Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1366

UPPCL - Complainant(s)

Versus

Phool Singh - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

06 Nov 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1366
( Date of Filing : 05 Jun 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. UPPCL
Aligarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Phool Singh
Aligarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 06 Nov 2019
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या 342 सन 2002 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.04.2006  के विरूद्ध)

 

अपील संख्‍या 1366 सन 2006

1. यूपीपीसीएल द्वारा इक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीव्‍यूशन डिवीजन प्रथम, लाल डिग्‍गी, अलीगढ़ ।

2. असिस्‍टेंट इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीव्‍यूशन डिवीजन प्रथम, लाल डिग्‍गी, अलीगढ़ ।

3. जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीव्‍यूशन डिवीजन प्रथम, लाल डिग्‍गी, अलीगढ़।

 

 

                                                ....अपीलार्थी/प्रत्‍यर्थीगण

-बनाम-

 

फूल सिंह पुत्र श्री शिवलाल निवासी ग्राम एवं पोस्‍ट कलुआ, तहसील गभाना, जिला अलीगढ़ ।

. .........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

 

समक्ष:-

मा0   श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन  सदस्‍य।

मा0    श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  श्री दीपक मेहरोत्रा।

प्रत्‍यर्थी   स्‍वयं                     -  श्री फूल सिंह ।

 

दिनांक:-04-12-19

 

श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या 342 सन 2002 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.04.2006  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है ।

      संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं परिवादी ने शिक्षित रोजगार योजना के अन्‍तर्गत 20 हजार रू0 का ऋण लेकर आटा चक्‍की लगायी थी जिसका कनेक्‍शन संख्‍या 5901/9380 था। बकाया होने के कारण 25, जनवरी 1996 को विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने उसके विद्युत का कनेक्‍शन काट दिया गया और तार व मीटर उतार ले गए।  परिवादी ने अधिकारियों से मिलकर पूर्ण बिल जमा होने के बावत सूचित किया और विद्य़ुत विभाग के अधिकारियों के कहने पर कनेक्‍शन जुड़वाने हेतु 200.00 रू0 शुल्‍क भी जमा किया, लेकिन अधिकारियों द्वारा निर्देश देने के बावजूद उसके विद्युत का कनेक्‍शन लाइनमैन ने तार न होने का बहाना बनाकर नहीं जोडा और विभाग द्वारा उसे लगातार विद्युत उपभोग के बिल भेजे जाते रहे । परिवादी का कहना है कि उसका स्‍थायी विद्युत विच्‍छेदन दिनांक 05.06.2000 को हो चुका है और कनेक्‍शन पी0डी0 होने के बावजूद विद्युत विभाग द्वारा उस पर 43,294.75 रू0 का बकाया दिखाया गया एवं जो धनराशि उसके द्वारा बीच में जमा की गयी उसका समायोजित नहीं किया गया है। परिवादी का यह भी कहना है कि विपक्षीगण मौखिक एवं लिखित प्रतिवेदन करने के बाद भी अपना गलती सुधारने को तैयार नहीं है जिसके कारण जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया गया।

      विपक्षी की ओर से जिला मंच के समक्ष अपना वादोत्‍तर प्रस्‍तुत कर उल्लिखित किया गया कि जनवरी 1996 से जनवरी 2000 के बीच मीटर रीडिंग के आधार पर परिवादी को बिल जारी किए गए हैं। दिनांक 06.12.2000 को वादी का मीटर पूर्ण जली हालत में उतारा गया है और विभाग द्वारा उसपर 43,294.00 रू0 बकाया दिखाया गया है। परिवादी द्वारा गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद योजित किया गया जिसे सव्‍यय निरस्‍त करने का अनुरोध किया गया।

      जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्‍य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्‍न आदेश पारित किया :-

      '' परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह मियांद अन्‍दर 30 दिन परिवादी को जनवरी, 1996 से पूर्व का बकाया बिल (यदि कोई हो तो) उसके द्वारा जमा की गयी समस्‍त धनराशि को समायोजित करते हुए 10 हजार रू0 बतौर हर्जा एवं 05 सौ रू0 बतौर वाद खर्च  करेंगे। वाद गुजरने मियांद 08 प्रतिशत वार्षिक की दर से दण्‍डनीय ब्‍याज देय होगी । विपक्षी विभाग मियाद अन्‍दर 30 दिन वादी का संयोजन भी चालू कर देगें। ''

      उक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील विद्युत विभाग द्वारा योजित की गयी है।

अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्‍नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा सम्‍पूर्ण तथ्‍यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

      हमने उभय पक्ष के तर्क विस्‍तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों का सम्‍यक अवलोकन किया।

      पत्रावली का अवलोकन करने से स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी ने शिक्षित रोजगार योजना के अन्‍तर्गत ऋण लेकर आटा चक्‍की लगायी थी जिसका कनेक्‍शन संख्‍या 5901/9380 था। बकाया होने के कारण 25 जनवरी 1996 में उसके विद्युत का कनेक्‍शन काट दिया गया  जिसे जुड़वाने हेतु 200.00 रू0 शुल्‍क जमा करने तथा अधिकारियों द्वारा निर्देश देने के बावजूद लाइनमैन द्वारा तार न होने का बहाना बताकर नहीं जोडा गया और उसे लगातार विद्युत उपभोग के बिल भेजे जाते रहे । दिनांक 26.08.98 को अधिशासी अभियंता द्वारा जे0ई0 को परिवादी की शिकायत पर तार जोड़ने की व्‍यवस्‍था करने के निर्देश दिए गए थे। उसके द्वारा पुन: शिकायती पत्र देने पर दिनांक 03.12.96 को विभागीय कर्मचारी द्वारा रिपोर्ट दी गयी है कि उसके कनेक्‍शन पर बकाया है, अत: बिना बकाया जमा किए कनेक्‍शन चालू नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में अधिशासी अभियंता द्वारा विद्युत वितरण खण्‍ड 01 को दिनांक 27.06.2002 को लिखे गए पत्र में परिवादी पर 43,294.75 रू0 की बसूली जारी करने पर खेद जताया गया है और कथन किया गया है कि वादी का कनेक्‍शन संख्‍या 5901/9380 दिनांक 25.01.96 को काट दिया गया था और लाइन/मीटर उतार लिया गया था। परिवादी का स्‍थायी विद्युत विच्‍छेदन दिनांक 05.06.2000 को हो चुका है और कनेक्‍शन पी0डी0 होने के बावजूद विद्युत विभाग द्वारा उस पर 43,294.75 रू0 का बकाया दिखाया गया एवं जो धनराशि उसके द्वारा बीच में जमा की गयी उसका समायोजित नहीं किया गया है। जबकि विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से उल्लिखित किया गया कि जनवरी 1996 से जनवरी 2000 के बीच मीटर रीडिंग के आधार पर परिवादी को बिल जारी किए गए हैं। दिनांक 06.12.2000 को वादी का मीटर पूर्ण जली हालत में उतारा गया है और विभाग द्वारा उसपर 43,294.00 रू0 बकाया दिखाया गया है।

      पत्रावली का अवलोकन करने से यह भी स्‍पष्‍ट है कि परिवादी द्वारा वर्ष 1998 में रसीद संख्‍या 491498/42 द्वारा 4500.00 रू0, रसीद संख्‍या 608103/31 द्वारा 2,450.00 रू0 दिनांक 16.10.98 को जमा किए थे उस धनराशि के समायोजन आदि के संबंध कोई स्‍पष्‍टीकरण विद्युत विभाग की ओर से प्रस्‍तुत नहीं किया गया । अपीलार्थी विद्युत विभाग की ओर से जिस अवधि के विद्युत उपभोग के बिल परिवादी/प्रत्‍यर्थी के ऊपर बकाया दिखाया गया है उन बिलों का कोई विवरण प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्‍त जब परिवादी के विद्युत का कनेक्‍शन जनवरी, 1996 को विच्‍छेदित कर दिया गया था और मीटर व तार उतार ले गए थे जिसे बाद में तार के अभाव का बहाना बनाकर विद्युत विभाग के उच्‍च अधिकारियों के निर्देश के बावजूद लाइनमैन द्वारा जोड़ा नहीं गया जिससे सिद्ध होता है कि परिवादी की चक्‍की विद्युत के अभाव में जनवरी 1996 से नहीं चली । अपीलार्थी का यह कथन असत्‍य प्रतीत होता है कि दिनांक 06.12.2000 को वादी का मीटर पूर्ण जली हालत में उतारा गया है।  चूंकि परिवादी की चक्‍की का विद्युत कनेक्‍शन प्रश्‍नगत अवधि में विच्‍छेदित रहा जिसे जोड़ने का कोई साक्ष्‍य अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, अत: उस अवधि में उसे जो बिल भेजे गए हैं, वह निराधार है और अवैध वसूली के अन्‍तर्गत प्रेषित किए गए हैं जो अपीलार्थी की सेवा में कमी को दर्शाते हैं।

पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्‍चात हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्‍यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्‍नगत परिवाद में विवेच्‍य निर्णय पारित किया है, जो कि विधिसम्‍मत है एवं उसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील खारिज किए जाने योग्‍य है।

       

आदेश

 

            प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

      उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

     

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                         (गोवर्धन यादव)

  पीठासीन सदस्‍य                                                             सदस्‍य

    कोर्ट-2

 (S.K.Srivastav,PA)

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 

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