जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 207/2013
जशौदा पत्नी केशराराम, जाति-नायक, निवासी-सिंगड, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. मुख्य चिकित्सा अधिकारी, राजकीय चिकित्सालय नागौर, तहसील व जिला नागौर।
2. प्रबन्धक, आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कम्पनी, भगवती भवन, दूसरी मंजिल, पीएल मोटर्स, एमआई रोड जयपुर, राजस्थान।
3. राजस्थान सरकार जरिये जिला कलेक्टर महोदय, नागौर।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री सुनिल त्रिवेदी एवं श्री जयसिंह, अधिवक्ता वास्ते प्रार्थी।
2. श्री गोपाल राम गोदारा एवं श्री कुन्दनसिंह आचीणा, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 05.05.2015
1. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में निम्न प्रकार है कि राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग के परिपत्रों व आदेशों की पालना से प्रेरित होकर व आंगनबाडी कार्यकर्ता श्रीमती रूकमा देवी की प्रेरणा से परिवादिनी ने दिनांक 31.03.2010 को राजकीय चिकित्सालय, नागौर में नसबंदी आॅपरेशन करवाया। इस नसबंदी बाबत अप्रार्थी संख्या 2 की बीमा कम्पनी ने बीमा किया था। आॅपरेशन फेल होने पर आर्थिक सहायता राशि भुगतान करने की जिम्मेदारी अप्रार्थी संख्या 2 की बनती है इस बाबत राज्य सरकार द्वारा जो कि अप्रार्थी संख्या 1 व 3 द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 के पास सरकारी धन से बीमा करवाया था।
2. नसबंदी आॅपरेशन के बाद दिनांक 03.12.2010 को परिवादिनी ने पुत्री पूजा को जन्म दिया। यह सब नसबंदी डाॅक्टर ( स्वास्थ्य विभाग) की लापरवाही के चलते आॅपरेशन असफल होने के कारण हुआ। अतः प्रार्थिया को 50,000/- रूपये पालन-पोषण बाबत व मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे 20,000/- व परिवाद व्यय 5000/- रूपये दिलाये जाये।
3. अप्रार्थी संख्या 1 से 3 की ओर से जवाब संक्षेप में निम्न प्रकार हैः- राज्य सरकार की योजना अनुसार नसबंदी आॅपरेशन फेल होने की स्थिति में बीमा कम्पनी द्वारा तय शुद्दा रकम का भुगतान किया जाता है। लेकिन इस प्रकरण में परिवादिया द्वारा माफिक शर्तों के न तो समय पर जानकारी दी गई और ना ही आवेदन पेश किया। जिससे परिवादिया का आवेदन भुगतान हेतु नहीं भिजवाया जा सका। परिवादिया ने आॅपरेशन के बाद आवश्यक सावधानी यथा माहवारी सम्बन्धी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरन्त ही सम्बन्धित चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क करना चाहिए था, जो नहीं किया। सहमति पत्र के मुताबिक माहवारी नहीं आने की दशा में 15 दिवस के भीतर सम्बन्धित चिकित्सक को सूचना नहीं दी गई। सूचना मिलने पर एमटीपी कर दी जाती। हो सकता है परिवादिया ने स्वयं संतान उत्पति के लिए नसबंदी आॅपरेशन खुलवाया हो। समस्त भरपाई का उतरदायित्व अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी का है।
4. बहस सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया गया। इसमें कोई विवाद नहीं है कि नसबंदी के बाद परिवादिया ने एक पुत्री को जन्म दिया। अप्रार्थीगण का यह भी तर्क उचित नहीं है कि प्रार्थिया ने अतिरिक्त संतान के लिए नसबंदी आॅपरेशन खुलवाया हो। क्योंकि नसबंदी से पूर्व में ही प्रार्थिया के चार संतानें है और उसने परिवाद-पत्र के प्रारम्भ में ही इस बात को कहा है कि वह मजदूर पेशा अनुसूचित जाति की महिला है। यह भी स्पष्ट है कि अप्रार्थी संख्या 1 व 3 ने अप्रार्थी संख्या 2 से नसबंदी आॅपरेशन की विफलता पर क्षतिपूर्ति राशि के लिए बीमा करवाया हुआ है। परन्तु अप्रार्थी संख्या 1 व 3 की ओर से परिवादिनी का क्लेम अप्रार्थी संख्या 2 के यहां नहीं भेजा गया है जबकि क्लेम भेजे जाने पर ही अप्रार्थी संख्या 2, अप्रार्थी संख्या 1 व 3 के मार्फत प्रार्थिया को क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करते हैं। अप्रार्थी संख्या 1 व 2 यह भी बताने में असफल रहे हैं कि प्रार्थिया ने उन्हे कब आवेदन प्रस्तुत किया, उसमें क्या कोई खामी रही। जिससे कि अप्रार्थी सख्या 1 व 3, अप्रार्थी संख्या 2 के यहां क्लेम भेजने में असमर्थ रहे। इसके अलावा ऐसी भी कोई शर्तें अप्रार्थी संख्या 1 व 3 की ओर से प्रस्तुत नहीं की गई हैं कि माहवारी नहीं होने के तुरन्त बाद सम्बन्धित चिकित्सक को सूचना देना अनिवार्य हो। अप्रार्थीगण अपनी स्वयं की जिम्मेदारी को प्रार्थिया की लापरवाही बताना चाहते हैं जो कि कतई उचित नहीं है। इस प्रकार से अप्रार्थी संख्या 1 व 3 की सेवा में कमी रही है।
5. परिवाद पत्र अप्रार्थी संख्या 1 व 3 के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है। अतः निम्न प्रकार स्वीकार किया जाता है।
आदेश
6. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थी संख्या 1 व 3 परिवादिया को 30,000/- रूपये क्षतिपूर्ति राशि एवं 2500/- रूपये परिवाद व्यय के अदा करें। एक माह के अन्दर भुगतान नहीं करने पर उक्त रकम पर परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख से तारकम वसूली 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 05.05.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या