राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-244/2015
(मौखिक)
1. Rohit Chandra, Advocate,
Son of Sri Vijay Chandra.
2. Yogeeta Chandra,
Wife of Sri Rohit Chandra,
Both resident of 498/22, Awadh Apartments,
New Hyderabad (Opp. Samthar Petrol Pump)
Lucknow 226007 (U.P.) ....................परिवादीगण
बनाम
1. Parsvnath Developers Ltd.
Through its Chairman,
Mr. Pradeep Jain,
Registered Office:
Parsvnath Metro Tower,
Near Shahdara Metro Station,
Shahdara, Delhi – 110032
2. Aahana Realators Pvt. Limited,
Through its Managing Director,
Registered Office:
Parsvnath Metro Tower,
Near Shahdara Metro Station,
Shahdara, Delhi – 110032
3. Silver Street Infrastructure Pvt. Limited,
Through its Managing Director,
Registered Office:
Parsvnath Metro Tower,
Near Shahdara Metro Station,
Shahdara, Delhi – 110032
4. L.D.R. Developers Pvt. Limited,
through its Director- Mr. Rajendra Singh,
having its office at A-35, Nirala Nagar,
Lucknow (U.P.)
5. The General Manager
Parsvnath Developers Ltd.
Parsvnath Planet, Vibhuti Khand,
Gomti Nagar, Lucknow-10 ................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री राम चरन चौधरी, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री रोहित चन्द्रा, स्वयं।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 27.06.2016
-2-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवादी श्री रोहित चन्द्रा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आए। विपक्षी पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि0 की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित आए।
परिवादी ने परिवाद वापस लेने हेतु प्रार्थना पत्र शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत किया है। विपक्षी पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि0 के विद्वान अधिवक्ता को परिवादी के प्रार्थना पत्र पर कोई आपत्ति नहीं है।
परिवादी ने सूचित किया कि विपक्षी पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि0 से उनका मामला आयोग के बाहर तय हो चुका है और अब उनकी कोई शिकायत विपक्षी पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि0 से नहीं है, अत: वह अपना परिवाद वापस लेना चाहते हैं।
उपरोक्त तथ्यों पर विचार करते हुए परिवादी का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है और परिवाद बल न दिए जाने के कारण निरस्त किया जाता है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र एवं शपथ पत्र इस आदेश का अंश माना जाएगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (राम चरन चौधरी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1