जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 24/2016
मो. साबिर पुत्र गुलाम हुसैन खां, जाति-मुसलमान, निवासी-प्रिन्स टाॅकिज के पीछे, मेडतासिटी, तहसील-मेडतासिटी, जिला-नागौर (राज.)। मोबाईल.नं. 9414547672 -परिवादी
बनाम
1. च्म्च् प्छथ्व्ज्म्ब्भ्ए ।कमेूंत ज्वूमत व्चच भ्वजमस प्दकमत पद 3 डंपद ब्ीवचंेंदप त्वंकए श्रवकीचनतण्
2. भ्ब्स् प्दविेलेजमउे स्जकण्ए 102 ब्पजल ब्मदजमत ैंदेंत ब्ींदकंत त्वंकए 1ेज थ्सववतए श्रंपचनतण्
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-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. सुश्री कान्ता बोथरा, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई नहीं।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 19.05.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से, अप्रार्थी संख्या 2 व 3 द्वारा निर्मित एक एच.सी.एल. कम्प्यूटर ।।2ट1062छ ैण्छव्ण् ।123।।488986 जरिये इनवाॅइस नम्बर 17339 के दिनांक 05.01.2013 को मय मोनिटर एल.ई.डी. 18.5 इंच, नम्बर ठ86122606215 राषि 22,500/- रूपये देकर खरीद किया। जिस पर तीन साल की गांरटी/वारंटी दी गई। लेकिन खरीद के कुछ समय पष्चात् ही उक्त कम्प्यूटर सेट में खराबी आनी षुरू हो गई। कम्प्यूटर का चलते-चलते बंद हो जाना, बराबर डिस्प्ले नहीं बताना, हैंग हो जाना व कम्प्यूटर चालू करते वक्त डिस्प्ले पर बडे-बडे काले धब्बे आना एवं अनेक बार पूरी स्क्रीन ही काली हो जाती। इस पर परिवादी ने इस बारे में अप्रार्थीगण को बताया तो उन्होंने जल्दी ही अधिकृत मैकेनिक को भेजकर खराबी दूर करने का आष्वासन दिया मगर काफी समय गुजरने के बाद भी अप्रार्थीगण ने किसी भी मैकेनिक को नहीं भेजा। इस पर परिवादी खुद अपने खर्चे पर कम्प्यूटर लेकर जोधपुर गया। वहां जाकर उसने कम्प्यूटर ठीक करवाया मगर दो महिने कम्प्यूटर ठीक चलने के बाद वही समस्या आ गई। तब परिवादी ने पुनः अप्रार्थीगण को षिकायत की तथा उनके कार्यालयों के चक्कर काटता रहा मगर उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। परिवादी ने अप्रार्थीगण को दिनांक 12.10.2015 को षिकायत नम्बर 8505539547 भी दर्ज करवाई मगर अप्रार्थीगण टालमटोल करते रहे। अप्रार्थी संख्या 1 ने उसके साथ अभद्र व्यवहार षुरू कर दिया। अप्रार्थी संख्या 2 व 3 को षिकायत करने पर उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि सभी अप्रार्थीगण किसी तरह गारंटी/वारंटी अवधि बिताने के अंदाज में पेष आए तथा झूठे आष्वासन देते रहे। इस तरह अप्रार्थीगण ने उनके खराब कम्प्यूटर को गांरटी/वारंटी अवधि के बावजूद दुरूस्त नहीं किया तथा कहते रहे कि इसमें निर्माण सम्बन्धी खराबी है, जो ठीक नहीं होगी। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं उपभोक्ता के साथ धोखाधडी की परिभाशा में आता है। अतः परिवादी को विक्रय किये गये उक्त खराब उपकरणों को बदलकर उनके स्थान पर नये व दुरूस्त उपकरण उसी माॅडल के दिलाये जावे तथा विकल्प में उपकरणों की कीमत मय ब्याज दिलायी जावे। इसके अलावा परिवाद में अंकितानुसार अन्य अनुतोश दिलाये जावे।
2. अप्रार्थीगण की ओर से बावजूद तामिल कोई भी उपस्थित नहीं आया और न ही जवाब प्रस्तुत किया।
3. परिवादी की ओर से अपना षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात प्रस्तुत किये गये। अप्रार्थीगण की ओर से कोई साक्ष्य मौखिक या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं की गई।
4. बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई। अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
5. परिवादी द्वारा प्रस्तुत षपथ-पत्र एव ंक्रय बिल की प्रति से यह स्पश्ट है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से दिनांक 05.01.2013 को एच.सी.एल. कम्प्यूटर ।।2ट1062छ ैण्छव्ण् ।123।।488986 मय मोनिटर एल.ई.डी. 18.5 इंच, नम्बर ठ86122606215 जरिये इनवाॅइस नम्बर 17339 दिनांक 05.01.2013 को राषि 22,500/- रूपये में खरीद किया। अप्रार्थी संख्या 2 व 3 इस कम्प्यूटर के निर्माता है। इस प्रकार परिवादी तीनों अप्रार्थीगण का उपभोक्ता होना पाया जाता है।
6. अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से परिवादी को कम्प्यूटर सेट खरीद के साथ ही दिनांक 05.01.2013 को एक वारंटी कार्ड दिया गया। जो अभिलेख पर प्रदर्ष 1 मौजूद हैै। उक्त वारंटी कार्ड के अनुसार परिवादी को दिनांक 05.01.2013 को कम्प्यूटर की डिलेवरी देना एवं दिनांक 06.01.2013 को इसका इंस्टालेषन किया जाना बताया गया। इसी वारंटी कार्ड में उपभोक्ता को उपकरण इंस्टालेषन से 36 माह तथा उपकरण डिलेवरी से 37 माह, इनमें से जो भी पहले हो की वारंटी दी गई है। ऐसा कोई अभिकथन या साक्ष्य अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है कि कम्प्यूटर की वारंटी अवधि तीन वर्श नहीं हो। अतः परिवादी के अभिकथन एवं साक्ष्य, जिसका लेषमात्र भी खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है, से प्रमाणित है कि परिवादी द्वारा क्रय किये गये कम्प्यूटर में परिवाद में अंकितानुसार त्रुटियां कम्प्यूटर खरीदने के बाद चालू हो गई।
7. परिवादी के कथनानुसार कम्प्यूटर खरीदने के बाद खराबी षुरू हो गई। तब वो कम्प्यूटर सेट को ठीक कराने अप्रार्थी संख्या 1 के पास अपने खर्चे पर जोधपुर भी गया। लेकिन उक्त कम्प्यूटर को ठीक कराने के दो माह बाद वापस खराब हो गया। परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 के यहां बार-बार चक्कर काटे तो वह अभद्र व्यवहार पर उतर आया। इसकी षिकायत अप्रार्थी संख्या 2 व 3 को की तो उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की। अप्रार्थीगण गांरटी/वारंटी अवधि को बिताने में लगे रहे तथा आखिर कह दिया कि इसमें निर्माण सम्बन्धी खराबी है। परिवादी के इन कथनों का अप्रार्थीगण की ओर से कोई खण्डन नहीं है। अतः परिवादी के इन कथनों पर अविष्वास का कोई कारण नहीं है। अतः अप्रार्थीगण ने परिवादी को दोशयुक्त कम्प्यूटर विक्रय किया व कम्प्यूटर के दोशयुक्त होने के बावजूद ने तो रिपेयर किया और न ही कम्प्यूटर सेट रिप्लेस किया। जो अप्रार्थीगण का अनुचित सेवा व्यवहार एवं सेवा में कमी है। अतः परिवाद परिवादी विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार किये जाने योग्य होना पाया जाता है।
आदेश
1. परिणामतः परिवादी मो.साबिर की ओर से प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का अप्रार्थीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को विक्रय किये गये कम्प्यूटर सेट के खराब उपकरणों को बदलकर उनके स्थान पर उसी माॅडल व कम्पनी के नये व दुरूस्त उपकरण स्थापित कर कम्प्यूटर सेट को चालू स्थिति में करें। यदि खराब उपकरणों को बदलकर कम्प्यूटर सेट दुरूस्त किया जाता है तो जिस दिन कम्प्यूटर सेट दुरूस्त कर चालू किया जाता है, उसी दिन से पुनः गारंटी/वारंटी षुरू होगी तथा यदि कम्प्यूटर सेट दुरूस्त होने योग्य नहीं हो तो परिवादी को कम्प्यूटर सेट की कीमत (बिल राषि) 22,500/- रूपये मय ब्याज 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण दर से परिवाद-पत्र प्रस्तुत करने की दिनांक 05.01.2016 से अदा करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को मानसिक संताप एवं वाद परिव्यय निमित कुल 4,000/- रूपये भी अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे।
2. आदेष आज दिनांक 19.05.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य। सदस्य अध्यक्ष सदस्या