(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 387/2018
1. Sanjeev agarwal, aged about 54 years, son of J.C. agarwal, resident of 62, A/3, Kant kunj Saket Meerut (U.P.).
2. Mrs. Anupama agarwal, aged about 52 years, wife of Sanjeev agarwal, resident of 62, A/3, Kant kunj, Saket Meerut (U.P.).
……Complainants
Versus
1. Parsvnath Developers limited, registered and corporate office situated at 6th floor, Arunachal building, 19, Barakhamba road, New Delhi, through its Chairman.
2. Parsvnath Developers limited, (Parsvnath Privilege) situated at Plot no. P i Corrosia Estate Greater Noida, through its Managing Director.
3. Pradip jain, Chairman Parsvnath Developers limited, registered and corporate office situated at 6th floor, Arunachal building, 19, Barakhamba road, New Delhi,
4. Sanjiv jain, Managing Director Parsvnath Developers limited, registered and corporate office situated at 6th floor, Arunachal building, 19, Barakhamba road, New Delhi,
……..Opposite Parties
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश कुमार शर्मा ,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 30.01.2020
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादीगण संजीव अग्रवाल और श्रीमती अनुपमा अग्रवाल ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत विपक्षीगण Parsvnath Developers limited रजिस्टर्ड कार्पोरेट ऑफिस नई दिल्ली, Parsvnath Developers limited (Parsvnath Privilege) Greater Noida, Pradip jain Chairman Parsvnath Developers limited नई दिल्ली और Sanjiv jain, Managing Director Parsvnath Developers limited नई दिल्ली के विरुद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
Wherefore, it is most respectfully prayed that this Hon’ble Commission may graciously be pleased to:-
i. Direct the opposite parties to provide the physical possession of fully finished Flat no. T18-1001 having an area 172.334 square meters and without claiming any illegal and arbitrary cost towards the alleged increase in area of 50 square feet. (Value of the Unit Rs. 42,86,750/-
(ii) Direct the opposite parties not to claim any escalation charges as communicated by letter dated 28.08.2017 and forthwith not to claim any illegal and arbitrary charges from the complainant.
iii. Direct the opposite parties to refund an amount of Rs. 1,87,014/- illegally and arbitrarily claimed by the complainant along with interest with effect from the date of deposit till the date of refund.
iv. Direct the opposite parties to pay an amount of Rs.25000/- per month with effect from September, 2017 till the date of the physical possession of the fully finished unit. (Total months till the filing of this case are 14 months thus total amount Rs. 350000/-
v. Direct the opposite parties to pay interest on the amount of Rs 46,91,938.67 deposited by the complainant as this Hon’ble Commission may deem it fit and proper under the circumstances of this case, on the amount deposited by the complainant with effect from the respective dates of deposit till the date of possession.
vi. Direct the opposite parties to pay appropriate damages, compensation and Punitive Damages.
vii. Direct the opposite parties to pay appropriate compensation and damages for the deficiency in service committed by them.
viii. Direct the opposite parties to pay punitive Damages to the complainant on account of serious deficiency in service as well as Unfair Trade practice committed by them in this complaint case.
ix. Direct the opposite parties to pay the difference in the cost of escalation which shall be incurred at the time of the execution of the registered sale deed.
x. Direct the opposite parties to pay appropriate punitive/exemplary damages on account of mental agony, harassment and trauma under went by the complainants.
xi. Allow the complaint and direct the opposite parties to pay a sum of Rs. 1,00,000/- towards cost of the case.
xii. Any other order which this Hon’ble State Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण के लुभावने विज्ञापन से प्रभावित होकर उन्होंने विपक्षीगण की परियोजना में अपने आवास हेतु यूनिट नं0- T18-1001 Beekay Shipbreakers प्रा0लि0 से क्रय कर अपने नाम अंतरित करने हेतु आवेदन किया तो उक्त यूनिट उनके नाम दि0 03.05.2007 को विपक्षीगण द्वारा अंतरित की गई और अभिलेखों में परिवादीगण का नाम दर्ज किया गया। विपक्षीगण ने अपने सभी उपभोक्ताओं को यह आश्वासन दिया था कि यूनिट का निर्माण कार्य दि0 21.11.2010 तक पूरा कर लिया जायेगा। विपक्षीगण ने दि0 13.10.2007 को मूल आवंटी के पक्ष में निष्पादित फ्लैट के बायर एग्रीमेंट में भी यह आश्वासन दिया था कि निर्माण कार्य 36 महीने में पूरा किया जायेगा।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उनकी उपरोक्त यूनिट का कुल तय मूल्य 42,86,750/-रू0 था जिसका भुगतान कंस्ट्रक्शन लिंक प्लान के अनुसार होना था और पक्षों के बीच यह तय था कि मूल्य में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होगी।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण ने बुकिंग धनराशि जमा करते समय यह स्पष्ट किया था कि कब्जा अभी Civil amenities के साथ दि0 21.11.2010 तक दे दिया जायेगा। सम्बन्धित अधिकारियों से आवश्यक अनुमति एवं नोएडा डेवलपमेंट अथारिटी से भूमि प्राप्त हो चुकी है।
विपक्षीगण ने दि0 05.11.2007 को उन्हें सूचित किया कि यूनिट का निर्माण दि0 21.11.2007 से शुरू किया जा रहा है और उन्हें करार पत्र के अनुसार दि0 21.11.2010 तक कब्जा दे दिया जायेगा, परन्तु जब परिवादीगण, विपक्षीगण के निर्माण स्थल पर गये तो पाया कि वहां निर्माण कार्य रुका है जिसका विरोध उन्होंने दर्ज कराया तो विपक्षीगण ने आश्वासन दिया कि कब्जा मार्च 2012 तक दिया जायेगा।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण 24 प्रतिशत वार्षिक की दर से पेनल ब्याज लगाने की धमकी किस्तों के विलम्ब से भुगतान पर दे रहे थे। इस कारण परिवादीगण, विपक्षीगण को किस्तों का भुगतान करते रहे हैं, परन्तु विपक्षीगण ने निर्माण पूरा कर कब्जा देने के अपने वादे को पूरा नहीं किया है। आवंटित यूनिट रिहायस योग्य नहीं है और उसमें Civil amenities उपलब्ध नहीं है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण ने दि0 31.08.2011 को इलेक्ट्रॉनिक मेल के द्वारा कब्जा मांगा और अपना विरोध दर्ज कराया कि 27,98,000/-रू0 का भुगतान करने के बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया है और उन्हें कब्जा नहीं दिया गया है। उसके बाद परिवादीगण और विपक्षीगण के बीच MOU दिनांकित 30.01.2016 के द्वारा यह तय हुआ कि विपक्षीगण 20,000/-रू0 प्रतिमाह परिवादीगण को जनवरी 2015 से दिसम्बर 2015 तक अदा करेंगे और उसके बाद जनवरी 2016 से 25,000/-रू0 मासिक की दर से क्षतिपूर्ति कब्जा देने तक देंगे, उसके बाद निर्माण पूरा न होने पर परिवादीगण को कब्जे में विलम्ब हेतु विपक्षीगण ने क्षतिपूर्ति दिया है। अगस्त 2015 के बाद से क्षतिपूर्ति का भुगतान उन्होंने नहीं किया है। निर्माण स्थल पर निर्माण कार्य रुका है और जो आंशिक रूप से निर्माण किया गया है वह दोषपूर्ण है, फिर भी विपक्षीगण ने अवैधानिक और मनमाने ढंग से दि0 28.08.2017 को फिट आउट पत्र भेजा और परिवादीगण को सूचित किया कि उनके यूनिट का क्षेत्रफल 50 स्क्वायर फिट बढ़ गया है। बढ़े क्षेत्र के सम्बन्ध में उन्होंने मनमाने ढंग से अतिरिक्त डिमाण्ड भी की। उन्होंने परिवादीगण से 6,34,410/-रू0 बढ़ा मूल्य मांगा और 6,00,000/-रू0 रिबेट परिवादीगण को फिट आउट कम्पलीट करने हेतु दिया। परिवादीगण ने पत्र दि0 27.12.2017 के द्वारा अपना विरोध दर्ज कराया तो विपक्षीगण ने कहा कि परिवादीगण की शिकायत सुलझा दी जायेगी। परिवादीगण लेजर के क्लाज D और E में अंकित धनराशि जमा कर दें तब परिवादीगण ने यह धनराशि जमा कर दी, ताकि यूनिट का कब्जा दि0 01.04.2018 तक विपक्षीगण द्वारा दिया जाये, परन्तु विपक्षीगण ने यूनिट का निर्माण पूरा करने के बजाय परिवादीगण को दि0 02.01.2018 को पुन: फिट आउट के ऑफर का पत्र भेजा जिसका विरोध परिवादीगण ने ई-मेल से अलग-अलग तिथियों में पत्र भेजकर किया, फिर भी विपक्षीगण ने निर्माण कार्य पूरा नहीं किया और न कब्जे का ऑफर दिया। इस प्रकार विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है और परिवादीगण के साथ अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है। अत: क्षुब्ध होकर परिवादीगण ने परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है। लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि विपक्षीगण ने परिवादीगण को दि0 02.01.2018 को फिट आउट पोजेशन के ऑफर का पत्र अन्तिम स्टेटमेंट ऑफ एकाउंट के साथ भेजा है और सद्भावना दिखाते हुए अगस्त 2017 तक उन्होंने परिवादीगण को 9,54,554/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा की है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादीगण को फ्लैट के निर्माण की स्थिति के सम्बन्ध में समय-समय पर अवगत कराया गया है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादीगण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)D के अंतर्गत उपभोक्ता नहीं हैं। उन्होंने फ्लैट आवास के लिए नहीं वरन लाभ अर्जित करने के लिए लिया है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि बायर एग्रीमेंट में कब्जा अंतरण की कोई निश्चित तिथि नहीं बतायी गई थी। फ्लैट के निर्माण में और कब्जा अंतरण में विलम्ब ऐसे कारणों से हुआ है जो विपक्षीगण के नियंत्रण से बाहर है। लिखित कथन में कहा गया है कि परिवादीगण ने क्लीन हैण्ड से परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है परिवाद पत्र में परिवादीगण द्वारा कथित विवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिवाद की सरसरी कार्यवाही में नहीं निर्णीत किया जा सकता है। अत: परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत चलने योग्य नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि बायर एग्रीमेंट के सेक्शन 14(1)D के अनुसार परिवादीगण कोई क्षतिपूर्ति की मांग नहीं कर सकते हैं। विपक्षीगण ने बायर एग्रीमेंट के करार का कोई उल्लंघन नहीं किया है। परिवादीगण की यूनिट के टावर का निर्माण पूरा हो चुका है। कम्पलीशन सार्टीफिकेट के लिये सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जा चुका है, फिर भी परिवादीगण ने अवशेष धनराशि का भुगतान नहीं किया है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि प्रश्नगत यूनिट का मूल रूप से मे0 Beekay Shipbreakers प्रा0लि0 ने बुकिंग के समय मात्र 10,00,000/-रू0 जमा किया था। मूल आवंटी के अनुरोध पर ही परिवादीगण के नाम यूनिट अंतरित की गई है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवाद प्रस्तुत करने हेतु कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि बायर एग्रीमेंट के क्लाज 10सी में कब्जे में विलम्ब के सम्बन्ध में विपक्षीगण के दायित्व के सम्बन्ध में प्राविधान है। अत: इस करार पत्र के क्लाज 10सी से भिन्न अनुतोष परिवादीगण नहीं पा सकते हैं।
परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी संजीव अग्रवाल ने अपना शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से सौरभ कुमार बाजपेयी अथराइज सिग्नेचरी का शपथ पत्र लिखित कथन के समर्थन में प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद में अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा और विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र का संलग्नक 08 मेमोरंडम ऑफ सेटलमेंट दिनांकित 30.01.2016 है। विपक्षीगण ने लिखित कथन में इस मेमोरंडम ऑफ सेटलमेंट से इंकार नहीं किया है। इस सेटलमेंट के द्वारा विपक्षीगण ने परिवादीगण को आवंटित फ्लैट के कब्जा में विलम्ब हेतु जनवरी 2015 से दिसम्बर 2015 तक एवं जनवरी 2016 से दिसम्बर 2016 तक 20,000/-रू0 मासिक की दर से और दिसम्बर 2016 के बाद 25,000/-रू0 मासिक की दर से Compensation देने का वादा किया है और जून 2018 तक कब्जा न दे पाने पर परिवादीगण को अधिकार दिया है कि वे आवंटन निरस्त करने हेतु आवेदन देकर अपनी जमा धनराशि ब्याज के साथ वापस पा सकते हैं।
परिवादीगण को विपक्षीगण ने विलम्ब हेतु उपरोक्त Compensation मेमोरंडम ऑफ सेटलमेंट के अनुसार अगस्त 2017 तक दिया है यह अविवादित है।
परिवाद पत्र का संलग्नक 09 विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को प्रेषित पत्र दि0 28.08.2017 है जो उभय पक्ष को स्वीकार है। इस पत्र के द्वारा Fit out Possession का आफर परिवादीगण को विपक्षीगण ने दिया है। इस पत्र के द्वारा विपक्षीगण ने फ्लैट के कुछ अधूरा काम हेतु 6,00,000/-रू0 का रिबेट दिया है और फ्लैट पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार देय वैट टैक्स की मांग की है। इस पत्र के साथ जो Final Statement of Account है उसमें फ्लैट के क्षेत्रफल में 50 वर्गफुट की वृद्धि के आधार पर बढ़े क्षेत्र का मूल्य 1,15,546/-रू0 और निर्माण लागत में वृद्धि की धनराशि 6,34,410/-रू0 अंकित है। इसके साथ ही 6,00,000/-रू0 का रिबेट कुछ अधूरे कार्य के लिये दिया गया है। इस Final Statement of Account के अंत में निम्न विवरण अंकित है:-
1. Draft/Pay Order for amount at A+B+C is Rs. 1,36,344.75 To be refunded/adjusted.
2. Draft/Pay Order for amount at “D” is Rs. 1,01,574.60 to be issued in favour of “Marksmen Facilities Pvt. Ltd.” Payable at Delhi.
3. Draft/Pay Order for amount at “E” is Rs. 85,448.00 is to be issued in favour of “PDL-Tax Account” Payable at Delhi.
Note:- Stamp Duty payable by Buyer shall be as per appliacable rates on the date of actual registration.
परिवादीगण ने उपरोक्त मद D और E की धनराशि क्रमश: 1,01,547/-रू0 व 85,448/-रू0 विपक्षीगण को अदा कर दिया है। यह विपक्षीगण के पत्र दि0 02.01.2018 जो परिवाद पत्र का संलग्नक 11 है से स्पष्ट है। यह पत्र दि0 02.01.2018 Authorisation for fit out Possession है।
परिवादीगण के अनुसार पत्र दि0 28.08.2017 में 50 वर्ग फिट के बढ़े क्षेत्र का मूल्य 1,15,546/-रू0 और बढ़ी निर्माण लागत के आधार पर विपक्षीगण द्वारा मांगी गई धनराशि 6,34,410/-रू0 तथा वैट की धनराशि 85,448/-रू0 की मांग अनुचित है।
50 वर्ग फुट के बढ़े क्षेत्र हेतु मूल रूप से तय दर पर विपक्षीगण द्वारा 1,15,546/-रू0 की मांग किया जाना अनुचित नहीं कहा जा सकता है, परन्तु फ्लैट के तयमूल्य से अधिक की मांग विपक्षीगण निर्माण लागत में बढ़ोत्तरी होने के आधार पर नहीं कर सकते हैं। अत: निर्माण लागत में बढ़ोत्तरी के आधार पर जो विपक्षीगण ने तयमूल्य के अतिरिक्त 6,34,410/-रू0 की मांग की है वह उचित नहीं है और अनुचित व्यापार पद्धति है। इसे निरस्त किया जाना आवश्यक है।
देय वैट की धनराशि 85,448/-रू0 की मांग विपक्षीगण द्वारा किया जाना विधि सम्मत है।
पत्र दि0 28.08.2017 के साथ संलग्न Final Statement of Account में अगस्त 2017 तक के Delay Possession Compensation की गणना कर उसका समायोजन किया गया है। निर्माण लागत में बढ़ोत्तरी के आधार पर मांगी गई उपरोक्त धनराशि 6,34,410/-रू0 हटाने पर परिवादीगण को रिफंड हेतु धनराशि 1,36,344.75/-रू0 बढ़कर 7,70,754/-रू0 हो जाती है।
पत्र दि0 28.08.2017 में अंकित धनराशि 101574.60/-रू0 परिवादीगण ने Marksmen Facilities Pvt. Ltd. के खाता में जमा किया है। अत: यह धनराशि परिवादीगण को विपक्षीगण से वापस दिलाया जाना उचित नहीं है। विपक्षीगण ने पत्र दि0 02.01.2018 के द्वारा परिवादीगण को fit out Possession का Authorisation दिया है, परन्तु परिवादीगण ने कब्जा लेकर फिट आउट का काम नहीं किया है। परिवादीगण के अनुसार फ्लैट का निर्माण अधूरा है। फ्लैट फिट आउट पोजेशन हेतु तैयार नहीं है। परिवादीगण की ओर से कहा गया है कि U.P. RERA में विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत रिटायर्ड विंग कमाण्डर आर0के0 महेश्वरी के शपथ पत्र में दि0 31.01.2019 तक परियोजना पूरी होने का कथन किया गया है। विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत सौरभ कुमार बाजपेयी के शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह कथन नहीं किया गया है कि फ्लैट का निर्माण पूर्ण रूप से तैयार है। RERA में फ्लैट का निर्माण जनवरी 2019 तक पूरा होने की बाबत शपथ पत्र प्रस्तुत किये जाने से भी सौरभ कुमार बाजपेयी के शपथ पत्र में इंकार नहीं किया गया है। विपक्षीगण ने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिखाया है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि फ्लैट का निर्माण पूरा है। मात्र फिट आउट का कार्य शेष है।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं सम्पूर्ण उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत मैं इस मत का हूँ कि प्रश्नगत फ्लैट का निर्माण फिट आउट पोजेशन के लिये तैयार है यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है। अत: पक्षों के बीच हुए मेमोरंडम ऑफ सेटलमेंट दिनांकित 30.01.2016 के अनुसार सितम्बर 2016 से कब्जा देने की तिथि तक फ्लैट के कब्जा में विलम्ब हेतु परिवादीगण को 25,000/-रू0 मासिक Compensation विपक्षीगण से दिलाया जाना उचित है।
विपक्षीगण की कोई धनराशि परिवादीगण के जिम्मा अवशेष नहीं है। अत: विपक्षीगण को निर्माण पूरा कर फ्लैट का कब्जा परिवादीगण को देने व विक्रय पत्र निष्पादित करने का निर्देश दिया जाना उचित है।
उपरोक्त विवेचना एवं निष्कर्ष के आधार पर परिवाद पत्र में याचित अनुतोष 1, 2 व 4 स्वीकार किये जाने योग्य है। परिवादीगण को 10,000/-रू0 वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित है।
परिवाद पत्र में याचित अन्य अनुतोष स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादीगण के प्रश्नगत फ्लैट का निर्माण पूरा कर तीन मास के अन्दर परिवादीगण को कब्जा प्रदान करें और विक्रय बिलेख परिवादीगण के पक्ष में निष्पादित करें।
विपक्षीगण के पत्र दि0 28.08.2017 में फ्लैट की निर्माण लागत बढ़ने के आधार पर मांगी गई धनराशि 6,34,410/-रू0 अपास्त की जाती है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे कब्जा में विलम्ब हेतु परिवादीगण को 01 सितम्बर 2017 से फ्लैट का कब्जा परिवादीगण को देने की तिथि तक 25,000/-रू0 मासिक Compensation अदा करें। यह Compensation प्रत्येक तीन मास में अदा किया जायेगा।
विपक्षीगण, परिवादीगण को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी देंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1