(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-331/2009
डा0 आर.के. मल्होत्रा बनाम फूल सिंह पुत्र मान सिंह तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 28.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-302/2000, फूल सिंह बनाम डा0 आर.के. मल्होत्रा तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, सहारनपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.1.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आशीष सक्सेना के सहायक श्री पारस प्रधान तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.पी. पाण्डेय को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने आपरेशन के दौरान मरीज के पेट में स्पंच छोड़ने के कारण डा0 के स्तर से सेवा में कमी मानते हुए इलाज में खर्च राशि अंकन 80,000/-रू0, मानसिक संताप की मद में अंकन 1,00,000/-रू0, सेवा में कमी की मद में अंकन 20,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 अदा करने के लिए आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी के पेट में दर्द होने के कारण एस.बी.डी. जिला चिकित्सालय में डा0 डी.के. शर्मा को दिखाया गया, उनके द्वारा अल्ट्रासाउण्ड कराया गया और पथरी होना बताया गया, जिसके आपरेशन की सलाह दी गई। दिनांक 9.8.2000 को विपक्षी सं0-1 को दिखाया गया, जिनके द्वारा अंकन 10,000/-रू0 आपरेशन खर्च बताया गया तथा यह भी बताया गया कि परिवादी की आंत भी बढ़ गई है, इसका भी आपरेशन किया जाएगा, परन्तु आपरेशन के पश्चात भी परिवादी दर्द से
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पीडित रहा। यह दर्द बढ़ता गया तब एक अन्य डा0 संजीव शर्मा को बुलाया गया, उनकी देख-रेख में परिवादी का इलाज शुरू हुआ। खून चढ़ाने पर दर्द कम होना बताया गया, परन्तु खून चढ़ाने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। स्थिति गंभीर होती गई, इसके पश्चात परिवादी को छुट्टी दे दी गई। परिवादी से कुल अंकन 50,000/-रू0 प्राप्त किए गए, इसके पश्चात परिवादी के पुत्रगण परिवादी को पीजीआई चण्डीगढ़ में दिनांक 29.8.2000 को लेकर गए, वहां पर अल्ट्रासाउण्ड कराया गया और उसी दिन आपरेशन किया गया तब बताया गया कि सर्जिकल कपड़ा मरीज के पेट में छोड़ दिया गया, जिस कारण पेट में मवाद हो गया और मरीज की स्थिति गंभीर हो गयी है, आपरेशन न करने पर मृत्यु तक हो सकती है।
4. विपक्षी सं0-1 का कथन है कि पथरी का आपरेशन किया गया। मरीज के शरीर में जटिलताएं भी विद्यमान थी। पित्त की थैली के साथ-साथ अपेंडिक्स का आपरेशन भी किया गया था। यह आपरेशन सम्पूर्ण कुशलता के साथ किया गया था। डा0 संजीव शर्मा की भी सहायता ली गई थी। आपरेशन के दौरान सर्जिकल स्पंच खून रोकने के लिए रखा जाता है, जो कुछ समय पश्चात घुल जाता है।
5. विपक्षी सं0-2 का कोई संबंध परिवादी के इलाज से नहीं है, वह स्त्री रोग विशेषज्ञ है, उन्हें अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है।
6. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने निष्कर्ष दिया कि आपरेशन के दौरान मरीज के शरीर में स्पंच छोड़ना लापरवाही के तथ्य को स्थापित करता है। तदनुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
7. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्यों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि आपरेशन के दौरान
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खून के रिसाव को कम करने के लिए स्पंच रखा गया था, जो आपरेशन के कुछ समय पश्चात स्वंय घुल जाता है, इसलिए डा0 के स्तर से कोई लापरवाही कारित नहीं की गई है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि स्वंय सीएमओ द्वारा इस आशय की रिपोर्ट दी गई है, जो पत्रावली पर मौजूद है, परन्तु परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि परिवादी के शरीर में एक कपड़ा मिला था, यह कपड़ा घुलनशील नहीं था। सीएमओ द्वारा जो रिपोर्ट दी गई है, वह अनेक्जर सं0-5 पर मौजूद है, यह रिपोर्ट चिकित्सीय दस्तावेज, बीएचटी आदि को देखने के बाद नहीं दी गई है, अपितु विद्वान जिला आयोग द्वारा एक सूचना मांगी गई थी, इसलिए इस रिपोर्ट का चिकित्सा के दौरान बरती गयी लापरवाही के संबंध में कोई विधिक महत्व नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने इस तथ्य को पूर्णत: स्थापित माना है कि आपरेशन के दौरान मरीज के शरीर में कपड़ा छोड़ा गया, जो स्वंय लापरवाही का द्योतक है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2