Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/103

U P S E B - Complainant(s)

Versus

Parmeshwar Dayal - Opp.Party(s)

D Mehrotra

05 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/103
( Date of Filing : 13 Jan 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P S E B
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Parmeshwar Dayal
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Apr 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-103/2003

उत्‍तर प्रदेश स्‍टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड

बनाम

परमेश्‍वर दयाल

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 05.04.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता           आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्‍या-78/2001 परमेश्‍वर दयाल बनाम उत्‍तर प्रदेश राज्‍य विद्युत परिषद में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.10.2002 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 21 वर्ष से लम्बित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता   श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा अपने कृषि कार्य हेतु नलकूप विद्युत द्वारा संचालित करने हेतु 10 हार्सपावर मोटर उपयोग हेतु विपक्षी उ०प्र० राज्य विद्युत परिषद विद्युत वितरण खण्ड नबीपुर (माती) के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था और उसके लिए रू0 7966/- दिनांक 6.2.94 तथा रू0 345/- दिनांक 8.2.94 को विपक्षी के कार्यालय में जमा किये थे। विपक्षी द्वारा परिवादी का कनेक्शन पास कर दिया गया, परन्‍तु न  तो  परिवादी

 

 

 

-2-

के नलकूप हेतु कनेक्शन दिया गया तथा न ही कोई मीटर या केबिल इत्यादि लगाया गया तथा न ही विद्युत आपूर्ति की गयी। परिवादी द्वारा व्यक्तिगत रूप से तथा प्रार्थनापत्र के माध्यम से विपक्षी को कई बार केबिल व मीटर लगाने तथा विद्युत आपूर्ति हेतु सम्पर्क किया गया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गयी।

परिवादी का कथन है कि दिनांक 20.2.96 को परिवादी द्वारा विपक्षी को एक प्रार्थनापत्र विद्युत आपूर्ति न होने के कारण मजबूर होकर इस आशय का प्रस्तुत किया गया कि जमा राशि (प्रतिभूति) व अन्य जमा राशि शीघ्र वापस कर दी जावे, जिस पर विपक्षी के सम्बन्धित कार्यालय द्वारा कतिपय कारणों से मीटर व केबिल लगाने तथा विद्युत आपूर्ति करने में असमर्थता व्यक्त की गयी तथा शीघ्र ही प्रतिभूति की धनराशि वापस करने का आश्‍वासन दिया गया। इस बीच परिवादी किराये के इंजन से कृषि कार्य करता रहा, जिस पर उसका लगभग 50,000/-रू0 खर्च हुआ। परिवादी द्वारा विपक्षी विभाग द्वारा उदासीनता व सेवा के अभाव में अपने कृषि कार्य करने हेतु डीजल इंजन किराये पर लेकर उपयोग किया फिर भी उसका कृषि कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ तथा पैदावार भी काफी कम हुई।

परिवादी का कथन है कि विपक्षी विभाग के टालमटोल की नीति से क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा पुनः दिनांक 5.1.2001 को एक प्रार्थनापत्र अधिशाषी अभियंता वितरण विभाग कानपुर देहात उ०प्र० पावर कारपोरेशन लि० कानपुर को प्रेषित किया गया कि उसके द्वारा जमा प्रतिभूति धनराशि व अन्य धनराशि को वापस किया जावे, परन्‍तु विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी के प्रार्थनापत्र पर कोई सुनवाई नहीं की गयी तथा परिवादी को न तो विद्युत की आपूर्ति की गयी तथा न ही उसकी जमा प्रतिभूति धनराशि व अन्य जमा धनराशि वापस की गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षी विद्युत विभाग के विरूद्ध परिवाद  जिला  उपभोक्‍ता  आयोग  के  सम्‍मुख

 

 

 

-3-

प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से जवाबदावा प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी द्वारा वांछित औपचारिकतायें पूर्ण करने के उपरान्‍त दिनांक 6.1.95 को अनुबन्ध पत्र निस्तारित किया गया, जिसके उपरान्त विद्युत लाईन खींचने का आदेश जारी किया गया। तदोपरान्‍त परिवादी को विद्युत कनेक्शन दिये जाने हेतु                  11 किलोवाट नौरंगा फीडर से तीन पोल लेकर लगभग 288 मीटर की लाईन खींची गयी तथा दूसरा पोल लगाकर उस पर                  25 किलोवाट का ट्रांसफार्मर स्थापित किया गया तथा दिनांक 25.3.95 को नलकूप का कनेक्शन जारी किया गया।

विपक्षी का कथन है कि कनेक्शन जारी किये जाने के समय प्रमाणपत्र पर परिवादी के प्रतिनिधि श्री ओम प्रकाश द्वारा हस्ताक्षर किये गये थे, जो कि विभागीय पत्रावली पर विद्यमान हैं, अतः परिवादी का यह कथन सरासर गलत है कि उसे विद्युत कनेक्शन नहीं दिया गया। परिवादी द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद दाखिल किया गया। माह जुलाई, 2000 तक विभागीय अभिलेखों के अनुसार परिवादी के ऊपर रू0 69,359.90 बकाया है, जिसके सम्बन्ध में "पब्लिक मनी एण्ड रिकवरी ड्यूस एक्ट" के अन्तर्गत दैनिक समाचार पत्र "दैनिक जागरण" दिनांक 19.6.2001 के अंक में नोटिस भी प्रकाशित करायी गयी। परिवादी द्वारा विद्युत देयों के भुगतान से बचने के लिए परिवाद दाखिल किया गया, जो निरस्त होने योग्य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''परिवादपत्र अंशतः स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को यह आदेश दिया जाता है कि इस निर्णय की तिथि  से  60  दिन  की

 

 

 

-4-

अवधि के अन्दर विपक्षी के कार्यालय में जमा प्रतिभूति की धनराशि 12% ब्याज की दर से वसूली की तिथि तक परिवादी को अदा करें और रू0 50,000/- बतौर क्षतिपूर्ति एवं रू0 500/- परिवाद व्यय परिवादी को अदा करें। विपक्षी को यह आदेश दिया जाता है कि रू0 69,359=90 जो परिवादी के ऊपर बकाया दिखाया गया है उसे परिवादी से वसूल न करें। दैनिक समाचारपत्र" दैनिक जागरण" दिनांक 19.6.2001 में धारा 3" दि यू.पी. पब्लिक मनी (रिकवरी आफ ड्यूस एक्ट, 1972) के अन्तर्गत प्रकाशित डिमाण्ड नोटिस निरस्त की जाती है।''

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा समस्‍त          तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता           आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण  करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता               आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, परन्‍तु मेरे विचार से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा             जो प्रतिभूति की धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्‍याज की देयता निर्धारित की गयी है, उसे न्‍यायहित में कम कर 06 प्रतिशत ब्‍याज किया जाना उचित है। इसके साथ ही जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो बतौर क्षतिपूर्ति 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपये) की देयता निर्धारित की गयी है, उसे कम कर 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) किया जाना न्‍यायोचित है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती              है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्‍या-78/2001 परमेश्‍वर दयाल बनाम उत्‍तर प्रदेश राज्‍य विद्युत परिषद में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.10.2002 को संशोधित करते हुए प्रतिभूति की धनराशि पर  06  (छ:)  प्रतिशत  

 

 

 

 

-5-

ब्‍याज की देयता निर्धारित की जाती है। इसके साथ ही बतौर क्षतिपूर्ति 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) की देयता निर्धारित की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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