Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/42/2011

NIYAZ HAIDER - Complainant(s)

Versus

PNB - Opp.Party(s)

DAYASHANKAR MISHRA

05 Jan 2021

ORDER

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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 42 सन् 2011

      प्रस्तुति दिनांक 10.05.2011

                                       निर्णय दिनांक 05.01.2021

नियाज हैदर पुत्र स्वo अलीहैदर, ग्राम व पोस्ट- देवइत, तहसील- मेहनगर, थाना- मेहनगर, जिला- आजमगढ़।

............................................................................................परिवादी।

बनाम

शाखा प्रबन्धक, पंजाब नेशनल बैंक सदावर्ती चौक, आजमगढ़।..................

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उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- गगन कुमार गुप्ता

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अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह कम पढ़ा-लिखा है बेरोजगार युवक है और खेतीबाड़ी करता है। उसके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी है तथा उसके शुभचिन्तकों ने परिवादी को सलाह-मशविरा दिया कि बैंक से फाइनेंस कराकर कृषि कार्य हेतु ट्रैक्टर ले लो तो खेतीबाड़ी व आमदनी का एक जरिया हो जाएगा। इसके पश्चात् परिवादी ने शाखा प्रबन्धक पंजाब नेशनल बैंक, शाखा- चौक, आजमगढ़ से मिला व ट्रैक्टर फाइनेंस कराने के बाबत पूरी जानकारी किया तथा अपना एकाउण्ट भी बैंक में खुलवाया, जिसका नम्बर 050400AV02005073 है। सारी औपचारिकताएं पूरी कराने के पश्चात् बैंक ने परिवादी को 4,00,000/- रुपये का ऋण माह जनवरी, 2010 में स्वीकृत करके आरoकेo एजेन्सी नरौली, आजमगढ़ के द्वारा न्यू हालैण्ड ट्रैक्टर दिलवाया। शाखा प्रबन्धक द्वारा उसे यह भी बताया गया कि बैंक के टर्म्स एवं कंडीशन के हिसाब से ट्रैक्टर का रजिस्टर एवं बीमा अति आवश्यक है, क्योंकि ट्रैक्टर गायब होने, चोरी होने या लड़ने व जलने पर आपको ट्रैक्टर का पूरा पैसा बीमा कम्पनी द्वारा दिया जाएगा और बैंक भी सुरक्षित रहेगा। तो परिवादी ने अपनी सहमति दे दिया। शाखा प्रबन्धक के निर्देश पर परिवादी लोन एकाउन्ट में दिनांक 02.03.2010 को 49,000/- रुपया तथा दिनांक 04.02.2010 को 2,500/- रुपया भी जमा किया और वह बैंक द्वारा दिए गए निर्देश का अक्षरशः पालन किया। प्रार्थी का ट्रैक्टर जिसका नम्बर यू.पी.50/यू.-3505 था। दिनांक 18.02.2010 को समय करीब 08 बजे रात्रि को बवाली मोड़, रोडवेज, आजमगढ़ के पश्चिम खड़ा करके दुकान पर चाय पीने गया, चाय पीकर जब वापस आया तो ट्रैक्टर उस स्थान पर नहीं खा। अगल-बगल तलाश करने के पश्चात् जब ट्रैक्टर नहीं मिला तो इस घटना की सूचना

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थाना- कोतवाली, आजमगढ़ में उसी रात देने गया, लिखित सूचना ट्रैक्टर गुम होने के बाबत दिया तो कहे कि सुबह आना तब रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। तब मैं सुबह थाना कोतवाली गया तो घटना की एफ.आई.आर. थाना कोतवाली में किया व कॉपी भी प्राप्त किया। इसकी सूचना लिखित रूप से बैंक को भी दिया। लेकिन बैंक द्वारा उसे सही बात नहीं बताया गया और कहा गया कि आप जरिये डॉक रजिस्टर्ड आर.सी., डी.एल., एफ.आई.आर. के साथ दीजिए तब बीमा कम्पनी को अवगत कराया जाएगा। परिवादी के द्वारा दिनांक 06.03.2010 को शाखा प्रबन्धक पंजाब नेशनल बैंक को आर.सी., डी.एल., व एफ.आई.आर. की कॉपी लिखित डॉक रजिस्टर्ड द्वारा दिया। तब भी बैंक द्वारा उसे सही बात नहीं बताया गया और एवं गुमराह किया जाता रहा। परिवादी बार-बार बैंक मैनेजर के यहां दावे के पैरवी हेतु जाता रहा, तब बैंक मैनेजर ने कहा कि तुम्हारे ट्रैक्टर का बीमा ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड पाण्डेय बाजार आजमगढ़ से है वहीं सम्पर्क कीजिए। जब परिवादी बैंक से बीमा आदि का कागज लेकर वहाँ गया तो बीमा कम्पनी द्वारा उसे बताया गया कि बैंक की गलती की वजह से आपके ट्रैक्टर का बीमा केवल थर्ड पार्टी का हो गया। यदि बीमा फुल काम्प्रेहेन्सिव होता तो हम जिम्मेदार होते। परिवादी उसी दिन बैंक मैनेजर के यहां गया और कहा कि बीमा कम्पनी वाले क्लेम देने से इन्कार कर दिए और कह रहे हैं कि बैंक जिम्मेदार है। किन परिस्थितियों में आपके नये ट्रैक्टर का बीमा थर्ड पार्टी का प्रीमियम देकर कराया गया। इस तरह का यह एक पहला एवं अनोखा मामला है। शिकायतकर्ता दिनांक 28.04.2010 को पुनः क्लेम निस्तारण के बाबत रजिस्टर्ड पत्र दिया गया और बाद में सम्पर्क किया तो कहे कि क्लेम का भुगतान नहीं हो सकता, तो परिवादी ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया। अतः परिवादी को विपक्षी से 4,00,000/- रुपया मय 12% वार्षिक ब्याज की दर से दिलवाया जाए। यदि कोई अन्य अनुतोष के लिए मुस्तहक है तो उसे भी उससे दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 7/1 परिवादी द्वारा शाखा प्रबन्धक को दिए गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 फॉर्म ऑफ रजिस्ट्रेशन, कागज संख्या 7/3 ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा किए गए बीमा की छायाप्रति, कागज संख्या 7/4 बीमा का छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 बीमा की छायाप्रति, कागज संख्या 7/6 एफ.आई.आर. की

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छायाप्रति, कागज संख्या 7/7 प्रथम सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 7/8 शाखा प्रबन्धक पंजाब नेशनल बैंक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/9 रजिस्ट्री की छायाप्रति, कागज संख्या 7/10 रजिस्ट्री की मूल प्रति प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है और परिवाद पत्र के सारे अभिकथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथन में यह कहा गया है कि परिवादी को परिवाद पत्र दाखिल करने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। बैंक ने स्वीकार किया है कि मुo 4,00,000/- रुपये में परिवादी ने बैंक से ऋण लेकर न्यू हालैण्ड ट्रैक्टर आर.के. एजेन्सी नरौली आजमगढ़ से जनवरी 2010 में खरीदा था। बैंक किसी वाहन का या ट्रैक्टर ऋण स्वीकृत करते समय उसके बीमा के सन्दर्भ में वाहन स्वामी से स्वीकृति प्रदान करते हैं तत्पश्चात् स्वीकृति के अनुसार ही बैंकि द्वारा बीमा कराया जाता है। यदि वाहन स्वामी भी बीमा कम्पनी से वाहन का बीमा कराने का इच्छुक है तो बैंक उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। विपक्षी द्वारा परिवादी को बताया गया कि ट्रैक्टर का फुल बीमा कराकर तत्काल उसकी प्रति बैंक को उपलब्ध कराये तो विपक्षी द्वारा कहा गया कि ट्रैक्टर का पंजीकरण जरूरी है। फुल बीमा हेतु धनराशि की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। लेहाजा थर्ड पार्टी बीमा कराके ट्रैक्टर का पंजीकरण हो जाए इसके पश्चात् धनराशि की व्यवस्था होने पर ट्रैक्टर का फुल बीमा कराकर बैक को उसकी प्रति उपलब्ध करा देंगे तो उस पर बैंक तैयार हो गया। परिवादी ने अपने खाते से 1020/- रुपये ट्रैक्टर के थर्ड पार्टी बीमा दि ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड आजमगढ़ से कराया। परिवादी ने बैंक को आश्वासन दिया कि शीघ्र ही धनराशि की व्यवस्था करके ट्रैक्टर का फुल बीमा कराकर बैंक को सूचित किया जाएगा। इसके विपरीत किया गया कथन अस्वीकार है। परिवादी ने अपनी इच्छा व स्वीकृति के अनुसार बीमा प्रस्ताव पर थर्ड पार्टी बीमा हेतु अपना हस्ताक्षर किया और 1020/- रुपये जमा किया। फुल बीमा कराने हेतु उसने कोई भी धनराशि अदा नहीं किया है। बैंक ने परिवादी को उपरोक्त सुरक्षा व वसूली हेतु जमानतदार के रूप में जमानतदारों की जमीन बन्धक रखा है जिससे बैंक अपनी ऋण धनराशि की वसूली सुरक्षित मानकर चलता है। वर्तमान समय में परिवादी ने समस्त बैंक ऋण का भुगतान विपक्षी को कर दिया है। परिवादी को ट्रैक्टर किन परिस्थितियों में किसने चोरी कराया व करवाया है। इसकी जिम्मेदारी बैंक की नहीं है और यह मनगढ़न्त कहानी है। परिवादी ने फुल बीमा कराने के लिए आश्वासन दिया है, लेकिन उसके लिए नहीं आया।

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परिवादी ने ट्रैक्टर के ऋण के किश्तों का भुगतान विपक्षी को नहीं किया। जिसके बाबत विपक्षी ने वसूली नोटिस परिवादी को दिनांक 23.04.2011 को भेजा। जिसके प्रतिशोध स्वरूप परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है। परिवादी की कोई क्षति नहीं हुई है। बीमा कम्पनी आवश्यक पक्षकार थी, लेकिन उसे पक्षकार नहीं बनाया गया है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी की ओर से 27ग एकाउन्ट ऑफ इन्टरेस्ट प्रस्तुत किया गया है।

उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने विपक्षी से 4,00,000/- रुपये का ऋण ट्रैक्टर खरीदने हेतु लिया था। नियमतः बीमा कराने का उत्तरदायित्व बैंक के ऊपर ही होता है और उसके लिए ऋण लेने वाले की कोई सहमति देने की आवश्यकता नहीं है। विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा में यह कहा गया है कि परिवादी ने थर्ड पार्टी बीमा कराने हेतु 1020/- रुपये जमा किया था। यह एक बड़ा ही असम्भव तथ्य है कि जो व्यक्ति 1020/- रुपये जमा कर सकता है वह थोड़ा सा पैसा जमा करके फुल बीमा नहीं करा सकता है। इस सन्दर्भ में विपक्षी की ओर से कोई भी प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है कि परिवादी ने थर्ड पार्टी रखा था अथवा नहीं। इस प्रकार सम्पूर्ण परिस्थितियां यह प्रदर्शित करती हैं कि गलती बैंक की है। बैंक का यह कर्तव्य था कि वह ट्रैक्टर का फुल बीमा करता, लेकिन उसने जान-बूझकर ऐसा नहीं किया।

       इस पत्रावली में पक्षकार राज्य आयोग के समक्ष उपस्थित हुए थे और अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत किया था। राज्य आयोग ने निम्नलिखित आधार पर पत्रावली को इस आयोग में रिमाण्ड कर दिया था-

“1. प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा पुलिस को दी गयी रिपोर्ट पर क्या अपराध पंजीकृत किया गया है यदि हाँ तो उसका पूरा विवरण?

2. क्या पुलिस ने विवेचना की है?

3. क्या पुलिस ने दौरान विवेचना प्रत्यर्थी/परिवादी का ट्रैक्टर बरामद किया है?

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4. क्या पुलिस ने बाद विवेचना आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया है?

5. क्या पुलिस ने बाद विवेचना अंतिम रिपोर्ट न्यायालय प्रेषित किया है, जो समक्ष मजिस्ट्रेट द्वारा अंतिम रूप से स्वीकृत की जा चुकी है?”

       परिवादी द्वारा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी ने ट्रैक्टर चोरी के सम्बन्ध में पुलिस को सूचना दिया था जो कि उचित धाराओं में पंजीकृत किया गया था। यहाँ यह भी कहना आवश्यक है कि सूचना देने के पश्चात् पुलिस द्वारा उसकी विवेचना की गयी थी, लेकिन विवेचना के दौरान ट्रैक्टर बरामद नहीं हुआ था और जाँच अधिकारी ने अन्तिम रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश किया, जो कि सम्बन्धित मजिस्ट्रेट द्वारा स्वीकार कर ली गयी। इस प्रकार माननीय राज्य आयोग द्वारा निर्देशित उपरोक्त प्रपत्रों को परिवादी ने पत्रावली में प्रस्तुत कर दिया है। 

उपरोक्त विवेचन से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 4,00,000/- (चार लाख रुपया) रुपये मय 09% वार्षिक ब्याज की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अन्दर तीस दिन अदा करे। बैंक परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु 20,000/- (बीस हजार रुपया) रुपये अलग से अदा करे।

 

 

 

गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                      (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

 

 

 

दिनांक 05.01.2021

 

 

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                      (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

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