सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1742/2009
(जिला उपभोक्ता फोरम, बलिया द्वारा परिवाद संख्या-79/2005 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.09.2009 के विरूद्ध)
दिनेश सीमेन्ट स्टोर झन्ना लाल का हाता थाना रोड, रसड़ा द्वारा प्रोपराइटर दिनेश कुमार पुत्र हरिहर सा0 सुलुई परगना लखनेश्वर, जिला बलिया।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम्
1. फुल बदन सिंह पुत्र स्व0 राम किशुन सिंह, निवासी हिता का पुरा परगना लखनेसर, जिला बलिया।
2. मेसर्स जे0पी0 अयोध्या ग्राइण्डिंग आपरेशन ग्राम खरौरा तहसील टाण्डा, अम्बेडकरनगर उ0प्र0 द्वारा मैनेजर।
3. राहुल ट्रेडर्स बजरिये प्रोपराइटर प्रदीप गुप्ता सा0 छितौनी परगना लखनेश्वर पो0 रसड़ा, जिला बलिया।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2 व 3
समक्ष:-
1. माननीय श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विष्णु कुमार मिश्रा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 23.01.2018
मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, परिवाद संख्या-79/2005, फूलबदन सिंह बनाम दिनेश सीमेंट स्टोर व अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बलिया द्वारा पारित (बहुमत) निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.09.2009 से क्षुब्ध होकर विपक्षी सं0-1/अपीलार्थी की ओर से याजित की गयी है, जिसके अन्तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्नवत् आदेश पारित किया गया है :-
'' परिवादी विपक्षी नं0-1 के विरूद्ध अंशत: स्वीकार किया जाता है जबकि विपक्षी नं0 2 व 3 के विरूद्ध निरस्त किया जाता है। विपक्षी नं0-1 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को 45 दिन के अंदर 40000/- (चालीस हजार रू0) की राशि दि0 07/04/05 की तिथि से ता भुगतान 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज जोड़कर अदा कर देवे। साथ ही परिवादी को वाद खर्च के रूप में 2000/- की भी अदायगी कर देवें। ''
प्रस्तुत प्रकरण के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने अपना मकान बनाने के लिये विपक्षी सं0-1/अपीलार्थी से दिनांक 12.02.2005 को 40 बोरी सीमेण्ट, दिनांक 21.02.2005 को 50 बोरी सीमेण्ट, दिनांक 09.03.2005 को 40 बोरी सीमेण्ट, दिनांक 12.03.2005 को 50 बोरी सीमेण्ट व दिनांक 22.03.2005 को 20 बोरी सीमेण्ट क्रय किया। दिनांक 23.03.2005 को कुशल इंजीनियर की देखरेख में छत का निर्माण कराया तथा कुछ सीमेण्ट परिवादी के पास बच गयी। इंजीनियर की राय के अनुसार छड़ लगाया व बराबर तराई कराई। मिस्त्री व इंजीनियर की राय के अनुसार दिनांक 03.04.2005 को छत की सटरिंग खोली गई। सटरिंग खोलने पर छत नीचे आने लगी और लोहे के अलावा संपूर्ण मटीरियल सीमेण्ट, बालू नीचे गिर पड़ा तथा सीमेण्ट से जोड़ी गयी दीवार भी फट गई। मकान में कुल 8 कमरे बनाये गये थे, जिससे समस्त सामग्री यथा सीमेण्ट, बालू, गिट्टी, ईटा, छड़ खराब हो गयी, जो पुन: चिनाई के काम नहीं आ सके। परिवादी ने रू0 04 लाख की लागत से पचास हजार ईंटें, 6 ट्राली गिट्टी, 8 ट्राली लाल बालू, बालू तथा अन्य सामान खरीदा था। इस प्रकार विपक्षीगण का कार्य अनुचित व्यापार प्रथा के अन्तर्गत आता है। विपक्षी संख्या-1 ने आश्वासन दिया था कि 24 घंटे के अंदर सीमेंट की सेंटिग हो जायेगी व छत की ढलाई एक सप्ताह मे खुल जोयगी। सीमेण्ट अच्छी गुणवत्ता का है, इसी विश्वास पर विपक्षी संख्या-1 से सीमेण्ट खरीदा गया। बाद में पता चला कि विपक्षी संख्या-1 जे0पी0 बुनियाद के नाम से सीमेण्ट की बिक्री कर रहा है और अपनी फैक्ट्री विपक्षी संख्या-2 के नाम से चला रहा है, जबकि जे0पी0 बुनियाद की असली फैक्ट्री रीवा, मध्य प्रदेश की है। परिवादी ने खराब सीमेण्ट की विपक्षीगण से शिकायत की तथा थाना रसड़ा को भी लिखित रूप से सूचित किया। तदोपरांत दिनांक 23.04.2005 को एसपी बलिया को भी सूचना दी, किन्तु पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी और विपक्षीगण ने भी क्षति का कोई भुगतान नहीं दिया, जिससे क्षुब्ध होकर प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।
विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी ने परिवाद पत्र का विरोध करते हुए अपने लिखित कथन में परिवादी को 170 बोरी सीमेण्ट का विक्रय किया जाना स्वीकार किया है और विपक्षी संख्या-2 को बिक्री किये गये सीमेण्ट का निर्माता होना कहा है। विपक्षी संख्या-1 ने यह भी कहा कि दिनांक 03.04.2005 को छत सटरिंग खोलते समय छत गिरने का परिवादी ने कोई ठोस साक्ष्य व प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है, बल्कि सत्य यह है कि विपक्षी संख्या-1 को परिवादी से रू0 47,180/- की बकाया दारी प्राप्त करना शेष है, जिससे बचने के लिए झूठा परिवाद योजित किया गया है। विपक्षी संख्या-1 ने जो सीमेण्ट विक्रय किया वह विपक्षी संख्या-2 द्वारा निर्मित उच्च कोटि की बुनियाद सीमेण्ट था। विपक्षी संख्या-1 ने परिवादी को जो सीमेण्ट विक्रय किया वह विपक्षी संख्या-2 के स्थानीय वितरक राहुल ट्रेडर्स रसड़ा जिला बलिया से क्रय कर बेची है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है। परिवाद खारिज होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2 ने परिवाद पत्र का विरोध करते हुए अपने जवाब दावे में कथन किया कि जय प्रकाश एसोसियेट लि0 एक पंजीकृत कम्पनी है। सीमेण्ट फैक्ट्री जे0पी0 नगर रीवा, मध्यप्रदेश में स्थित है और इसकी ग्राइंडिंग यूनिट जे0पी0 अयोध्या ग्राइंडिंग आपरेशन, टाटा अम्बेडकर नगर (उ0प्र0) में है। विपक्षी संख्या-1 से उक्त फैक्ट्री का कोई वास्ता नहीं है। विपक्षी संख्या-1 कम्पनी का अधिकृत स्टाकिस्ट/डीलर नहीं है। विपक्षी संख्या-2 अपने सीमेण्ट की बिक्री नियुक्त किये गये सेल्स प्रमोटर के जरिये करती है। विपक्षी संख्या-1 द्वारा बिक्री किये गये सीमेण्ट की जिम्मेदारी विपक्षी संख्या-2 की नहीं है। विपक्षी संख्या-2 द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है।
विपक्षी संख्या-3/प्रत्यर्थी संख्या-3 ने परिवाद पत्र का विरोध करते हुए अपने लिखित कथन में कहा है कि विपक्षी संख्या-1, विपक्षी संख्या-2 का अधिकृत डीलर नहीं है। परिवादी ने कब तथा कहां से सीमेण्ट खरीदा व कब, कहां व किस प्रकार से निर्माण में प्रयोग किया, उसकी जानकारी विपक्षी संख्या-3 को नहीं है। परिवादी ने कभी भी कोई शिकायत नहीं की। परिवादी द्वारा निर्माण में प्रयोग किये गये सीमेण्ट का परीक्षण नहीं कराया गया है। तकनीकी कारणों से निर्माण क्षतिग्रस्त हो सकता है। विपक्षी संख्या-3 द्वारा परिवादी को कोई सीमेण्ट नहीं बेची गयी है और न ही कोई सेवा में कमी की गयी है।
जिला फोरम द्वारा उभय पक्षों को सुनने व पत्रावली का अवलोकन करने के उपरांत उपरोक्त आक्षेपित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है।
अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वासुदेव मिश्रा उपस्थित हुए। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। यह अपील वर्ष 2009 से निस्तारण हेतु विचाराधीन है, अत: पीठ द्वारा समीचीन पाया गया कि प्रस्तुत अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाये। तदनुसार अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया कि अपीलार्थी विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2 का एजेण्ट है। अपीलार्थी के यहां बड़ी मात्रा में विपक्षी संख्या-2 का सीमेण्ट स्टाक में हैं। विपक्षी संख्या-3 के यहां से सीमेण्ट खरीद कर परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 को विक्रय किया गया। विपक्षी संख्या-3 विपक्षी संख्या-2 का स्थानीय डीलर है, जिसे विपक्षी संख्या-3 ने स्वीकार किया है। जिला फोरम ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था, जिसने अपनी आख्या दिनांक 07.07.2005 को दी है, जो सही नही है। सीमेण्ट का नमूना दूसरी अधिकृत प्रयोगशाला में भेजा गया, जिसमें निर्धारित प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी। जांच की रिपोर्ट 10 माह बाद भेजी गयी है। जिला फोरम स्वंय एक्सपर्ट नहीं है। किसी एक्सपर्ट की रिपोर्ट नहीं लगी है। अपीलार्थी सीमेण्ट का निर्माता नहीं है। केवल स्थानीय खुदरा स्टाकिस्ट है। उसने विपक्षी संख्या-3 से सीमेण्ट खरीदा है। जिला फोरम ने सीमेण्ट में मिलावट पाया जाना अवधारित किया है, जो सही नहीं है। परिवादी ने सीमेण्ट की बोरी की टैगिंग पर कोई आपत्ति नहीं की है। जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश सही एवं उचित नहीं है।
प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
आधार अपील एवं सम्पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह तथ्य विदित होता है कि परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 ने अपीलार्थी से मकान बनाने हेतु सीमेण्ट क्रय किया था। इंजीनियर की राय के अनुसार दीवार की चुनाई तथा छत की ढलाई करवाई। दिनांक 03.04.2005 को छत की ढलाई कराई गई। सटरिंग खोला गया सटरिंग खोलते ही छत नीचे आने लगी तथा लोहे के अलावा सम्पूर्ण मैटेरियल सीमेण्ट बालू, धूल के साथ नीचे गिर गयी। सीमेण्ट गिट्टी बालू के साथ सेट नहीं हो पायी, जिससे छत गिर गयी। सीमेण्ट से जोड़ी गई दीवार भी फट गयी। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी सीमेण्ट का निर्माता नहीं है, वह विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2 के द्वारा निर्मित सीमेण्ट को बेचता है। यदि सीमेण्ट में कोई मिलावट हो तो विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2 उसके लिए उत्तरदायी है, क्योंकि विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2 सीमेण्ट का निर्माता है। जिला फोरम ने एडवोकेट कमिश्नर से जांच करायी थी तथा प्रयोगशाला में सीमेण्ट का नमूना जांच के लिए भेजा गया, वह निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार नहीं था। यह तर्क स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है, क्योंकि जिला फोरम को एडवोकेट कमिश्नर ने दिनांक 07.07.2005 को अपनी आख्या प्रस्तुत की थी, जिसके अनुसार सीमेण्ट द्वारा निर्मित दीवार नहीं गिरी है, जो छत को ढाला गया था, वह छत की सेटिंग न होने के कारण गिर गयी थी। एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सीमेण्ट का नमूना लाया गया, जिसे प्रयोगशाला में जांच हेतु नेशनल कौन्सिल फार सीमेण्ट एण्ड बिल्डिंग मैटेरियल 34 एम स्टोन दिल्ली, मथुरा रोड (एन.ए 2) बल्लभगढ़ पिन नं0 121004 हरियाणा भेजा गया। नेशनल कौन्सिल फार सीमेण्ट एण्ड बिल्डिंग मैटेरियल की रिपोर्ट के अनुसार अघुलनशील पदार्थ जैसे महीन बालू अथवा राख या अन्य वस्तु सीमेण्ट में मिलावट बेची गयी है, जिसके कारण विपक्षी संख्या-1 ने छत गिरने की सूचना तत्काल मिलने के बावजूद सील्ड बोरी जो कम्पनी विपक्षी संख्या-2 की बताई है, उसे जांच हेतु स्वंय नहीं भेजा है, बल्कि जिला फोरम के आदेश से जांच करायी गयी है। इस प्रकार सीमेण्ट में मिलावट खराब सीमेण्ट अथवा मानक के अनुरूप न होना साबित है। विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। जिला फोरम ने सभी तथ्यों पर विचार करते हुए गुणदोष के आधार पर निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने राहुल ट्रेडर्स से थोक सीमेण्ट खरीद कर परिवादी को बेचा है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा सीमेण्ट बेचा जाना स्वीकार है। दोषपूर्ण माल के लिए निर्माता एवं डीलर दोनो संयुक्त रूप से उत्तरदायी हैं। जिला फोरम ने केवल छत निर्माण में प्रयुक्त सीमेण्ट मिलावट अथवा खराब किस्म का होना पाया है तथा उसी अनुपात में क्षति का आंकलन करते हुए चालीस हजार रूपये दिलाने का आदेश दिया है। मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा M/s Jaycee Automobiles Pvt. Ltd Vs Raj Kumar Ahnihotri and others 2016 25, जुलाई FA/787/2016 में निम्न विधि व्यवस्था उद्धरित है :-
" 2- The brief facts as set out in the Complaint are that the Complainant purchased an Audi Q5 2.0 TDI QUAI IBIS vide Invoice No. 11-12-V032, dated 31.08.2011, at a price of Rs. 40,43,000/-, from the first Opposite Party. It is averred that immediately after purchase, the complainant noticed a continuous sound problem/noise from the front side of the wheel during the application of the breaks. It is pleaded that despite several visits, the first Opposite Party miserably failed to rectify the said problem.
19- Keeping in view the aforementioned judgment of the Hon'ble Apex Court, and having regard to the fact that admittedly, the car was taken to the workshop several times, the front break-disc and break-pads were changed twice and for the third time, for the same problem, for which the front disc pads were changed, on 19.02.2014, the Appellant Company had demanded an amount of Rs. 44,300.68ps, the State Commission has rightly observed this demand as deficiency of service and directed the Appellant Co., to only rectify the defects within a period of one month and awarded a reasonable compensation of Rs. 15,000/- and costs of Rs. 11,000/-.
20- For all the afore-mentioned reasons, it is observed that there is no illegality or infirmity in the order of the State Commission. This appeal is dismissed, accordingly, in limine. No Order as to costs. "
उपरोक्त विधि व्यवस्था के आलोक में विचार करने के उपरांत हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि प्रश्नगत मामलें में विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी से परिवादी/प्रत्यर्थी सं0-1 ने सीमेण्ट खरीदा था तथा अपने भवन का निर्माण कराया था। सीमेण्ट खराब होने के कारण छत जो ढाली गयी, वह गिर गयी, जिससे यह साबित होता है कि सीमेण्ट में अघुलनशील पदार्थ जैसे महीन बालू, राख अथवा अन्य कोई वस्तु सीमेण्ट में मिलावट कर बेचा गया है, जिसके लिए अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 जिम्मेदार है। अपीलार्थी की अपील में बल नहीं पाया जाता है। अपील बलहीन होने के कारण निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है।
(संजय कुमार) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-4