(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-356/2019
श्रीमती शशी रानी पत्नी स्व0 श्री महेन्द्र, निवासिनी मोहल्ला सरजाखनी, गांव बिलासपुर, जिला गौतम बुद्ध नगर, 203202 ।
परिवादिनी
बनाम
1. पीएनबी मेटलाइफ इण्डिया इन्श्योरेन्स कं0लि0, रजिस्टर्ड आफिस यूनिट नं0-701, 702 व 703, 7th फ्लोर, वेस्ट विंग, रहीजा टावर्स, 26/27, एम.जी. रोड, बैंगलोर 560001 ।
2. दि चेयरमैन, क्लेम्स कमीटी, पीएनबी मेटलाइफ इण्डिया इन्श्योरेन्स कं0लि0, Ist फ्लोर, टेक्निप्लेक्स 1, टेक्निप्लेक्स काम्प्लेक्स, आफ वीर सावरकर फ्लाईओवर, गोरेगांव वेस्ट, मुम्बई 400062 ।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान
अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : सुश्री पूजा त्रिपाठी, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक: 16.08.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन 23,50,000/- रूपये 18 प्रतिशत ब्याज के साथ बीमित धन प्राप्त करने के लिए, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की मद में अंकन 02 लाख रूपये का प्रतिकर प्राप्त करने के लिए तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 35,000/- रूपये प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति श्री महेन्द्र द्वारा ग्रुप मास्टर पालिसी विपक्षीगण से प्राप्त की गई थी, जो दिनांक 30.03.2018 से दिनांक 29.03.2021 तक प्रभावी थी। इस पालिसी का ग्रुप मास्टर धारक पंजाब नेशनल बैंक था, जिसमें परिवादिनी के पति भी बीमित थे। बीमित राशि अंकन 23,50,000/- रूपये थी। इसी राशि का ऋण परिवादिनी के पति द्वारा प्राप्त किया गया था। इस पालिसी का एक ही बार रू0 79,003.36 पैसे प्रीमियम देय था। परिवादिनी द्वारा अपने पति को दिनांक 26.01.2019 को सीने में दर्द के कारण कैलाश हॉस्पिटल नोएडा में भर्ती कराया गया, जहां हॉस्पिटल द्वारा रू0 2,98,191.31 पैसे का बिल दिया गया, परन्तु परिवादिनी के पति की जान नहीं बचाई जा सकी। दिनांक 01.02.2019 को बीमाधारक की मृत्यु हो गई। मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया ताकी बैंक से लिए गए ऋण की पूर्ति हो सके, परन्तु दिनांक 30.05.2019 के पत्र द्वारा बीमा क्लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि पालिसी प्राप्त करने से पूर्व ही बीमाधारक गंभीर रूप से Artery Disease से ग्रसित थे, जबकि यथार्थ में परिवादिनी के पति इस बीमारी से पहले से ग्रसित नहीं थे और उनका पहले से इलाज नहीं हुआ।
3. परिवाद पत्र के साथ बीमा पालिसी की प्रति, एकमुश्त प्रीमियम के भुगतान के चेक की प्रति, कैलाश हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए गए तथा परिवाद की पुष्टि में शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत किए गए लिखित कथन में उल्लेख है कि बीमित व्यक्ति द्वारा सही एवं सत्य उद्घोषणा नहीं की गई। बीमित व्यक्ति पालिसी लेने के पश्चात 11 माह के अन्तर्गत मृत्यु को प्राप्त हो गए, इसलिए वास्तविक तथ्यों को छिपाने के कारण बीमा क्लेम नकार दिया गया, जो विधिसम्मत है।
5. लिखित कथन के समर्थन में श्री राजीव शर्मा का शपथ पत्र तथा बीमा पालिसी से संबंधित दस्तावेज अनेग्जर संख्या-1 लगायत 2 प्रस्तुत किए गए। मृत्यु प्रमाण पत्र दस्तावेज संख्या-54 प्रस्तुत किया गया तथा मृत्यु क्लेम प्राप्त होने के पश्चात बीमाधारक के संबंध में कराई गई जाचं रिपोर्ट अनेग्जर संख्या-3 प्रस्तुत की गई।
6. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
7. परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बीमा क्लेम अवैध रूप से नकारा गया है। परिवादिनी के पति बीमा पालिसी प्राप्त करने से पहले Artery Disease से ग्रसित नहीं थे, उनका कभी कोई इलाज नहीं हुआ, इसलिए बीमारी से संबंधित कोई तथ्य नहीं छिपाया गया, इस आधार पर बीमा क्लेम नकारना विधि विरूद्ध है।
8. विपक्षीगण की विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बीमाधारक बीमा पालिसी प्राप्त करते समय ही Artery Disease की बीमारी से ग्रसित थे, उनके द्वारा बीमारी के तथ्य को छिपाया गया, इसलिए सही तथ्य छिपाने के आधार पर तथा भ्रामक सूचना देने के कारण बीमा क्लेम वैधानिक रूप से नकारा गया है।
9. परिवाद पत्र में यह उल्लेख है कि परिवादिनी के पति दिनांक 26.01.2019 को सीने में दर्द के कारण कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती हुए। बीमा कम्पनी की ओर से अनेग्जर संख्या-4 प्रस्तुत किया गया है, इस दस्तावेज से भी जाहिर होता है कि दिनांक 26.01.2019 को परिवादिनी के पति कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती हुए। इस दस्तावेज के असेसमेंट शीट में यह उल्लेख है कि मरीज चेन स्मोकर है। विपक्षीगण की विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि चेन स्मोकर होने से यह तथ्य जाहिर है कि बीमित व्यक्ति द्वारा Artery Disease के तथ्य को छिपाया गया। यथार्थ में शब्द चेन स्मोकर के साथ यह उल्लेख अंकित नहीं है कि यह तथ्य डा0 को किस व्यक्ति द्वारा बताया गया कि मरीज चेन स्मोकर है। सर्वेयर द्वारा 2-2.5 वर्ष पूर्व से इस बीमारी से ग्रसित होने और इलाज कराने का उल्लेख किया गया, परन्तु पालिसी धारण करने से पूर्व इलाज कराने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में आगे उल्लेख है कि पड़ोसियों द्वारा भी बीमित व्यक्ति को दो-तीन वर्ष पूर्व से बीमार होना बताया गया, परन्तु ऐसे किसी पड़ोसी का बयान दर्ज नहीं किया गया, इसलिए यह तथ्य स्थापित नहीं है, इसलिए यथार्थ में यह तथ्य स्थापित नहीं हो पाया कि बीमित व्यक्ति बीमा पालिसी प्राप्त करने से पहले से Artery Disease से ग्रसित था और उसके द्वारा इन तथ्यों को छिपाया गया। चेन स्मोकर होने का तथ्य साबित नहीं है फिर यह भी कि चेन स्मोकर होने के कारण Artery Disease उत्पन्न होने का कोई विशेषज्ञ साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। कैलाश हॉस्पिटल में दिनांक 26.01.2019 को भर्ती होने से पहले इस बीमारी का इलाज अन्यत्र कराने का कोई सबूत नहीं है। अत: बीमा क्लेम नकारने का विधिसम्मत आधार नहीं था। तदनुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
10. प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी के पति द्वारा जो ऋण प्राप्त किया गया, उस ऋण की पूर्व में की गई अदायगी के बाद जो ऋण अवशेष है, उसकी पूर्ति बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार करना सुनिश्चित किया जाए, जिसमें बैंक द्वारा वसूली जाने वाली ब्याज राशि भी शामिल है तथा बैंक का ऋण बीमित धनराशि से अदा कर समाप्त कराया जाए।
मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 02 लाख रूपये तथा परिवाद व्यय की मद में अंकन 35,000/- रूपये की मांग की गई है। यद्यपि बीमा कम्पनी के पास बीमा क्लेम नकारने का वैधानिक आधार नहीं था, परन्तु एक संदेह की स्थिति अवश्य हुई कि बीमाधारक की मृत्यु पालिसी प्राप्त करने के एक वर्ष के अन्दर ही हो गई, इसलिए जांच कराया जाना तथा जांच के निष्कर्ष पर विचार करना आवश्यक हो गया, इसलिए परिवादिनी मानसिक प्रताड़ना एवं परिवाद व्यय की मद में कोई राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1