Rajasthan

Jaisalmer

CC/20/15

KAMAL SINGH - Complainant(s)

Versus

POST OFFICE AND OTHERS - Opp.Party(s)

M.K.MAHESWARI

16 Dec 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/20/15
 
1. KAMAL SINGH
MYAZLAR JAISALMER
...........Complainant(s)
Versus
1. POST OFFICE AND OTHERS
Jaisalmer
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:M.K.MAHESWARI, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या   : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नरावत।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 05.06.2015
मूल परिवाद संख्या:- 20/2015


श्री कमलसिंह पुत्र श्री चनणाराम, जाति- रावणा राजपूत, नोमिनी व दत्तक पुत्र उदयकंवर पत्नी श्री किषनाराम जाति- रावणा राजपूत, निवासी- म्याजलार तहसील व जिला जैसलमेर
    
                                  ............परिवादी।

बनाम

1.    सहायक पोस्ट मास्टर जनरल (कार्यालय) पी.एल.टी/आर.पी.एल.टी रेलवें हाॅस्पीटल के सामने जोधपुर राज.।
2.    प्रवर अधीक्षक डाकघर, रेलवें रिजर्वेषन कार्यालय के पास जोधपुर मण्डल, जोधपुर राज.।
3.    पोस्ट मास्टर, मुख्य डाकघर जैसलमेर तहसील व जिला जैसलमेर राज.।                                                                 
                                               ...........अप्रार्थीगण।

                      
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री महेष कुमार माहेष्वरी अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    अप्रार्थीगण की ओर से सुमित सैनी निरीक्षक ।


ः- निर्णय -ः        दिनांक    ः 16.12.2015


1.    परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी मृतक श्रीमति उदयकंवर का पुत्र व आर.पी.एल.टी संख्या त्.त्श्र.म्।644565 का नोमिनी है। परिवादी की माता उदयकंवर अनपढ़ महिला थी। अक्टूम्बर 2010 मे अप्रार्थीगण द्वारा आर.पी.एल.टी योजना के बारे मे गाॅव मे लगें केम्प मे बताया गया तथा संरपच द्वारा जारी आयु प्रमाण पत्र के आधार पर दिनांक 25.10.2010 को 3283 रू अप्रार्थी संख्या 3 के यहा जमा कराये तथा जिसका फार्म अप्रार्थीगण द्वारा तस्दीक भी किया गया परिवादी की माता द्वारा नियमित रूप से सात किस्ते जो छः माह की थी। उसे जमा करवाया गया इसी दौरान परिवादी की माता की मृत्यु दिनांक 21.03.2014 को हो गयी। जिस पर परिवादी द्वारा समस्त दस्तावेज क्लैम भुगतान हैतु अप्रार्थीगण के पास जमा करवा दिया। किन्तु दिनांक 08.12.2014 को अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी कीे माता की उम्र दस्तावेजों मे अलग-अलग होने के कारण उसका क्लैम खारिज कर दिया। परिवादी की माता अनपढ़ महिला थी बीमा कराते समय संरपच के प्रमाण पत्र के आधार पर ही निरीक्षक उदय सेजू द्वारा तस्दीक करने पर बीमा किया गया था तथा परिवादी की माता द्वारा नियमित प्रीमियम भी जमा कराया गया था। किन्तु अप्रार्थीगण ने परिवादी का क्लैम खारिज कर सेवा दोष कारित किया है। जो अप्रार्थीगण की सेवाओं मे कमी व त्रुटि को दर्षाता है। परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण से बीमा राषि 1 लाख रू मय ब्याज, बौनस राषि तथा परिवाद व्यय 5,000 रू व मानसिक परेषानी पेटे 2 लाख रू दिलाये जाने की प्रार्थना की।

2.    अप्रार्थीगण की ओर से जवाब पेष कर प्रकट किया कि बीमा धारक द्वारा बीमा कराते समय वास्तविक उम्र छिपाते हुए अपनी स्वघोषणा द्वारा कम उम्र बताकर बीमा किया गया जो बीमा नियमावली पी.ओ.आई.एफ 2011 के नियम 39 का स्पष्ट उल्लघन है। बीमा धारक द्वारा सम्पूर्ण जानकारी पष्चात् ही बीमा किया गया था। बीमा धारक के निर्वाचन आयोग द्वारा जारी पहचान पत्र मे वर्ष 2014 में उम्र 58 वर्ष दर्षायी गयी है। जिसके आधार पर बीमा लेते समय वर्ष 2010 मे उम्र लगभग 54 वर्ष होती है जबकि बीमा धारक द्वारा स्वघोषणा मे 43 वर्ष उम्र बतायी थी। तथा बीमा धारक के राषन कार्ड मे भी उम्र ज्यादा थी फिर भी तथ्य हो छिपाते हुए कम उम्र बताई गई। इसलिए नियमानुसार मृत्यु दावें का भुगतान नही किया जा सकता अप्रार्थीगण द्वारा कोई सेवाओं मे त्रुटि नही की गई है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया।
      
3    हमने विद्वान अभिभाषक परिवादी व अप्रार्थीगण की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
       
4     विद्वान अभिभाषक परिवादी व अप्रार्थीगण द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1.    क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2.    क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.    अनुतोष क्या होगा ?
    
5     बिन्दु संख्या 1:-  जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी की माता स्वं. उदयकंवर द्वारा दिनांक 25.10.2010 को 3283 रू प्रीमियम जमा किया गया तथा ग्रामीण डाक जीवन बीमा आर.पी.एल.टी संख्या त्.त्श्र.म्।644565 स्वीकृत किया गया जिसके परिवादी नोमिनी है। जिसे अप्रार्थीगण द्वारा भी माना गया है। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है।

6.    बिन्दु संख्या 2:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि अप्रार्थीगण ने परिवादी का क्लैम गलत खारिज किया गया है क्योंकि परिवादी की माता उदयकंवर ने नियमित 7 किस्ते जो छः माह की थी उसे जमा कराया उस दौरान उसकी माता की मृत्यु दिनांक 21.03.2014 को हो गयी तथा अप्रार्थी की माता बीमा कराते समय 44 वर्ष की थी तथा मृत्यु के समय 48 वर्ष की थी। अतः प्रार्थी का बीमा खारिज कर अप्रार्थी ने सेवा दोष कारित किया है अन्त मे दलील है कि प्रार्थी की माता अनपढ़ थी। इस तथ्य को अप्रार्थी ने             मे ध्यान मे नही रखा। अन्त मे उनकी यह भी दलील है कि मृतक द्वारा नियमित जो प्रीमियम जमा कराया है उस राषि को भी अप्रार्थीगण ने नही लोटाया अन्त मे परिवादी के अधिवक्ता ने बीमा राषि मय बोनस राषि मय ब्याज तथा परिवाद व्यय 5,000 रू व मानसिक परेषानी पेटे 2 लाख रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
7.    अप्रार्थीगण की दलील है कि बीमा धारक द्वारा अपनी वास्तविक उम्र छिपाते हुए अपनी स्व-घोषणा द्वारा कम उम्र बताकर बीमा करवाया गया जो बीमा नियमावली पीओआईएफ-2011 के नियम 39 का स्पष्ट उल्लघन है उनकी यह भी दलील है कि उम्र 45 वर्ष से अधिक बतायी होती तो नियमों के हिसाब से उनका बीमा नही किया जा सकता इसी कारण उसने बीमा लाभ पाने के लिए उम्र के तथ्य को छिपाया है तथा क्लेम सही आधार पर खारिज किया गया है सेवा दोष नही किया है। उनकी यह भी दलील है कि पीआईओएफ रूल 2011 की धारा 39 के तहत् गलत सूचना दिये जाने पर उस व्यक्ति के साथ की गई सविदा का शून्य करण कर दिया जाएगा तथा उसके द्वारा दिये गये सभी भुगतानो का जब्त कर लिया जाएगा अतः मृतक उदयकंवर द्वारा जमा की गई राषि को परिवादी को नही दिया जा सकता अतः परिवाद खारिज किया जावें।
8.    हमे यह देखना है कि अप्रार्थीगण ने परिवादी को क्लेम खारिज कर कोई सेवा दोष कारित किया है या नही ? इस सम्बंध मे अप्रार्थीगण की तरफ से जो जवाब व साक्ष्य पेष की गई है उसमे यह बताया गया है कि प्रार्थी द्वारा पेष मृत्यु दावा का सत्यापन अप्रार्थीगण द्वारा कराया गया तो बीमा धारक श्रीमति उदयकंवर के पहचात पत्र मे काट-छाट होने के कारण पहचान पत्र के विवरण निर्वाचन आयोग की वेब साईट पदर्ष 1 लेकर जाचने पर पाया कि वर्ष 2014 मे बीमा धारक की आयु 58 वर्ष दर्षायी गई है जिसके आधार पर बीमा लेते समय दिनांक 15.12.2010 को बीमा धारक की उम्र लगभग 54 वर्ष होती है जबकि बीमा धारक द्वारा बीमा कराते समय अपनी स्व-घोषणा द्वारा उम्र 43 वर्ष बतायी गई थी जो पदर्ष 2 है। इस प्रकार बीमा धारक द्वारा बीमा लेतेे समय उम्र से सम्बधित तथ्य छिपाये है उनकी यह भी साक्ष्य है कि राषन कार्ड मे भी आयु के बाबत् काट-छाट है पदर्ष 4 मे राषन कार्ड मे उम्र 35 वर्ष बतायी गई है जबकि उसी राषन कार्ड की काॅपी मे उम्र 85 वर्ष बतायी गई है इस प्रकार राषन कार्ड मे भी उम्र के बाबत् काट-छाट है। तथा ग्रामीण डाक जीवन बीमा अनुबंध की शर्ते निम्न प्रकार से है-
2.1 सही उम्र बताने का दायित्व बीमाकृत का होगा। बीमाकृत आयु का ऐसा प्रमाण पत्र पेष करे जिसमे प्रीमियम सही आयु के अनुसार निर्धारित किया जा सके।
2.3    यदि बीमाकृत ने अपनी वास्तविक आयु से कम बताई थी और अपनी वास्तविक आयु के आधार पर पाॅलिसी चालू रखने के लिए अपेक्षित प्रीमियम से कम प्रीमियम अदा कर रहा था, तो वह पाॅलिसी अवैध घोषित कर दी जाएगी और उस पाॅलिसी के तहत कोई लाभ देय नही होगा।
9.    अतः पाॅलिसी की अनुबंध की शर्तो के अनुसार यदि आयु के सम्बंध मे कोई तथ्य छिपाया है तो वह पाॅलिसी की शर्तो का उल्लघन माना गया है अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजात को नही मानने का कारण हमारे समक्ष नही है परिवादी ने भी इस तथ्य को अपने परिवाद मे बताया है कि मृतक अनपढ़ महिला होने के कारण मतदाता सूची, मतदाता परिचय पत्र एवम् राषन कार्ड की उम्र मे अन्तर आ गया लेकिन हमारे मत मे अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत मतदाता परिचय पत्र सहित दस्तावेजी साक्ष्य को नही मानने का कोई कारण हमारे समक्ष नही है कि केवल मात्र अनपढ़ होने के आधार पर इन दस्तावेजो को नही माना जावें।
अतः अप्रार्थीगण ने परिवादी का क्लेम खारिज कर कोई सेवा दोष कारित नहीं किया हैं।
10. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2  अप्रार्थीगण के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।  
ः-ः आदेष:-ः
        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व अस्वीकार किया जाकर खारीज किया जाता है । पक्षकारान अपना-अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

   आदेष आज दिनांक 16.12.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

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