Uttar Pradesh

StateCommission

A/1300/2019

Lucknow Development Authority - Complainant(s)

Versus

Pawan Kumar Tiwari - Opp.Party(s)

Anshuman Sharma, Dilip Kumar Shukla

05 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1300/2019
( Date of Filing : 08 Nov 2019 )
(Arisen out of Order Dated 27/04/2018 in Case No. CC/1099/2013 of District Lucknow-II)
 
1. Lucknow Development Authority
Lucknow
Lucknow
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. Pawan Kumar Tiwari
Lucknow
Lucknow
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Aug 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1300/2019

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ परिवाद सं0-1099/2013 में पारित आदेश दिनांक 27.04.2018 के विरूद्ध)

 

लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी, नवीन भवन, विपिन खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ द्वारा सचिव, लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी।

                                                          ........... अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम             

 पवन कुमार तिवारी पुत्र स्‍व0 चन्द्रिका प्रसाद तिवारी, निवासी पी-177, (पुष्‍पयान) नेहरू इन्‍क्‍लेव, गोमती नगर, लखनऊ, पिन 226010

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता       : श्री दिलीप कुमार शुक्‍ला

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          :श्री अनिल कुमार मिश्रा

दिनांक :- 05.08.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 1099/2013 में पारित आदेश दिनांकित 27.04.2018 के विरूद्ध योजित की गयी है।

      जिला फोरम ने परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित किया है:-

          ‘’परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्‍ताह के अंदर परिवादी को उसके द्वारा जमा धनराशि रू0 2373923.00 पर दि0 01.04.2012 से भुगतान की तिथि तक मय 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक मात्र ब्‍याज अदा करें। इसके अतिरिक्‍त विपक्षी परिवादी को मानसिक कष्‍ट हेतु रू0 10,000/- तथा रू0 5000/- वाद व्‍यय

-2-

अदा करे। ऐसा न करने की दशा में विपक्षी को उक्‍त धनराशियों पर उक्‍ततिथि से ता अदायगी तक 12 (बारह) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर के साथ देय होगा।‘’

संक्षेप में परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि वर्ष 2009 में अपीलार्थी लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गोमती नगर विस्‍तार योजना सेक्‍टर 4 में रीवर व्‍यू इन्‍क्‍लेव नामक बहुमंजिली आवासीय योजना में फ्लैट क्रय करने हेतु समाचार पत्र के माध्‍यम से आवेदन आमंत्रित किये थे। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत रू0 112000/- का बैंक ड्राफ्ट जमा करके 2बीएचके+स्‍टडी हेतु आवेदन किया था। आवेदन के बाद लाटरी में सफल होने के पश्‍चात  परिवादी/विपक्षी को प्राधिकरण द्वारा एक सम्‍पत्त्ति आवंटन पत्र दिनांक 31.03.2010  का प्राप्‍त हुआ, जिसके द्वारा उसे रीवर व्‍यू इन्‍क्‍लेव के बेतवा नामक इमारत में आठवें तल पर सम्‍पत्ति सं0 बीटी/ई/808 आंवटित किया गया जिसका अनुमानित क्षेत्रफल 112.35 वर्गमीटर तथा अनुमानित मूल्‍य रू0 22,30,000.00 दर्शाया गया था। आवंटन पत्र की शर्त के अनुसार परिवादी/विपक्षी ने विभिन्‍न तिथियों में रू0 15,22,626/- जमा कर दिया। इस प्रकार परिवादी/विपक्षी ने पंजीकरण धनराशि को मिलाकर कुल धनराशि रू0 16,34,626.00 विपक्षी के पास जमा कर दिया। परिवादी/विपक्षी ने दि0 23.11.10 को प्राधिकरण को पत्र के माध्‍यम से अवगत कराया कि वह शेष धनराशि एकमुश्‍त जमा करना चाहता है, अत: उसे बताया जाय कि शेष धनराशि कितनी जमा करनी है।

दि0 03.12.2010 को परिवादी/विपक्षी को अपीलार्थी प्राधिकरण का पत्र प्राप्‍त हुआ जिसमें बॉकी की धनराशि रू0 7,39,297.00 और जमा करना उल्‍लेख किया गया। उक्‍त बकाये को दि0 31.12.2010 तक जमा करना अंकित किया गया था। जिसे परिवादी ने दि0 30.12.2010 को जमा कर दिया। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विपक्षी/अपीलार्थी के पास रू0 23,73,923.00 जमा कर दिया। उक्‍त योजना के अनुसार 24 माह की अवधि में उक्‍त अपार्टमेंट अपीलार्थी प्राधिकरण के द्वारा परिवादी/प्रत्‍यर्थी को प्राप्‍त कराया जाना था लेकिन परिवादी को उक्‍त अपार्टमेंट का कब्‍जा अपीलार्थी प्राधिकरण के द्वारा समयावधि में नहीं दिया गया।

-3-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कई बार अपीलार्थी/विपक्षी से सम्‍पर्क किया लेकिन अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कोई ध्‍यान नहीं दिया, जो विपक्षी/अपीलार्थी की सेवा में कमी है। अत: विवश होकर परिवादी को जिला उपभोक्‍ता मंच में परिवाद प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता हुयी।

     अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से अपने प्रतिवादपत्र में कहा गया कि परिवादी के पत्र दि0 23.11.10 पर विचार करते हुये आवंटित फ्लैट सं0 बीटी/ई/808 रीवर व्‍यू इन्‍क्‍लेव की जमा धनराशि का जो विवरण दिया गया था, वह पंजीयन संख्‍या गलत अंकित करने के कारण से प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पत्र के माध्‍यम से अवगत कराने के उपरान्‍त सुधार करते हुये दि0 03.10.2010 को अनुमानित मूल्‍य के आधार पर गणना पत्र प्राप्‍त करा दिया गया जिसमें हुये विलम्‍ब के लिये प्रत्‍यर्थी/परिवादी स्‍वयं जिम्‍मेदार है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आवंटित फ्लैट का मूल्‍य जमा किया है, भवन का निर्माण कार्य पूर्ण है प्रत्‍यर्थी/परिवादी फ्लैट की बाकी धनराशि जमा कर निबन्‍धन संबंधी औपचारिकतायें पूर्ण कर निबन्‍धन उपरान्‍त कब्‍जा प्राप्‍त कर सकता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा मांगी धनराशि जमा न करके स्‍वयं डिफाल्‍टर की श्रेणी में आता है। परिवाद जिला मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता। अपीलार्थी/विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवाद सव्‍यय निरस्‍त होने योग्‍य है।

     हमारे द्वारा अपीलार्थी प्राधिकरण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिलीप कुमार शुक्‍ला को सुना तथा परिवादी/विपक्षी परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा को सुना।

     ऊपर उल्लिखित तथ्‍यों से यह निर्विवादित रूप से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा आवंटित अपार्टमेंट की अनुमानित कीमत रू0 22,30,000/- के विरूद्ध रू0 23,73,923/- दिनांक 01.04.2012तक जमा कर दी गयी (दि0 30.12.2010 तक वास्‍तव में)। परिवादी द्वारा जिला फोरम के सम्‍मुख अपने परिवाद पत्र में अपीलार्थी प्राधिकरण से निम्‍न अनुतोष प्रदान किये जाने की प्रार्थना की:-

 

-4-

  1. विपक्षी को निर्देशित किया जाय कि वह परिवादी को उसकी जमा धनराशि रू0

23,73,923/- पर दिनांक 01.04.2012 से भुगतान की तिथि तक 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज का भुगतान करें।

  1. परिवाद व्‍यय व अन्‍य अनुतोष जो माननीय फोरम उचित समझे, वह भी परिवादी को विपक्षी से दिलाया जाये।

जिला फोरम द्वारा समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखाते निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

     ‘’परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्‍ताह के अंदर परिवादी को उसके द्वारा जमा धनराशि रू0 2373923.00 पर दि0 1.4.2012 से भुगतान की तिथि तक मय 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक मात्र ब्‍याज अदा करें। इसके अतिरिक्‍त विपक्षी परिवादी को मानसिक कष्‍ट हेतु रू0 10,000/- तथा रू0 5000/- वाद व्‍यय अदा करें। ऐसा न करने की दशा में विपक्षी को उक्‍त धनराशियों पर उक्‍त तिथि से ता अदायगी तक 12 (बारह) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर से देय होगा।‘’

         अपीलार्थी प्राधिकरण की ओर से प्रस्‍तुत अपील के द्वारा इस न्‍यायालय के सम्मुख जिला फोरम द्वारा पारित ऊपर उल्लिखित आदेश हेतु यह कथन किया कि जिला फोरम द्वारा जो परिवादी को 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की देयता निधार्रित की गयी है, वह अनुचित है। साथ ही उपरोक्‍त मूल धनराशि के साथ ब्‍याज की देयता दिनांक 1.4.2012 से भुगतान की तिथि तक किये जाने का आदेश पारित किया गया है, वह भी अनुचित है। साथ ही मानसिक कष्‍ट हेतु रू0 10,000/- व वाद व्‍यय हेतु रू0 5000/- अदा करने का आदेश भी अनुचित है। उपरोक्‍त के अलावा अपील मीमों में किसी प्रकार का कोई धनराशि का विवरण अंकित नहीं पाया गया। मात्र यह कि यह न्‍यायालाय जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त करे।

 

-5-

     जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.4.2018 को प्राप्‍त किये जाने हेतु प्राधिकरण के अधिवक्‍ता द्वारा प्रार्थना पत्र दिनांक 6.11.2019 को प्रस्‍तुत किया गया। परिवाद उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने के उपरान्‍त जिला फोरम द्वारा विधि अनुसार गुण-दोष के आधार पर निर्णीत किया गया। तब उस स्थिति में प्रति हेतु अपीलार्थी प्राधिकरण के अधिवक्‍ता द्वारा लगभग साढ़े छ: माह के पश्‍चात प्रार्थना पत्र देने के संबंध में किसी प्रकार का उल्‍लेख अपील पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं पाया गया। प्रस्‍तुत अपील प्राधिकरण के अधिवक्‍ता श्री अंशुमान शर्मा द्वारा प्रस्‍तुत की गयी, जो इस न्‍यायालय के सम्‍मुख अपेक्षित समयावधि के पश्‍चात प्रस्‍तुत की गयी जिस संबंध में कोई व्‍याख्‍या पत्रावली में उपलब्‍ध नहीं है।

     हमारे द्वारा प्रस्‍तुत अपील पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त पत्रों का सम्‍यक रूप से परिशीलन एवं परीक्षण किया गया। तथा ऊपर उल्लिखित विलम्‍ब से प्रस्‍तुत किये जाने के संबंध में किसी प्रकार का कोई तथ्‍य अथवा प्रार्थना पत्र उल्लिखित करते हुये प्राधिकरण की ओर से प्रस्‍तुत नहीं किया गया, जो वास्‍तव में प्राधिकरण के अधिवक्‍ता से अपेक्षित नहीं है। भविष्‍य में उक्‍त तथ्‍य का संज्ञान लेते हुये कार्यवाही अपेक्षित है।

     जहॉ तक जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का प्रश्‍न है। वास्‍तव में यह तथ्‍य निर्विवादित है कि परिवादी द्वारा आवंटित फ्लैट के संबंध में अनुमानित/अपेक्षित मूल्‍य के  विरूद्ध अधिक धनराशि लगभग रू0 1,40,000/- जमा की गयी जो परिवादी/विपक्षी द्वारा निर्धारित समयावधि से पूर्व एकमुश्‍त के रूप में अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा जारी पत्र में उल्लिखित धनराशि को स्‍वीकार करते हुये जमा की गयी जिसपर विद्वान जिला फोरम द्वारा जो वापसी हेतु आदेश पारित किया गया है, तथा जो ब्‍याज की देयता निर्धारित की गयी है उसमें किसी प्रकार की कमी अथवा विधिक असंगता न तो उल्लिखित की गयी है न ही विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा स्‍थापित की जा सकी है। अतएव उपरोक्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुये जिला फोरम द्वारा पारित आदेश का समर्थन किया जाता है। तदनुसार प्राधिकरण को आदेशित किया जाता है कि वह आदेश का अनुपालन एक माह की अवधि में सुनिश्चित करे।

-6-

     जहॉ तक मानसिक कष्‍ट हेतु धनराशि का निर्धारण एवं वाद व्‍यय हेतु धनराशि के निर्धारण का प्रश्‍न है तथा न अदायगी की स्थिति में साधारण वार्षिक ब्‍याज 12 प्रतिशत की दर से देयता निर्धारित की गयी है। हमारे विचार से उपरोक्‍त धनराशि की देयता समाप्‍त की जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                           (सुशील कुमार)                                                  

            अध्‍यक्ष                            सदस्‍य                                                                                                                                                                    

                                                                                                                                      रामेश्‍वर, पी ए ग्रेड-2,

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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