Uttar Pradesh

Faizabad

CC/52/2004

Krishna Devi - Complainant(s)

Versus

PNB - Opp.Party(s)

20 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/52/2004
 
1. Krishna Devi
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. PNB
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-52/2004

श्रीमती कृश्णा देवी आयु लगभग 45 साल पत्नी स्व0 श्री राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय निवासिनी मकान संख्या डब्लू-173 अवधपुरी आवास विकास कालोनी अमानीगंज षहर व जिला फैजाबाद।                                                   .............. परिवादिनी
बनाम
1.    पंजाब नेषनल बैंक फैजाबाद चैक षाखा फैजाबाद द्वारा षाखा प्रबन्धक।
2.    षाखा प्रबन्धक पंजाब नेषनल बैंक चैक षाखा फैजाबाद।     ..........  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 20.05.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्री माया देवी षाक्य, सदस्या।
                        निर्णय
    परिवादिनी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय दूर संचार विभाग राजस्थान में कार्यरत थे, पति के मृत्यु केे बाद दूर संचार विभाग फैजाबाद में परिवादिनी अनुकम्पा के आधार पर सेवारत हुयी। पति के मृत्यु के बाद परिवादिनी को परिवारिक पेंषन मिलने लगी, और समय-समय पर पेंषन में बढोत्तरी भी होती रही, परिवादिनी का पी0पी0ओ0 नम्बर टी सी ए /8-3/ आर पी पी /368/22/455 दिनांक 16-6-1995 है। भारत सरकार के आदेष पत्र दिनांक 02.06.1099, दिनांक 30.07.1999, दिनांक 18.07.1999 से बढ़ी दरों पर पेेंषन देने का निर्देष दिया गया। परिवादिनी का बचत खाता संख्या 318943 विपक्षी संख्या 1 की चैक षाखा में है, जिसमें पेंषन आती हैं। दिनांक 30.07.1999 को भारत सरकार व दूर संचार के आदेष के अनुपालन में पेंषन वृद्धि दिनांक 18.07.1099 से विपक्षी संख्या 1 व 2 द्वारा किया जाना था। जो उन्होंने नहीं किया, परिवादी ने विपक्षीगणों से मिल कर मौखिक व लिखित बढ़ी हुई पेंषन देने का निवेदन किया मगर विपक्षीगण टाल मटोल करते रहे बाद में यह कहा कि आप के पति जहॅा काम करते थे वहाॅं से लिखवा कर लाइए, तो परिवादिनी जयपुर गयी। जयपुर मंे विभाग के नियन्त्रक द्वारा अपने पत्र दिनांक 14.10.2003 के द्वारा भारत सरकार के पत्र दिनांक 02.06.1999 दिनांक 30-07-1999 तथा दिनांक 18.07.1997 के पत्रों की प्रतियाॅं भेजते हुये बढ़ी दारों पर पेंषन भुगतान का अनुरोध किया मगर विपक्षीगणों ने वित नियन्त्रक जयपुर के पत्र दिनांक 14-10-2003 के बाद भी परिवादिनी को भुगतान गलत ढंग से जोड़कर कुल रूपये 44107/- का किया। जब कि विपक्षीगण द्वारा दिनांक 01-01-2004 को बकाया धनराषि रूपये 53373/- का भुगतान करना चाहिए था, इस प्रकार विपक्षीगण ने रूपये 9266/-का कम भुगतान किया। जिससे परिवादिनी को 17697/- के ब्याज का नुकसान हुआ इस प्रकार परिवादिनी को विपक्षीगण से रूपये 26,963/- मिलना चाहिये, परिवादिनी ने विपक्षीगण से रूपये 26963/- की माॅग की मगर उन्होंने दिनांक 19-10-2004 को भुगतान करने से मना कर दिया, इसलिये परिवादिनी  को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादिनी को विपक्षीगण से रूपये 26963/-रूपये 10,000/-क्षतिपूर्ति, 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज तथा परिवाद व्यय दिलाया जाय। 
    विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादिनी का बचत खाता अपने बैंक में होना स्वीकार किया है एवं परिवादिनी के परिवाद के अन्य कथनों से इन्कार किया है। विपक्षीगण ने अपने कथन में कहा हैं कि परिवादिनी के बचत खाते में पेंषन की जो भी धनराषि आती है वह उसके खाते जमा कर दी जाती है। विभागीय निर्देषों के अनुसार परिवादिनी के खाते में रूपये 44,107/- जमा करा दिया गया है। परिवादिनी का कथन है कि बैंक ने मनमाने तौर से गणना की है, जो कि गलत एंव निराधार है। पेंषन खाते में सम्बधित विभाग से जो भी धनराषि आती है, वह पेंषनर के खाते में जमा कर दी जाती है। परिवादिनी को यह भ्रम है कि बैंेक पेंषन कि गणना करता है। परिवादिनी को अपने विभाग से पेंषन की गणना के बारे में सम्पर्क करना चाहिए पेंषन के खाते से बैंक का कोई व्यवसाय नहीं होता है। परिवादिनी ने दूर संचार विभाग को जो कि आवष्यक पक्षकार है, को पक्ष नहीं बनाया है। विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कोई कमी नही की है। परिवादिनी द्वारा माॅगा गया उपषम असत्य एवं निराधार है। परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
    परिवादिनी एंव विपक्षीगण की ओर से बहस के लिये कोई उपस्थित नहीं हुआ, पत्रावली काफी पुरानी है, इसलिये परिवाद का निर्णय पत्रावली का भाली भाॅति परिषीलन करने के बाद गुण दोश के आधार पर परिवाद का निर्णय किया। पक्षकारों को बहस के लिये समय दिया गया मगर किसी ने उपस्थित होकर अपनी बहस नहीं की। परिवादिनी ने अपने पक्ष के समर्थन में कोई प्रपत्र साक्ष्य में दाखिल नहीं किया है और न ही कोई षपथ पत्र दाखिल किया है। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के सर्मथन में अपना लिखित कथन तथा बी.बी. श्रीवास्तव, वरिश्ठ प्रबन्धक का षपथ पत्र दाखिल किया है, जो षामिल पत्रावली है। परिवादिनी ने अपने परिवाद के सर्मथन में कोई साक्ष्य दाखिल नही किया है, तथा परिवादिनी ने दूर संचार विभाग को पक्षकार नहीं बनाया है, दूर संचार विभाग ही परिवादिनी के पेंषन की गणना करता है। विपक्षी बैंक को पेंषन की गणना करने का कोई अधिकार नहीं है। परिवादिनी को दूर संचार विभाग से ही पत्राचार करना चाहिए था। जो कि नहीं किया गया है। परिवादिनी ने विपक्षी बैंक को गलत पक्षकार बनाया है। विपक्षी बैंक ने अपनी सेवा में कोई कमी नही की है। परिवादिनी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रही है। अतः परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
आदेष
    परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 20.05.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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