एवं किसी भी प्रकार  की  की मेडिकल बिल की राषि का भुगतान नहीं लिया जाना बतलाया है । 
8.    जो इलाज की पर्चियाॅं व प्रलेख प्रस्तुत हुए हंै, में बीमाधारक को किसी प्रकार से पूर्व में गुर्द की बीमारी से ग्रसित होने जैसे  चिकित्सा की सामान्य भाषा में ’’व्सक बंेम व ि३३ण् संबंधित बीमारी’’ या ’’ ज्ञदवूद बंेम व३िण्ण् संबंधित बीमारी’’  का  कोई उल्लेख नहीं है । 
9.     अतः इस स्थिति को देखते हुए प्रकट होता है कि बीमाधारी बीमा पाॅलिसी लेते समय पूर्व में किसी प्रकार की कोई गुर्दे की बीमारी से ग्रसित नहीं था। उसके द्वारा जो बीमा प्रस्ताव पत्र में ऐसी बीमारी  नहीं होनेे का उल्लेख  किया गया है,  में भी किसी प्रकार का कोई तथ्य छिपाया गया हो, ऐसा प्रकट नहीं होता है । फलतःअप्रार्थी  डाक विभाग ने उपभोक्ता का जो  क्लेम पूर्व में ग्रसित गुर्दे की बीमारी होने का आधार बताते हुए खारिज किया है, वह निष्चित रूप से सेवा में कमी अथवा दोष का परिणाम है ।  उपभोक्ता  का परिवाद  इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किए जाने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                              :ः- आदेष:ः-    
10    (1)      उपभोक्ता अप्रार्थी डाक विभाग से डाक जीवन बीमा पाॅलिसी संख्या त्ण्श्रण्2501658.ब्ै  के पेटे देय बीमा क्लेम राषि रू. 1,00,000/- समस्त परिणामी परिलाभों सहित मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर के बीमा क्लेम खारिज करने की दिनांक से ताअदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
               (2)       उपभोक्ता अप्रार्थी डाक विभाग से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने का  भी अधिकारी होगा । 
            (3)       क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी डाक विभाग  उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।        
          आदेष दिनांक 05.40.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           
        

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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