जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-13/08
अवध कुमार दूबे पुत्र स्व0 गया प्रसाद दूबे निवासी ग्राम कादीपुर पोस्ट बारून बाजार जनपद फैजाबाद ....................परिवादी
बनाम
1- सब पोस्ट मास्टर उपडाकघर कचेहरी जनपद फैजाबाद।
2- अधीक्षक डाक विभाग फैजाबाद मण्डल फैजाबाद कार्यालय स्थित प्रधान डाकघर के बगल शहर व जिला फैजाबाद ................ विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 07.10.2015
निर्णय
उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध रजिस्ट्री पत्र संख्या-1347 को मूल रूप से वापस करने अथवा रजिस्ट्री पत्र के तामीला का प्रमाण-पत्र जारी करने तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का केस इस प्रकार है कि परिवादी को सुनील कुमार पाण्डेय द्वारा मु0 15,000=00 का चेक दिया गया था। उक्त चेक को परिवादी ने अपने बैंक के खाते में जमा किया, जिस पर परिवादी के बैंकर द्वारा उक्त चेक को सुनील कुमार पाडेय के बैंकर के समक्ष भुगतान हेतु प्रस्तुत किया। सुनील कुमार पाण्डेय के खाते में
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पर्याप्त बैलेन्स न होने के कारण उनके बैंकर ने बगैर भुगतान किये हुए चेक को वापस कर दिया। परिवादी ने सुनील कुमार पाण्डेय को नोटिस देने हेतु अपने अधिवक्ता को निर्देशित किया। परिवादी के अधिवक्ता श्री सोमदत्त त्रिपाठी ने नोटिस तैयार किया जिसे रजिस्टर्ड/ए.डी. के जरिये विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में दि0 20.02.07 को दिया जिस पर विपक्षी सं0-1 द्वारा पत्र प्राप्त करके रसीद संख्या-1347 दि0 20.02.07 परिवादी को प्रदान किया गया। रजिस्ट्री पत्र की पावती न मिल पाने पर परिवादी बार-बार अपने अधिवक्ता से जानकारी करता रहा। परिवादी के अधिवक्ता ने दि0 30.03.07 को विपक्षी सं0-1 को पत्र देकर यह जानकारी चाही कि रजिस्ट्री पत्र सं0-1347 दि0 20.02.07 किस दिवस को प्राप्तकर्ता को प्राप्त कराई गई है। विदित् हो कि उपरोक्त वर्णित रजिस्ट्री पत्र परिवादी के अधिवक्ता को वापस भी नहीं प्राप्त हुई। परिवादी एवं उनके अधिवक्ता द्वारा मण्डल अधीक्षक के कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क करके तथ्यों से अवगत कराया और टेलीफोन से भी कई बार परिवादी के अधिवक्ता ने अवगत कराया, परन्तु विपक्षीगण बहाना बनाते रहे और विपक्षीगण द्वारा न तो रजिस्ट्री पत्र को वापस किया गया और न ही उक्त पत्र की पावती को ही दिया और न इस तथ्य की सूचना ही दिया कि रजिस्टर्ड पत्र को प्रापक को किस तिथि को प्राप्त कराया गया है और न इसका प्रमाण-पत्र ही दिया । इन परिस्थितियों में मजबूर होकर परिवादी के अधिवक्ता द्वारा विपक्षी सं0-2 को रजिस्ट्री पत्र मय ए.डी. भेजा जो विपक्षी सं0-2 को प्राप्त भी हुई ह,ै जिसके बाद भी विपक्षीगण द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया गया ह,ै जिससे प्रस्तुत परिवाद प्रस्तुत करना अनिवार्य हुआ है। विपक्षीगण द्वारा तामीला का प्रमाण-पत्र न जारी किये जाने के कारण परिवादी अपने चेक के वर्णित 15,000=00 की वसूली की कार्यवाही नहीं कर पा रहा है और जिससे परिवादी को अन्यन्त मानसिक क्लेश है।
विपक्षीगण ने अपने जवाब में कहा कि शिकायत प्राप्त होने पर परिवादी व उनके अधिवक्ता से जानकारी प्राप्त की गयी तो उन लोगों ने बताया डाकघर का नाम गौहनिया शाखा (बी0ओ0) अमानीगंज ही है जो कि गलत था। जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि डाकघर का नाम हरीपुर जलालाबाद फैजाबाद है। परिवादी के अधिवक्ता द्वारा दि0 20.02.07 को एक रजिस्ट्री पत्र प्रापक श्री सुनील कुमार पाण्डेय पुत्र श्री केशरी प्रसाद पाण्डेय ग्राम व पोस्ट गौहनिया जिला फैजाबाद को प्राप्त कराने के लिए बुक कराये थे। यहाॅं पर उल्लेखनीय है कि जनपद फैजाबाद में ग्राम गौहनिया के नाम तीन स्थान पर है प्रथम अमानीगंज में द्वितीय गौहनिया कानूनगो बारून तृतीय हरीपुर
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जलालाबाद में स्थित है। उक्त सम्बन्धित रजिस्ट्री पत्र प्रापक को प्राप्त कराने के लिए सर्वप्रथम पोस्ट आफिस अमानीगंज प्रेषित किया गया, परन्तु ग्राम गौहनिया में प्रापक के नाम से कोई व्यक्ति नहीं पाया गया, तो उक्त रजिस्ट्री पत्र को पोस्ट आफिस अमानीगंज ने पोस्ट आफिस गौहनिया कानूनगो बारून जनपद फैजाबाद को प्रापक को प्राप्त कराने के लिए प्रेषित किया, परन्तु उक्त पोस्ट आफिस के अंतर्गत ग्राम गौहनिया में प्रापक के नाम से कोई व्यक्ति नहीं पाया गया, तो पोस्ट आफिस गौहनिया कानूनगो बारून उक्त रजिस्ट्री पत्र को हेड पोस्ट आफिस फैजाबाद को वापस कर दिया। तदोपरान्त् उक्त रजिस्ट्री पत्र को पोस्ट आफिस हरीपुर जलालाबाद प्रेषित किया गया। पोस्ट आफिस हरीपुर जलालाबाद के अन्तर्गत स्थित ग्राम गौहनिया में प्रापक को उक्त रजिस्ट्री पत्र दि0 01.03.08 को प्राप्त कराया गया। इस प्रकार से विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है, बल्कि तत्परता से कार्यवाही की गयी है। इतनी लम्बी कार्यवाही करते हुए मात्र 10 वें दिन प्रापक को रजिस्ट्री पत्र प्राप्त करा दिया गया है।
मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। परिवादी को सुनील कुमार पाण्डेय द्वारा मु0 15,000=00 का चेक दिया गया। परिवादी ने उस चेक को अपने बैंक के खाते में जमा किया, जिस पर परिवादी के बैंकर द्वारा सुनील कुमार पाण्डेय के बैंकर के समक्ष भुगतान हेतु प्रस्तुत किया गया। सुनील कुमार पाण्डेय के खाते में पर्याप्त बैलेन्स न होने के कारण उनके बैंकर ने बगैर भुगतान किये हुए चेक को वापस कर दिया। परिवादी ने सुनील कुमार पाण्डेय को नोटिस जिसे रजिस्टर्ड/ए.डी. के जरिये देने हेतु विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में दि0 20.02.07 को दिया, जिस पर विपक्षी सं0-1 द्वारा पत्र प्राप्त करके रसीद सं0-1347 परिवादी को प्रदान किया गया। विपक्षीगण द्वारा न तो रजिस्ट्री पत्र को वापस किया गया और न उक्त पत्र की पावती को ही वापस किया गया। जिसके कारण परिवादी मु0 15,000=00 की वसूली नहीं कर पा रहा है।
विपक्षीगण ने अपने जवाब के धारा-14 में कहा है कि रजिस्ट्री पत्र को पोस्ट आफिस हरीपुर जलालाबाद प्रेषित किया गया। पोस्ट आफिस हरीपुर जलालाबाद के अन्तर्गत स्थित ग्राम गौहनिया में प्रापक को उक्त रजिस्ट्री पत्र दि0 01.03.08 को प्राप्त कराया गया। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। साथ ही अपने जवाब में यह भी कहा कि रजिस्ट्री प्रापक को प्राप्त कराने के लिए सर्वप्रथम पोस्ट आफिस अमानीगंज प्रेषित किया गया परन्तु ग्राम गौहनिया में प्रापक के नाम से कोई व्यक्ति नहीं पाया गया तो उक्त रजिस्ट्री पत्र को पोस्ट आफिस अमानीगंज ने
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पोस्ट आफिस गौहनिया कानूनगो बारून जनपद फैजाबाद को प्रापक को प्राप्त कराने के लिए प्रेषित किया परन्तु उक्त पोस्ट आफिस के अंतर्गत ग्राम गौहनिया में प्रापक के नाम से कोई व्यक्ति नहीं पाया गया तो पोस्ट आफिस गौहनिया कानूनगो बारून उक्त रजिस्ट्री पत्र को हेड पोस्ट आफिस फैजाबाद को वापस कर दिया। तदोपरान्त् रजिस्ट्री पोस्ट आफिस हरीपुर जलालाबाद के अन्तर्गत स्थित ग्राम गौहनिया में प्रापक को उक्त रजिस्ट्री पत्र दि0 01.03.08 को प्राप्त कराया। इस केस में परिवादी बैंक को पक्षकार नहीं बनाया तथा किस चेक नम्बर से मु0 15,000=00 भुगतान हेतु परिवादी को दिया था उसे भी पक्षकार नहीं बनाया है। यदि चेक का भुगतान समय से नहीं हो पाता तो फोरम द्वारा यह अवधारित किया जाता कि बैंक द्वारा मु0 15,000=00 की धनराशि परिवादी को दिलायी जा सकती थी। विपक्षीगण ने अपने जवाबदावे में तीन पते दिये हैं। अन्त में तीसरे पते पर विपक्षीगण ने रजिस्ट्री पत्र दि0 01.03.08 को प्राप्त करा दिया। इस प्रकार विपक्षीगण की सेवा में कोई कमी नहीं है। परिवादी के परिवाद में मैं बल नहीं पाता हूॅं। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
( विष्णु उपाध्याय ) ( माया देवी शाक्य ) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 07.10.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष