जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री गोविन्द नारायण जिन्दल , एचयूएफकर्ता गोविन्द नारायण जिन्दल पुत्र स्वर्गीय श्री मदन लाल जिन्दल, निवासी- 4141, चैकड़ी मौहल्ला, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. पोस्ट मास्टर, डाक विभाग, मुख्य डाकघर, नसीराबाद(राजस्थान) 305601
2. डायरेक्टर जनरल, मिनिस्टरी आफॅ कम्यूनिकेषन एण्ड आई.टी. विभाग आफॅ पोस्ट, भारत सरकार डाक विभाग, संसद मार्ग, नई दिल्ली- 110001
3. दी पोस्ट मास्टर जनरल, राजस्थान साउथ रीजन, डिपवार्टमेन्ट आफॅ पोस्ट, अजमेर-305001
4. दी सुपरिडेन्ट आफॅ पोस्ट आॅफिस, डिपार्टमेन्ट आॅफ पोस्ट, ब्यावर, जिला- अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 443/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री संदीप अग्रवाल, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री जफर अहमद, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 10.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी डाक विभाग के यहां दिनांक 30.3.2991 को खुलवाए गए सार्वजनिक भविष्य निधि खाता संख्या 777038 में दिनंाक 2.5.2012 तक रू. 10,93,054/- जमा हो जाने पर उसने उक्त खाता बन्द कर दिए जाने पर अप्रार्थी डाक विभाग ने उक्त राषि का चैक दिया । उक्त चैक को दिनांक 3.5.2014 को संबंधित बैंक में जमा कराए जाने के बाद अप्रार्थीगण द्वारा उसे अवगत कराया गया कि उसे रू. 1,71,230/- का अधिक भुगतान हो गया है इसलिए उसे उक्त राषि जमा करानी होगी । इस प्रकार उसे रू. 10,93,054/- के भुगतान की बजाय रू. 9,21,824/-का ही भुगतान प्राप्त हुआ । कम राषि का भुगतान प्राप्त होने पर उसने दिनांक 27.6.2013 को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भी दिया । जिसका अप्रार्थीगण ने मिथ्या आधारों पर यह जवाब दिया कि दिनंाक 31.3.2011 तक ही ब्याज देय था । प्रार्थी का कथन है कि जब उसका खाता दिनंाक 31.3.2007 तक परिपक्व हो चुका था तो फिर दिनंाक 27.3.2008 तक अप्रार्थी डाक विभाग ने राषि क्यों कर जमा की । इस प्रकार अप्रार्थी डाक विभाग के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी डाक विभाग ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत सार्वजनिक भविष्य निधि खातो खुलवाया जाना तथा उसमें दिनंाक 27.3.2009 तक राषि जमा कराए जाने के तथ्य को रिकार्ड का विषय बताते हुए आगे दर्षाया है कि भारत सरकार के राजपत्र संख्या 661दिनांक 7.12.2010 के अनुसार 13.5.2005 से पहले खोले गए एचयूएफ(पीपीएफ) खातों को दिनंाक 31.3.2011 तक 15 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर बन्द किया जाना था । इसी क्रम में प्रार्थी के प्रष्नगत खाता संख्या 777038 को बंद कराने के संबंध में नोटिस दिए जाने से पूर्व ही प्रार्थी ने दिनंाक 2.5.2013 को अपना खाता बन्द करवा लिया । जिस पर उसे उक्त खाते में ब्याज सहित जमा राषि रू. 10,93,054/- का चैक दिया गया । चूंकि प्रार्थी के प्रष्नगत खाते से संबंधित निरीक्षण प्रतिवेदन बकाया चलने के कारण यथा उसे रू. 9,21,824/- का ही भुगतान प्राप्त होना था किन्तु उसे रू. 10,93,054/- का भुगतान प्राप्त हो गया इसलिए प्रार्थी को समस्त वस्तुस्थिति से अवगत कराए जाने के उपरान्त प्रार्थी द्वारा अधिक भुगतान की गई राषि रू. 1,71,230/- का चैक नसीराबाद प्रधान डाकघर को दिया गया । जिस पर संबंधित डाकघर द्वारा उसे उक्त राषि की जमा रसीद उपलब्ध करा दी गई । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । उत्तरदाता ने नियमानुसार ही प्रार्थी से उक्त राषि प्राप्त की है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री एन.एम.माली,अधीक्षक का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी का प्रमुख तर्क रहा है कि अप्रार्थी के यहां सार्वजनिक भविष्य निधि का खाता खुलवाए जाने पर समय समय पर राषि जमा करवाए जाने के बाद 15 वर्षीय मियाद के बाद समय समय पर खाते को आगे चालू रखते हुए दिनंाक 2.5.2013 तक जमा राषि का भुगतान प्राप्त हो जाने के बावजूद जो रू. 1,71,230/- अधिक भुगतान बता कर अप्रार्थी डाक विभाग ने प्राप्त किए हंै, वे उचित नहीं है । अप्रार्थी डाक विभाग द्वारा प्रार्थी की जमाषुदा राषि पर उक्त ब्याज की कटौती तथाकथित परिपत्र के आधार पर किया जाना उनकी सेवाओं में कमी का परिचायक है । उनके लिए यह अपेक्षित था कि यदि 2011 तक ही देय था तो वे इस आषय की सूचना प्रार्थी को देते । चूंकि उनकी ओर से ऐसा नहीं किया गया है अतः उक्त वापस लनी गई रकम प्रार्थी प्राप्त करने का हकदार है । प्रार्थी ने अपने तर्को के समर्थन में 2011छब्श्र 925 ;छब्द्ध ैजंजम ठंदा व िच्ंजपंसं टे ळवचंस ज्ञतपेींद ैपदहसं पर अवलम्ब लिया है ।
4. अप्रार्थी ने तर्क प्रस्तुत किया है कि भारत सरकार के राजपत्र दिनांक 7.12.2010 के अनुसार दिनंाक 13.5.2005 से पहले खोले गए एचयूएफ(पीपीएफ) के खाते 15 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर दिनंाक 31.3.2011 को बन्द कर दिए जाने थे तथा अभिदाता के खाते में समग्र राषि उसके द्वारा ऋणों पर बकाया ब्याज संबंधी समायोजन के बाद प्रतिदायी करने योग्य थी । तदनुसार यह जानकारी प्राप्त होने पर उनके द्वारा प्रार्थी को अदा की गई राषि को वसूल किया गया है । अप्रार्थी ने अपने तर्को के समर्थन में प्;2008द्धब्च्श्रण्142;छब्द्ध ब्ींदंत ैपदही ंदक टे ब्मदजतंस ठंदा व िप्दकपं पर अवलम्ब लिया है ।
5. प्रार्थी का अप्रार्थी के यहां दिनांक 30.3.1991 को सार्वजनिक भविष्य निधि का खाता खुलवाए जाना व उक्त खातें में प्रार्थी द्वारा दिनंाक 30.3.1991 से राषि जमा करवाया जाना, उक्त राषि के निर्धारित 15 वर्ष की अवधि के बाद भी खाते को एक्सटेण्ड किए जाने के बाद राषि जमा करवाए जाने के पष्चात् दिनंाक 2.5.2013 तक उसके खाते में रू. 10,93,064/- जमा होना विवाद का बिन्दु नहीं है । अपितु मात्र विवाद का बिन्दु यह है कि क्या अप्रार्थी द्वारा तथाकथित अधिक भुगतान की गई राषि प्रार्थी से वसूल कर सेवा में कमी की गई है ? अप्रार्थी द्वारा इस वसूल की गई राषि का प्रमुख आधार भारत सरकार के राजपत्र दिनंाक 7.12.2010 को बताया गया है । इस अधिसूचना दिनंाक 13.12.2010 के अनुसार ऐसे पीपीएफ खाते जो एचयूएफ के नाम से दिनंाक 13.5.2005 से पूर्व खोले गए है,वे परिपूर्ण होने के बाद आगे नहीं बढाए जाएगें तथा इसमें आगे किसी प्रकार की कोई राषि जमा नहीं की जाएगी । इस परिपत्र में यह भी बताया गया है कि किसी प्रकार के ब्याज का अधिक भुगतान कर दिया गया है तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित काउण्टर के पी.ए. व सुपरवाईजर की रहेगी। यह परिपत्र दिनांक 13.12.2006 का है तथा इस परिपत्र के अनुसार विभाग को समस्त ऐसे पोस्ट आफिस जो पीपीएफ खाते हैण्डल करते है, में सरक्युलेट किए जाएगें तथा नेाटिस बोर्ड पर चस्पा भी किए जाएगें । इस संबंध जो दिषा निर्देष प्राप्त हुए है वे इस प्रकार है -
’’ब्वचल व िंउमदकउमदज पेेनमक इल डव्थ्;क्म्।द्धपे मदबसवेमक पज पे तमुनमेजमक जींज जीपे ंउमदकउमदज ेीवनसक इम बपतबनसंजमक जव ंसस चवेज वििपबम ींदकपदह च्च्थ् ेबीमउम ंदक ंइवअम उंजजमत हपअमद पद इनससमज ेीवनसक इम कपेचसंलमक वद जीम छवजपबम ठवंतके व िजीमेम च्वेज व्ििपबमेण् प्ज पे ंसेव तमुनमेजमक जींज ेजतपबज पदेजतनबजपवदे ेीवनसक इम पेेनमे जव ंसस चवेजंस ेजंिि ंज जीम बवनदजमते जव ेमम जीम चंेेइववा ंज जीम जपउम व िकमचवेपज व िेनइेबतपचजपवद पद च्च्थ् ंबबवनदजे ंदक दवज जव ंबबमचज कमचवेपजे पद ेनइंबबवनदजेण् ।दल वअमतचंलउमदज व िपदजमतमेज प िउंकम ेींसस इम जीम तमेचवदेपइपसपजल व िजीम बवनदजमत च्। ंदक जीम ैनचमतअपेवतए ’’
7. इस प्रकार इन दिषा निर्देषों को देखते हुए अप्रार्थी के लिए यह अपेक्षित था कि वे दिनंाक 13.12.2010 के तुरन्त बाद इस परिपत्र में दिए गए निर्देषों की पालना करते । जो नजीर उनकी ओर से पेष हुई है, तथ्यों की भिन्नता के कारणर यह उनके लिए सहायक नहीं है ।
8. हस्तगत प्रकरण में यह सिद्व रूप से प्रकट हुआ है कि अप्रार्थी ने इन निर्देषों की कोई पालना नहीं की तथा प्रार्थी के उक्त पीपीएफ खाते में इसे खोलने की तिथि 30.3.1991 के बाद 15 वर्ष की मियाद गुजरने के बाद खाते में राषि जमा की व दिनंाक 2.5.2013 तक उक्त खाते में रू. 10,93,064/- जमा हुए जो खाताधारक को लौटा दिए गए । इसके बाद जो राषि उनके द्वारा पुनः वूसल कर ली गई वह स्पष्ट रूप से उनकी सेवा में कमी को दर्षाता है । अप्रार्थी डाक विभाग द्वारा उक्त परिपत्र के संदर्भ में न तो उक्त आषय की कोई सूचना संबंधित पोस्ट आफिस में चस्पा की गई और ना ही प्रार्थी को सूचित किया गया । ऐसी अवस्था में प्रार्थी का कोई देाष प्रकट नहीं होता है । चूंकि स्वयं अप्रार्थी ने यह स्वीकार किया है कि दिनंाक 31.3.2011 तक ऐसे धाताखारक जो दिनांक 13.5.2005 से पहले खोले गए है , को बन्द करते हुए उनके खातों में जमा समग्र राषि उनके द्वारा लिए गए ऋणों पर ब्याज के संबंध में समायेाजन के बाद प्रतिदायी योग्य है । अतः हस्तगत प्रकरण में प्रार्थी दिनांक 31.3.2011 तक जमा राषि पर निर्धारित ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है । इस तिथि के बाद वह अंतिम आहरण तिथि दिनंाक 2.5.2013 के मध्य , चूंकि उक्त राषि अप्रार्थी डाक विभाग के पास जमा रही है, अतः न्याय की दृष्टि से प्रार्थी इस राषि पर सामान्य दर से ब्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी है । इस बाबत् प्रस्तुत नजीर के तथ्य हस्तगत मामले में चस्पा होते है ।
9. साह यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में तय अवधि से अधिक सीमा तक खाते को चालू रख कर विभागीय निर्देषों की समय पर पालन न कर अप्रार्थी डाक विभाग ने अनदेखी कर बाद में जो तथाकथित अधिक ब्याज की राषि प्रार्थी को अदा कर दी गई है, को देखते हुए अप्रार्थी डाक विभाग का यह आचरण उनकी सेवा में कमी का परिचायक है, अन्यथा प्रार्थी इस जमा राषि पर किसी भी माध्यम द्वारा यथासम्भव एफ.डी. स्कीम के तहत अधिक लाभ/ब्याज अर्जित का सकता था जिससे वह वंचित रहा है । परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
10. (1) प्रार्थी अप्रार्थी डाक विभाग से उसके सार्वजनिक भविष्य निधि खाता संख्या 777038 पेटे दिनंाक 31.3.2011 से अंतिम आहरण तिथि दिनंाक 2.5.2013 तक जमा रही राषि पर 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी डाक विभाग से ं मानसिक संताप पेटे रू. 25,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी डाक विभाग प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 10.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य अध्यक्ष