सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1263/2013
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्या-148/2012 में पारित निर्णय दिनांक 08.05.2013 के विरूद्ध)
आनन्द कुमार गुप्ता पुत्र स्व0 श्री राम प्रकाश गुप्ता निवासी 259 कानून गोयान गुडडू वाली गली धोबी चौराहा थाना प्रेमनगर बरेली ।
. .अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
पोस्ट मास्टर जनरल बरेली क्षेत्र बरेली व अन्य ।
. .......प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
मा० श्री राजेन्द्र सिंह सदस्य ।
मा0 श्री विकास सक्सेना सदस्य ।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्रीमती सुशीला त्रिपाठी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्रीकृष्ण पाठक, विद्वान अधिवक्ता
दिनांक- 01.04.2024
मा0 श्री विकास सक्सेना सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्या-148/2012 में पारित निर्णय दिनांक 08.05.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है ।
केस के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी भारत संचार निगम लि० (बी०एस०एन०एल०) से दिनांक 30.09.2002 को सेवा निवृत्त हो चुका है और वह अपनी सर्विस के दौरान विभिन्न जनपदों में भिन्न-भिन्न पदों पर कार्यरत रहा। परिवादी के नाम डाक विभाग द्वारा डाक सावधि बीमा पॉलिसी सॅ० 258212 पी व 258213 पी दिनांक 27.03.1974 को जारी की गयी थीं। परिवादी के विभाग द्वारा उसके वेतन से प्रत्येक बीमा पॉलिसी में प्रतिमाह सतरह-सतरह रूपये की कटौती करके माह फरवरी 1997 तक जमा होना थीं व बीमा पॉलिसियों के परिपक्व होने पर दिनांक 03.09.1997 को परिवादी को पाँच-पाँच हजार रूपये प्रत्येक डाक बीमा पॉलिसी के अन्तगर्त भुगतान होना था जो कि आज तक नहीं हुआ है । विपक्षी डाक विभाग द्वारा परिवादी से उक्त दोनों बीमा पॉलिसियों पर 3 मार्च 1997 से दिनांक 30.08.2002 तक 34/- रूपये प्रतिमाह लिया गया । इस प्रकार विपक्षी द्वारा साढे पाँच वर्ष तक कुल 2,278/- रूपये अतिरिक्त भुगतान परिवादी से लिया गया जो कि बीमा पॉलिसी पूरी होने के बाद आज तक परिवादी को उनका भुगतान नहीं किया गया। परिवादी ने विपक्षी डाक विभाग को उक्त बीमा पॉलिसियों में जमा धनराशि के भुगतान हेतु कई बार रजिस्टर्ड पत्र भेजे लेकिन विपक्षीगण ने परिवादी को भुगतान नहीं किया ।
विपक्षीगण की ओर से यह प्रतिकथन किया है कि परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद बीमा पॉलिसी नं0 258212 पी और 258213 पी के संबंध में दायर किया है लेकिन परिवादी ने उक्त बीमा पॉलिसी खरीदे जाने का कारण नहीं बताया। विपक्षी नं० 1 ने परिवादी को उक्त बीमा पॉलिसियों निर्गत नहीं की थीं। परिवादी ने विपक्षी उत्तरदाता नं० 1 के विरूद्ध कोई क्लेम दायर नहीं किया है। परिवादी के अनुसार उक्त बीमा पॉलिसियों का भुगतान दिनांक 03.09.1997 को होना था और परिवादी ने 12 वर्ष बाद दिनांक 31.05.2009 को परिवाद दायर किया है। अतः परिवादी का परिवाद समय सीमा से बाधित है और परिवादी ने यह परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर योजित किया है।
विद्वान जिला आयोग ने यह अवधारित करते हुए कि परिवादी आनन्द कुमार गुप्ता यद्यपि यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विपक्षी भारतीय डाक विभाग ने परिवादी की बीमा पॉलिसी सॅ0 258212 पी एवं 258213 पी के सापेक्ष उनको उक्त बीमा पॉलिसियों के परिपक्व होनें पर बीमित धनराशि पाँच-पाँच हजार रूपये का भुगतान न करके उनको प्रश्नगत बीमा पॉलिसियों के संबंध में सेवा प्रदान करने में कमी कारित की है परन्तु चूंकि परिवादी का परिवाद कालबाधित है इसलिए कालबाधित परिवाद के आधार पर परिवादी इस परिवाद के माध्यम से प्रश्नगत बीमा पॉलिसियों के सापेक्ष कोई भी भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है और उनका परिवाद कालबाधित होने के कारण खारिज कर दिया जिससे क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी ।
अपील में मुख्य रूप से अपीलार्थी द्वारायह आधार लिया गया है कि विपक्षीगण ने आज भी बीमा दावा लम्बित डाल रक्खा है तथा खारिज नहीं किया है अतः परिवाद काल बाधित होने का निष्कर्ष विधि विरुद्ध है। दोनों बीमा पॉलिसी पत्रावली पर उपलब्ध है इनमें ऐसी कोई शर्त नहीं है कि परिपक्वता तिथि से दो वर्ष के भीतर बीमा दावा जमा किया गया जायेगा अथवा बीमित व्यक्ति की ओर से ही बीमा प्रीमियम राशि के भुगतान हेतु परिपक्वता तिथि से विपक्षी-बीमाकर्ता के समक्ष दो वर्ष के भीतर दावा प्रस्तुत करेगा इसके विपरीत पॉलिसी के शर्तों के अनुसार विपक्षी परिपक्वता तिथि के उपरन्त यथाशीघ्र बीमा प्रीमियम राशि का भुगतान बीमा धारक को कर देगा- शर्त निम्न लिखित प्रकार उद्धृत है।
"अतः अब एतद्वारा घोषित किया जाता है कि यदि बीमाकृत डाक-तार के महानिदेशक को या तत्समय उसके कृत्यों का पालन कराने वाले अधिकारी को या इस निमित भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्यकरूपेण प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी को पश्चातवर्ती मासिक प्रीमियमों का संदाय उक्त अनुसूची में तथा नियत रूप में या अपनी मृत्यु तक इसमें से जो भी पहले हो उस तक करेगा तो भारत के राष्ट्रपति उक्त अनुसूची में वर्णित राशि का भारत के राष्ट्रपति द्वारा घोषित बोनस यदि कोई हो के सहित बीमाकृत को या उसके समनुदेशिती को उक्त अनुसूची में विनिर्दिष्ट आयु बीमाकृत के प्राप्त करने के पश्चात् यथा सम्भागीय या यदि वह संदाय पाप्त किये बिना मर जाता है तो उसके निष्पादकों प्रशासकों या समनुदेशितियों को डाकतार के महानिदेशक या तत्समय उसके कृत्यों का पालन करने वाले अधिकारी या यथापूर्वोवत इस निमित भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्यकरूपेण प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी को समाधानप्रद रूप में बीमाकृत की मृत्यु और दावेदार के हक के साबित हो जाने के पश्चात यथासम्भवशीघ्घ्र करने के अध्यधीन और दायित्वधीन होंगे।"
अतः परिवादी बीमा धारक के लिये कोई रोक या समय सीमा निश्चित नहीं है। वह तो परिपक्वता तिथि के बाद जब चाहे बीमा दावा प्रस्तुत कर सकता है वाद का कारण तो आज भी उपलब्ध है क्योंकि बीमा प्रीमियम वापसी का दावा परिवादी का आज तक खारिज नहीं है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क सुने तथा पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया ।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि जिला फोरम ने इस आधार पर परिवादी के परिवाद को निरस्त किया है कि परिवादी ने कालबाधित वाद योजित किया था। स्वयं परिवादी की ओर से स्पष्ट रूप से कथन किया गया कि प्रश्नगत बीमा पालिसी दिनांक 03.09.1997 को परिपक्व हो चुकी थी एवं प्रश्नगत परिवाद वर्ष 2012 में योजित किया गया जिसका कोई उचित कारण परिवादी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया ।
विद्वान जिला फोरम के निर्णय के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि जिला फोरम ने यह निष्कर्ष दिया है कि परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद पौने पन्द्रह वर्ष की देरी से प्रस्तुत किया । अपीलार्थी ने पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि बीमा पालिसी परिपक्व होने के के दो वर्ष के भीतर उनके द्वारा क्या कार्यवाही की गयी एवं किस कारण से एक लम्बे समय बाद परिवाद योजित किया गया। वादी द्वारा वाद योजन में देरी का कोई स्पष्ट कारण अपील के स्तरपर भी नहीं दिया गया है अत: जिला फोरम का निर्णय उचित है परिवादी का परिवाद कालबाधित है एवं कालबाधित होने के आधारपर परिवाद उचित प्रकार से निरस्त किया गया है। हमारे अभिमत से विद्वान जिला फोरम के निर्णय में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है ऐसी स्थिति में अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर ।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्ध करायी जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया ।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
सुबोल श्रीवास्तव
(पी0ए0(कोर्ट नं0-2)