Uttar Pradesh

Faizabad

CC/184/2002

Ram Sanwari - Complainant(s)

Versus

Post Office - Opp.Party(s)

08 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/184/2002
 
1. Ram Sanwari
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Post Office
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -    (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

            परिवाद सं0-184/2002

            
रामसंवारी देवी पत्नी स्व0 रामषंकर तिवारी निवासी मुजौना तिवारी का पुरवा (जमौली ख्ुार्द) पोस्ट चैरेबाजार तहसील बीकापुर जिला फैजाबाद                    .......... परिवादिनी
बनाम
प्रवर प्रधान डाकघर अधीक्षक महोदय, फैजाबाद।
अवर डाकधर चैरेबाजार जनपद फैजाबाद                           ..........  विपक्षीगण

निर्णय दिनाॅंक 08.02.2016            
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या
                    निर्णय
परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्व खाता संख्या-923023 से सम्बन्धित धनराषि के भुगतान हेतु दायर किया है। 
संक्षेप में परिवादिनी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादिनी अपने पति के मृत्योपरान्त दिनांक 21-12-1996 को खाता संख्या-923023 की धनराषि के भुगातान के लिए दावा पत्र समस्त अभिलेखों के साथ विपक्षी नम्बर 2 के समक्ष संस्थित किया था। परिवादिनी एक निरक्षर महिला है, केवल अपना हस्ताक्षर किसी तरह बना पाती है। दिनांक 21-12-1996 को विपक्षी नं0 2 के समक्ष दावा संस्थित करने के उपरान्त विपक्षी नं0 2 से जानकारी किया तो यह बताया गया कि साल-छःमाह में आपको उक्त खाते की धनराषि मय ब्याज के साथ भुगतान कर दी जायेगी। विपक्षी नं02 के द्वारा उक्त जानकारी मिलने के बाद परिवादिनी काफी समय तक इन्तजार किया फिर अवर डाकघर चैरेबाजार जनपद फैजाबाद जाकर अपने उक्त खाते के सम्बन्ध में जानकारी हासिल करना चााही तो उक्त विभाग द्वारा कहा जाता रहा कि आपके दावे को विपक्षी  नं-01 के यहां सत्यापन के लिए भेजा गया है।  जब  वहां  से लिखकर आ जायेगा तो भुगतान कर दिया जायेगा। परिवादिनी ने 

दिनंाक 30-07-2002 को खाता संख्या-923023 दावा पत्र के सम्बन्ध में नायब पोस्ट मास्टर चैरेबाजार जनपद फैजाबाद से जानकारी के लिए प्रार्थना पत्र दिया तो परिवादिनी के प्रार्थना पत्र यह रिपोर्ट लगायी कि ए/सी नं0 923023 अभी तक अन्तिम रूप से बन्द नहीं हुआ है। अभिलेख के अनुसार दावा पत्र दिनंाक 21-12-1996 को इस कार्यालय से फैजाबाद प्रधान डाकधर को भेजा गया हैं। परिवादिनी विपक्षी नं0 1 व विपक्षी नं0 2 के कर्मचारियों के पास उक्त खाता संख्या 923023 के भुगतान के लिए दौड़ते-दौड़ते थक गयी। अन्त में बिल्कुल हैरान व परेेेेेेेषान हो गयी तोे अपने अधिवक्ता के पास गयी। इस प्रकार विवष होकर परिवादिनी को यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा। 
विपक्षीगण ने अपना जवाबदावा दाखिल किया तथा विपक्षीगण ने परिवादिनी के दावे को इन्कार किया है। परिवादिनी के बचत खाता को स्वीकार किया है। परिवादिनी ने विपक्षी सं0 1 के कार्यालय में दिनंाक 26-08-2002 को एक प्रार्थना पत्र दिया जिसमें यह उल्लेख किया कि खाता धारक राम षंकर तिवारी के खाते के धनराषि के बारे में अपना दावा उपडाकघर चैरे बाजार को प्रस्तुत किया था, किन्तु उसका उत्तर आज तक उसे प्राप्त नहीं हुआ। खातेदार के मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के प्रमाण पत्र संलग्न नही होते है तो उसमें विभागीय निरीक्षक द्वारा वास्तविकता की जांच कराकर दावेदारी (उत्तराधिकार) की सत्यता का पता लगाया जाता है। जांच आख्या न मिल पाने के कारण परिवादिनी को विभाग द्वारा एक दावा प्रपत्र देकर पुनः प्रस्तुत करने के लिए कहा गया किन्तु परिवादिनी ने दावा प्रप? भरकर देने से इन्कार कर दिया। परिवादिनी दावा प्रपत्र भरकर देती  तो उस पर जांच कराकर कि वह वास्तव में अकेले ही धन प्राप्त करने की अधिकारिणी है अथवा अन्य उत्तराधिकारी भी है। विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी के किसी दावे को देने से कभी इन्कार नहीं किया गया और न ही कोई लापरवाही बरती गई। परिवादिनी द्वारा आवष्यक प्रमाण-पत्र एवं उत्तराधिकार पत्र देने पर विधि अनुसार भुगतान कर दिया जायेगा। 
मैं परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता व विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। परिवादिनी की लिखित बहस व पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। खाता नं0 923023 का धारक राम षंकर तिवारी था। जिसकी मृत्यु 21-12-1996 को हो गयी। इस खाते की धनराषि का भुगतान विपक्षीगण तभी कर सकते हैं, जब परिवादिनी धन प्राप्त करने हेतु अपना दावा विपक्षी के यहां भरकर देवें। विपक्षी जांच करने के उपरान्त मृतक राम षंकर तिवारी के उत्तराधिकारी कौन कौन हंै, तभी खाते की धनराषि दी जायेगी। परिवादिनी दीवानी न्यायालय से मृतक राम षंकर तिवारी के खाता संख्या 923023 का उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करके विपक्षी को देवें। तब विपक्षी उक्त खाते की धनराषि निर्गत करने की विचार करेगी। इस परिवाद में परिवादिनी ने मृतक राम षंकर तिवारी के कौन-कोैन उत्तराधिकारी हैं, उनको पक्षकार नही बनाया। मृतक राम षंकर तिवारी के वारिसानों को पक्षकार बनाता और उनकी सहमति होती या परिवार रजिस्टर की नकल दाखिल की जाती तो इसे 

परिवाद में विचार किया जाता। ऐसी स्थिति में परिवादिनी ने अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं किया है। उक्त षर्ते पूरा करने पर परिवादिनी विपक्षीगण से मृतक राम षंकर तिवारी के खाता संख्या 923023 की धनराषि प्राप्त कर सकती है। परिवादिनी अपना परिवाद साबित नही कर पायी है। विपक्षीगण की सेवा में कोई कमी नहीं है। परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 

        आदेष
               परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है। 
              (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)
                  सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष                                                
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 08.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

     (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)
        सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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