मौखिक
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2444/2011
उर्मिला त्यागी
बनाम
चीफ पोस्टमास्टर जनरल व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री कृष्ण पाठक, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :06.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, उर्मिला त्यागी की ओर से विद्वान जिला आयोग, द्धितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या- 346/2004, श्रीमती उर्मिला त्यागी बनाम चीफ पोस्ट मास्टर जनरल व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.11.2011 के विरूद्ध बढ़ोत्तरी हेतु योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री कृष्ण पाठक उपस्थित है। प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख एंव प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
परिवादिनी का कथन है कि उसके पिता ने अंकन 1,000.00 रू0 के पांच राष्ट्रीय बचत पत्र दिनांक 23.01.1946 को खरीदे थे। परिवादिनी के स्व0 भाई वीरेन्द्र सिंह ने डाक विभाग से इन बचत पत्रों के भुगतान हेतु पत्राचार किया परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई। तत्पश्चात परिवादिनी ने दिनांक 05.11.1983 को क्लेम फार्म भरकर कार्यालय में प्रस्तुत किया। दिनांक 13.07.1993 को परिवादिनी को विपक्षी से यह सूचना प्राप्त हुई कि यह केस इंडिया तथा पाकिस्तान के विभाजन के पूर्व का है, और इसका कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। परिवादिनी के बार-बार भुगतान हेतु अनुरोध करने पर विपक्षीगण द्धारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। अत: शारीरिक कष्ट तथा वाद व्यय हेतु परिवाद संस्थित किया गया।
विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र में कथन किया है कि परिवाद उपभोक्ता मंच, मेरठ के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिये क्योकि, मेरठ पोस्टआफिस से ही प्रश्नगत राष्ट्रीय बचत पत्र क्रय किये गये थे। बचत पत्र के परिपक्व होने की तिथि के 40 वर्ष बाद यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है। यह भी परिवादिनी द्धारा सिद्ध नहीं किया गया है कि अकेले वही राष्ट्रीय बचत पत्र के खरीददार हरवंश सिंह की उत्तराधिकारी है।
जिला आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरान्त विपक्षी हरवंश सिह द्धारा दिनांक 23.01.1946 को खरीदे गये 05 नेशनल सेविंग सार्टिफिकेट मूल्य प्रति अंकन 1,000.00 रू0 की परिपक्वता अवधि दिनांक 23.01.1958 तक पूरी धनराशि मय ब्याज के अदा करेगें। दिनांक 23.01.1958 से 11.06.1993 तक कोई ब्याज देय नहीं होगा। प्रश्नगत एन0 एन0 सी0 पर दिनांक 11.06.1993 से ता अदायगी 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज तथा अंकन 2,500.00 वाद व्यय अदा करेगें।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एंव अभिलेख का भलीभांति परिशीलन किया गया। पीठ के मत में जिला आयोग ने दाखिल सभी अभिलेखों व शर्तो का अवलोकन करते हुए साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है। जो कि तथ्यों एवं साक्ष्यों से समर्थित एवं विधि-सम्मत है उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि राज्य आयोग के समक्ष जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापस की जावेगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0, कोर्ट-03