(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-465/2010
शक्ति ट्रैक्टर्स बनाम पीतम सिंह पुत्र श्री हीरालाल तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 28.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-93/2009, पीतम सिंह बनाम प्रबंधक, शक्ति ट्रैक्टर्स तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.1.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से बहस के लिए कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया है कि रजिस्ट्रेशन के कागजात सहित परिवादी को ट्रैक्टर उपलब्ध कराएं साथ ही अंकन 2,000/-रू0 मानसिक प्रताड़ना की मद में एवं अंकन 3,000/-रू0 वाद व्यय के रूप में अदा करें।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार विपक्षी सं0-2 से ऋण प्राप्त कर विपक्षी सं0-1 से एक ट्रैक्टर क्रय किया गया था, जो नियमित रूप से खराब रहता था। शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं की गई। दिनांक 18.8.2005 को पंजीकृत डाक से नोटिस भी दी गई, जिसका कोई उत्तर नहीं दिया गया। परिवादी द्वारा कृषि ऋण नहीं लिया गया था, इसके बाद विपक्षी द्वारा जबरदस्ती ट्रैक्टर खेंच लिया गया।
4. विद्वान जिला आयोग के समक्ष विपक्षी सं0-1 द्वारा कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया, केवल विपक्षी सं0-2 बैंक द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत किया गया, जिसमें उल्लेख किया गया कि परिवादी ने स्वंय ट्रैक्टर खुर्द-वुर्द किया है।
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5. साक्ष्यों की व्याख्या करते हुए विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्यों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि परिवादी ने स्वंय ट्रैक्टर खुर्द-वुर्द किया है। विपक्षी सं0-2 द्वारा अपने लिखित कथन में यह आरोप लगाया है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्मत है, परन्तु उल्लेखनीय है कि विद्वान जिला आयोग के समक्ष विपक्षी सं0-1 यानी अपीलार्थी द्वारा परिवाद में वर्णित तथ्यों का कोई खण्डन नहीं किया गया है न ही विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई साक्ष्य का कोई खण्डन किया गया है, इसलिए अखण्डनीय साक्ष्य पर आधारित निर्णय/आदेश को अपास्त करने का कोई आधार नहीं है।
7. अपीलार्थी विपक्षी सं0-2 बैंक के लिखित कथन का आश्रय नहीं ले सकते। बैंक द्वारा इस कथन को साबित नहीं किया गया है कि परिवादी ने स्वंय ट्रैक्टर खुर्द-वुर्द किया है, इसलिए लिखित कथन में इस वाक्यांश के उल्लेख मात्र से यह साबित नहीं होता कि ट्रैक्टर को स्वंय परिवादी ने खुर्द-वुर्द किया है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2