Nirmal Kumar filed a consumer case on 27 Feb 2017 against PNB in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is cc/386/2013 and the judgment uploaded on 12 May 2017.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-386/2013
निर्मल कुमार निगम पुत्र षिव षंकर प्रसाद निगम निवासी 109/419 नेहरू नगर, कानपुर नगर
................परिवादी
बनाम
पंजाब नेषनल बैंक, द्वारा षाखा प्रबन्धक, षाखा मेस्टन रोड, कानपुर नगर
...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 25.07.2013
निर्णय तिथिः 28.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी से परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 50,000.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी विपक्षी बैंक के यहां खाता सं0-3687009300016829 का खाता धारक है। परिवादी द्वारा एक चेक सं0-301304 दिनांकित 17.01.13 बावत रू0 3540.00 यूनाइटेड इंडिया इष्ंयोरेन्स कंपनी लि0 के पक्ष में मोटर वाहन बीमा पॉलिसी सं0-02090031120110049026 की किष्त की अदायगी के लिए जमा की गयी। यूनाइटेड इंडिया इंष्योरेन्स के द्वारा उपरोक्त चेक विपक्षी बैंक के यहां जमा करने पर म्िमिबजे दवज बसमंत चतमेमदज ंहंपद की टिप्पणी के साथ अनादरित कर दी गयी। प्रष्नगत चेक के अनादरित करने से सम्बन्धित कोई सूचना विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को नहीं दी गयी और न ही तो चेक अनादरित होने पर जो षुल्क काटा जाता है, वह परिवादी के खाते से नहीं काटा गया। फलस्वरूप परिवादी को प्रष्नगत चेक अनादरित होने की जानकारी नहीं हो सकी। दिनांक 17.01.13 की तिथि पर परिवादी की उपरोक्त प्रष्नगत चेक विपक्षी बैंक के द्वारा अनादरित की
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गयी। उक्त तिथि पर परिवादी के खातें में रू0 2,25,000.00 अवषेश थें। परिवादी ने प्रष्नगत चेक विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को बिना किसी प्रकार से सूचना दिये ही अनादरित करने से परिवादी की उपरोक्त प्रष्नगत बीमा किष्त समय से जमा नहीं हो सकी और जिसके परिणामस्वरूप बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी की बीमा पॉलिसी रद्द कर दी गयी। जिससे परिवादी को बीमा की भारी क्षति उठानी पडी और मानसिक व आर्थिक यातना से भी गुजरना पड़ा। विपक्षी बैंक का उपरोक्त कृत्य सेवा में कमी की कोटि में आता है। परिवादी द्वारा दिनांक 12.04.13 को विपक्षी को पत्र लिखा गया और दिनांक 07.05.13 को विधिक नोटिस भेजने के बावजूद विपक्षी द्वारा परिवादी की क्षतिपूर्ति नहीं की गयी। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी बैंक की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा अपने बचत खाते में से चेक इस्यू कराकर यूनाइटेड इंडिया इंष्योरेन्स कंपनी को रू0 3540.00 की चेक काटी गयी, जिसका भुगतान विपक्षी द्वारा नहीं किया गया। किन्तु विपक्षी द्वारा भुगतान न करने का वास्तविक कारण यह है कि काटी गयी चेक जब किसी भी बैंक में भुगतान के लिए आता है, तो षाखा प्रबन्धक द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की गाइड लाइन के अनुसार हस्ताक्षर आदि का मिलान करके पेमेंट किया जाता है। यदि किसी चेक में हस्ताक्षर में भिन्नता है या अन्य किसी कारण से चेक का भुगतान नहीं किया गया है, तो उसका कारण स्पश्ट करते हुए चेक के साथ स्लिप संलग्न कर दी जाती है। परिवादी द्वारा यदि अपने चेक के पीछे अथवा खाते में फोन नम्बर दर्ज किया गया होता, तो उसको दूरभाश के माध्यम से सूचना दे दी जाती। यदि दूरभाश संख्या उल्लिखित नहीं किया गया है, तो ऐसी दषा में उपभोक्ता की भी स्वयं की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने खाते के सम्बन्ध में चेक देने के उपरान्त स्वयं जानकारी प्राप्त कर ले कि उसके द्वारा दी गयी चेक का भुगतान हुआ है या नहीं। अनादरित
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चेक के साथ अनादरित होने के कारण सहित स्लिप में भुगतान न होने का कारण का स्पश्ट उल्लेख है। इस प्रकार विपक्षी द्वारा परिवादी के साथ कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गयी है बल्कि विपक्षी ने अपने दायित्व का निर्वाह्न किया है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 23.07.13 एवं 08.04.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न, कागज सं0-1 लगायत् 7 दाखिल किया है।
6. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में न तो कोई षपथपत्र दाखिल किया है और न ही कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
8. उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा यह कहा गया है कि प्रष्नगत चेक अनादरित करने से सम्बन्धित कोई सूचना विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को नहीं दी गयी है और न ही तो चेक अनादरित होने पर जो षुल्क काटा जाता है, वह परिवादी के खाते से काटा गया। फलस्वरूप परिवादी को प्रष्नगत चेक अनादरित होने की जानकारी नहीं हो सकी। परिणामस्वरूप बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी की बीमा पॉलिसी रद्द कर दी गयी। जबकि विपक्षी बैंक के द्वारा अपने जवाब दावा में यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी द्वारा अपने बचत खाते में से चेक इष्यू कराकर यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेन्स कंपनी लि0 को रू0 3540.00 की चेक काटी गयी, जिसका भुगतान विपक्षी द्वारा नहीं किया गया। विपक्षी बैंक के द्वारा पेमेंट न किये जाने का कारण यह बताया गया कि यदि कोई चेक अनादरित हो जाती है, तो चेक अनादरित होने का कारण स्पश्ट करते हुए
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चेक के साथ स्लिप सलंग्न कर दी जाती है। परिवादी द्वारा यदि अपने चेक के पीछे अथवा खाते में फोन नम्बर दर्ज किया गया होता तो उसे दूरभाश के माध्यम से सूचना दे दी जाती। अन्यथा स्थिति में भी उपभोक्ता की भी स्वयं की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने खाते के सम्बन्ध में चेक देने के उपरान्त स्वयं जानकारी प्राप्त कर ले कि उसके द्वारा दी गयी चेक का भुगतान हुआ है या नहीं।
9. परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में निर्णय के प्रस्तर-5 में उल्लिखित अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। विपक्षी की ओर से अपने कथन के समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया है। ऐसी दष में परिवादी की ओर से किये गये कथन और परिवादी की ओर से दाखिल किये गये षपथपत्रीय साक्ष्य व अभिलेखीय साक्ष्यों पर अविष्वास किये जाने का कोई आधार नहीं है। विपक्षी बैंक का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि उपभोक्ता को स्वयं ही यह पता करना चाहिए कि उसकी चेक अनादरित हुई है या नहीं।
10. अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से उसे क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। परिवादी द्वारा रू0 50000.00 की क्षतिपूर्ति याचित की गयी है। किन्तु परिवादी द्वारा रू0 50000.00 की क्षतिपूर्ति का कोई सम्यक आधार नहीं बताया गया है। अतः प्रस्तुत मामले के तथ्यों, परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में एकमुष्त रू0 20,000.00 तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 5000.00 के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है।
ःःःआदेषःःः
11. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के
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30 दिन के अंदर विपक्षी बैंक, परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 20,000.00 (बीस हजार रूपये) तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
परिवाद संख्या-386/2013
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