जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-278/2007
सुरेष नरायन तिवारी पुत्र श्री सुखराम तिवारी साकिन - हेैसीपर्जी तहसील - सदर, जनपद - प्रतापगढ़, हालपता - गेट नम्बर - 111 बी गेटमैन स्टेषन अयोघ्या जनपद - फैजाबाद।
.............. प्रार्थी
बनाम
उपडाक पाल महोदय षाखा - आर0 एस0 अयोध्या, जनपद -फैजाबाद ............. विपक्षी
निर्णय दिनाॅंक 17.06.2015
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस पकार है कि परिवादी रेलवे गेट मैन के पद पर कार्यरत है। परिवादी के लड़के की तवियत खराब होने केे कारण भविश्य निधि खाते से मु0 24,000/- मांग किया था, जो मंजूर होकर चेक दे दिया गया। परिवादी ने उक्त चेक को दिनंाक 08.06.2007 को विपक्षी के यहाॅ अपने खाते के माध्यम से रिसीव करा दिया। किन्तु विपक्षी ने परिवादी के चेक का रूपया खाते में नहीं दर्ज किया परिवादी ने दिनंाक 04-08-2007 को विपक्षी को नोटिस भी दिया तथा कई बार स्वयं यह जबानी भी कहा किन्तु विपक्षी ने परिवादी के रूपये जमा करने का ध्यान नही दिया। परिवादी के काफी प्रयास के बाद यह कहा गया कि तुम्हारा चेक खो गया हैं। पुनः दूसरा चेक ले आइये तो रूपये की अदायगी हो सकती है। परिवादी काफी परेेषान हो गया तथा उक्त रूपया न पाने दूसरे व्यक्ति से ब्याज पर रूपया लेकर किसी विधि से अपने बच्चे की दवा इलाज किया था। परिवादी का जमा षुदा चेक बाउन्स हो गया। तथा परिवादी उक्त रूपये को आज भी नही पा सका तथा उक्त रूपया न पाने से परिवादी ने लगभग 5000/- रूपया ब्याज दे दिया। तथा परेषान भी हुआ। इस पकार विपक्षी की लापरवाही से परिवादी की काफी क्षति हुई। परिवादी बहुत छोटा कर्मचारी (फाटक मैन) ऐसी परिस्थिति में परिवादी को विपक्षी से दिनंाक 08-06-2007 से 23.11.2007 तक का ब्याज 14 प्रतिषत की दर से रुपये 18,480/- तथा दूसरे को दिया गया ब्याज रुपये 5,000/- तथा उत्पीड़न हेतु रुपेय 5,000/- दिलाया जाय। सम्पूर्ण रूपया मु0 28,480/- विपक्षी से दिलाया जाय।
विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा चेक जमा करने का कथन स्वीकार किया है। चेक की धनराषि क्लीरियन्स न हो पाने के कारण परिवादी के खाते में जमा करना सम्भव नहीं हो सका इसलिए विपक्षी उत्तरदाता द्वारा किसी भी प्रकार से लापरवाही नहीं की गयी है। चेक गुम हो जाने के कारण विपक्षी ने परिवादी को पत्र पत्रांक 8.10.2007 के द्वारा सूचित किया गया कि चेक गुम हो गया है अतएव डुप्लीकेट चेक प्राप्त करवा दीजिए ताकि चेक का क्लीरियन्स कराकर आपके खाते प्रष्नगत धनराषि जमा की जा सके परन्तु परिवादी ने कोई ध्यान नहीं दिया। श्री सुरेष नरायन जमाकर्ता बचत बैंक खाता सं0 7103064 में जमा करने हेतु चेक संख्या-270751 दिनंाक 22.5.2007 वास्ते रूपये 24000/- दिनंाक 08-06-07 को प्रस्तुत किया जिसे उसी दिन दिनंाक 08.06.2007 के दैनिक लेखा पर चढ़ाकर प्रधान डाक घर फैजाबाद को कलेक्षन हेतु प्रेशित किया उक्त चेक पी0 एन0 बी0 हजरतगंज लखनऊ षाखा पर आहरित होने के कारण प्रधान डाकघर फैेेजाबाद से लखनऊ जी0पी0ओे0 को कलेक्षन हेेतु भेेजा गया, चेक डिसआनर हाने के कारण लखनऊ जी0पी0ओ0 द्वारा पंजीकृत पत्र सं0 - 8732 दिनंाक 21.06.2007 द्वारा प्रधान डाकधर फैजाबाद को वापस कर दिया गया। ए0 पी0 एम0 एस0 बी0 - 1 प्रधान डाकघर फैेजाबाद के पत्रंाक दिनंाक 22.09.2007 द्वारा सूचित किया गया कि उक्त चेक गुम हो गया है, डुप्लीकेट चेक बनवाने के लिये पी0 एन0 बी0 हजरतगंज लखनऊ को लिखा गया है आगे कोई प्रगति न मिलने पर जमाकर्ता को इस कार्यालय के पत्रांक अयोध्या आर.एस. - 07-08 अयोध्या दिनांक 08.10.2007 द्वारा सूचित किया गया कि चेक गुम हो गया है। अब डुप्लीकेट बनवाकर प्रस्तुत करेेेेेेेें जिससे कलेक्षन प्राप्त कर आपके खाते में धनराषि जमा किया जा सके। परिवादी ने यूनियन आफ इण्डिया को पक्षकार नहीं बनाया है इसलिये परिवादी का परिवाद संधार्य नहीं है।
परिवादी की ओर से बहस के लिये कोई उपस्थित नहीं हुआ, परिवादी को बहस के लिये मौका दिया गया, किन्तु परिवादी की ओर से निर्णय के पूर्व तक किसी ने बहस नहीं की। विपक्षी अधिवक्ता की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया तथा गुण दोश के आधार पर परिवाद का निर्णय किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना षपथ पत्र, पोस्ट आफिस में रुपये 24,000/- चेक बाउन्स होने की पोस्ट आफिस की रिपोर्ट दिनांक 11.06.2007 की छाया प्रति, पोस्ट मास्टर को परिवादी के पत्र दिनांक 05.09.2007 की कार्बन प्रति तथा पोस्ट आफिस के पत्र दिनांक 08.10.2007 की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित हैं कि परिवादी ने विपक्षी के यहां रुपये 24,000/- का चेक जमा किया था जिसका भुगतान परिवादी को नहीं मिला। परिवादी को विपक्षी ने सूचित किया कि परिवादी द्वारा जमा किया गया चेक बाउन्स हो गया है। तब परिवादी ने विपक्षी को पत्र लिख कर कहा कि परिवादी को उसका बाउन्स चेक वापस कर दिया जाये जिससे परिवादी उक्त चेक को ले कर विभाग से दूसरा चेक बनवा ले। विपक्षी ने पुनः परिवादी को सूचित किया कि परिवादी का चेक क्लियरिंग में कहीं खो गया है। इस प्रकार विपक्षी ने परिवादी का चेक खो देने से अपनी सेवा में कमी की है क्यों कि जब तक परिवादी को बाउन्स चेक वापस नहीं मिलता उसे विभाग से दूसरा चेक नहीं मिल सकता था। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। विपक्षी पोस्ट आफिस ने अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी उपषम पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार एवं अंाषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को रुपये 24,000/- का भुगतान आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षी परिवादी को परिवाद दाखिल करने की दिनांक से तारोज वसूली की दिनांक तक रुपये 24,000/- पर 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भुगतान भी करेंगे। विपक्षी परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 1,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 2,000/- भी भुगतान करेंगे।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 17.06.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष