राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील सं0- 2170/2015
Vidyut Vitran Nigam, through its Chief Engineer/Chairman, Vidyut Vitran Nigam, U.P., Shakti Bhawan, Lucknow and 04 Others.
…….Appellants
Versus
Phool Mati aged about 45 years, Wife of Heeralal R/o Village Tilya, Pargana-Badhar, Police Station Kotwali Robartsganj, Tehsil Robartsganj, District Sonebhadra.
……….Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 06.12.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 107/2013 फूलमती बनाम विद्युत वितरण निगम व 04 अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 07.09.2015 के विरुद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने विद्युत करण्ट लगने के कारण अंकन 4,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश विद्युत विभाग के विरुद्ध पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी का पुत्र प्रमोद कुमार उम्र 18 वर्ष अपीलार्थीगण/विपक्षीगण का कर्मचारी था जो सब स्टेशन पसहीं पर ही कार्यरत रहा है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पुत्र की मृत्यु अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की लापरवाही के कारण हुई है। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विद्युत सब स्टेशन पसहीं से विद्युत लाइन प्रत्यर्थी/परिवादिनी के ग्राम तिलया में गई है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति हीरा लाल पुत्र मोती लाल अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के उपभोक्ता हैं। पसहीं सब स्टेशन से विद्युत लाइन ग्राम पसहीं के ट्रांसफार्मर में आती है। यहां से ग्राम तिलया के उपभोक्ताओं को आपूर्ति होती है। दि0 27.01.2013 को ग्राम तिलया का ट्रांसफार्मर धुंआ फेंकते हुए जल गया था जिसकी सूचना गांव की उपभोक्ता शांन्ति देवी द्वारा इसी तिथि को दी गई थी। प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति तथा अन्य उपभोक्ताओं द्वारा मौखिक सूचना दी गई और ट्रांसफार्मर को तत्काल बदलने का अनुरोध किया, परन्तु ट्रांसफार्मर बदलने की कार्यवाही नहीं की गई। दि0 29.01.2013 को जब विद्युत आपूर्ति प्रारम्भ हुई तब प्रारम्भ में ही ट्रांसफार्मर तेज आवाज करते हुए धधक कर जलने लगा और प्रत्यर्थी/परिवादिनी तथा अन्य उपभोक्ताओं के घरों में बहुत तेज करण्ट आने लगा। इसलिए घरों के पम्पसेट, मोटर, केबिल, स्टारर्टर तथा स्टेप्लाइजर जलने लगे। उसी समय प्रमोद कुमार घर में लगे स्विच बोर्ड में मोबाइल चार्जर लगा कर स्विच ऑन कर रहा था कि हाई बोल्टेज के कारण उसे करण्ट लग गया और बेहोश हो गया। अस्पताल में ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। दि0 30.01.2013 को थाने में सूचना दी गई। पुलिस द्वारा पंचनामा कराया गया। पंचनामे में विद्युत करण्ट के कारण मृत्यु होना कहा गया जिसकी मृत्यु पर प्रत्यर्थी/परिवादिनी को आर्थिक, शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। प्रत्यर्थी/परिवादिनी का पुत्र होनहार था जो 15,000/-रू0 माहवार कमाता था। कुल 4,50,000/-रू0 क्षति की मांग की गई। जिलाधिकारी सोनभद्र, पुलिस अधीक्षक सोनभद्र तथा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को क्षतिपूर्ति की मांग हेतु पंजीकृत डाक से सूचना प्रेषित की गई, परन्तु अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा क्षतिपूर्ति की अदायगी नहीं की गई। इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. अपीलार्थीगण/विपक्षीगण 1 लगायत 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अपीलार्थी सं0- 4/विपक्षी सं0- 4 ने लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए यह उल्लेख किया कि मृतक के स्वयं की लापरवाही के कारण घटना घटित हुई है।
5. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा साक्ष्य की विवेचना करने के पश्चात यह निष्कर्ष दिया गया कि ट्रांसफार्मर में फाल्ट के कारण प्रत्यर्थी/परिवादिनी के घर में हाई बोल्टेज की विद्युत आपूर्ति हुई जिसके कारण प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पुत्र की मृत्यु कारित हुई। तदनुसार 4,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति का आदेश दिया गया।
6. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने एकतरफा सुनवाई करते हुए विधि विरुद्ध निर्णय पारित किया है। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के कर्मचारियों के स्तर से कोई लापरवाही नहीं की गई। किसी अन्य उपभोक्ता द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई। इलेक्ट्रिक इंजीनियर के समक्ष भी शिकायत नहीं की गई। अंकन 4,00,000/-रू0 का आंकलन मनमाना तरीके से किया गया। इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग का निर्णय अपास्त होने योग्य है।
7. केवल अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
8. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा सर्वप्रथम इलेक्ट्रिक इंसपेक्टर को शिकायत करने की कानूनी व्यवस्था पर इस पीठ का ध्यान आकृष्ट किया गया। यह सही है कि इलेक्ट्रिक इंसपेक्टर को विद्युत फाल्ट की सूचना देने का दायित्व सम्बन्धित व्यक्ति को सौंपा गया है, परन्तु आम अदामी को इस दायित्व की जानकारी नहीं हो सकती, फिर भी यह प्रावधान विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण कारित क्षति की पूर्ति के लिए उपभोक्ता परिवाद में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं करता। उपभोक्ता परिवाद के अंतर्गत अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की लापरवाही के तथ्य को साबित करना आवश्यक है न कि इलेक्ट्रिक इंजीनियर को सूचना देने के तथ्य को। प्रस्तुत केस में साक्ष्य की विस्तृत विवेचना की है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिक शॉट लगने के कारण मृत्यु कारित हुई है। ट्रांसफार्मर खराब होने की सूचना देने के सम्बन्ध में प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा शपथ पत्र दिया गया है जिसका कोई खण्डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है। इसी प्रकार चूँकि मृतक की उम्र केवल 18 वर्ष है। इसलिए 4,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति का आदेश विधिसम्मत है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
9. अपील खारिज की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2