Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/1860

M/s Hero Honda Ltd - Complainant(s)

Versus

Pinki Gupta - Opp.Party(s)

R N Singh

24 Aug 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/1860
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. M/s Hero Honda Ltd
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Pinki Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 Aug 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१८६०/२००२

 

(जिला मंच, अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0-११९/२००२ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०७-२००२ के विरूद्ध)

 

१. हीरो होण्‍डा मोटर्स लि0, ३४१, कम्‍युनिटी सेण्‍टर, वसन्‍त लोक वसन्‍त विहार, न्‍यू दिल्‍ली द्वारा अधिकृत हस्‍ताक्षरी श्री संजय अग्रवाल।

२. अलीगढ़ आटो सेण्‍टर, जी0टी0 रोड, अलीगढ़ (यू.पी.)।

                                      .............      अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।

बनाम

पिंकी गुप्‍ता पुत्री भगवान दास गुप्‍ता द्वारा फाइव स्‍टार इलैक्‍ट्रानिक्‍स, मामू भानजा, अलीगढ़ (यू.पी.)।

                                      ............            प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

 

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित  : श्री आर0एन0 सिंह विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक :- १९-०९-२०१७.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0-११९/२००२ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०७-२००२ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार बी.कॉम. फाइनल की छात्रा रहते हुए यातायात की सुविधा हेतु उसने अपीलार्थी सं0-१ के तत्‍कालीन डीलर अपीलार्थी सं0-२ से एक हीरो होण्‍डा मॉडल स्‍ट्रोट (सेल्‍फ) ३६,६५५/- में दिनांक २१-०५-२००१ को क्रय की थी। खरीदने के पश्‍चात् परिवादिनी ने इस वाहन का उपयोग किया। दिनांक ३१-०५-२००१ को सर्वप्रथम गेयर की समस्‍या उत्‍पन्‍न हुई। इसकी शिकायत उसने अपीलार्थी सं0-२ से की किन्‍तु उन्‍होंने कोई ध्‍यान नहीं दिया और कहा कि कुछ दिन पश्‍चात् गेयर अपने आप सही पड़ने लगेंगे। परिवादिनी ने वाहन पुन: चलाया किन्‍तु उक्‍त

 

 

-२-

शिकायत दूर नहीं होने पर दिनांक ०९-०७-२००१ को पुन: अपीलार्थी सं0-२ से शिकायत की। अपीलार्थी सं0-२ ने अपने पास गाड़ी कुछ समय रख कर परिवादिनी को वापस कर दी। कुछ समय पश्‍चात् परिवादिनी ने बार-बार अपीलार्थी से गाड़ी की उपरोक्‍त समस्‍या की शिकायत की जो अपीलार्थी सं0-२ के यहॉं रखे जा रहे जॉबकार्ड में दर्ज की गई। परिवादिनी ने दिनांक ०३-११-२००१ एवं ०५-११-२००१ को पुन: शिकायतें कीं किन्‍तु अपीलार्थी सं0-२ ने बार-बार यह कह कर कि सही कर दिया गया है, वाहन वापस कर दिया, किन्‍तु कमी दूर नहीं की गईं। अन्‍त में दिनांक २४-१२-२००१ को परिवादिनी ने उक्‍त गाड़ी अपीलार्थी सं0-२ के यहॉं ठीक करने छोड़ दी किन्‍तु बार-बार कहने पर भी अपीलार्थी सं0-२ ने गाड़ी ठीक नहीं की। परिवादिनी ने वाहन में स्‍थाई तकनीकी कमी बताते हुए प्रश्‍नगत वाहन को बदल कर दूसरा नया वाहन दिलाये जाने हेतु अथवा गाड़ी की पूरी कीमत दिलाए जाने तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया।

अपीलार्थी सं0-२ ने जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया कि अपीलार्थी के कथनानुसार असत्‍य कथनों के आधार पर परिवाद योजित किया गया। अपीलार्थी द्वारा यह स्‍वीकार किया गया कि परिवादिनी ने अपनी गाड़ी में गेयर की शिकायत बताते हुए गाड़ी वर्कशॉप में ठीक करने के लिए दी। अपीलार्थी द्वारा परिवादिनी की गाड़ी के गेयर की शिकायत ठीक दी गई। गाड़ी पूर्णत: ठीक होने के बाबजूद परिवादिनी गाड़ी लेने नहीं आयी। अपीलार्थी ने दिनांक २६-०३-२००२ एवं दिनांक ०९-०४-२००२ को पंजीकृत पत्रों द्वारा परिवादिनी को सूचित किया कि गाड़ी बिल्‍कुल ठीक है किन्‍तु फिर भी परिवादिनी गाड़ी लेने नहीं आयी। अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई।

विद्वान जिला मंच ने परिवादिनी के परिवाद को स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थीगण को निर्देशित किया कि परिवादिनी की पुरानी गाड़ी के बदले नयी गाड़ी बदलकर एक सप्‍ताह में देंगे और यदि गाड़ी नहीं बदलते हैं तो परिवादिनी को निर्णय की तिथि से ३० दिन में गाड़ी की जो कीमत प्राप्‍त की है उसे लौटायेंगे। इसके अतिरिक्‍त अपीलार्थीगण द्वारा परिवादिनी को ५,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में एवं ५००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में भी भुगतान हेतु निर्देशित किया।

 

-३-

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी।

हमने अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0एन0 सिंह तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने भ्रामक तथ्‍यों के आधार पर परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रेषित किया। परिवादिनी के कथनानुसार प्रश्‍नगत वाहन में गेयर की समस्‍या थी। यह परिवादिनी का दायित्‍व था कि अपने इस कथन को सिद्ध करती किन्‍तु परिवादिनी द्वारा ऐसी कोई साक्ष्‍य जिला मंच के समक्ष प्रेषित नहीं की गई जिससे यह प्रमाणित हो कि वस्‍तुत: प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी कोई त्रुटि थी। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि स्‍वयं जिला मंच ने परिवादिनी द्वारा प्रश्‍नगत वाहन में बताई गई त्रुटि को अस्‍पष्‍ट होना स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया गया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच द्वारा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा १३(१)(सी) में निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया। स्‍वयं परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि होना अभिकथित किया है किन्‍तु इस तथ्‍य को प्रमाणित करने हेतु कोई विशेषज्ञ आख्‍या परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं की गई। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादिनी का यह आचरण एक समझदार व्‍यक्ति के लिए उपयुक्‍त नहीं है कि अकारण वाहन अपीलार्थी के वर्कशॉप में छोड़ दिया जाय। यदि गाड़ी में वस्‍तुत: कोई तकनीकी निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि थी तो परिवादिनी जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित  कर सकती थी किन्‍तु उसने ऐसा न करके अपना वाहन अपीलार्थी के वर्कशॉप में छोड़ दिया और नोटिस दिए जाने के बाबजूद लेने नहीं आयी। अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा निम्‍नलिखित मामलों में दिए गये निर्णयों पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया :-

  1. क्‍लासिक आटोमोबाइल्‍स बनाम लीला नन्‍द मिश्रा व अन्‍य, I (2010) CPJ 235 (NC).

 

-४-

  1. राजीव गुलाटी बनाम टाटा इंजीनियरिंग एण्‍ड लोकोमोटिव कम्‍पनी लि0 व अन्‍य, III (2013) CPJ 273 (NC).

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली का उचित परिशीलन करने के उपरान्‍त तर्कपूर्ण आधारों पर निर्णय पारित किया है, अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

प्रस्‍तुत मामले में प्रतयर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन में गेयर की समस्‍या होना बताया है। परिवादिनी का यह कथन है कि प्रश्‍नगत वाहन में गेयर की समस्‍या सर्वप्रथम दिनांक ३१-०५-२००१ को उत्‍पन्‍न हुई जिससे उसने अपीलार्थी सं0-२ को दिनांक ०१-०६-२००१ को अवगत कराया किन्‍तु कोई ध्‍यान नहीं दिया गया तथा यह कहा गया कि कुछ दिन पश्‍चात् अपने आप गेयर सही पड़ने लगेंगे किन्‍तु समस्‍या दूर न होने के कारण दिनांक ०९-०७-२००१ को उसने पुन: अपीलार्थी सं0-२ से शिकायत की जिन्‍होंने वाहन अपने पास रखा। तदोपरान्‍त परिवादिनी को दिया किन्‍तु समस्‍या दूर नहीं हुई। परिवादिनी ने दिनांक ०३-११-२००१ एवं ०५-११-२००१ को पुन: शिकायतें कीं। बार-बार अपीलार्थी सं0-२ द्वारा यह कहा गया कि समस्‍या दूर कर दी गई है किन्‍तु समस्‍या दूर नहीं हुई। अन्‍तत: दिनांक २४-१२-२००१ को परिवादिनी प्रश्‍नगत वाहन अपीलार्थी सं0-२ के यहॉं कमी दूर करने हेतु छोड़ आयी। बार-बार कहने के बाबजूद भी परिवादिनी का वाहन दुरूस्‍त करके उसे नहीं दिया गया। अत: प्रश्‍नगत वाहन में स्‍थाई एवं तकनीकी त्रुटि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने बताई। ऐसी परिस्‍िथति में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि परिवादिनी द्वारा प्रश्‍नगत वाहन में बताई गई कमी अस्‍पष्‍ट है। यह सत्‍य है कि प्रस्‍तुत प्रकरण में प्रश्‍नगत वाहन में तकनीकी त्रुटि प्रमाणित करने हेतु कोई विशेषज्ञ आख्‍या परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं की गई है और न ही विद्वान जिला मंच ने किसी विशेषज्ञ द्वारा आख्‍या प्राप्‍त की गई है किन्‍तु प्रस्‍तुत मामले की परिस्‍िथतियों की अनदेखी नहीं की जा सकती। परिवाद योजित किए जाते समय परिवादिनी ने स्‍वयं को बी.कॉम. फाइनल की छात्रा होना बताया तथा यातायात की सुविधा के लिए प्रश्‍नगत वाहन दिनांक २१-०५-२००१ को क्रय किया जाना बताया। प्रश्‍नगत वाहन में गेयर की समस्‍या से दिनांक ०१-०६-२००१ को अपीलार्थी सं0-२ को

 

-५-

परिवादिनी द्वारा अवगत कराया गया। इस प्रकार वाहन क्रय किए जाने के लगभग १० दिन बाद ही प्रश्‍नगत वाहन में गेयर की कथित रूप से समस्‍या उत्‍पन्‍न हो गई। स्‍वयं अपीलार्थी ने परिवादिनी द्वारा प्रश्‍नगत वाहन में गेयर की समस्‍या की शिकायत उससे किया जाना स्‍वीकार किया है। अपीलार्थी का यह कथन है कि गेयर की कथित समस्‍या अपीलार्थी द्वारा दूर करा दी गई। अपीलार्थी ने प्रतिवाद पत्र में परिवादिनी की शिकायत पर कम्‍पनी के इंजीनियर श्री अश्‍वनी कुमार का आना उल्लिखित किया है। यह भी उल्लिखित किया कि गाड़ी की जांच करने के उपरान्‍त उन्‍होंने बताया कि गाड़ी बिल्‍कुल ठीक है किन्‍तु जिला मंच के समक्ष ऐसे किसी इंजीनियर की कोई आख्‍या अथवा प्रश्‍नगत वाहन के सन्‍दर्भ में अपीलार्थी द्वारा स्‍वभाविक रूप से तैयार किया गया कोई जॉबकार्ड प्रस्‍तुत नहीं किया।

जहॉं तक अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवादिनी द्वारा प्रश्‍नगत वाहन उसके वर्कशॉप में छोड़े जाने का कृत्‍य समझदारीपूर्ण नहीं माना जा सकता। उल्‍लेखनीय है कि परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन को ठीक कराने का प्रयास अपीलार्थी के माध्‍यम से निर्विवाद रूप से किया, किन्‍तु अनेक बार प्रयास किये जाने के बाबजूद कोई सन्‍तोषजनक सार्थक परिणाम न निकलते देखकर अन्‍तत: दिनांक २४-१२-२००१ को परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन अपीलार्थी के वर्कशॉप में त्रुटि निवारण हेतु छोड़ दिया। परिवादिनी का यह आचरण वस्‍तुत: गम्‍भीर हताशा का परिचायक है।

अपीलार्थी का यह कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिनांक २६-०३-२००२ एवं दिनांक ०६-०४-२००२ को पंजीकृत डाक से पत्र भेजे गये किन्‍तु इन पत्रों के बाबजूद परिवादिनी प्रश्‍नगत वाहन प्राप्‍त करने हेतु नहीं आयी। परिवादिनी के कथनानुसार प्रश्‍नगत वाहन अपीलार्थी को दिनांक २४-१२-२००१ को दिया गया जबकि अपीलार्थी सं0-२ द्वारा पहला पत्र दिनांक २६-०३-२००२ को वाहन परिवादिनी द्वारा वर्कशॉप में खड़ा करने के बाद लगभग ०३ माह बाद लिखा गया। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवाद दिनांक १९-०३-२००२ को योजित किया गया जबकि अपीलार्थी द्वारा सर्वप्रथम परिवादिनी को पत्र दिनांक २६-०३-२००२ को      लिखा गया जिससे स्‍पष्‍ट है कि परिवाद योजित किए जाने के उपरान्‍त अपीलार्थी सं0-२       

 

-६-

द्वारा परिवादिनी को पत्र प्रेषित किया गया जबकि प्रश्‍नगत वाहन लगभग ०३ माह से अपीलार्थी सं0-२ के वर्कशॉप में खड़ा था। यदि वास्‍तव में अपीलार्थी सं0-२ प्रश्‍नगत वाहन के पूर्ण रूप से ठीक होने पर पूर्णत: आश्‍वस्‍त था तथा उपभोक्‍ता के सापेक्ष अपने दायित्‍वों के प्रति पूर्णत: गम्‍भीर था तब स्‍वभाविक रूप से परिवाद योजि‍त किए जाने के उपरान्‍त, प्रश्‍नगत वाहन अकारण अपीलार्थी नं0-२ की वर्कशॉप में खड़ा रहने के कारण ही अपीलार्थी से यह अपेक्षित था कि जिला मंच में इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रेषित करते कि प्रश्‍नगत वाहन को जिला मंच में प्रस्‍तुत करा लिया जाय और इसकी जांच करा ली जाय किन्‍तु अपीलार्थी द्वारा ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया बल्कि परिवाद योजित होने के उपरान्‍त मात्र पत्र प्रेषित करके औपचारिकता पूर्ण कर ली गई। यह नितान्‍त अस्‍वाभाविक है कि एक सामान्‍य उपभोक्‍ता अपनी सीमित आय-व्‍यय करके कोई वाहन क्रय करे और फिर अकारण वाहन बिक्रेता के वर्कशॉप में छोड़ दे और उसे प्राप्‍त करने का कोई प्रयास न करे। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह आचरण वस्‍तुत: उसकी असहायता, असमर्थता एवं हताशा का द्योतक है। साथ ही अपीलार्थी सं0-२ की उपभोक्‍ता के प्रति संवेदनहीनता तथा शोषण का द्योतक है। प्रस्‍तुत मामले की परिस्‍िथतियॉं यह स्‍पष्‍ट करती हैं कि प्रश्‍नगत वाहन में गेयर की स्‍थाई तकनीकी खराबी रही जिसका निराकरण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रयास किए जाने के बाबजूद अपीलार्थी के स्‍तर से नहीं किया गया। प्रस्‍तुत प्रकरण Res Ipsa Loquiter के सिद्धान्‍त से आच्‍छादित है।

जहॉं तक अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा निर्णीत सन्‍दर्भित निर्णयों का प्रश्‍न है, इन निर्णयों के तथ्‍य प्रश्‍नगत परिवाद के तथ्‍यों से भिन्‍न हैं। क्‍लासिक आटोमोबाइल्‍स बनाम लीला नन्‍द मिश्रा व अन्‍य के मामले में प्रश्‍नगत कार में कैटेलिटिक कन्‍वर्टर की कथित त्रुटि को इतना महत्‍वपूर्ण नहीं माना गया कि वह त्रुटि निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि मानी जाय। जहॉं तक राजीव गुलाटी के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णय का प्रश्‍न है इस मामले में प्रश्‍नगत वाहन दो वर्ष चलाया जा चुका था तथा लगभग ४८ हजार किलोमीटर परिवाद योजित किए जाने से पूर्व चलाया जा चुका था किन्‍तु जहॉं तक प्रस्‍तुत प्रकरण का प्रश्‍न है परिवादिनी के कथनानुसार प्रश्‍नगत वाहन क्रय किए जाने के लगभग १० दिन बाद से ही उसमें गेयर

 

-७-

की समस्‍या होने लगी और इस त्रुटि के निराकरण हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा कई बार अपीलार्थी सं0-२ के वर्कशॉप में प्रश्‍नगत वाहन लाया गया किन्‍तु यह त्रुटि दूर न हो  पाने के कारण अन्‍तत: परिवादिनी को दिनांक २४-१२-२००१ को वाहन अपीलार्थी सं0-२ के वर्कशॉप में छोड़ना पड़ा किन्‍तु वाहन ठीक करके उसे प्राप्‍त नहीं कराया गया। अन्‍तत: परिवादिनी को परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित करना पड़ा। गेयर की त्रुटि ऐसी त्रुटि नहीं है जिसे महत्‍वहीन माना जा सके, त्रुटिपूर्ण गेयर के कारण न केवल वाहन का संचालन सम्‍भव नहीं है बल्कि अत्‍यन्‍त असुरक्षित भी है। ऐसी परिस्‍िथति में अपीलार्थीगण की ओर से सन्‍दर्भित उपरोक्‍त निर्णयों का लाभ प्रस्‍तुत मामले में अपीलार्थीगण को प्रदान नहीं किया जा सकता।

निर्विवाद रूप से प्रश्‍नगत वाहन दिनांक २४-१२-२००१ से अपीलार्थी सं0-२ की सुपुर्दगी में है। लगभग १७ वर्ष की अवधि बीत चुकी है ऐसी परिस्थिति में सम्‍बन्धित भाग को बदल कर प्रश्‍नगत वाहन परिवादिनी को वापस कराए जाने का भी अब कोई औचित्‍य नहीं रह गया है। प्रश्‍नगत मामले परिस्थितियोंके अन्‍तर्गत वाहन की त्रुटि हेतु अपीलकर्तागण हमारे विचार से संयुक्‍त रूप से उत्‍तरदायी हैं हमारे विचार से अपील में बल नहीं है। अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

    अपील निरस्‍त की जाती है। जिला मंच, अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0-११९/२००२ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०७-२००२ की पुष्टि की जाती है।

      इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                     

                                    (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

 

                                                   (बाल कुमारी)

                                                      सदस्‍य

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.   

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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