जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या 275/2021 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-25.10.2021
परिवाद के निर्णय की तारीख:-03.07.2023
जगजीत सिंह उम्र लगभग 33 वर्ष पुत्र श्री रंजीत सिंह निवासी-म0नं0 551ग/47 पुराना सरदारी खेड़ा आलमबाग लखनऊ उत्तर प्रदेश-226005 ।
...........परिवादी।
बनाम
1. ब्रान्च मैनेजर पी0एन0बी0 मेटलाईफ इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड फस्ट फ्लोर कामर्शियल मोटर बिल्डिंग हजरतगंज शाखा लखनऊ।
2. चेयरमैन, कलेक्स कमेटी पी0एन0बी0 मेट लाईफ इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड फर्स्ट फ्लोर टैनीफलेक्स काम्पलेक्स ऑफ वीर सावरकर प्लाई ओवर गोरेगांव वेस्ट मुम्बई महाराष्ट्र-4000621 । ...........विपक्षीगण।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री अरूण कुमार पाण्डेय।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री विजय कुमार श्रीवास्तव।
आदेश द्वारा-श्रीमती सोनियॉं सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत विपक्षीगण से परिवादी का क्लेम स्वीकार कर गंभीर बीमारी में हुए इलाज का खर्च 2,00,000.00 रूपये, मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताडि़त करने के बाबत 1,00,000.00 रूपये, एवं वाद व्यय 20,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी लाइफ इन्श्योरेंस कम्पनी से एक इन्श्योरेंस प्लान का प्रोडक्ट जिसका नाम पी0एन0बी0 मेट लाईफ इनडोवमेन्ट सेविंग प्लान था दिनॉंक 22.01.2019 को क्रय किया था और उसी दिन से प्रभावी हुआ। उक्त इन्श्योरेंस प्लान की परिपक्वता धनराशि बेसिक सम एश्योर्ड धनराशि 2,81,339.08 रूपये था तथा उक्त बीमा पालिसी दस वर्ष के लिये दिनॉंक 22.01.2029 तक परिपक्व होना था, एवं प्रीमियम पॉंच वर्षों तक देय था व प्रीमियम धनराशि 59,221.10 रूपये प्रतिवर्ष देय थी और दो बार में छमाही किस्तों में प्रीमियम की धनराशि देय थी। दिनॉंक 22.01.2029 तक इसमें एक्सीडेंट व गंभीर बीमारियों का रिस्क भी कवर था।
3. परिवादी का कथानक है कि उक्त पालिसी के अन्तर्गत दस गंभीर बीमारियों के बाबत पूर्णरूप से भुगतान किये जाने की शर्त थी जिसमें किडनी की बीमारी भी कवर थी जिसके बाबत परिवादी ने उक्त बीमा कम्पनी को उसकी शर्तों के अनुसार भुगतान किया था। परिवादी लगातार उक्त पालिसी की प्रीमियम का भुगतान करता रहा और दिनॉंक 14.08.2020 को अन्तिम प्रीमियम का भुगतान परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी को किया गया। उक्त पालिसी में सीरियस इलनेस राइडर कवर था।
4. दिनॉंक-09.12.2020 को परिवादी गंभीर रूप से बीमार हो गया और दिनॉंक 09.12.2020 से 14.12.2020 तक इलाज हेतु अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल कानपुर रोड, एल0डी0ए0 कालोनी लखनऊ में इलाज कराता रहा और इलाज में परिवादी के लगभग 2,00,000.00 रूपये से ज्यादा खर्च हुआ जिसका पूरा बिल और बाउचर सहित बीमारी में खर्च हुए क्लेम के लिये भुगतान हेतु प्रार्थना पत्र विपक्षी को दिया गया मगर उक्त कम्पनी ने परिवादी द्वारा भेजे गये क्लेम आवेदन को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि किडनी की बीमारी में डायलेसिस पर जाने पर ही क्लेम का भुगतान देय है, चॅूंकि किडनी का डायलेसिस नहीं हुआ है अत: कोई क्लेम देय नहीं है। जबकि उक्त इन्श्योरेंस प्लान क्रय किये जाते समय बीमा कम्पनी द्वारा ऐसी कोई शर्त नहीं बतायी गयी थी।
5. परिवादी ने दिनॉंक 25.05.2021 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी कम्पनी को नोटिस दिया परन्तु विपक्षी कम्पनी ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया और आज तक विपक्षी द्वारा परिवादी को सिरियस इलनेस क्लेम के बाबत कोई भुगतान नहीं किया गया है।
6. विपक्षीगण ने उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवादी ने उपरोक्त पालिसी क्रय करने के लिये सहमति दी थी। योजना की विशेषताओं के बारे में पूरी तरह से जागरूक होने के बाद और नियमों एवं शर्तों को समझने और सहमत होने के बाद परिवादी ने अपनी मर्जी के आधार पर विपक्षीगणों द्वारा दिनॉंक 22.01.2019 को एक पालिसी नम्बर-22791276 जारी की गयी थी। परिवादी द्वारा चुने गये अतिरिक्त राइडर के संदर्भ में प्रश्नगत पालिसी के खिलाफ चिकित्सा के बारे में विपक्षीगण को सूचित किया गया था। यहॉं यह उल्लेख करना उचित होगा कि परिवादी से दावा दस्तावेज प्राप्त करने के बाद विपक्षीगण ने दस्तावेजों की जॉंच की और बीमा कम्पनी को यह पता चला कि उक्त दावा अतिरिक्त राइडर मेट लाइफ सीरियस इलनेस के खिलाफ उठाया गया था। परिवादी द्वारा आपोलो हास्पिटल में गुर्दे की विफलता के लिये चिकित्सीय उपचार लिया गया है।
7. कम्पनी द्वारा यह निष्कर्ष निकाला गया कि मेडिकल रिकार्ड में परिवादी द्वारा प्रदान की गयी स्थिति गुर्दे की खराबी की परिभाषा को पूरा नहीं करती है। परिवादी ने नियमित किडनी का डायलेलिसस नहीं कराया है। विपक्षीगण ने शर्तों के अनुसार अपना काम ठीक से किया है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। कोई अनुचित व्यापार प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी है।
8. परिवादी द्वारा मौखिक साक्ष्य में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में पी0एन0बी0 मेटलाइफ द्वारा जारी प्रपत्र, इलाज के दौरान हुए खर्च के संबंध में प्रपत्र, रजिस्ट्री रसीदें, आधार कार्ड, पैन कार्ड, एवं विधिक नोटिस की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है। विपक्षीगण की ओर से भी पी0एन0बी0 मेटलाइफ के प्रपत्र, आदि दाखिल किये गये हैं।
9. मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
10. परिवादी के लिखित कथनों को साबित करने का भार परिवादी के ऊपर है। पालिसी वैध थी, पालिसी के तहत भुगतान किया जाना था और इसमें कई रोगों को कवर किया गया था। विपक्षीगण द्वारा अपनी आपत्ति में यह कहा गया कि जो पालिसी निर्गत की गयी थी वह सोच-समझकर शर्तों को बताकर और बताये जाने के बाद परिवादी द्वारा हस्ताक्षर किये गये और कोई भी पालिसी शर्तों के तहत होती है उसकी विपरीत कोई नहीं जा सकता है।
11. यह तथ्य सही है कि परिवादी दिनॉंक 09.12.2020 से 14.12.2020 तक आपोलो मेडिक्स सुपर इस्पेस्लिटिी हास्पिटल लखनऊ में भर्ती रहा। परिवादी के इलाज में लगभग 2,00,000.00 रूपये खर्च हुआ था। विपक्षीगण द्वारा यह कहा गया कि परिवादी का इलाज किडनी रोग से संबंधित था और किडनी रोग से संबंधित बीमारियों में हुए व्यय का भुगतान जब डायलेसिस कराया जाता है तभी उसमें होने वाले व्यय का भुगतान करने की पालिसी थी और परिवादी द्वारा डायलेसिस नहीं करायी गयी, इसलिए वह कोई भी क्षतिपूर्ति पाने के अधिकारी नहीं हैं।
12. मैने पक्षकारों की पालिसी का अवलोकन किया। पालिसी की शर्तों के अनुसार उक्त पालिसी मैडलाइफ पालिसी थी और इसके परिशीलन से विदित है कि इस पालिसी के तहत दो आप्शन दिये गये थे। एक सेविंग आप्शन और दूसरा सेविंग प्लस आप्शन तथा मृत्यु में राइडर्स भी लगाया गया है, परन्तु प्रस्तुत प्रकरण मृत्यु से संबंधित नहीं है। चिकित्सक की आख्या के अनुसार जगजीत सिंह को जो बीमारी हुई थी वह DIABETIC KETOACIDOSIS PRECIPITATED BY SEPSIS ACUTE KIDNEY INJURY TYPE2 DIABETES MELLITUS और जो बीमारी कवर की गयी है जो Critical Illnesses Covered की गयी है, जिसमें छठे क्रम में यह उल्लेख किया गया है कि Kidney Failure Requiring Regular Dialysis और चिकित्सक रिपोर्ट से परिलक्षित होता है कि उसमें डॉक्टर के अनुसार जो डायग्नोसिस की गयी थी वह DIABETIC KETOACIDOSIS अर्थात टाइप-2 शूगर हो जाने के कारण इनकी किडनी में ACUTE KIDNEY INJURY हो गया था। इसका अभिप्राय यह होता है कि जब शूगर अधिक हो जाता है तो किडनी से किटोन पास होने लगता है, जो सामान्यत: शूगर 500 के आस-पास होने पर होता है।
13. निश्चित ही यह एक मामूली बीमारी है। क्रिटोन पास हो जाना निश्चित रूप से मेरे संज्ञान के अनुसार उस मरीज के शरीर में जगह-जगह घाव होने लगता है जिसके कारण व्यक्ति मृत समान होता है, लेकिन संविदा के अनुसार केवल डायलेसिस कराया जाना गंभीर किडनी बीमारी में ट्रीट की गयी है, जबकि किडनी के बदलने की आवश्यकता हो। डाक्टर द्वारा किडनी बदलने के संबंध में कोई भी प्रमाण दाखिल नहीं किया गया है कि परिवादी की किडनी का ट्रान्सप्लान्ट चिकित्सक कराने के उद्देश्य से डायलेसिस कराया जा रहा था। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा जो तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं उसमें किसीप्रकार की कोई अनियमितता नहीं है। अत: परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है, विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-03.07.2023