Uttar Pradesh

StateCommission

CC/14/2022

KULDEEP SINGH CHAUHAN - Complainant(s)

Versus

POLICYBAZAAR INSURANCE BROKERS PRIVATE LIMITED - Opp.Party(s)

Self

26 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/14/2022
( Date of Filing : 16 Jan 2022 )
 
1. KULDEEP SINGH CHAUHAN
GH-1603, AMRAPALI VILLAGE SOCIETY, INDIRAPURAM, GHAZIABAD
GHAZIABAD
UTTAR PRADESH
2. INDU CHAUHAN
GH-1603,AMRAPALI VILLAGE SOCIETY,INDIRAPURAM,KALA PATTHAR ROAD,GHAZIABAD
GHAZIABAD
UTTAR PRADESH
3. PRANAVI CHAUHAN
GH-1603,AMRAPALI VILLAGE SOCIETY,INDIRAPURAM,KALA PATTHAR ROAD,GHAZIABAD
GHAZIABAD
UTTAR PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. POLICYBAZAAR INSURANCE BROKERS PRIVATE LIMITED
PLOT NO.119, SECTOR - 44, GURGAON, HARYANA
GHAZIABAD
UTTAR PRADESH
2. MAX BUPA HEALTH INSURANCE COMPANY LTD
B-1/I-2, MOHAN COOPERATIVE INDUSTRIAL ESTATE, MATHURA ROAD, NEW DELHI-110044
NEW DELHI
DELHI
3. NIVA BUPA HEALTH INSURANCE COMPANY LIMITED
NIVA BUPA HEALTH INSURANCE COMPANY LIMITED, 14TH FLOOR, CAPITAL CYBERSCAPE, SECTOR 59, GURUGRAM, HARYANA-122011
GURUGRAM
HARYANA
4. RAJIV HARI OM BHATIA SON OF MR HARI OM BHATIA
PROFESSIONALLY KNOWN AS AKSHAY KUMAR, BOLLYWOOD ACTOR OFFICE ADDRESS - HARI OM FILM CORPORATION, ROAD NO 6, GOREGAON WEST, NEAR OSHIWARA BUS DEPOT, MUMBAI 400104, MAHARASHTRA, INDIA
MUMBAI
MAHARASHTRA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-14/2022

(मौखिक)

1. कुलदीप सिंह चौहान पुत्र चन्‍द्रप्रकाश सिंह

पता-जीएच-1603, आम्रपाली विलेज सोसाइटी, इंदिरापुरम,

लैंडमार्क-काला पत्‍थर रोड

गाजियाबाद-201014 (यूपी)

मोबाइल-9990342244

ईमेल

पता-जीएच-1603, आम्रपाली विलेज सोसाइटी, इंदिरापुरम,

लैंडमार्क-काला पत्‍थर रोड

गाजियाबाद-201014 (यूपी)

मोबाइल-9990342244

ईमेल

पता-जीएच-1603, आम्रपाली विलेज सोसाइटी, इंदिरापुरम,

लैंडमार्क-काला पत्‍थर रोड

गाजियाबाद-201014 (यूपी)

मोबाइल-9990342244

ईमेल                              ........................परिवादीगण

बनाम

1. पॉलिसीबाजार इंश्‍योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड

पता- प्‍लॉट संख्‍या 119, सेक्‍टर-44,

गुड़गांव, हरियाणा-122001

मोबाइल संख्‍या- +91 8506013131, 0124-4218302

ईमेल आईडी-

पता-बी-1/आई-2, मोहन कोआपरेटिव इंडस्ट्रियल एस्‍टेट,

मथुरा रोड, नई दिल्‍ली-110044।

टेलीफोन संख्‍या-011-30902000/ 011-42919700

ईमेल

(पूर्व में मैक्‍स बूपा हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड के नाम से  जाना  जाता

 

-2-

था)

पता-निवा बूपा हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड,

14वीं मंजिल, कैपिटल साइबरस्‍केप, सेक्‍टर 59,

गुरुग्राम, हरियाणा-122011

टेलीफोन संख्‍या-0124-6354900

ईमेल

4. राजीव हरिओम भाटिया पिता हरिओम भाटिया

(पेशेवर रूप से ''अक्षय कुमार’’, बॉलीवुड अभिनेता के रूप में जाने जाते हैं)

वेबसाइट का पता-https://www.akshaykumar.co/

कार्यालय का पता-हरिओम फिल्‍म निगम, रोड संख्‍या 6,

गोरेगांव पश्चिम, ओशिवारा बस डिपो के पास,

मुंबई 400104, महाराष्‍ट्र, भारत

निवास का पता 1 – 203, ‘ए’ विंग बेंजर, बेंजर आपार्टमेंट,

लोखंडवाला कॉम्‍प्‍लेक्‍स, अंधेरी वेस्‍ट,

मुंबई, महाराष्‍ट्र, भारत-400053

निवास का पता 2 – प्‍लॉट संख्‍या – 1, प्राइम बीच,

11, जुहू तारा, जुहू, मुंबई, महाराष्‍ट्र-400049                                    

    ...................विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य। 

परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री कुलदीप सिंह चौहान,  

                               स्‍वयं।

विपक्षी सं0 1 की ओर से उपस्थित : श्री अभिषेक भटनागर के सहयोगी                             

                               श्री अर्पित पाण्‍डेय,

                               विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0 2 व 3 की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी,                          

                                   विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0 4 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 26.09.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध मानसिक प्रताड़ना के मद में सभी परिवादीगण के लिए कुल ढाई करोड़ रूपये, बीमा पालिसी देरी  से  देने  के

 

-3-

कारण प्रीमियम पर 18 प्रतिशत ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए, अनुचित व्‍यापार प्रणाली व भ्रामक विज्ञापन के कारण 50,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए तथा नौकरी का प्रस्‍ताव छोड़ने के कारण 30,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए, सेवायें प्राप्‍त करने के लिए श्रम के मद में 8000/-रू0 प्रतिदिन 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए तथा देरी के कारण परिणामिक राशि प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.   सभी पक्षकारों को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 के माध्‍यम से बीमा पालिसी चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य बीमा लाभ के लिए दिनांक 25.09.2020 को प्राप्‍त की थी। अत: इस बिन्‍दु पर विस्‍तृत विश्‍लेषण करने की आवश्‍यकता नहीं है।

3.   सभी पक्षकारों को यह स्थिति भी स्‍वीकार है कि परिवादी ने बीमा राशि के अनुपात के नवीनीकरण के लिए क्रमश: 10,00,000/-रू0 एवं 90,00,000/-रू0 के परिवर्तन का निवेदन दिनांक 01.09.2021 को किया तथा भुगतान भी कर दिया गया। अत: इस बिन्‍दु पर भी अतिरिक्‍त विश्‍लेषण की आवश्‍यकता नहीं है।

4.   पक्षकारों के मध्‍य विवाद का प्रारम्‍भ यह है कि जहॉं परिवादी द्वारा दिनांक 01.09.2021 को नवीनीकरण पालिसी के लिए भुगतान कर दिया गया तथा विपक्षी के कर्मचारी दीपक कुमार द्वारा 72 घण्‍टे के अन्‍तर्गत नवीनीकरण पालिसी जारी करने का आश्‍वासन दिया गया, परन्‍तु इस अवधि में नवीनीकरण पालिसी जारी नहीं की गयी। शिकायत पर दीपक कुमार ने परिवर्तन करने से इंकार कर दिया और वरिष्‍ठ अधिकारी द्वारा दिनांक 15.10.2021 को अतिरिक्‍त धन की मांग की। कर्मचारी संबंध प्रबन्‍धक मोहम्‍मद अमीरुलवराह सिद्दीकी भी इस समस्‍या का समाधान नहीं कर सके। इसके बाद दिनांक 07.11.2021 को शिकायत प्रकोष्‍ठ में शिकायत दर्ज करायी गयी, परन्‍तु कोई समाधान नहीं हो सका। आई0आर0डी0ए0 के सम्‍मुख भी शि‍कायत की गयी, परन्‍तु कोई समाधान नहीं निकल सका। तब दिनांक 21.12.2021 को उपभोक्‍ता शिकायत की गयी। अन्‍तत: विपक्षीगण के कथनानुसार परिवादी को दिनांक 10.01.2022 को नवीनीकृत पालिसी प्राप्‍त हुई। देरी से पालिसी प्राप्‍त होने के कारण ही परिवादीगण द्वारा उपरोक्‍त वर्णित अनुतोषों के लिए परिवाद प्रस्‍तुत  किया

 

-4-

गया। अत: इस आयोग के समक्ष विचारणीय बिन्‍दु यह है कि देरी से नवीनीकृत पालिसी प्राप्‍त होने के आधार पर परिवादीगण के विरूद्ध विपक्षीगण द्वारा सेवा में किस स्‍तर की कमी की गयी है?

5.   परिवादी संख्‍या-1 स्‍वयं तथा विपक्षी संख्‍या-1, 2 व 3 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

6.   सर्वप्रथम इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि परिवादीगण द्वारा ली गयी पालिसी, जिसकी द्वितीय किश्‍त समय पर जमा करा दी गयी और द्वितीय किश्‍त जमा करते समय ही 10,00,000/-रू0 और 90,00,000/-रू0 के अनुपात में परिवर्तन का अनुरोध स्‍वीकार होने और पालिसी प्राप्‍त होने तक नवीनीकृत पालिसी की क्‍या स्थिति थी? क्‍या परिवादीगण को मेडिकल  क्‍लेम उपलब्‍ध रहता? इस प्रश्‍न का उत्‍तर सकारात्‍मक है क्‍योंकि अंकन 5,00,000/-रू0 एवं 95,00,000/-रू0 के अनुपात के अनुसार प्रीमियम का भुगतान किया जा चुका था। यह पालिसी कभी भी अस्तित्‍व विहीन नहीं रही। अंकन 10,00,000/-रू0 एवं 90,00,000/-रू0 के अनुपात में परिवर्तन का निवेदन एक नई संविदा है। इस संविदा को विपक्षीगण द्वारा स्‍वीकार भी किया जा सकता है और इंकार भी किया जा सकता है, परन्‍तु किसी भी स्थिति में परिवादीगण द्वारा जो पालिसी प्राप्‍त की गयी थी, उस पालिसी का द्वितीय प्रीमियम जमा करने के पश्‍चात् वह पालिसी कभी भी अस्तित्‍व विहीन नहीं रही यानि उक्‍त पालिसी के अन्‍तर्गत देय सभी लाभ परिवादीगण को प्राप्‍त थे। इस मध्‍य यदि परिवादीगण बीमार होते तथा इलाज में उनका धन खर्च होता तब इसकी प्रतिपूर्ति करने के लिए बीमा कम्‍पनी उत्‍तरदायी होती। अत: यह नहीं कहा जा सकता कि अंकन 10,00,000/-रू0 एवं 90,00,000/-रू0 के अनुपात के अनुरोध को यदि विपक्षीगण द्वारा शीघ्रता से स्‍वीकार नहीं किया गया तब‍ परिवादीगण बीमा पालिसी विहीन हो गये और इसके कारण उन्‍हें मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा या इस कारण परिवादी को नौकरी का प्रस्‍ताव ठुकराना पड़ा, इसलिए परिवादीगण द्वारा मानसिक प्रताड़ना के इस मद में जिस धनराशि की मांग की गयी है, वह स्‍वीकार नहीं की जा सकती है। सेवा छोड़ने के कारण जिस क्षति की मांग की गयी है, वह भी स्‍वीकार करने  योग्‍य  नहीं

 

-5-

है। परिवादीगण में से एक परिवादी संख्‍या-1 को यह प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुआ था। वह सुगमता के साथ इस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार कर सकते थे। अनुपात राशि के परिवर्तन के साथ पालिसी प्राप्‍त न होने के कारण भी उन्‍हें मेडिकल क्‍लेम प्राप्‍त करने में किसी प्रकार की बाधा उत्‍पन्‍न नहीं होती, इसलिए इस मद में भी कोई क्‍लेम स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है।

7.   परिवादी का स्‍वयं का तर्क है कि विपक्षीगण किसी भी देरी के लिए अतिरिक्‍त विलम्‍ब शुल्‍क लेते हैं। इस प्रकार विपक्षीगण पर भी समय अन्तराल के लिए भुगतान की गयी राशि का 18 प्रतिशत छूट राशि की तरह देना अनिवार्य होना चाहिए।

8.   यह विषय पालिसी सम्‍बन्‍धी विषय है, जिस पर निर्णय लेने के लिए आई0आर0डी0ए0 सक्षम है। परिवादी भारत सरकार से भी इस सम्‍बन्‍ध में अनुरोध कर सकते हैं। हो सकता है कि भविष्‍य में इस पर विचार करते हुए बीमा कम्‍पनियों को भी विलम्‍ब के कारण उत्‍तरदायी ठहराने का कोई कानून मौजूद हो सके। इस आयोग द्वारा केवल परिवादीगण के प्रति सेवा में कमी या अनुचित व्‍यापार प्रणाली के बिन्‍दु को विचार में लिया जा सकता है, इसलिए इस मद में भी किसी प्रकार का अनुतोष जारी नहीं किया जा सकता, परन्‍तु जैसा कि परिवादी का कथन है और शपथ पत्र से साबित किया है कि विपक्षीगण के कर्मचारी द्वारा 72 घण्‍टे के अन्‍दर संशोधित नवीनीकृत बीमा पालिसी प्राप्‍त कराने का आश्‍वासन दिया गया था, परन्‍तु इस आश्‍वासन को पूरा नहीं किया गया, इसलिए इस विलम्बित अवधि के कारण कहा जा सकता है कि विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रणाली अपनायी गयी है और परिवादीगण तद्नुसार इस मद में क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत हैं।

9.   अब इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि क्षतिपूर्ति की यह राशि कितनी होनी चाहिए? यह तथ्‍य स्‍थापित है कि नवीनीकृत पालिसी देरी से सही परन्‍तु परिवादी को प्राप्‍त हो चुकी है। प्रस्‍ताव भरने की तिथि से ही इस पालिसी में प्रस्‍ताव स्‍वीकार किया गया है यानि भूतलक्षीय प्रभाव से पालिसी जारी की गयी है। अत: परिवादीगण को किसी भी प्रकार की क्षति कारित नहीं हुई है सिवाय इसके कि उन्‍हें नवीनीकृत पालिसी प्राप्‍त करने के लिए इन्‍तजार करना पड़ा। इसके लिए उन्‍हें मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक

 

-6-

प्रताड़ना कारित हुई। अत: परिवादीगण इस मद में अंकन 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति विपक्षीगण से एकल एवं संयुक्‍त दायित्‍व के तहत प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत हैं। अत: परिवाद तद्नुसार इस सीमा तक स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

10.  (क) प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से इस सीमा तक स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण एकल एवं संयुक्‍त दायित्‍व के तहत परिवादीगण को अंकन 1,00,000/-रू0 (एक लाख रूपया मात्र) आज से तीन माह के अन्‍दर उपलब्‍ध करायें। यदि तीन माह के अन्‍दर इस राशि को उपलब्‍ध नहीं कराया जाता है, तब इस राशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज देय होगा।

     (ख) परिवाद व्‍यय के रूप में विपक्षीगण, परिवादीगण को अंकन  25,000/-रू0 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) आज से तीन माह के अन्‍दर उपलब्‍ध करायें, परन्‍तु यदि तीन माह के अन्‍दर इस राशि को उपलब्‍ध नहीं कराया जाता है, तब इस राशि पर भी उपरोक्‍तानुसार ब्‍याज देय होगा।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

        (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)               (सुशील कुमार)    

                अध्‍यक्ष                        सदस्‍य

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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