(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2831/2012
राम निवास पुत्र गिरिजा
बनाम
पोस्ट सुप्रीटेंडेंट, गाजीपुर डिवीजन चीफ पोस्ट आफिस तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री टी.एच. नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : श्री श्रीकृष्ण पाठक, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 15.09.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-178/2011, राम निवास बनाम डाक अधीक्षक, गाजीपुर मण्डल मुख्य डाकघर तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, गाजीपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.11.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री टी.एच. नकवी तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने अंकन 5,00/-रू0 के हर्जे पर परिवाद खारिज किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी की पत्नी ने अंकन 50,000/-रू0 की एक बीमा पालिसी प्राप्त की थी, जिसके प्रीमियम का भुगतान नहीं हो सका और पालिसी लैप्स हो गई। इसके पश्चात दिनांक 31.12.2008 को अंकन 10,386/-रू0 बकाया प्रीमियम की किश्त जमा करके पालिसी का नवीनीकरण कराया गया। दो व्यक्तियों ने स्वास्थ्य का प्रमाण पत्र दिया था। दिनांक 13.1.2009 को परिवादी की पत्नी की मृत्यु
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हो गई, परन्तु बीमा क्लेम प्रदान नहीं किया गया और यह कह कर दावा खारिज कर दिया कि एमबीबीएस डा0 द्वारा चिकित्सीय प्रमाण पत्र नहीं बनाया गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र मान्य नहीं है। यह पत्र बीमाधारक की मृत्यु के पश्चात प्राप्त हुआ है, इसलिए एमबीबीएस डा0 का चिकित्सीय प्रमाण पत्र नहीं बन पाया।
4. विद्वान जिला आयोग ने इसी तथ्य को विचार में लिया है कि पालिसी लैप्स हो चुकी थी। नवीनीकरण पूर्ण नहीं हुआ था, क्योंकि एमबीबीएस डा0 से चिकित्सीय प्रमाण पत्र नहीं बनवाया गया था।
5. बहस के दौरान अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि आयुर्वेदिक डा0 द्वारा प्रमाण पत्र बनाया गया था, परन्तु चूंकि आयुर्वेदिक डा0 प्रमाण पत्र बनाने के लिए सक्षम डा0 नहीं हैं, इसलिए चिकित्सीय प्रमाण पत्र के अभाव में नवीनीकरण नहीं हो सका। तदनुसार कोई बीमा क्लेम देय नहीं है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्मत हैं, इसमें कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3