Final Order / Judgement | (सुरक्षित) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :-619/2010 (जिला उपभोक्ता आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद सं0-133/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18/02/2010 के विरूद्ध) - Branch Manager, Life Insurance Corporation of India, Pratapgarh.
- Divisional Manager, Life Insurance Corporation of India, Divisional Office, Allahabad.
- Zonal Manager, Life Insurance Corporation of India, North Central Office, 16/98, Mahatma Marg, Kanpur.
- Appellants
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- Smt. Poonam Srivastava, Wife of Late Raj Kumar Srivastava, resident of Vivek Nagar, District Pratapgarh.
- The Ombudsman, Ombudsman Office, Life Insurance Corporation Bhawan, Phase 2, 62, Nawal Kishore Road, Hazratganj, Lucknow-226001.
समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री आई0पी0एस0 चड्ढा प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री आर0के0 मिश्रा दिनांक:- 09.12.2024 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - जिला उपभोक्ता आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद सं0-133/2009 पूनम श्रीवास्तव बनाम शाखा प्रबंधक महोदय भारतीय जीवन बीमा निगम व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18/02/2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा कम्पनी को आदेशित किया है कि बीमित राशि 8 प्रतिशत ब्याज के साथ परिवादी को उपलब्ध करायी जाए।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति स्वर्गीय राज कुमार श्रीवास्तव द्वारा पॉलिसी सं0 311568097 अंकन 10,00,000/-रू0 के लिए प्राप्त की थी, जिनका देहांत दिनांक 30.08.2004 को हो गया। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
- विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, इसलिए एकतरफा सुनवाई करते हुए उपरोक्त निर्णय/आदेश पारित किया गया। इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्यों तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने विवेचना विहीन निर्णय पारित किया है। अपीलार्थीगण पर कभी तामील नहीं हुई। यह भी कथन किया गया है कि बीमा क्लेम दिनांक 26.06.2006 को निस्तारित कर दिया गया है, जबकि परिवाद दिनांक 04.04.2009 में प्रस्तुत की गयी है, इसलिए परिवाद समयावधि से बाधित है। बीमाधारक कैंसर से ग्रसित था, परंतु इस तथ्य को छिपाया गया, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाना चाहिए। परिवादी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा यह बहस की गयी है कि बीमा क्लेम उचित रूप से अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
- सर्वप्रथम इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्या विपक्षीगण पर नोटिस की तामील प्रर्याप्त है? जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय मे स्पष्ट कथन किया है कि विपक्षीगण पर नोटिस की प्रति भेजी गयी थी, किन्तु वे उपस्थित नहीं हुए। अत: भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 (वर्तमान 119) की व्यवस्था के अनुसार यह उपधारणा की जायेगी कि सभी न्यायिक कार्य उसी रूप में सम्पादित हुए हैं, जिस रूप में उन्हें सम्पादित होना चाहिए। जिला उपभोक्ता आयोग का उल्लेख कि विपक्षीगण पर नोटिस प्रेषित की गयी, के संबंध में उपधारणा की जायेगी कि नोटिस यथार्थ में प्रेषित की गयी और उनकी तामील हुई, परंतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
- अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या पूर्व में मौजूद बीमारी के किसी तथ्य को बीमाधारक द्वारा छिपाया गया?
- दस्तावेज सं0 40 कैंसर हॉस्पिटल से संबंधित एक रसीद है, जिसमें उल्लेख है कि अंकन 50/-रू0 प्राप्त किये गये हैं, परंतु यह दस्तावेज इस तथ्य का सबूत नहीं है कि बीमाधारक यथार्थ में कैंसर से पीडि़त था, इसलिए चूंकि महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाना स्थापित नहीं है, इसलिए अपीलार्थी की ओर से दी गयी नजीर Satwant Kaur Sandhu Vs. New India Assurance Co. Ltd. Vol IV (SC) 9 में दी गयी व्यवस्था लागू नहीं होती।
- अपीलार्थी की ओर से यह बहस की गयी है कि क्लेम का निस्तारण वर्ष 2006 में कर दिया गया है, इसलिए वर्ष 2009 में प्रस्तुत किया गया परिवाद समयावधि से बाधित है, परंतु क्लेम के निस्तारण की सूचना परिवादी को दी गयी हो। इस तथ्य को स्थापित करने के लिए कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। डाक रसीद पत्रावली पर मौजूद नहीं है, जबकि परिवादिनी ने सशपथ साबित किया है कि उसे कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई, फिर यह भी परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों का कोई खण्डन ही नहीं किया गया है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है। प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए। उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार) संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2 | |