Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/104

Punjab National Bank - Complainant(s)

Versus

Pawan Kumar Sharma - Opp.Party(s)

S M Bajpai

06 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/104
( Date of Filing : 18 Jan 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Punjab National Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Pawan Kumar Sharma
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Dec 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील सं0-१०४/२०१०

 

(जिला उपभोक्‍ता मंच/आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-१०७/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-१२-२००९ के विरूद्ध)

 

पंजाब नेशन बैंक, ब्रान्‍च बेरी बाग, जिला सहारनपुर द्वारा वरिष्‍ठ प्रबन्‍धक।

          ................. अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम्

पवन कुमार शर्मा पत्र श्री शिव चरण शर्मा निवासी मोहल्‍ला सुक्‍खुपुरा, बेरी बाग, थाना जनकपुरी, सहारनपुर।

                                              ...............    प्रत्‍यर्थी/परिवादी। 

समक्ष:-

१.  मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

२-  मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री एस0एम0 बाजपेयी विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   :- श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : ०६-१२-२०२१.

 

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

१.    यह अपील, जिला उपभोक्‍ता मंच/आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-१०७/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-१२-२००९ के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-१५ के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत की गई है।

२.    जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया है :-

      ‘’ परिवाद पत्र स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी पंजाब नेशनल बैंक को आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर परिवादी को २,३९,२४०/- रू० तथा इस पर दिनांक २१-०३-२००६ से इस निर्णय की तिथि तक ०९ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज एवं २०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में अदा करे। उपरोक्‍त अवधि में अदायगी न करने पर इस निर्णय की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को मु0 २,३९,२४०/- रू० की राशि पर १२ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी देय होगा। ‘’

 

 

 

-२-

३.    उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

४.    परिवाद के संक्षेप में इस प्रकार हैं कि दिनांक २०-०३-२००६ को परिवादी की पुत्री कुमारी नीरज शर्मा को परिवादी के खाते से अंकन २२,५००/- रू० निकालने के लिए हस्‍ताक्षरित चेक सहित भेजा गया। भुगतान के समय १००/- रू० के नोटों की गड्डी में एक १०/- रू० का नोट लगा कर भुगतान कर दिया गया। परिवादी की पुत्री ने उस नोट को बदलने के कहा तब बैंक कर्मचारियों ने आपत्ति की और कहा कि तुमने १००/- रू० का नोट निकालकर १०/- रू० का नोट इसमें लगा दिया है। बाद में इस नोट को बदल दिया गया। परिवादी ने इस तथ्‍य की जनकारी होने पर दिनांक २१-०३-२००६ को इस बैंक से अपना खाता बन्‍द करने का अनुरोध किया। परिवादी ने इस खाते को बन्‍द कराने के लिए एक चेक अंकन २,३९,२४०/- रू० प्रस्‍तुत किया, जिसके भुगतान के लिए बैंक कर्मचारी ने एक टोकन सं0-१० परिवादी को दिया। काफी समय तक भुगतान नहीं किया गया। प्रबन्‍धक से भी शिकायत की गई। प्रबन्‍धक ने बैंक लूट के मुकदमे में बन्‍द कराने की धमकी दी तथा अन्‍य कर्मचारियों ने भी धमकाया, इसलिए परिवादी बैंक से वापस आ गया और दिनांक २२-०३-२००६ को रजिस्‍टर्ड डाक से एस0एस0पी0 को सूचना दी तथा जिला उपभोक्‍ता मंच में परिवाद प्रस्‍तुत किया।

५.    बैंक द्वारा यह कथन किया गया कि आज की दिनांक पर परिवादी का कोई खाता नहीं है। परिवादी द्वारा अंकन २,३९,२४०/- रू० निकाल लिए गए हैं। परिवादी द्वारा प्राकृतिक हस्‍ताक्षर भी किए गए हैं। परिवादी को टोकन सं0-१० दिया गया और धनराशि अदा कर दी गई। टोकन भुगतान के बाद वापस लेना याद नहीं रहा। शाम को टोकन का मिलान किया गया तब यह जानकारी हुई। मांगने पर टोकन परिवादी द्वारा नहीं दिया गया। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा असत्‍य तथ्‍यों पर विचार किया गया।

६.    दोनों पक्षों के साक्ष्‍यों पर विचार करते हुए जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी ने १० नम्‍बर का टोकन विद्वान फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया। कोई भी बैंक कर्मचारी टोकन प्राप्‍त करने के पश्‍चात् ही भुगतान करता है इसलिए

 

 

 

 

-३-

यह तथ्‍य साबित हुआ कि अंकन २,३९,२४०/- रू० का भुगतान नहीं हुआ। तद्नुसार उपरोक्‍त वर्णित धनराशि ०९ प्रतिशत ब्‍याज सहित अदा करने का आदेश दिया।

७.    इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित आदेश तथ्‍यों एवं विधि के विरूद्ध है। साक्ष्‍यों का अवलोकन नहीं किया गया। परिवादी को धनराशि अदा कर दी गई लेकिन परिवादी ने टोकन नहीं दिया। परिवादी ने दूसरे दिन आश्‍यपूर्वक एस0एस0पी0 से शिकायत कराई है जो फर्जी शिकायत की गई है।

८.    अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि अंकन २,३९,२४०/- रू० की राशि को हड़पने के उद्देश्‍य से दिनांक २०-०३-२००६ को फर्जी कहानी तैयार की गई यानी १००/- रू० की गड्डी में १०/- रू० का नोट लगाया गया तथा अंकन २,३९,२४०/- रू० प्राप्‍त करने के बाबजूद टोकन नहीं लौटाया गया। यथार्थ में यह स्‍पष्‍ट होता है कि अपीलार्थी बैंक को शाम को ज्ञात हो चुका था कि परिवादी द्वारा अंकन २,३९,२४०/- रू० की राशि प्राप्‍त करने के बाबजूद टोकन नहीं लौटाया गया तब ही उनके द्वारा परिवादी के विरूद्ध सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपराधिक शिकायत की जा सकती थी परन्‍तु बैंक द्वारा इस प्रकृति की कोई कार्यवाही नहीं की गई। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि थाना प्रभारी को दिनांक २२-०३-२००६ को ही इस आशय की शिकायत की गई है। यह शिकायती पत्र पत्रावली में मौजूद है। इस पर थाना प्रभारी की कोई सील मौजूद नहीं है, इसलिए यह नहीं माना जाएगा कि थाना प्रभारी से कोई शिकायत की गई। थाना प्रभारी की कोई सील न होने का तात्‍पर्य यह है कि यह प्रार्थना पत्र एक सुनिश्चित योजना के तहत तैयार किया गया। यदि यह तर्क मान भी लिया जाए कि परिवादी द्वारा धनराशि प्राप्‍त करके टोकन नहीं लौटाया तब सम्‍बन्धित बैंक कर्मचारी द्वारा अपराधिक लापरवाही की कार्यवाही की गई। ऐसे बैंक कर्मी का सेवा में योजित रहना ही उचित नहीं है। ऐसी घोर लापरवाही करने वाले बैंक कर्मचारी बैंकिंग संस्‍था पर एक भार समान हैं। यथार्थ में यह तथ्‍य सही है तब जांच करने के पश्‍चात् बैंक के अपराधिक स्‍तर के लापरवाह कर्मचारी से ही यह राशि बसूल की जानी चाहिए। इस स्‍तर पर यह निष्‍कर्ष देने का कोई

 

 

 

 

-४-

कारण नहीं है कि परिवादी द्वारा धनराशि प्राप्‍त कर ली गई है टोकन नहीं लौटाया। अत: जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। अपील तद्नुसार सव्‍यय निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

९.    यह अपील सव्‍यय निरस्‍त की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच/आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-१०७/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-१२-२००९ की पुष्टि की जाती है। अपीलार्थी बैंक अंकन ५,०००/- रू० प्रत्‍यर्थी/परिवादी को हर्जा के रूप में इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर अदा करे।

१०.   उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

     

                     (विकास सक्‍सेना)            (सुशील कुमार)

                         सदस्‍य                    सदस्‍य

 

११.   निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

                     (विकास सक्‍सेना)            (सुशील कुमार)

                         सदस्‍य                    सदस्‍य

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-२. 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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