राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या– 1426/2019
आयशर मोटर लिमिटेड
बनाम
फूल कुमार पुत्र राम पाल सिंह व अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण टंडन, विद्धान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्धान अधिवक्ता।
दिनांक 07.05.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्धारा परिवाद संख्या– 471/2016 फूल कुमार बनाम एम० डी० मेसर्स आयशर लिमिटेड व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16.08.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में परिवाद के तथ्य यह है कि परिवादी ने विपक्षी से दिनांक 02.08.2016 को आईसर 20.16 वी ई0 बी0 एस0 03 वाहन जिसका चेसिस संख्या- MC2KI-MRC0GE050035 तथा इंजन संख्या-E613CDGE088841 क्रय किया। वाहन का कुल भार (खाली) 6522 किलोग्राम उल्लिखित है जो कम्पनी द्धारा दर्शाये गये भार से कही अधिक है। जब परिवादी ने उक्त वाहन का भार जय श्रीराम धर्म कांटा ककराला, मेन रोड निकट पराग डेयरी फेस-02 नोयडा पर कराया तो (खाली) वाहन का भार 6785 किलोग्राम था जो विपक्षी द्धारा बताये गये भार से 465 किलोग्राम अधिक है। उक्त वाहन का भार अधिक होने से परिवादी को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षी ने जवाबदावा में कहा है कि परिवाद को फोरम में विचार करने और अधिनिर्णीत करने का क्षेत्राधिकार नहीं है तथा परिवादी धारा-2(1) डी के अंतर्गत विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी ने वाहन को वाणिज्यिक उद्देश्य से क्रय किया था इस आधार पर भी परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
‘’ परिवादी का यह परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या-01 M/s आईसर मोटर लि. को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को आर्थिक नुकसान / क्षति की एवज में अंकन 14,00,000/- रुपये (चौदह लाख रुपये मात्र) मय 8% वार्षिक साधारण व्याज की दर से परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान तक इस आदेश के 30 दिन के अन्तर्गत अदा करे। इसके अतिरिक्त परिवादी याद व्यय के रूप में उक्त अवधि में ही मुवलिग 15,000/- रुपये भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।‘’
पीठ द्धारा अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता श्री अरूण टंडन तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी द्धारा अपील में कथन किया गया है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने प्रश्नगत वाहन ऐसे कार्य के लिये खरीदा था जो वाणिज्यिक व्यवहार की परिभाषा में आता है। उभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2 (1) डी के अंतर्गत परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश में तथ्यों को सही रूप से विश्लेषित नहीं किया गया है।
जबकि इसके विपरीत प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का कथन है कि प्रश्नगत वाहन परिवार की अजीविका हेतु क्रय किया था तथा ऐसे प्रकरण की सुनवाई की अधिकारिता आयोग में सन्निहित है।
परिवाद पत्र की प्रति पत्रावली पर उपलब्ध है। परिवाद पत्र में कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं है कि वाहन परिवार की अजीविका के उद्देश्य से क्रय किया गया। जिला आयोग के निर्णय में इस तथ्य का उल्लेख आया है परन्तु निर्णय में भी यथार्थ में इस तथ्य का कोई उल्लेख नहीं है वाहन स्वरोजगार के लिये क्रय किया गया था। परिवाद पत्र में जिस तथ्य का उल्लेख किया गया है उसका उल्लेख निर्णय में भी होना आवश्यक है। विद्धान जिला आयोग ने अपने निर्णय में जीवीकोपार्जन की व्याख्या नहीं की है। चूकि परिवाद पत्र में इस तथ्य का उल्लेख नहीं है कि जीवीकोपार्जन हेतु ट्रक लिया गया था ऐसे में निर्णय एवं आदेश में इसकी व्याख्या नहीं हो सकती है।
यह भी उल्लेखनीय है कि ट्रक व्यक्तिगत रूप से चलाने का कोई सबूत परिवादी द्धारा जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। जीवीकोपार्जन के लिये ट्रक का संचालन स्वयं किया जाता है ताकि ट्रक संचालन से होने वाली आय का विभाजन न हो सके। ऐसे में ट्रक के संचालन को जीवीकोपार्जन के लिए संचालित नहीं माना जा सकता।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात हमारे अभिमत से जिला आयोग ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। अत: प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किये जाने योग्य है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्धारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट न0- 1