दिनांक:11-12-2015
परिवादी गण ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि उन्हें श्रीमती फुलिया देवी की प्रश्नगत अवधि की पारिवारिक पेन्शन की धनराशि रू0 40,950/- ब्याज सहित दिलाये जाने के साथ ही शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 30,000/- विपक्षी गण से दिलाये जायॅ।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी गण का संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि परिवादी श्रीनाथ] अशोक तथा मृतक शम्भू के पिता और श्रीमती फुलिया देवी के पति श्री राम किशुन सरकारी अफीम एवं क्षारोद कारखाना गाजीपुर में श्रमिक के रूप में कार्यरत थे। श्री रामकिशुन की मृत्यु के उपरांत श्रीमती फुलिया देवी को नियमानुसार प्रतिमाह पारिवारिक पेन्शन मिलती रही। श्रीमती फुलिया देवी की मृत्यु दिनांक 14-08-2010 को हो गयी। परिवादी गण उनके वैध उत्तराधिकारी हैं। पारिवारिक पेन्शन नियमित रूप से प्रतिमाह बैंक आफ बड़ौदा में उनके खाते में अक्टूबर 2009 तक आती रही । अन्तिम बार पेन्शन दिनांक 29-10-2009 तक उनके खाते में जमा हुई थी। तत्पश्चात् विपक्षी गण ने बिना कसी उचित कारण के, श्रीमती फुलिया देवी के खाते में पेन्शन जमा नहीं की। अत: उनकी ओर से सेवा में त्रुटि की गयी है। फुलिया देवी को माह नवम्बर 2009 से माह जुलाई 2010 तक पारिवारिक पेन्शन देय थी, लेकिन इसे उनके खाते में जमा नहीं किया गया। बकाया पेन्शन के रूप में रू0 40,950/- तथा ब्याज परिवादी गण पाने के अधिकारी हैं लेकिन विपक्षी गण द्वारा इसकी अदायगी नहीं की जा रही है, अत: परिवाद योजित किया है।
विपक्षी सं01 की ओर से अपने लिखित कथन में इस बिन्दु पर कोई आपत्ति नहीं की गई है कि मृतक रामकिशुन सरकारी अफीम एवं क्षारोद कारखाना गाजीपुर में श्रमिक रहे थे और उनकी मृत्यु के उपरांत श्रीमती फुलिया देवी को देय पारिवारिक पेन्शन विपक्षी सं02 में उनके खाते में जमा करायी जा रही थी। परिवाद पत्र के शेष कथनों को विपक्षी सं01 की ओर से स्वीकार नहीं किया गया है। उनकी ओर से कहा गया है कि परिवादी गण को विपक्षी सं01 के विरुद्ध कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। यह भी कहा गया है कि उपरोक्त कारखाने में श्रमिक श्रीरामकिशुन द्वारा अवकाश ग्रहण करने के उपरांत उन्हें दी जाने वाली पेन्शन सम्बन्धी समस्त औपचारिकताऍ पूरी करके उनके द्वारा नामित बैंक, बैंक आफ बड़ौदा द्वारा पेन्शन भुगतान की जा रही थी। पेन्शन समबन्धी कार्य विपक्षी सं03 द्वारा किया जाता है। विपक्षी सं03 द्वारा अधिकृत बैंक ही सेवा निवृत्त कर्मचारियों की पेन्शन का लेखा-जोखा रखता है और सम्बन्धित बैंक द्वारा सम्बन्धित सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेन्शन का भुगतान किया जाता है। पेन्शन भुगतान सम्बन्धी कोई कार्य विपक्षी सं01 द्वारा नहीं किया जाता है और न ही इस सम्बन्ध में कोई अभिलेख अनुरक्षित किये जाते हैं। सम्बन्धित पेन्शन लेखा कार्यालय मामले में आवश्यक पक्ष है और उसे पक्षकार न बनाये जाने का दोष है।पेन्शन भुगतान प्रकरण का सम्बन्ध केवल विपक्षी सं02 से है। विपक्षी सं01 को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है, अत: उसे हर्जा के रूप में रू0 10,000/- दिलाये जायॅ।
विपक्षी सं02 व 3 की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है। उनकी ओर से सुनवाई की तिथि पर कोई उपस्थित नहीं आया है। अत: उनके विरुद्ध एक पक्षीय सुनवाई की गयी।
परिवाद पत्र में किये गये कथनों के समर्थन में परिवादी गण की ओर से शपथ पत्र 19ग प्रस्तुत करने के साथ ही सूची कागज सं0 7ग के जरिये 4 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्ध कराये गये हैं तथा लिखित बहस कागज सं0 44ग परत्रावली पर उपलब्ध की गयी है।
विपक्षी सं01 की ओर से अपने कथनों के समर्थन में शपथ पत्रकागज सं0 14ग पत्रावली पर उपलब्ध कराये गये हैं और सूची 22ग के जरिये अभिलेख उपलब्ध कराने के साथ ही लिखित बहस कागज संख्या 42ग पत्रावली पर उपलब्ध की गयी है।
परिवादी गण तथा विपक्षी सं01के विद्वान अधिवक्ता गण को विस्तार में सुना गया। परिवाद पत्र, प्रतिवाद पत्र, शपथ पत्रों व लिखित बहस का भलीभॉति परिशीलन किया गया।
मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि स्व0 राम किशुन जो परिवादी गण श्रीनाथ, अशोक तथा मृतक शम्भ्ूा के पिता व स्व0 फुलिया देवी के पति थे, वे सरकारी अफीम एवं क्षारोद कारखाना गाजीपुर में श्रमिक केरूप में कार्यरत रहे थे। उनकी मृत्यु के उपरांत उनकी पत्नी श्रीमती फुलिया देवी को पारिवारिक पेन्शन विपक्षी सं02 द्वारा उनके खाता सं012260100001830 बैंक आफ बड़ौदा महुआबाग गाजीपुर में नियमत रूप से दि0 29-10-2009 तक जमा करायी गयी। यह भी विवादित नहीं है कि श्रीमती फुलिया देवी की मृत्यु दि0 14-08-2010 को हुई थी। उसके खाते में माह नवम्बर 2009 से उनके जीवन काल की शेष अवधि के लिए पेन्शन की धनराशि उनके खाते में जमा नहीं की गयी।
विपक्षी सं01 की ओर से अपनी बहस में कहा गया है कि परिवादी गण ने श्रीमती फुलिया देवी के खाते में पेन्शन की धनराशि जमा न कराये जाने के सम्बन्ध में यह परिवाद योजित किया है। पारिवारिक पेन्शन का भुगतान न किये जाने सम्बन्धी विवाद उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत नहीं आता है, इसलिए यह परिवाद पोषणीय नहीं है। इस बिन्दु पर विपक्षी सं01 की ओर से सिविल अपील संख्या 5476/2013 डॉ0 जगमित्तर सेन भगत बनाम डाइरेक्टर आफ हेल्थ सर्विसेज हरियाना, मामले में मा0 उच्चतम न्यालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त का सहारा लिया गया है। इस बिन्दु पर परिवादी गण की ओर से अधेालिखित मामलों में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त का सहारा लेते हुए कहा गया है कि पेन्शनरी लाभ न भुगतान होने की दशा में उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद पोषणीय है:-
1- ए.आई.आर. 2000 एस सी 331 रीजनल प्राविडेंट फण्ड कमिश्नर बनाम शिव कुमार जोशी।
2- ए.आई.आर.2006एस.सी.2810 स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक लिमिटेड बनाम डॉ0 बी.एन. रमन ।
परिवादी गण की ओर से उद्घृत उपरोक्त दोनों मामलों में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त का भलीभॅाति परिशीलन करने से प्रकट है कि उपरोक्त दोनों मामलों में सरकारी सेवक की पेन्शन भुगतान के सम्बन्ध में मा0 उच्चतम न्यायालय ने कोई सिद्धांत प्रतिपादित नहीं किया है इसलिए उपरोक्त दोनों मामलों में प्रतिपादित सिद्धांत यहॉ सुसंगत नहीं हैं।
विपक्षी सं01 की ओर से उद्घृत डॉ0 जगमित्तर सेन भगत बनाम डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज हरियाना, मामले में मा0 उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया है कि ‘’ In view of the above, it is evident that by no stretch of imagination a government servant can raise any dispute regarding his service or for payment of gratuity or GPF or any of his retiral benefites before any of the Forum under the Act. the government servant does not fall under the definition of a ‘’ consumer ‘’ as defined under Section 2 (1) (d) (ii) of the Act. Such government servant is entitled to claim is retiral benefits strictly in accordance with his service conditions and regulations or statutory rules framed for that purpose. The appropriate forum, for redressal of any his grievance, may be the state Administrative Tribunal, if any, or civil Court but certainly not a Forum under the act.
2007(2) सी पी आर 42 ( महाराष्ट्र) द एजूकेशन अफसर बनाम श्रीमति अनिता बलवंत लान्जेवार मामले में एक सरकारी स्कूल के सेवानिवृत्त लिपिक को पेन्शन लाभ दिये जाने में विलम्ब के सम्बन्ध में परिवाद योजित किया गया था। मा0 महराष्ट्र उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने प्रतिपादित किया कि पेन्शनरी लाभ के मामले में परिवाद पोषणीय नहीं है। इसी प्रकार द इक्जिक्यूटिव इन्जीनियर बनाम श्रीमती पुतुल डोम 2013(2) सी पी आर 326 (एन सी) मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभाक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने प्रतिपादित किया है कि सरकारी सेवक की पेन्शन सम्बन्धी मामलों को निस्तारण करने का क्षेत्राधिकार उपभेक्ता फोरम को नहीं है।
उपरोक्त मामलों में प्रतिपादित सिद्धान्त से प्रकट है कि सरकारी सेवक सरकार के उपभोक्ता नहीं हैं। उपरोक्त सेवक की पेन्शन आदि से सम्बन्धित मामलों को सुनने का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम को नहीं है। ऐसी स्थिति में क्षेत्राधिकार न होने के कारण परिवादी गण का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। परिवादी अनुतोष पाने हेतु सक्षम न्यायालय / अधिकरण, फोरम के समक्ष विधि अनुसार समुचित कार्यवाही करने हेतु स्वतंत्र है।
उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचन से प्रकट है कि सरकारी सेवक की पत्नी को देय परिवारिक पेन्शन की धनराशि परिवादी गण ने दिलाये जाने हेतु यह परिवाद योजित किया है। उपरोक्त मामलों में प्रतिपादित सिद्धांत से प्रकट है कि सरकारी सेवक सरकार के ‘’ उपभोक्ता’’ की श्रेणी में नहीं आते हैं, ऐसी दशा में मृत सरकारी सेवक के उत्तराधिकारी भी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं। पेशनरी लाभ के मामलों को सुनने का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम को नहीं है। अत: परिवादी गण कोई अनुतोष पाने के अधिकारी नहीं हैं और उनका परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
परिवादी गण का परिवाद खारिज किया जाता है। मामले की परिस्थितियों में पक्ष अपना- अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्क प्राप्त कराई जाय। निर्णय आज खुले न्यायालय में, हस्ताक्षरित, दिनांकित कर,उद्घोषित किया गया।