LAXMI DEVI filed a consumer case on 22 Feb 2021 against POST MASTER in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/15/2014 and the judgment uploaded on 25 Feb 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 15 सन् 2014
प्रस्तुति दिनांक 16.01.2014
निर्णय दिनांक 22.02.2021
लक्ष्मी देबी पत्नी गंगा दयाल चौबे निवासी ग्राम व पोस्ट- बसगित, तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़।
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
प्रवर डॉक अधीक्षक आजमगढ़ मण्डल, आजमगढ़
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उसके पति गंगा दयाल चौबे डॉक विभाग में नौकरी करते थे। सहायक डॉकपाल बचत बैंक के पद पर प्रधान डॉकघर आजमगढ़ तथा चण्डेश्वर, आजमगढ़ में कार्यरत रहे हैं। नौकरी के दौरान ही उनकी मृत्यु दिनांक 15.03.2013 को हो गयी। नौकरी के दौरान परिवादिनी के पति ने पूरी ईमानदारी, निष्ठा व जिम्मेदारीपूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन किया। इस दौरान उनके खिलाफ कभी कोई शिकायत नहीं रही है और न ही उनके खिलाफ कोई आरोप रहा है। पति के मृत्यु के उपरान्त परिवादिनी ने पति से सम्बन्धित फण्ड, पेन्शन आदि को पाने के लिए विपक्षी के यहाँ प्रार्थना पत्र दिया परन्तु वे अभी तक भुगतान नहीं किए। परिवादिनी के पति द्वारा जमा लाभांश जी.पी.एफ. आदि को पाने के लिए परिवादिनी मुश्तहक है। विपक्षी द्वारा उसे न देकर हैरान व परेशान किया जा रहा है। परिवादिनी के पति के मृत्यु के उपरान्त उसे कोई भी लाभांश नहीं दिया गया। विपक्षी द्वारा ऐसा करके सेवा में चूक किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवादिनी के प्रति सेवा में की गयी चूक के कारण उसकी आर्थिक, मानसिक, सामाजिक व शारीरिक क्षति हुई है। फण्ड आदि का मूल्य 205520/- रुपया है। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह समस्त देय धनराशि मुo205520/- रुपए तथा परिवादिनी को धन न दिए जाने के कारण हुए उसके आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति हेतु 10,000/- रुपए का भुगतान करे।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी द्वारा कागज संख्या 8/1ता8/3 जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि गंगा दयाल चौबे परिवादिनी के पति थे जो सहायक डॉकपाल बचत बैंक प्रधान डॉकघर आजमगढ़ में कार्य करते हुए बिना समुचित औपचारिकताएं पूरी किए कुल 8 खाते विभिन्न तिथियों में खुलवाए तथा चेक की रकम समायोजन द्वारा खाते में जमा हुई तथा उसकी धनराशि की निकासी भी हो गयी। उसी तरह उपडॉकपाल चण्डेश्वर, आजमगढ़ में कार्यरत रहने के दौरान कुल दो बचत खाते विभिन्न तिथियों में बिना औपचारिकताएं पूरी किए खुलवाए, जिसमें चेक की रकम समासोधन द्वारा जमा हुई तथा चेक की रकम का भुगतान कर दिया गया। गंगा दयाल चौबे द्वारा कुल 10 बचत खाते खोले गए, जिससे कुल रुo 508851/- का भुगतान वास्तविक हकदार व्यक्ति को न होकर किसी अन्य को हो गयी। संज्ञान में आने पर विभाग द्वारा दिनांक 16.10.2012 को आरोप पत्र निर्गत किया गया था, जिसके बाबत कार्यवाही के दौरान निर्णय लेने के पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गयी। प्रथम 8 बचत खाते के गलत भुगतान रुपए 463251/- के बाबत रामधारी यादव कैश ओवर सियर, आजमगढ़ भी सहदोषी रहे हैं, जिन्होंने रुपए 29251/- का भुगतान कर दिया था। इसके बाद रुपए 434000/- का शेष बचता है। उक्त गलत भुगतान के लिए गंगादयाल चौबे के अलावा तीन अन्य लोग भी सहअभियोगी रहे हैं। कुल रुपए 434000/- का एक चौथाई रुपए 10,85,000/- के जिम्मेदार गंगा दयाल चौबे रहे हैं। इसी प्रकार अन्य दो खातों के गलत एवं फर्जी भुगतान रुपए 45,600/- रुपए के जिम्मेदार भी गंगादयाल चौबे परिवादिनी के पति रहे हैं। उक्त फर्जी एवं गलत भुगतान के सहजिम्मेदार रहे सच्चिदानन्द यादव द्वारा रुपए 12,500/- का भुगतान कर दिया था। इसके बाद रुपए 33100/- शेष बचता है। जिसके गलत एवं फर्जी भुगतान की सम्पूर्ण जिम्मेदारी गंगादयाल चौबे की है। कुल दस खातों के गलत एवं फर्जी भुगतान में से रुपए 1,08,500/- रुपे व 33,100/- रुपए कुल 1,41,600/- रुपए के जिम्मेदार गंगा दयाल चौबे भी अंशदार रहे हैं। उक्त गलत एवं फर्जी भुगतान के बाबत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम आजमगढ़ में परिवाद संख्या 58/2007 रमाकांत यादव बनाम जितेन्द्र प्रसाद यादव व अन्य में दोषी करार दिए गए भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा राज्य उपभोक्ता फोरम में मामला विचाराधीन है। इसलिए गंगा दयाल चौबे की मृत्यु होने के पश्चात् किए जाने वाले भुगतान में से दो लाख रुपए रोक कर शेष समस्त का भुगतान गंगादयाल चौबे की पत्नी को कर दिया गया है। मुकदमा का अन्तिम रूप से निर्णय हो जाने के पश्चात् परिवादिनी को उसके अवशेष धन का भुगतान कर दिया जाएगा। परिवादिनी ने जानबूझकर विपक्षी को हैरान व परेशान करने के उद्देश्य से परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान उभय पक्ष उपस्थित पाए गए और चूंकि पत्रावली काफी पुरानी है इसलिए इसका अवलोकन किया गया। उभय पक्षों को सुना।
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसके पति के मृत्यु के पश्चात् उसे 2,05,520/- रुपया प्राप्त नहीं हो सका, जबकि विपक्षी के कथन के अनुसार परिवादिनी के पति ने कुल 10 खाता खोला था जिसमें उसने अवैधानिक ढंग से गलत भुगतान करा लिया था। परिवादिनी को कुछ रुपए दिया जा चुका है। विपक्षी के उपर परिवाद पत्र में यह भी कहा गया है कि जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम आजमगढ़ में परिवाद संख्या 58/2007 रमाकांत यादव बनाम जितेन्द्र प्रसाद यादव व अन्य दोषी करार दिए गए भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा राज्य उपभोक्ता फोरम में मामला विचाराधीन है। इसलिए गंगा दयाल चौबे की मृत्यु होने के पश्चात् किए जाने वाले भुगतान में से दो लाख रुपए रोक कर शेष समस्त का भुगतान गंगादयाल चौबे की पत्नी को कर दिया गया है। मुकदमा का अन्तिम रूप से निर्णय हो जाने के पश्चात् परिवादिनी को उसके अवशेष धन का भुगतान किया जाएगा। चूंकि परिवादिनी के पति का निधन हो गया है। इसलिए उनके ऊपर जो भी मुकदमा था वह अवैध हो चुका है। विपक्षी ने यह स्वीकार किया है कि उसने दो लाख रुपए रोक कर शेष का भुगतान परिवादिनी को कर दिया गया है। इसका तात्पर्य यह है कि अभी भी दो लाख रुपए विपक्षी ने परिवादिनी के पति का रोक कर रखा है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद अंशतः स्वीकार होने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवाद-पत्र अंशतः स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि उसके द्वारा स्वीकृत परिवादिनी के पति का रुo 2,00,000/- (रुपए दो लाख मात्र) अन्दर तीस दिन परिवादिनी को अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.02.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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