Uttar Pradesh

StateCommission

A/2618/2014

UPPCL - Complainant(s)

Versus

Pooja Devi - Opp.Party(s)

Santosh Kumar Mishra

11 Nov 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2618/2014
( Date of Filing : 16 Dec 2014 )
(Arisen out of Order Dated 30/05/2014 in Case No. c/164/2013 of District Shahjahanpur)
 
1. UPPCL
Shahjhanpur
Shahjhanpur
up
...........Appellant(s)
Versus
1. Pooja Devi
Shahjhanpur
Shahjhanpur
up
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 11 Nov 2019
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-2618/2014

(जिला मंच, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-164/2013 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.05.2014 के विरूद्ध)

 

उत्‍तर प्रदेश पावर कापोरेशन लिमिटेड, एग्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन-I, डिस्ट्रिक्‍ट शाहजहांपुर।

                                   अपीलार्थी/विपक्षी

 

बनाम

 

कुं0 पूजा देवी पुत्री विजय पाल, निवासिनी-ग्राम जलालपुर गुर्री, पुलिस स्‍टेशन रौजा, तहसील सदर, जिला शाहजहांपुर।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से     : श्री संतोष कुमार मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से       : श्री निर्मल सिंह यादव, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : 04.12.2019

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

 

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-164/2013 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.05.2014 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार विद्युत विभाग की लाइन गांव के पास के खेतों में से होकर गुजरती है। विद्युत विभाग द्वारा खंभों व तारों की पेट्रोलिंग करके उन्‍हें दुरूस्‍त नहीं किया जाता। अत: विद्युत का तार खंभों से बीच जमीन से 3-4 फीट ऊंचाई पर लटक गया था, परिणामस्‍वरूप खेतों में चारा लगाने गयी परिवादिनी दिनांक 21.03.2013 को दिन में 3 बजे उन विद्युत तारों की चपेट में आ गयी, उसका शरीर बुरी तरह से जल गया। गांव वाले उसे लेकर अस्‍पताल गए, डाक्‍टरों ने परिवादिनी का बांया हाथ काट दिया। परिवादिनी एक निर्धन महिला है। परिवादिनी के पिता ने ऋण लेकर उसकी चिकित्‍सा कराई है। क्षतिपूर्ति के रूप में 4,95,000/- रूपये दिलाए जाने हेतु परिवाद योजित किया गया है।

अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलकर्ता के कथनानुसार परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्‍ता मंच को प्राप्‍त नहीं है, क्‍योंकि परिवादिनी उपभोक्‍ता नहीं है। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि कथित घटना में विद्युत विभाग की कोई लापरवाही नहीं है। अचानक आंधी, तूफान, वोल्‍टेज के घटने बढ़ने या कियी दैवीय आपदा पर विभाग का कोई नियंत्रण नहीं होता है।

जिला मंच ने प्रश्‍नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्‍ता मंच को मानते हुए प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवाद आंशिक रूप से 03 लाख रूपये बतौर क्षतिपूर्ति भुगतान करें तथा इस धनराशि पर दुर्घटना की तिथि दिनांक 21.03.2013 के कुल भुगतान के बीच 06 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्‍याज भी भुगतान करें। इसके अतिरिक्‍त 1,000/- रूपये वाद व्‍यय के रूप में भुगतान किये जाने हेतु भी निर्देशित किया गया।

इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री संतोष कुमार मिश्रा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री निर्मल सिंह यादव के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवकोकन किया।

अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी अपीलकर्ता की उपभोक्‍ता नहीं है। प्रश्‍नगत घटना सार्वजनिक स्‍थान की बताई गई है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत विवाद उपभोक्‍ता विवाद न होने के कारण उपभोक्‍ता मंच को प्रश्‍नगत विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था। प्रश्‍नगत निर्णय क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित होने के कारण अपास्‍त किये जाने योग्‍य है। इस प्रकार के दुर्घटना से संबंधित मामलों की सुनवाई हेतु फैटल एक्‍सीडेंटल एक्‍ट एवं पब्लिक लाइबलटीज इंश्‍योरेंस एक्‍ट के अन्‍तर्गत प्रावधान किया गया है। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण पर सक्षम अधिकारी द्वारा विचारोपरांत परिवादिनी को 65,000/- रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में विभाग द्वारा भुगतान किये जाने हेतु स्‍वीकृत की जा चुकी है, किंतु परिवादिनी ने उक्‍त धनराशि प्राप्‍त न करके प्रश्‍नगत परिवाद में पारित निर्णय के निष्‍पादन हेतु निष्‍पादन वाद संख्‍या-48/2014 योजित कर दिया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत किए गए लिखित तर्क में यह उल्लिखित किया गया है कि अपीलकर्ता की विद्युत लाइन के तार परिवादिनी के पिता के नाम खेता गाटा संख्‍या 62/308 से गुजरती है, जिससे गावं के अधिकांश व्‍यक्ति विद्युत कनेक्‍शन लिए हैं तथा परिवादिनी के पिता के नाम भी कनेक्‍शन भी कनेक्‍शन है। अत: परिवादिनी के खेत से लाइन गुजरने के आधार पर परिवादिनी उपभोक्‍ता की परिभाषा में आती है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से इस पीठ द्वारा परिवाद संख्‍या-79/2013 अखिलेश श्रीवास्‍तव बनाम डायरेक्‍टर कालेज आफ इंजीनियरिंग व अन्‍य के मामलें में दिए गए निर्णय दिनांकित 15.07.2019 की प्रति भी दाखिल कीगयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रस्‍तुत अपील ढाई माह विलम्‍ब से योजित की गयी है। विलम्‍ब का उचित स्‍पष्‍टीकरण प्रस्‍तुत नहीं किया गया है।

पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों के परिशीलन से हमारे विचार से परिवादिनी अपीलकर्ता, विद्युत विभाग की उपभोक्‍ता होना प्रमाणित नहीं है, जिसके आधार का विस्‍तृत विवरण निर्णय में आगे किया है। सिंगम चिट्टी अलेंदरू एवं अन्‍य बनाम स्‍टेट आफ टी.एन. एण्‍ड अदर्स 2002 सीपीजे 700 के मामलें में माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित आदेशों को निर्धारित समय-सीमा के बाद  भी चुनौती दी जा सकती है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत मामलें में अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुआ विलम्‍ब विशेष महत्‍व का नहीं माना जा सकता। तदनुसार अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुआ विलम्‍ब क्षमा किया जाता है।

जहां तक प्रश्‍नगत परिवाद की उपभोक्‍ता मंच द्वारा सुनवाई के क्षेत्राधिकार का प्रश्‍न है, अपील मेमों के साथ अपीलकर्ता ने परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद की फोटोप्रति दाखिल की है। परिवाद के अभिकथनों के अनुसार परिवादिनी का यह कथन है कि अपीलकर्ता, विद्युत विभाग की विद्युत लाइन परिवादिनी के गावं के पास खेतों से होकर गुजरती है। खेत में खंभें खड़े हें और उनके ऊपर नंगी तार खिची हैं। अपीलकर्ता विभाग की लापरवाही के कारण उपरोक्‍त खंभों व तार की देखभाल नहीं क गयी, जिससे विद्युत का तार खंभों के बीच जमीन से 3-4 फीट ऊंचाई पर लटक गया। परिवादिनी खेतों से चारा लगाने गयी थी। परिवादिनी दिनांक 21.03.2013 को दिन में 3 बजे विद्युत तार नीचे होने के कारण तारों से चिपक गयी, जिससे उसका शरीर बुरी तरह जल गया। परिवाद के अभिकथनों में परिवादिनी द्वारा यह अभिकथित नहीं किया गया है कि प्रश्‍नगत विद्युत के तार से परिवादिनी के कथित विद्युत कनेक्‍शन की आपूर्ति हो रही है और न ही इस संदर्भ में कोई साक्ष्‍य परिवादिनी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी और नही अपीलीय स्‍तर पर ऐसी कोई साक्ष्‍य परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि कथित घटना सार्वजनिक स्‍थान पर घटित हुई तथा कथित घटनास्‍थल पर गुजर रहे बिजली के तारों से परिवादिनी के कथित विद्युत कनेक्‍शन की आपूर्ति होना भी प्रमाणित नहीं है। आंध्र प्रदेश ईस्‍टर्न पावर कम्‍पनी लिमिटेड APWR (DCL) बनाम जननी सुरम्‍मा व अन्‍य I (2016) CPJ 558 (NC) के मामलें में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत विद्युत स्‍पर्शाघात से क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद योजित किया जा सकता है, किंतु पीडि़त व्‍यक्ति उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता हो। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा शंकर सीता राम यादव बनाम महाराष्‍ट्रा स्‍टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड III (1994) CPJ 50 (NC) के मामलें में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्‍त को दोहराते हुए यह मत प्रकट किया गया कि माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गए उपरोक्‍त निर्णय में भी सार्वजनिक स्‍थान पर विद्युत स्‍पर्शाघात से मृतक की क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद योजित किया गया था, परिवाद को उपभोक्‍ता विवाद नहीं माना गया।

इस पीठ द्वारा भी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व अन्‍य बनाम डायरेक्‍टर्स डी0के0 जायसवाल व अन्‍य अपील संख्‍या-1017/2014 के मामलें में  दिए गए निर्णय दिनांकित 13.06.2019 में विद्युत स्‍पर्शाघात की कथित घटना सार्वजनिक स्‍थान पर घटित होने के कारण परिवादी को उपभोक्‍ता नहीं माना गया। तदनुसार परिवाद स्‍वीकार नहीं किया गया।

जिला मंच के प्रश्‍नगत निर्णय में अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनाम परथू I (2013) CPJ 158 (NC) तथा सज्‍जन सचदेवा बनाम पंजाब राज्‍य विद्युत परिषद IV 2012 CPJ 197 (NC) के मामलें में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गए निर्णयों पर विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए परिवादिनी को उपभोक्‍ता माना है। जिला मंच द्वारा संदर्भित उपरोक्‍त निर्णयों का हमने अवलोकन किया। उक्‍त निर्णयों में परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता होने के प्रश्‍न पर विचार नहीं किया गया है। अत: परिवादिनी के उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता होने पर विचारण के संदर्भ में यह निर्णय विशेष महत्‍व के नहीं माने जा सकते।

जहां तक इस पीठ द्वारा परिवाद संख्‍या-79/2013 अखिलेश श्रीवास्‍तव बनाम दी डायरेक्‍टर कालेज आफ इंजीनियरिंग एण्‍ड टेक्‍नॉलॉजी व अन्‍य के मामलें में दिए गए निर्णय का प्रश्‍न है, उक्‍त मामलें के तथ्‍य प्रस्‍तुत मामलें के तथ्‍यों से भिन्‍न हैं। उक्‍त मामलें में यह तथ्‍य निर्विवाद था कि हाई वोल्‍टेज विद्युत लाइन कालेज परिसर से होकर जा रही थी और उक्‍त विश्‍वविद्यालय में विद्युत कनेक्‍शन स्‍वीकृत था। ऐसी परिस्थिति में उक्‍त मामलें में इस पीठ द्वारा दिए गए निर्णय का लाभ प्रस्‍तुत प्रकरण में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को नहीं दिया जा सकता।

उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में परिवाद उपभोक्‍ता मंच में पोषणीय न होने के कारण तदनुसार प्रश्‍नगत निर्णय क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित होने के कारण अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी सक्षम मंच में परिवाद योजित करने के लिए स्‍वतंत्र होगी। अपील तदनुसार स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

 

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.05.2014 अपास्‍त किया जाता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी उचित मंच के समक्ष वाद योजित करने के लिए स्‍वतंत्र होगी।

उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

                   

 

 

 

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                        (गोवर्द्धन यादव)

पीठासीन सदस्‍य                                सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2                           

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 

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