(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 98/2015
(जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-255/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15/10/2014 के विरूद्ध)
Manager Frenke Faber India Ltd. Office at-37/1, Kondhawa, Pisoli Road Pisoli, Pune.
- Appellant
Versus
- Pitamber Singh S/O Sri Kishori Singh R/O B-45, Ganga Dham, Ganga Nagar Meerut.
- Proprietor Kasturi Shopy Pvt. Ltd. J.D. House, near Mohan Gas Agency Garh Road, Meerut.
- Respondents
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री संजय कुमार वर्मा
प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं
दिनांक:-16.01.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0 255/2012 पीताम्बर सिंह बनाम प्रोपराइटर कस्तूरी प्रा0लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.10.2014 के विरूद्ध यह अपील योजित की गयी है।
- प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने विपक्षी सं0 1 से विपक्षी सं0 2 द्वारा निर्मित एक चिमनी मार्स 60 एनर्जी सीरियल नम्बर डी 10103257631 अपने रसोई हेतु क्रय की थी। जिसकी लाइफ टाइम वारण्टी दी गयी थी। जिसमें क्रय दिनांक से 12 वर्षों के लिए चिमनी के रोटर, मोटर व पी0सी0बी0 को बदलने की वारण्टी दी गयी थी। उक्त चिमनी विपक्षी सं0 1 द्वारा दिनांक 05.12.2011 को प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की रसोई में स्थापित की गयी। चिमनी ने 02 माह ठीक कार्य किया, परंतु मार्च मे खराब होने पर विपक्षी ने ठीक करा दी। जो माह मई में पुन:खराब हो गयी। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा फोन करने पर विपक्षी के सर्विस सेन्टर से एक व्यक्ति आया और उसने बताया कि चिमनी का ठीक होना संभव नहीं है क्योकि इसमें निर्माण संबंधी दोष लगता है। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने दिनांक 01.06.2012, दिनांक 12.06.2012, 14.06.2012 एवं 20.06.2012 को विपक्षी कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर फोन से शिकायत की, परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई। अत: परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
- अपीलार्थी/विपक्षी सं0 2 ने अपने वादोत्तर में जिला आयोग के सम्मुख कथन किया कि विपक्षी सं0 2 ने कथित चिमनी की रसीद एवं लाइफ टाइम वारण्टी रजिस्ट्रेशन निर्गत किया। दिनांक 13.02.2013 को शिकायत प्राप्त होने पर चिमनी की मोटर ठीक कर दी गयी। अपीलार्थी/विपक्षी सं0 2 का टेक्निशियन प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के घर पर गया तो ताला बन्द मिला। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। विपक्षीगण प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की शिकायत दूर करने के लिए हमेशा तैयार है।
- विद्धान जिला आयोग द्वारा उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत किये गये कथनों, तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विस्तारपूर्वक विचार करते हुए अपने निष्कर्ष में यह पाया गया कि चिमनी अभी भी पूरी तरह से कार्य नहीं कर रही है और बीच बीच में कार्य करना बन्द कर देती है। विपक्षीगण द्वारा इस तथ्य का कोई खण्डन नहीं किया गया। तदनुसार प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा विपक्षीगण को आदेशित किया गया कि वे प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को कथित खराब चिमनी के बदले उसी मॉडल/क्षमता/श्रेणी की नई चिमनी एक माह में उपलब्ध करायें अन्यथा प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी उसकी कीमत 12,800/- रू0 दौरान परिवाद ताववत वसूल आदि 08 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त 3,000/- रू0 परिवाद व्यय के रूप में भी परिवादी को अदा करने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया गया।
- उपरोक्त निर्णय से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गयी।
- अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गयी है कि प्रश्नगत निर्णय अनुचित एवं अविधिक है तथा मनमाने ढंग से पारित किया गया है। अपीलकर्ता द्वारा स्वीकार किया गया है कि प्रश्गनत चिमनी यंत्र के संबंध में 12 वर्ष की वारण्टी दी गयी थी और इस संबंध में एलटीडब्लू कार्ड नम्बर 148020 जारी किया गया था। प्रश्नगत चिमनी दिनांक 30.11.2012 को क्रय की गयी थी तथा अपीलकर्ता ने कभी भी सेवा प्रदान करने से इंकार नहीं किया। दिनांक 28.08.2012 को अपीलकर्ता के सर्विस मैनेजर श्री दर्पन कालरा द्वारा प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी से बात की गयी थी तथा दिनांक 30.08.2012 को उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से मिलकर मामले का निस्तारण कर दिया गया था। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने यह स्वीकार किया था कि दिनांक 30.08.2012 को चिमनी दुरूस्त कर दी गयी है और इस प्रकार कोई भी शिकायत प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को इस यंत्र के संबंध में नहीं रही है क्योंकि दिनांक 30.08.2012 को चिमनी यंत्र की मोटर बदल दी गयी थी।
- अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि चिमनी में निर्माण संबंधी दोष होने के बारे में कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत नहीं की गयी है। इसके अतिरिक्त यह मामला इस प्रकृति का है कि यह केवल सिविल न्यायालय में उठाया जा सकता है। इन आधारों पर अपील स्वीकार किये जाने एवं प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश को अपास्त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
- हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से पर्याप्त तामीला के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुआ।
- प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी का कथन प्रश्नगत चिमनी यंत्र के संबंध में यह आया है कि यह चिमनी यंत्र खराब हो गया था और इसकी शिकायत अपीलकर्ता एवं उनके एजेण्ट डीलर से की गयी थी। इस कथन को अपील के मेमो में स्वीकार भी किया गया है कि चिमनी खराब होने की शिकायत की गयी थी तथा उनके मैनेजर श्री दर्पन कालरा द्वारा दिनांक 30.08.2012 को व्यक्तिगत रूचि लेकर चिमनी यंत्र को ठीक कराया गया था और चिमनी यंत्र की मोटर बदल दी गयी थी।
- इस संबंध में प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी का विशिष्ट रूप से सशपथ कथन प्रस्तुत किया गया कि दिनांक 30.08.2012 को जिला फोरम में प्रश्नगत परिवाद योजित करने के उपरान्त विपक्षी सं0 2 अर्थात अपीलकर्ता का एक आदमी प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के चिमनी देखने आया और उसने ठीक करने का प्रयास भी किया, चिमनी कुछ ठीक हुई, लेकिन उसमें कुछ आवाज आ रही थी, किन्तु इसके पश्चात कोई कर्मचारी चिमनी देखने नहीं आया। सशपथ कथन से विशिष्ट रूप से यह कथन किया गया है कि ‘’कथित चिमनी अभी तक पूरी तरह कार्य नहीं कर रही है और बीच-बीच में कार्य करना बन्द कर देती है।‘’ प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा दिये गये उपरोक्त सशपथ कथन का खण्डन विपक्षी द्वारा नहीं किया गया है, जिससे यह तथ्य साबित होता है कि चिमनी ठीक से कार्य नहीं कर रही है और बीच-बीच में कार्य करना बन्द कर देती है। स्पष्टता यह तथ्य दर्शाता है कि चिमनी में निर्माण संबंधी कोई दोष है, जिसके कारण चिमनी बीच-बीच में कार्य करना बन्द कर रही है। अत: अपीलकर्ता द्वारा सेवा में कमी किया जाना परिलक्षित होता है।
- विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा आदेश दिया गया है कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को कथित चिमनी के बदले उसी मॉडल/क्षमता एवं श्रेणी की एक चिमनी एक माह में उपलब्ध कराया जाये, अन्यथा चिमनी का मूल्य रूपये 12,800/- परिवाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक 08 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित प्राप्त करायी जाये। उक्त आदेश में कोई त्रुटि प्रतीत नहीं होती है, जहां तक ब्याज का प्रश्न है। वर्तमान बैंक की ब्याज दर को देखते हुए यह भी उचित प्रतीत होता है। अत: प्रश्नगत आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई प्रश्न अथवा अवसर अपील के स्तर पर नहीं पाया जाता है। प्रश्नगत आदेश पुष्ट होने योग्य एवं अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
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अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती जाती है।
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(सुशील कुमार)
संदीप आशु0कोर्ट नं0 2