राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद संख्या-422/2016
प्रशांत सिंह पुत्र श्री एस0के0 सिंह निवासी 101, शिव विहार
कालोनी फरीदी नगर, सीमैप, लखनऊ व एक अन्य।
...........परिवादीगण
बनाम
पार्श्वनाथ प्लानेट मैसर्स पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि0 प्लाट नं0
टीसी-8, टीसी-9 विभूति खंड, गोमती नगर, लखनऊ द्वारा
मैनेजिंग डायरेक्टर व एक अन्य। .......विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 20.10.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध फ्लैट संख्या टी 2-604 बी 1875 स्कवायर फिट का भौतिक कब्जा प्राप्त करने के लिए अंकन रू. 141383.05 पैसे एवं अवैध डिमांड को निरस्त करने के लिए विक्रय करार से बाहर जाकर अवैध मांग पत्र को निरस्त करने के लिए परिवादी द्वारा जमा राशि पर कब्जे की तिथि तक 18 प्रतिशत ब्याज प्राप्त करने के लिए, 2011 से 2016 तक किराए में खर्च की राशि अंकन 8 लाख रूपये प्राप्त करने के लिए, सेवा में कमी के कारण 5 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति के लिए विक्रय पत्र के निष्पादन के संबंध में परिवादी द्वारा समर्थन की जाने वाली उच्च दरों की राशि को प्राप्त करने के लिए, परिवादी द्वारा लिए गए ऋण अंकन 5 लाख रूपये पर ब्याज प्राप्त करने के लिए, परिवाद व्यय पर रू. 50000/- प्राप्त करने के लिए तथा बीबीए करार के अनुसार 5 रूपये प्रति स्क्वायर फिट प्रतिमास की दर से रू. 8375/- प्रतिकर प्राप्त करने के लिए
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प्रस्तुत किया है, साथ ही अंकन 8 लाख रूपये फिट आउट पर खर्च की गई राशि को वापस प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि पूर्व आवंटी जसवीर सिंह द्वारा कुल रू. 1040656.75 पैसे जमा कराए गए थे। कब्जा जून 2009 में देने का वायदा किया गया था। बीबीए दि. 25.01.07 को निष्पादित किया गया था। फ्लैट का कुल मूल्य रू. 3118750/- था। कार पार्किंग के लिए एक लाख रूपये जमा किए जाने थे। बीबीए की प्रतियां पत्रावली पर एनेक्सर संख्या 3 है। पूर्व आवंटी द्वारा रू. 651568/- अन्य जमा किए गए। पूर्व आवंटी द्वारा 16.01.10 को विपक्षी को सूचना दी गई कि फ्लैट संख्या टी 2-604 बी परिवादी को आवंटित कर दिया जाए। यह भी सूचना दी गई कि उनके द्वारा रू. 289699.75 पैसे परिवादी से प्राप्त कर लिए गए हैं। यह प्रति एनेक्सर संख्या 5 है। परिवादी के नाम अंतरित करने के लिए रू. 52500/- प्रशासनिक शुल्क लिए गए तथा 27 लाख रूपये का ऋण एलआईसी हाउसिंग फाइनेन्स लि0 से प्राप्त किया गया। परिवादी द्वारा ऋण प्राप्त करने के पश्चात 27 लाख रूपये पूर्व आवंटी को अदा किया गया तथा रू. 222063/- विपक्षी को अदा किए गए। विपक्षी द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार कुल रू. 3890635.44 पैसे प्राप्त किए गए जो मूल्य से भी अधिक है। दि. 05.12.15 के कस्टमर लेजर के अनुसार परिवादी पर रू. 62310.75 पैसे बकाया बताए जा रहे हैं। परिवादी ने मौके पर जाकर देखा कि निर्माण कार्य प्रगति पर नहीं है। विपक्षीगण द्वारा सितम्बर 2009 में कब्जा देने का वायदा किया। दि. 12.02.10 का एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें लिखा था कि प्रोजेक्ट मार्च 2011 तक पूरा होगा। उनके द्वारा कब्जा देने में देरी की अपनी गलती भी स्वीकार की गई, परन्तु मार्च
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2011 में भी कब्जा नहीं दिया गया और दिसम्बर 2011 तक निर्माण पूरा करने की सूचना भेजी गई, बाद में इस अवधि को दिसम्बर 2012 कर दिया गया। विपक्षी के इस कार्य से परिावदी को मानसिक, आर्थिक प्रताड़ना कारित हुई। परिवादी किराए के मकान में रहता है। 2011 से 2016 तक रू. 672500/- का किराया अदा किया है तथा रू. 350000/- की ऋण की किश्तों के रूप में अदा किए हैं तथा फिट आउट के मद में 8 लाख रूपये खर्च किए गए हैं, परन्तु विपक्षी द्वारा इस राशि को समायोजित नहीं किया तथा फ्लैट का एरिया 1875 स्कवायर फिट के स्थान पर 1960 स्क्वायर फिट बताया गया और अतिरिक्त रू. 141383/- की मांग की गई, जबकि यथार्थ में एरिया नहीं बढ़ाया गया। मैन्टीनेन्स चार्जेस रू. 47040/- तथा इस पर सर्विस टैक्स रू. 6585.60 पैसे 50 रूपये प्रति स्क्वायर फिट की दर से रू. 98000/- सिक्योरिटी डिपोजिट की मांग अवैध रूप से की जा रही है। अनेक आवंटियों द्वारा इस आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया। जिनका निर्णय दि. 25.02.15 को हुआ। मा0 एन.सी.डी.आर.सी. के समक्ष अनेक अपीलें प्रस्तुत की गई हैं, जिनके निर्णय की प्रतिलिपि एनेक्सर संख्या 14 है। प्राधिकरण द्वारा विपक्षी को डिफाल्ट कर प्रोजेक्ट रद्द करने की धमकी दी गई।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथपत्र तथा एनेक्सर संख्या 1 लगायत 15 प्रस्तुत किए गए।
4. विपक्षीगण का कथन है कि निर्माण कार्य भवन निर्माण की स्वीकृति, पुनरीक्षित भवन प्लान की स्वीकृति तथा अदृश्य बाध्यकारी परिस्थितियों के तहत 38 माह के अंदर किया जाना था। वैश्विक, आर्थिक निराशाओं के
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चलते निर्माण में देरी हुई है, इसलिए परिवादी परिवाद पत्र में वर्णित अनुतोषों को प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है।
5. प्रस्तुत केस में सक्रिय रूप से पक्षकारों के मध्य दि. 25.06.2007 को क्रेता-विक्रेता करार का निष्पादन हुआ। इस करार के अनुसार फ्लैट का आधारभूत मूल्य रू. 3118750/- है। अंकन एक लाख रूपये कार पाकिंग के लिए आज्ञात्मक रूप से आवंटी द्वारा अदा किए जाने हैं। दूसरी कार के लिए अंकन रू. 50000/- की अदायगी वैकल्पिक है, जिसे परिवादी द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है। इस करार में उल्लेख है कि परिवादी का कब्जा 38 माह के अंदर प्रदान किया जाएगा, परन्तु 38 माह के अंदर कब्जा प्रदान नहीं किया गया।
6. विपक्षी का कथन है कि भवन के परिक्षेत्र में बढ़ोत्तरी हो गई है, इसलिए परिवादी बढ़े हुए परिक्षेत्र का मूल्य भी देने के लिए बाध्य है, परन्तु पत्रावली पर ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह जाहिर होता हो कि मौके पर इस आशय की कोई पैमाइश परिवादी की उपस्थिति में की गई हो जिससे यह निष्कर्ष निकलता हो कि यथार्थ में परिवादी को आवंटित यूनिट का क्षेत्रफल बढ़ गया है, इसलिए परिवादी बढ़े हुए क्षेत्रफल के आधार पर अतिरिक्त राशि अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
7. एनेक्सर 8 के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी पर अंकन रू. 62310.75 पैसे बकाया दर्शाए जा रहे हैं, जबकि भवन का कुल मूल्य रू. 3828324/- पर है और परिवादी द्वारा रू. 3890635.44 पैसे जमा कर दिए गए हैं, इसलिए बकाया राशि दर्शाने का कोई अवसर नहीं है। आवंटित फ्लैट का एरिया बढ़ गया हो ऐसा कोई दस्तावेज पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है, अत: स्पष्ट है कि परिवादी पर कोई भी राशि बकाया नहीं है, उसके द्वारा
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समस्त धनराशि का भुगतान किया जा चुका है, परन्तु इस भुगतान के बावजूद विपक्षी द्वारा समय पर कब्जा प्रदान नहीं किया गया। कब्जा प्राप्त करने के लिए पत्र दिनांक 07 दिसम्बर 2015 को जारी किया गया, जिसमें अंतिम स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट के अनुसार 30 दिन के अंदर बकाए की मांग की गई, जबकि करार में परिवादी पर कोई राशि बकाया नहीं थी। यद्यपि मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए एक निर्देश के अनुसार दो प्रतिशत वैट टैक्स का उत्तरदायित्व परिवादी पर है। परिवादी इस राशि को अदा करने के लिए बाध्य है, जो उस राशि में समायोजित की जा सकती है जो देरी से कब्जा देने के कारण भवन निर्माता द्वारा परिवादी को आवंटित की जानी है।
8. फुट आउट के मद में किसी प्रकार की धनराशि खर्च करने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है, अत: इस मद में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है। इस प्रकार चूंकि परिवादी द्वारा जमा राशि पर ब्याज अदा करने का आदेश दिया जा रहा है, इसलिए किराए के रूप में किसी प्रकार की धनराशि अदा करने के लिए आदेश नहीं दिया जा रहा है।
आदेश
9. परिवाद निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है:-
(ए). विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को फ्लैट संख्या टी 2-604 बी 1875 स्कवायर फिट का कब्जा समस्त सुविधाओं के साथ 3 माह के अंदर उपलब्ध कराएं।
(बी). अंकन रू. 141383.5 पैसे की मांग निरस्त की जाती है, साथ ही बीबीए के पश्चात 2 प्रतिशत वैट टैक्स को छोड़कर शेष मांग निरस्त की जाती है।
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(सी). परिवादी को जिस तिथि को कब्जा देय था उस तिथि के पश्चात से कब्जा देने की तिथि तक परिवादी को उसके द्वारा जमा की गई राश पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अदा किया जाए।
(डी). सेवा में कमी के लिए मानसिक प्रताड़ना के मद में परिवादी को कुल रू. 5,00000/- अदा किया जाए।
(ई). परिवाद व्यय के रूप में रू. 25,00000/- अदा किया जाए तथा क्लाउज 10 सी के अनुसार देरी के कारण प्रत्येक माह की देरी पर रू. 8375/- प्रतिमास अदा किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2